ख़ुशहाली के ज़्यादा गतिशील सूचकांक के लिए, इस्तेमाल की जा रही वस्तुओं की पड़ताल!

बेहतरी की पहले से ज़्यादा निरपेक्ष और बारीक़ तरीक़े से माप करने के लिए पहने जाने योग्य वस्तुओं से हासिल डेटा का उपयोग किया जाना चाहिए.
Shambhavi Joshi | Ovee Karwa | Sahil Deo

पिछले कुछ दशकों में आधुनिक विश्व में विकास के मायने पहले से ज़्यादा भावात्मक हो गए हैं. ‘ख़ुशहाली’ के तमाम घटकों- ख़ुशी, संतुष्टि, सामुदायिक संवादों और संबंधों को आर्थिक वृद्धि, शिक्षा और स्वास्थ्य के साथ मिलाकर बेहतरी की तस्वीर पेश किए जाने की कोशिशें होती रही हैं. अब हमें समझ में आ गया है कि इंसान की बेहतरी को भौतिक और मानसिक स्वास्थ्य, सामाजिक जीवन, कार्य, उत्पादकता और सामाजिक वातावरण से समग्र रूप से हासिल किया जाता है. इनकी माप करने वाले कुछ संकेतकों में मानव विकास सूचकांक, समग्र राष्ट्रीय ख़ुशहाली सूचकांक और विश्व प्रसन्नता सूचकांक शामिल हैं. इनमें से ज़्यादातर जनगणना, जीडीपी अनुमानों, आर्थिक और सामाजिक सर्वेक्षणों आदि से जुटाए गए आंकड़ों पर निर्भर करते हैं. विश्व ख़ुशहाली सूचकांक जैसी कुछ क़वायदों में हर देश से नमूने के तौर पर ली गई और वहां की जनसंख्या की नुमाइंदगी करने वाले समूह के सामने उनकी ख़ुद की प्रश्नावलियां रखी जाती हैं. हालांकि इस दिशा में वो अब भी सीमित सैंपल साइज़ और भावात्मक परिकल्पनाओं के संदर्भों की अलग-अलग समझ से जुड़ी सीमाओं का सामना कर रहे हैं. इनमें ‘शांति’ और ‘संतुलन’ जैसे विचार शामिल हैं. इनमें से कुछ व्यक्तियों की अल्पकालिक स्मरणशक्ति पर ज़रूरत से ज़्यादा निर्भर करते हैं. इस कड़ी में ऐसे सवाल पूछे जाते हैं- “क्या आपने बीते दिन इस प्रकार की भावनाएं कई बार अनुभव कीं?” ख़ुशहाली के बारे में आप क्या सोचते हैं? उदासी के बारे में आपके विचार क्या हैं? (जैसा विश्व ख़ुशहाली सूचकांक में देखा गया है).   

अब हमें समझ में आ गया है कि इंसान की बेहतरी को भौतिक और मानसिक स्वास्थ्य, सामाजिक जीवन, कार्य, उत्पादकता और सामाजिक वातावरण से समग्र रूप से हासिल किया जाता है. इनकी माप करने वाले कुछ संकेतकों में मानव विकास सूचकांक, समग्र राष्ट्रीय ख़ुशहाली सूचकांक और विश्व प्रसन्नता सूचकांक शामिल हैं.

ख़ुशहाली की अमूर्त कल्पना के विश्लेषण के लिए ये ज़रूरी है कि हम जितना संभव हो सके उतना भरोसेमंद, गतिशील और रियल-टाइम डेटा का इस्तेमाल करें. मिसाल के तौर पर चिंता की गणना करने का एक तरीक़ा ये पूछना हो सकता है कि “क्या आपने बीते दिन इस तरह की भावनाएं कई बार अनुभव कीं?” चिंता के बारे में आप क्या सोचते हैं?” गैलप वर्ल्ड पोल में ऐसा ही किया गया था. ये सवाल व्यक्तिविशेष की स्मृति पर ज़रूरत से ज़्यादा निर्भर करता है और इसके दायरे में ‘चिंतित’ होने से जुड़े व्यापक अर्थ शामिल नहीं किए जाते. इसका एक ज़्यादा निरपेक्ष तरीक़ा भी हो सकता है, जिसके तहत इस डेटा को व्यक्तिविशेष की भौतिक प्रक्रियाओं और सामाजिक संवादों के साथ पूरक के तौर पर प्रयोग में लाया जाता है: उनके द्वारा महसूस किए जा रहे तनाव की मात्रा, उन्होंने अपना दिन कैसे बिताया, उन्होंने किनसे और कितना संवाद किया और उन्होंने अपनी चिंता भगाने के लिए क्या-क्या किया. इसकी पड़ताल के लिए हमें डेटा संग्रह के तौर-तरीक़ों का विस्तार करना होगा. इस प्रक्रिया को फ़ोन के ज़रिए जानकारी जुटाने और आमने-सामने साक्षात्कारों की मौजूदा क़वायद से आगे ले जाना होगा.   

