आपदा-जोख़िमों से बचाव के लिए जलवायु डेटा इकोसिस्टम की संरचना

Kabeer Arora | Gaurav Godhwani | Jeeno George | Bernadine Fernz

टास्क फोर्स 3: LiFE, रेज़िलिएंस, एंड वैल्यूज़ फॉर वेल बींग


सारांश

एक मज़बूत डेटा इकोसिस्टम आपदा-जोख़िम बुनियादी ढांचे, शहरों और समाजों के निर्माण की दिशा में रणनीतिक निर्णय लेने में मदद कर सकता है. ये तथ्य विवादों से परे है. हालांकि, ऐसे रणनीतिक निर्णयों को सक्षम कर सकने वाले डेटा विभिन्न एजेंसियों, पैमानों और प्रारूपों में बिखरे हुए हैं, जिससे जागरूकतापूर्ण निर्णय लेने के लिए उनकी उपयोगिता सीमित हो जाती है. इसके नतीजतन अकुशल कार्रवाइयां या ग़ैर-स्थायी प्रतिक्रियाएं सामने आती हैं, जो आपात स्थिति के दौरान तत्काल ज़रूरतों को पूरा करने या स्थायी दीर्घकालिक समाधान मुहैया कराने में विफल रहते हैं. एक व्यापक G20 जलवायु डेटा इकोसिस्टम के प्रति प्रतिबद्धता जताने की तत्काल आवश्यकता है. ये क़वायद जागरूकतापूर्ण निर्णय लेने के लिए उन्नत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग तकनीकों का उपयोग करके चतुराई भरे समाधानों की मॉडलिंग तैयार करने के अवसर देता है. ऐसे इकोसिस्टम को जलवायु डेटा को समग्र रूप से देखने और मौजूदा वक़्त में डेटा के तमाम एकाकी स्वरूपों (data silos) में इंटर-ऑपरेबल और AI के लिए तैयार मानकीकृत डेटासेट्स उपलब्ध कराने की आवश्यकता है.

  1. चुनौती

मौसम से जुड़ी चरम घटनाओं के बीच विज्ञान आधारित नीति निर्माण ज़रूरी हो गया है. इसके लिए जलवायु अनुकूलन और आपदा जोख़िम में कमी के लिए नवाचारों को संचालित करने की क्षमता के साथ, लगभग वास्तविक समय में मानकीकृत और AI के हिसाब से तैयार डेटा तक पहुंच अत्यंत आवश्यक है. विश्व मौसम विज्ञान संगठन की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 50 वर्षों में दुनिया ने लगभग हर दिन मौसम से जुड़ी एक चरम घटना का अनुभव किया, जिससे रोज़ाना 20 करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ है (विश्व मौसम विज्ञान संघ 2022). इन आपदाओं का आवश्यक बुनियादी ढांचे, प्राकृतिक पर्यावरण, आर्थिक विकास और सामाजिक कल्याण पर व्यापक प्रभाव पड़ा है. 

आपदा-जोख़िम बुनियादी ढांचों, शहरों और समाजों का निर्माण करना आवश्यक उद्देश्य है. बदले में, इस क़वायद के लिए ना केवल नीतियों, निर्णयों और कार्यों को सूचनाओं से लैस करने को लेकर सटीक और समयबद्ध डेटा की आवश्यकता होती है, बल्कि लचीलापन बनाने की दिशा में किए गए प्रयासों या निवेश के प्रभाव का आकलन करने के लिए भी ऐसे उपाय ज़रूरी हो जाते हैं. इसे बजटीय आवंटन, सार्वजनिक ख़रीद डेटा और अन्य व्यय डेटासेट्स के स्वरूप में देखा जा सकता है. हालांकि, जो डेटा आपदा-जोख़िम प्रतिक्रिया और प्रबंधन को अधिक प्रभावी बनाने में मदद कर सकता है, वो विभिन्न एजेंसियों, प्रणालियों, पैमानों और प्रारूपों में बिखरा हुआ है, जिससे प्रभावशाली निर्णय लेने को लेकर कम उपयोगिता वाले डेटा ही बचे रह जाते हैं (‘असम, भारत में आपदा प्रबंधन के लिए एक नया खुला अनुबंध मॉडल – ओपन कॉन्ट्रैक्टिंग पार्टनरशिप’ 2022)

सर्वप्रथम ‘व्यापक जलवायु डेटा’ के घटक तत्व क्या-क्या हैं, इस पर अभी तक कोई सहमति नहीं है, और इस वजह से जलवायु कार्रवाई पर होने वाली परिचर्चाओं में कई महत्वपूर्ण डेटासेट्स पर विचार ही नहीं किया जाता. इनमें सार्वजनिक व्यय जैसे अहम मसले शामिल हैं. उदाहरण के लिए, WESR – जलवायु भू-स्थानिक सूचना (‘WESR: क्लाइमेट’ 2023), जिसमें ‘औसत वार्षिक हानि’ जैसे व्यापक आर्थिक संकेतक शामिल हैं, जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले नुकसान का निपटारा करने के लिए किए गए सार्वजनिक व्यय का लेखा-जोखा देने में विफल रहता है. इसके नतीजतन अक्सर अकुशल ख़रीद प्रक्रियाएं और नीतियां या ग़ैर-स्थायी प्रतिक्रियाएं सामने आती हैं. ये आपातकाल के समय तत्काल और अक्सर जीवन-रक्षक ज़रूरतों को पर्याप्त रूप से पूरा करने में असफल रहती हैं, या जहां आवश्यकता हो, वहां स्थायी दीर्घकालिक समाधान प्रदान करने में नाकाम रहते हैं.

‘जलवायु डेटा’ को परिभाषित करना

आपदा जोख़िम और जलवायु परिवर्तन के विश्लेषण में उपयोग के लिए खुले डेटा की क्रम सूची तैयार करने के लिए कई वैश्विक और क्षेत्रीय प्रयास किए गए हैं; हालांकि इस तरह के डेटा को ज़्यादातर मौसम डेटा (विशेष रूप से तापमान और वर्षा) के एक क्रियात्मक रूप में देखा जाता है (लावेल आदि 2012; पोर्टनर और रॉबर्ट्स 2022). IPCC की छठी मूल्यांकन रिपोर्ट में कहा गया है कि कई एजेंसियों ने नुक़सानों और क्षति पर डेटा के साथ-साथ असुरक्षा पर भी आंकड़े जुटाना शुरू कर दिया है. हालांकि अक्सर ये क़वायद ‘ताज़ा’ डेटासेट के रूप में की जाती है जिसे मौजूदा डेटासेट के साथ आसानी से एकीकृत नहीं किया जा सकता है (पोर्टनर और रॉबर्ट्स 2022, tbl 8.4)उपयोग के मामले के आधार पर ‘जलवायु डेटा’ के रूप में योग्य होने वाले घटक बदलते रहते हैं, जिससे आपदाओं के मामले में आवश्यक प्रभावों को समझने और कार्यों ज़रूरतों में बाधा आती है.

सार्वजनिक प्रतिबद्धताओं पर नज़र रखना

समय पर और रणनीतिक बुनियादी ढांचे में निवेश करने से जलवायु परिवर्तन से प्रेरित आपदाओं के कुछ सबसे बुरे प्रभावों को कम करने में मदद मिल सकती है. हालांकि, आपदा और जलवायु-लचीले बुनियादी ढांचे के निर्माण की दिशा में की गई प्रतिबद्धताओं और पहले से किए गए निवेश की प्रभावशीलता पर प्रभावी ढंग से नज़र रखने के लिए कोई मौजूदा तंत्र नहीं है. हालांकि सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराए जाने पर बजटीय प्रतिबद्धताओं, सार्वजनिक ख़रीद डेटा और अन्य सार्वजनिक व्यय डेटा के माध्यम से इसे देखा जा सकता है. जलवायु कार्रवाई की रूपरेखा का कोई भी विश्लेषण करने के लिए ऐसे डेटासेट महत्वपूर्ण हैं.