पिछले कुछ दशकों में आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI) का दायरा कई गुणा बढ़ गया है. स्वायत्त प्रणालियां तैयार करने में AI का प्रयोग किया जाता है, जो डेटा संग्रह, रिकॉर्डिंग और पूर्ववर्ती पर्यवेक्षणों के अध्ययन के आधार पर सीखकर उस हिसाब से कार्रवाई कर सकते हैं. इंसानी व्यवहार के रुझानों और जीवनशैली से सीखने, उनकी माप करने और उन्हें रिकॉर्ड करने में AI और इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स (IoT) (ख़ासतौर से धारण किए जाने वाले यानी wearables) का प्रयोग करना ख़ुशहाली की गतिशीलता को समझने की दिशा में एक बड़ा क़दम साबित हो सकता है.  

टेबल 1: पहने जाने वाली तमाम वस्तुओं (wearables) द्वारा जुटाए गए डेटा और उनमें इस्तेमाल प्रौद्योगिकियों का खाका

पहने जाने योग्य वस्तु (Wearable) ये क्या कर सकती हैं
हेक्सोस्किन्स और स्मार्ट शर्ट्स अन्य प्रौद्योगिकियों के साथ-साथ एक्टिग्राफ़ी और फ़ोटोप्लेथिस्मोग्राफ़ी का इस्तेमाल करते हैं. इसके ज़रिए वो सांस, हृदय गति, हरकतों, लय, नींद, शारीरिक मुद्रा और भोजन के बाद पेट के भीतर आने वाले बदलावों की माप करते हैं. 
स्मार्ट बेल्ट्स भोजन के बाद पेट के भीतर के बदलावों, क़दमों, बैठने और खड़े रहने के वक़्त की माप करने के लिए जायरोस्कोप का प्रयोग करते हैं. ये इंसान द्वारा चलने फिरने और हरकत किए जाने को भी बढ़ावा देते हैं. 
स्मार्ट पैंट्स भोजन और व्यायाम के बाद इंसानी शरीर में हरकतों और चंद बदलावों की माप कर सकते हैं. 
स्मार्ट मोज़ों को वृद्धों और मरीज़ों की देखभाल के लिए डिज़ाइन किया गया था. ये चाल और क़दमों की माप कर सकते हैं और ऐसे लोगों की देखभाल में जुटे लोगों को ट्राइबोइलेक्ट्रिक प्रेसर सेंसर्स की मदद से पूर्व-सूचना दे सकते हैं.
स्मार्ट जूते एक्सिलेरोमीटर्स, प्रेशर सेंसर्स, इनर्शियल मैग्नेटिक मैनेजमेंट यूनिट्स, एटमॉस्फ़ेरिक प्रेशर सेंसर्स, लाइट एंड साउंड सेंसर्स और पेडोमीटर्स का इस्तेमाल करते हैं. ये गति, क़दम और शारीरिक मुद्रा की माप कर सकते है. इन्हें जीपीएस सेंसर्स और लाइट से भी लैस किया जा रहा है. इनमें बाधाओं की जानकारी देने वाले सेंसर्स भी जोड़े जा रहे हैं, जो आंखों की कमज़ोरी का सामना कर रहे लोगों के लिए उपयोगी साबित हो सकते हैं. ये मौसम की भी निगरानी कर सकते हैं. 
स्मार्ट अंगूठी नब्ज़, ऑक्सीजन और तनाव का स्तर, तापमान, नींद और व्यायाम की माप कर सकते हैं. ये नींद के दौरान हरकतों की माप के लिए एक्टिग्राफ़ी का प्रयोग करते हैं. वैसे तो ये नींद की लय की माप करने का सबसे सटीक तरीक़ा नहीं है लेकिन फिर भी आमतौर पर इसी पद्धति का इस्तेमाल किया जाता है और प्रारंभिक विश्लेषणों के लिए इसे अपनाया जा सकता है. घड़ियों को वित्तीय भुगतानों और आपातकाल में कॉल करने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है. 
स्मार्चवॉच का प्रयोग कॉल करने, संदेश भेजने और फ़ोटोग्राफ़ी के लिए किया जा सकता है. व्यायाम, नींद, नब्ज़, ऑक्सीजन और तनाव के स्तरों की माप के लिए भी इनका प्रयोग किया जाता है. 
स्मार्ट चश्मे, डिस्प्ले सेंसर्स और ऑगमेंटेड रिएलिटी का प्रयोग करते हैं. कॉल करने, फ़ोटोग्राफ़ी करने और नेवीगेशन में भी इनका उपयोग किया जा सकता है. नज़र की समस्या से जूझ रहे लोगों की मदद के लिहाज़ से भी इनका विकास किया जा रहा है.  
स्मार्ट मास्क ना सिर्फ़ अपने-आप को साफ़ कर सकते हैं बल्कि थकावट और भावनात्मक परिस्थितियों के बारे में भविष्यवाणी भी कर सकते हैं. सामाजिक संवादों की आवृति और प्रकार की माप के लिए भी इनको उपयोग में लाया जा सकता है. 
रियल-टाइम संवादों के अनुवाद के लिए स्मार्ट ईयरफ़ोन्स और हेडफ़ोन्स विकसित किए जा रहे हैं. सुनने की कमज़ोर क्षमताओं वाले लोगों की स्मार्ट हियरिंग एड्स काफ़ी मदद कर सकते हैं. सामाजिक संवादों की आवृति और प्रकार की माप के लिए इनका इस्तेमाल किया जा सकता है. 
स्मार्ट टोपियां थकावट की निगरानी कर सकती हैं. साथ ही कमज़ोर नज़र वाले लोगों की मदद भी कर सकती हैं. सिर पर पहनी जाने वाली वस्तुओं के क्षेत्र में स्मार्ट हेल्मेट्स सड़क पर किसी तरह की आपात परिस्थितियों और रास्ता ढूंढने में मददगार हो सकते हैं. 
अल्ट्रा ह्यूमन’ पैचेज़ जैसी इंसर्टेबल टेक्नोलॉजी के विकास का काम धीरे-धीरे रफ़्तार पकड़ रहा है. ये पैच ग्लूकोज़ में रियल-टाइम बदलावों की निगरानी करते हैं. साथ ही ब्लड ग्लूकोज़ की निरंतर पड़ताल करने वाले सेंसर्स के इस्तेमाल से गतिविधियों के स्तर की जानकारी भी देते हैं. ये दिनचर्या में परिवर्तन से जुड़े सुझाव भी देते हैं. 