जलवायु डेटा प्रबंधन के लिए नदारद शासन ढांचा

जलवायु डेटा की प्रकृति विविधताओं भरी है. ये ना केवल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बल्कि राष्ट्रीय और उप-राष्ट्रीय स्तरों पर भी पैमानों और न्यायक्षेत्रों तक फैली हुई है. इससे डेटा के व्यापक प्रबंधन में अड़चनें आती हैं. 

जलवायु डेटा इकोसिस्टम की अनिवार्यता

एक जलवायु डेटा इकोसिस्टम आपदा के हिसाब से लचीले बुनियादी ढांचे के निर्माण में मदद कर सकता है. इस कार्य के लिए डेटा मानकों और डेटा की इंटर-ऑपरेबिलिटी की आवश्यकता होती है. बहरहाल ये बात सच है कि विभिन्न डेटा श्रेणियों में मानक निर्धारित हैं, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:

हालांकि, संपूर्ण जलवायु डेटा इकोसिस्टम के लिए व्यापक डेटा मानकों को विकसित करना एक चुनौती है (ली 2016).

  1. G20 की भूमिका

एंथ्रोपोसीन यानी इस मानव युग में मनुष्य पृथ्वी पर परिवर्तन के प्रमुख संचालक हैं. ऐसे में G20 देशों को एक कार्यात्मक और समग्र जलवायु डेटा पारिस्थितिकी तंत्र की वक़ालत करने में निश्चित रूप से अगुवा भूमिका निभानी चाहिए. ऐसे इकोसिस्टम को ना केवल जलवायु परिवर्तन अनुकूलन को निर्देशित करने के लिए विविध कारकों को ध्यान में रखना चाहिए, बल्कि राज्यसत्ताओं की सीमाओं से परे एक वैश्विक मुद्दे के रूप में जलवायु परिवर्तन को समझने की छूट भी देनी चाहिए.

एक अधिक समग्र दृष्टिकोण

परंपरागत रूप से, वायु और जल प्रदूषण जैसे पर्यावरणीय मुद्दों का स्थानीय, प्रादेशिक या राष्ट्रीय हस्तक्षेपों के माध्यम से निपटारा किया जा सकता है. हालांकि, जलवायु परिवर्तन वैश्विक आम समस्या है, और एक स्रोत से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पूरी पृथ्वी को प्रभावित करता है. इसलिए, समस्या के साथ अधिक समग्र तरीके से निपटे जाने की आवश्यकता है. इस कड़ी में दुनिया भर में समान रूप से अपनाई गई रणनीतियों को शामिल किया जाना निहायत ज़रूरी है. 

निम्न-कार्बन की ओर परिवर्तन

G20 ने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने, नवीकरणीय ऊर्जा का समर्थन करने और कम कार्बन सघन अर्थव्यवस्था की ओर परिवर्तन की क़वायद में मदद करने का बीड़ा उठाया है. इन लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए नीति निर्माताओं, योजनाकारों और प्रबंधकों को विश्वसनीय और व्यापक जलवायु डेटा तक पहुंच की आवश्यकता है.

  1. G20 के लिए सिफ़ारिशें

अधिक प्रभावी जलवायु डेटा पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के प्रयासों में, G20 नीचे दिए गए दायरों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.

i. ‘मानवीय कल्याण के लिए जलवायु डेटा’ की परिभाषा का विस्तार करना

इस प्रश्न पर शायद ही कोई विवाद है कि ‘जलवायु डेटा’ के घटकों की परिभाषा बहुआयामी होनी चाहिए. न केवल पृथ्वी की जलवायु प्रणाली से संबंधित, बल्कि मानव समाजों, अर्थशास्त्रों और प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्रों से भी इसका संबंध होना चाहिए. इस प्रकार, जलवायु डेटा, जलवायु परिवर्तन की समग्र और एक से अधिक विषयों की समझ विकसित करने में योगदान दे सकता है.

‘जलवायु डेटा’ में प्राथमिक सर्वेक्षण, ऑन-ग्राउंड सेंसर्स, रिमोट सेंसिंग, सरकारी मशीनरी, सार्वजनिक वित्त और आम जनता से जुटाए गए आंकड़े (यानी क्राउडसोर्स्ड डेटा) जैसे कई स्रोतों से डेटा शामिल होते हैं. ये डेटा सेट जलवायु स्थितियों पर व्यापक और सटीक जानकारी प्रदान कर सकते हैं, जिसका उद्देश्य साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण, योजना और प्रबंधन को सहारा देना है. इस तरह लचीला बुनियादी ढांचा तैयार किया जा सकेगा और समाज के कल्याण को आगे बढ़ाना संभव हो सकेगा. 

इसलिए, एक व्यापक G20 जलवायु डेटा पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने की प्रतिबद्धता जताने की तत्काल आवश्यकता है. इसमें सार्वजनिक वित्त डेटा और मानव कल्याण के गुणात्मक संकेतक सहित भौतिक, जैविक, सामाजिक-सांस्कृतिक और आर्थिक पहलुओं पर जानकारी का संग्रह, विश्लेषण और प्रसार शामिल होगा. इस इकोसिस्टम में प्राकृतिक पारिस्थितिकी प्रणालियों, मानव समाजों और अर्थव्यवस्थाओं पर अतीत, वर्तमान और भविष्य के प्रभावों की जानकारी शामिल होनी चाहिए.

यह नीति निर्माताओं का मार्गदर्शन करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग तकनीकों, जैसे तकनीकी उपकरणों का उपयोग करके चतुराई भरे समाधानों की मॉडलिंग को सुगम बना देगा. एक मुख्य उद्देश्य ताज़ा-तरीन, डेटा-संचालित मॉडल का उपयोग करके सबसे असुरक्षित और कमज़ोर आबादी के लिए सार्वजनिक धन को प्राथमिकता देना होना चाहिए. ऐसे इकोसिस्टम द्वारा जलवायु डेटा को समग्र रूप से देखे जाने की आवश्यकता है, और जलवायु और जलवायु से संबंधित डेटा की निम्नलिखित श्रेणियों में इंटर-ऑपरेबल, AI के लिए तैयार, मानकीकृत डेटासेट उपलब्ध कराने की आवश्यकता है:

1) भू-स्थानिक और मौसम

2) सार्वजनिक स्वास्थ्य सहित सामाजिक-आर्थिक और जनसांख्यिकीय असुरक्षाएं

3) आपदाओं से होने वाली हानि और क्षति

4) आपदाओं से निपटने के लिए परिवहन नेटवर्कों, सामुदायिक भवनों, राहत आश्रयों और अस्पतालों जैसे महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे तक पहुंच.

5) शासन-प्रशासन की प्रतिक्रिया और सार्वजनिक वित्त

ii. बेहतर समन्वय के लिए विकेंद्रीकृत और संघात्मक शासन ढांचा

जलवायु डेटा वर्तमान में खंडित है. इसके अलावा, देशों के बीच या यहां तक ​​कि देशों के भीतर संगठनों और वर्गों के बीच डेटा-साझा करने की प्रक्रिया और सह-निर्माण में संस्थागत और सियासी बाधाएं हैं. हालांकि, हाल के वर्षों में, तकनीकी डेवलपर्स ने वेब-आधारित प्लेटफ़ॉर्म बनाए हैं, जो आपदा जोखिम मूल्यांकन की बेहतर सुविधा प्रदान करते हैं. साथ ही पहले से अधिक सहयोगी सिस्टम बनाकर बेहतर तैयारी और प्रतिक्रिया के लिए आंतरिक दृष्टिकोण भी उपलब्ध कराते हैं.