 

बेहतरी की माप के लिए पहनने योग्य वस्तुओं से जुटाए गए डेटा का इस्तेमाल 

नीचे दिए गए टेबल में उन संकेतकों का ब्योरा दिया गया है जिन्हें ये मापक, मापने की कोशिश करते हैं. साथ ही ये भी बताया गया है कि पहनने योग्य वस्तुएं, कैसे इनकी बारीक़ समझ मुहैया करा सकती हैं: 

टेबल 2: पहनने योग्य वस्तुएं ख़ुशहाली सूचकांक से जुड़े चर कारकों की माप बेहतर ढंग से करने में कैसे मददगार हो सकती हैं

चर सूचकांक पहनने योग्य वस्तुएं उनकी बेहतर माप में कैसे मदद कर सकती हैं
स्वस्थ जीवन प्रत्याशा (विश्व प्रसन्नता सूचकांक में); सेल्फ़-रिपोर्टेड हेल्थ (सकल राष्ट्रीय प्रसन्नता सूचकांक में) स्मार्ट वॉच, अंगूठी, कमीज़, पैंट, बायोसेंसर पैचेज़ इनकी माप कर सकते हैं: बीमारियां और उनका प्रबंधन

वज़न, ऊंचाई और BMI

तनाव

व्यायाम

नींद

सामुदायिक स्वास्थ्य: ख़ास इलाक़ों में कसरत, तनाव, ध्यान आदि की आवृति को जोड़कर

सामाजिक सहायता (विश्व ख़ुशहाली सूचकांक में); रिश्तेदारों के साथ सामाजिक संपर्कों की बारंबारता और देश के लोगों में विश्वास (सकल राष्ट्रीय खुशहाली सूचकांक में) स्मार्ट घड़ियां, अंगूठियां, मास्क इनकी माप कर सकते हैं: तनाव का स्तर 