वैश्विक स्तर पर, WESR – जलवायु भू-स्थानिक सूचना (‘WESR: क्लाइमेट’ 2023), पर्यावरण डेटा, सूचना और ज्ञान का एक ओपन-एक्सेस पोर्टल है, जो जलवायु परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित करता है. इसे संयुक्त राष्ट्र की इकाइयों के साथ-साथ क्षेत्रीय और राष्ट्रीय संगठनों सहित संगठनों के एक नेटवर्क द्वारा विकसित किया गया है. डेटा का ऐसा भंडार वैश्विक, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और स्थानीय स्तर पर निर्णय लेने, नीतियां बनाने और कार्रवाई करने में मदद करता है. WESR-कॉमन कंट्री एनालिसिस (WESR-CCA) सतत विकास लक्ष्यों (होम | WESR – CCA पोर्टल’ 2023) की दिशा में बुनियादी मूल्यांकन और परिवर्तन के लिए एक खुले मंच पर देश-वार पर्यावरणीय जानकारी प्रदान करता है. 

इसी तरह निचले मेकॉन्ग क्षेत्र में मेकॉन्ग एक्स-रे (‘मेकॉन्ग एक्स-रे’ 2023) जैसे क्षेत्रीय मंच और राष्ट्र-स्तरीय मंचों के रूप में मलावी के MASDAP (‘Www.Masdap.Mw’ 2023) आते हैं.

हालांकि, सीमाओं के आर-पार सरकारों के बीच सहयोग के बिना, ऐसी पहल बहुत कम नतीजे हासिल कर सकती हैं. आपदा तैयारियों और रोकथाम के लिए सार्वजनिक निवेश के बारे में वास्तविक समय के आधार पर या यहां तक ​​कि नियमित, लगातार अंतराल पर आंतरिक दृष्टि की कमी अब भी बरक़रार है. आपदा जोख़िम में कमी लाने वाले ज़्यादातर प्लेटफ़ॉर्म केवल आपदा के समय कार्य करने के हिसाब से तैयार किए गए हैं. डेटा की प्रकृति विविध है और इसे विशिष्ट प्रशासनिक सीमाओं के संदर्भ में तैयार किया जाता है. इससे स्थानीय और क्षेत्रीय सरकार के लिए समग्र रूप में और वास्तविक समय पर डेटा मुहैया कराने के लिए अन्य किरदारों के साथ मिलकर काम करना अनिवार्य हो जाता है.

G20 देशों को अनेक स्टेकहोल्डर्स के बीच एक विकेन्द्रीकृत, संघीय संरचना की नीति और शासन ढांचे के विकास में तालमेल बिठाने में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए. डेटा समन्वय की सुविधा और डेटा गुणवत्ता और निरंतरता के मुद्दों से निपटने के लिए इस तरह की क़वायद आवश्यक है. इस तरह की विकेंद्रीकृत संरचना को सरकारी एजेंसियों, ग़ैर-सरकारी संगठनों, शैक्षणिक संस्थानों और निजी संस्थाओं को डेटा पारिस्थितिकी तंत्र में योगदान करने और एक संघीय नेटवर्क के माध्यम से सहयोग करने में सक्षम बनाना चाहिए. चूंकि पहले से ज़्यादा लोग डेटा का उपयोग और उस पर नज़र रख रहे होंगे, लिहाज़ा इस क़वायद से सार्वजनिक जवाबदेही और पारदर्शिता को और बढ़ावा मिल सकता है.

इस तरह की रूपरेखाओं के फ़ायदे देखे जा सकते हैं. मिसाल के तौर पर, ‘2030 तक EU सिटीज़ मिशन के 100 जलवायु-तटस्थ और स्मार्ट शहर’ का कार्यक्रम, सामाजिक और जलवायु चुनौतियों से निपटने के लिए विभिन्न प्रकार के स्रोतों से डेटा का उपयोग कैसे कर रहा है, इसे देखा जा सकता है (ऑटेरो आदि 2023). वो एक चतुराई भरा क्षेत्र बनाने के लिए आगे बढ़ने के तरीक़े के रूप में डेटा और डेटा मानकीकरण के लाभों का दस्तावेज़ तैयार करते हैं. इसमें सभी किरदार, क्षेत्रों के बीच एकाकी स्वरूप वाले सहयोग को सहारा देने के लिए उपलब्ध सेवाओं और डेटा तक पहुंच बना सकते हैं. निर्णय प्रक्रिया की गुणवत्ता में सुधार और परिणामों की स्वीकार्यता के लिए नीति निर्माण प्रक्रियाओं में सक्रिय नागरिकों और कंपनियों को शामिल किया जा सकता है. इस तरह दक्षता को अधिकतम करते हुए बाज़ार को खोलने के लिए हस्तांतरणीय सेवाओं और डेटा मानकों को स्थापित किया जा सकता है.

iii. डेटा मानक स्थापित करना

अगर प्रत्येक एजेंसी संस्थागत विशिष्ट तरीकों से डेटा एकत्र करती है, तो विविध डेटासेट को शामिल करने के लिए परिभाषा का विकेंद्रीकरण और विस्तार करने की क़वायद डेटा की इंटर-ऑपरेबिलिटी को बनाए रखने की चुनौती के साथ आता है. यहीं पर डेटा मानकों की सख़्त ज़रूरत है. डेटा मानकों की कमी डेटा को कैप्चर करने और साझा करने के तरीक़ों को प्रभावित करती है. इससे किसी भी सार्थक विश्लेषण के लिए डेटा का उपभोग करने की क्षमता सीमित हो जाती है. यह चुनिंदा मसलों के लिए कीहोल विश्लेषण प्रदान करते हुए डेटा की इंटर-ऑपरेबिलिटी की रोकथाम करके एकाकी ढांचे (silos) भी बनाता है. डेटा मानक स्थापित करने से उच्च-गुणवत्ता वाले, मशीनों द्वारा पढ़े जा सकने वाले और स्वच्छ डेटा की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकती है. सांख्यिकीय मशीन लर्निंग के उन्नत तौर-तरीक़ों का उपयोग करके व्यापक विश्लेषण को सुगम बना देंगे. 

डेटा को मानकीकृत करने के लिए फ़िलहाल स्वतंत्र प्रयास चल रहे हैं. ‘ग्लोबल डेटा बैरोमीटर रिपोर्ट’ और मई 2019 से मई 2021 की अवधि के लिए प्राथमिक सर्वेक्षणों पर आधारित डेटा का उपयोग करके विकास के लिए डेटा ये भी बताते हैं कि स्वास्थ्य और जलवायु डेटासेट में महत्वपूर्ण गुणवत्ता अंतर होने के सबसे अधिक आसार हैं (डेविस, टिम और फूमेगा. सिल्वाना 2022). यह प्रदर्शित करने के लिए अनेक उदाहरण हैं कि उच्च गुणवत्ता और मानकीकृत डेटा की उपलब्धता कैसे प्रभावशाली विश्लेषणों और डेटा मॉडलिंग को सक्षम कर सकती हैं (सिविकडेटालैब 2022; ‘डेफ़्रा डेटा सर्विसेज़ प्लेटफ़ॉर्म’ 2023).

वैसे तो 50 से अधिक देश उत्सर्जन, जैव विविधता और असुरक्षाओं पर ऑनलाइन डेटासेट मुहैया कराते हैं, लेकिन डेटा कैसे उपलब्ध कराए जाते हैं और यह कितना समयबद्ध और विस्तृत है, इसमें भारी भिन्नताएं हैं. यह डेटा संग्रह अभ्यास से प्राप्त मूल्य को अधिकतम करने के लिए डेटा उपलब्ध कराने के दिशानिर्देशों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय डेटा मानकों की आवश्यकता को रेखांकित करता है (डेविस, टिम और फूमेगा, सिल्वाना 2022).