थकावट

नकारात्मक प्रभाव- ग़ुस्सा, चिंता, उदासी (विश्व प्रसन्नता सूचकांक में); मनोवैज्ञानिक उदासी सूचकांक (सकल राष्ट्रीय ख़ुशहाली सूचकांक में) स्मार्ट टोपियां, कमीज़, पैंट, मोज़े, जूते, घड़ियां इनकी माप कर सकते हैं:

तनाव का स्तर

थकावट

नब्ज़ 

पसीना आना

ध्यान

कसरत

हॉर्मोन का स्तर

समय का उपयोग

लोगों के साथ संवाद

ग़ुस्सा, चिंता और उदासी दूर करने के लिए किए गए उपाय

सकारात्मक प्रभाव- हंसी, आनंद, कुछ दिलचस्प करना या सीखना (विश्व ख़ुशहाली सूचकांक में); सकारात्मक मनोभाव (सकल राष्ट्रीय प्रसन्नता सूचकांक में) स्मार्ट मास्क, बायोसेंसर ‘पैचेज़’, घड़ियां, अंगूठी और ईयरफ़ोन:

मुस्कान और हंसी

हॉर्मोन के स्तर

समय का उपयोग

लोगों के साथ संवाद

सांस्कृतिक निरंतरता और विविधता (सकल राष्ट्रीय ख़ुशहाली सूचकांक में) स्मार्ट मास्क और ईयरफ़ोन को इनकी माप के लिए डिज़ाइन किया जा सकता है: 

बोलियां

समुदाय के साथ संवाद

समय का उपयोग 

मौसम, हवा और पानी की गुणवत्ता स्मार्ट चश्मे, जूते, अंगूठियां और घड़ियां इनकी माप में मदद कर सकती हैं:

मौसम का हाल

जीपीएस ट्रैकर्स की मदद से पानी और हवा की गुणवत्ता

पहुंच का स्तर और स्वास्थ्य सेवा  स्मार्ट मास्क, मोज़े, चश्मे और ईयरफ़ोन को इनके लिए डिज़ाइन किया जा सकता है:

दिव्यांगता के साथ रह रहे लोगों में जीवन की आसानी. रियल टाइम में इनको आगे बढ़ाना और उनको क्रियान्वित करना

ख़ासतौर से वृद्धों की देखभाल में स्मार्ट मोज़ों का प्रयोग किया जा सकता है. इनकी मदद से उनकी चाल-ढाल और हरकतों पर नज़र रखी जा सकती है.

 

संतुलन और सद्भाव (विश्व ख़ुशहाली सूचकांक में) स्मार्ट मास्क, घड़ियां इनकी माप कर सकते हैं: 

एकाग्रता से भरे व्यायामों और शौक़ के लिए निकाले गए वक़्त से अमन-चैन और शांति की माप की जा सकती है. 

पहनने योग्य वस्तुएं एक मायने में अनूठी होती हैं. दरअसल वो उन पहलुओं की बारीक़ और रियल-टाइम डेटा जुटा सकती हैं जिनके लिए पहले भारी-भरकम कोष और शोध क्षमताओं की दरकार होती थी. मिसाल के तौर पर वियरेबल्स, व्यायाम की गहनता, नींद की गुणवत्ता, ब्लड शुगर की निगरानी, भावनात्मक परिस्थितियों और सामाजिक संवादों की बारंबारता हासिल कर सकते हैं. इस तरह वो कई मसलों को समझने में सार्थक योगदान दे सकते हैं. इनमें- मनोवैज्ञानिक ख़ुशहाली; स्वास्थ्य (ना सिर्फ़ व्यक्तिविशेष बल्कि सामुदायिक स्वास्थ्य, फ़िटनेस, सामान्य बीमारियां और आदतें); लोग किस प्रकार अपने समय का इस्तेमाल कर रहे हैं; लोगों द्वारा अनुभव की जा रही पारिस्थितिक हालातों; और आख़िरकार लोग किनके साथ संवाद करते हैं और किन-किन मसलों पर उनकी बातचीत होती है- जैसे मसले शामिल हैं.  