मौजूदा और ऐतिहासिक डेटा तक आसानी से पहुंच के लिए विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में मानकीकृत स्थान, नामों और कोडों का उपयोग करके डेटा के थर्ड-पार्टी सत्यापन और एकत्रीकरण के उदाहरण हैं. अन्य डेटासेट्स के साथ इनका आसानी से विश्लेषण, व्याख्या और जोड़ बनाया जा सकता है. मानकीकृत स्थान, नामों या कोडों के ज़रिए इस क़वायद को अंजाम दिया जा सकता है. HDX पर WFP जलवायु डेटा एक उदाहरण है, जो अद्वितीय पहचान सुनिश्चित करने के लिए उत्पन्न स्थान कोड के साथ 32 देशों को कवर करने वाले वर्षा, तापमान और वनस्पति के साथ-साथ स्वास्थ्य डेटासेट जैसे मौसमी रुझानों का वर्णन करने वाले जटिल जलवायु डेटा को प्रॉसेस करता है (‘HDX पर WFP जलवायु डेटा – मानवतावादी डेटा केंद्र’ 2023).

हरेक देश को ‘कॉमन ऑपरेशनल डेटासेट्स (COD)’ और P-कोड्स अपनाने की आवश्यकता है, जो स्थिरता सुनिश्चित करते हैं और डेटा की खोज और आदान-प्रदान को सरल बनाते हैं. सामान्य परिचालन डेटासेट कई देशों द्वारा अपनाया गया आधारभूत डेटा है. COD को अंतर-एजेंसी स्थायी समिति (IASC) द्वारा विकसित और अनुमोदित किया जाता है (IASC वर्किंग ग्रुप मीटिंग 2010). जबकि OCHA द्वारा इनका प्रसार किया जाता है. ये डेटा की तैयारी सुनिश्चित करते हैं. ये क़वायद जागरूकतापूर्ण निर्णयों की ओर पहला क़दम है जो आख़िरकार प्रतिक्रिया को आकार देती है.

iv.भलाई पर केंद्रित समुदायों का निर्माण

G20 सामान्य लक्ष्यों के लिए अंतर-क्षेत्रीय, वैश्विक गठबंधन बनाने में सक्षम है, जो इसकी एक प्रमुख ताक़त है. ऊपर दी गई सिफ़ारिशों को सफल बनाने के लिए निजी उद्यमों, डेटा और जलवायु वैज्ञानिकों, अर्थशास्त्रियों और राजनीतिक नेताओं के एक नेटवर्क के निर्माण में निवेश करना अत्यंत महत्वपूर्ण है. ये क़वायद एक समग्र जलवायु डेटा पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने के लिए मार्ग तैयार करेगी, जो विभिन्न भौगोलिक इलाक़ों और सेक्टरों में सहयोग को बढ़ावा देगा. 

सफल सहयोग का एक उदाहरण OECD के ‘डेटा के साथ सामाजिक चुनौतियों का जवाब’ में वर्णित है. इसमें देखा जाता है कि सार्वजनिक और निजी, दोनों क्षेत्रों के डेटा का उपयोग कैसे उपयोगकर्ताओं को सशक्त बना सकता है, और शिक्षा, स्वास्थ्य, विज्ञान और अनुसंधान, स्मार्ट शहरों, सरकारी सेवाओं और विकास परिणामों जैसे क्षेत्रों में नवाचार को आगे बढ़ा सकता है. (‘डेटा के साथ सामाजिक चुनौतियों का जवाब’ 2022). ये रिपोर्ट भुखमरी मानचित्र का उदाहरण देती है, जो एक संवादी उपकरण है. ये खाद्य सुरक्षा, मौसम, जनसंख्या आकार, संघर्ष, ख़तरों, पोषण और व्यापक अर्थव्यवस्था जैसे विविध डेटा स्रोतों से प्रमुख मैट्रिक्स को जोड़कर खाद्य सुरक्षा को लेकर जागरूकतापूर्ण और समयबद्ध निर्णय लेने में मदद करता है (‘हंगरमैप लाइव’ 2023).

नीतिगत स्तर पर, कृषि बाज़ार सूचना प्रणाली (‘एग्रिकल्चर मार्केट इन्फ़ॉर्मेशन सिस्टम: अबाउट’ 2011) एक अंतर-एजेंसी मंच है, जो अप्रत्याशित मूल्य वृद्धि को रोकने में मदद करता है. वैश्विक खाद्य बाज़ारों पर समयबद्ध, सटीक और पारदर्शी जानकारी के माध्यम से इस क़वायद को अंजाम दिया जाता है. वैश्विक खाद्य सुरक्षा को मज़बूत करने के लिए जागरूकतापूर्ण समन्वित नीतिगत कार्रवाइयों के ज़रिए इसे आगे बढ़ाया जाता है. (OECD 2020). वास्तविक संसार का एक और उदाहरण ये है कि कैसे UPS ने GPS डेटा का उपयोग करके अपने वाहन रूटिंग सॉफ़्टवेयर को यथासंभव बाएं हाथ के मोड़ को खत्म करने के लिए डिज़ाइन किया (दाएं हाथ के यातायात वाले देशों में); कंपनी का दावा है कि इस उपाय से ईंधन बचता है और दक्षता बढ़ती है (प्राइसोनॉमिक्स 2014). इसके अलावा, ट्रांसपोर्ट फॉर लंदन (TfL) द्वारा उपलब्ध कराए गए ओपन डेटा के आधार पर डेलॉइट के अनुमान अधिक नौकरियां पैदा करने, वार्षिक आर्थिक लाभ उत्पन्न करने और व्यापक वातावरण में सुधार करने में ओपन डेटा के सकारात्मक शुद्ध लाभों की पुष्टि करते हैं (‘TfL के ओपन डेटा और डिजिटल साझेदारियों के मूल्य का आकलन’ 2017).

डेटा के ऐसे इकोसिस्टम के लिए एक संरचना बनाने में कई प्रकार की चुनौतियां होंगी, जिसमें भू-राजनीतिक सीमाओं के आर-पार आम सहमति और कार्रवाई की आवश्यकता होगी. चुनौती से निपटने और त्वरित कार्रवाई करने की दिशा में G20 एक उपयुक्त अवसर प्रदान करता है. किसी भी तकनीकी या वित्तीय बाधा के लिए निजी क्षेत्रों, परोपकारी समूहों, शैक्षणिक समुदाय, सरकारों और नागरिक समूहों से ताल्लुक़ रखने वाले तमाम किरदारों के बीच सक्रिय सहयोग, समाधान उपलब्ध करा सकते हैं. इकोसिस्टम को मानवता के लिए एक सुरक्षित संचालन स्थान के लिए शुरुआती बिंदु होना चाहिए, जो इस क़वायद को लचीलेपन और कल्याण की दिशा में आगे बढ़ाती हो. 

जलवायु डेटा पारिस्थितिकी तंत्र को प्रमुख नीतिगत लक्ष्यों पर पड़ने वाले प्रभाव पर ज़ोर देने वाले विभिन्न परिदृश्यों का पता लगाने और चित्रित करने में मदद करनी चाहिए. इनमें ग़रीबी, असमानता, महिला सशक्तिकरण के साथ-साथ भोजन और ऊर्जा संक्रमण जैसे नीतिगत लक्ष्य शामिल हैं (डिक्सन-डेक्लेव आदि 2022).  इसे एक ऐसी अर्थव्यवस्था का विवरण देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए जो “ग़रीबी को दूर करती है, सामाजिक और पर्यावरणीय बेहतरी को बढ़ावा देती है, और प्रगति को इस आधार पर मापती है कि लोग और हमारी धरती कितनी अच्छी तरह फलते-फूलते हैं” (डिक्सन-डेक्लेव आदि. 2022, 29).


एट्रिब्यूशन: कबीर अरोड़ा आदि, “बिल्डिंग ए क्लाइमेट डेटा इकोसिस्टम फॉर डिज़ास्टर-रेज़िलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर एंड सोसाइटीज़” T20 पॉलिसी ब्रीफ, मई 2023.


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