परिचालन प्रक्रिया: ऐसे आंकड़ों का इस्तेमाल कैसे करें

फ़िलहाल पहनने योग्य वस्तुओं की डिज़ाइन बनाने वाली और उनके उत्पादन में लगी कंपनियों के पास ऐसे डेटा होते हैं. इस तरह जुटाए गए डेटा तीसरी पार्टियों को भी बेचे जाने की संभावना रहती है. इस तरह जुटाए गए डेटा की व्यापकता को देखते हुए राज्यसत्ता या संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठन इनको समाज की ख़ुशहाली से जुड़े व्यापक विश्लेषणों में उपयोग में ला सकते हैं. कंपनियों को उनके द्वारा जुटाए गए तमाम डेटा प्वॉइंट्स पर फ़िटनेस और स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारियों का दस्तावेज़ तैयार करने और इन दस्तावेज़ों को राज्यसत्ता के साथ साझा करने को कहा जा सकता है. चूंकि कंपनियों को इससे वाणिज्यिक नुक़सान हो सकता है लिहाज़ा राज्यसत्ता उनकी भरपाई कर सकती हैं. इस डेटा को ख़ुशहाली से जुड़े विश्लेषण में प्रयोग करने का एक और तरीक़ा है- एक स्वायत्त सलाहकारी संगठन को साथ लाना. ये संगठन साझा किए गए डेटा का विश्लेषण कर सकता है.   

इंडिया का टास्क फ़ोर्स 3 डेटा संग्रह के लिए पहनने योग्य वस्तुओं के इस्तेमाल का नियमन करने के लिए एक ढांचे का विकास कर सकता है. जी20 के देश एक सर्व-समावेशी समिति बना सकते हैं, जो इंसान की बेहतरी में IoT और वेरेबल्स पर विचार-मंथन कर सकता है.

डेटा के संचालन के संदर्भ में (ख़ासतौर से संवेदनशील स्वास्थ्य डेटा) इंडिया स्टैक ज़ेहन में आता है. इंडिया स्टैक के विचार को आधार की बुनियाद पर तैयार किया गया था, जिसने भारतीय नागरिकों को औपचारिक अर्थव्यवस्था के दायरे में लाने का काम किया. उसके बाद यूनिफ़ाइड पेमेंट्स इंटरफ़ेस (UPI) को सस्ते तरीक़ों से भुगतानों को औपचारिक स्वरूप देने के लिए सामने लाया गया था. आख़िरकार डिजिटल लेन-देनों में भारी बढ़ोतरी के साथ अब हम डिजिटल आर्थिक संवादों से जुड़े डेटा के पहाड़ पर खड़े हैं. हमारी निजता और डेटा के अधिकार के सिलसिले में निजी डेटा संरक्षण बिल ने अकाउंट एग्रीगेटर्स (AAs) के नाम से वित्तीय मध्यवर्ती के निर्माण का सुझाव दिया है. ये AAs कंसेंट मैनेजर्स होते हैं जो लोगों को उन डेटा के बारे में जानकारी पाने और उनका चुनाव करने के लिए सशक्त करते हैं, जिन्हें वो शेयर करना चाहते हैं. व्यक्तिविशेष के वित्तीय डेटा तक पहुंच बनाने के इच्छुक तीसरे पक्षों द्वारा प्रयोगकर्ताओं को रज़ामंदी से जुड़ी प्रार्थना भेजे जाने का विचार पेश किया गया है. इसमें डेटा तक पहुंच बनाने के मक़सद और उसकी समयसीमा स्पष्ट रूप से बतानी होगी. इस प्रार्थना को प्रयोगकर्ता नामंज़ूर भी कर सकेंगे. पहनने योग्य वस्तुओं से हासिल डेटा के संदर्भ में भी इसी तरह का टेक स्टैक तैयार किया जा सकता है. इनसे हासिल सभी डेटा को मानकीकृत किया जा सकता है. लोगों द्वारा साझा किए जाने वाले डेटा के प्रकार और उन्हें किसके साथ साझा करना है, इस बारे में कंसेंट मैनेजर लोगों को सशक्त बना सकते हैं. यक़ीनन इससे व्यक्तियों को उनके डेटा के इस्तेमाल के सिलसिले में ज़्यादा अधिकार हासिल हो सकेंगे. डेटा शेयर करने वाले शख़्स की गुमनामी सुनिश्चित करते हुए राज्यसत्ता और अंतरराष्ट्रीय संगठन स्वास्थ्य और समुदायों की ख़ुशहाली से जुड़े प्रोफ़ाइल तक पहुंच बनाने में भी सक्षम होंगे. 

जी20 और पहने जाने योग्य वस्तुएं

पहने जाने योग्य ये वस्तुएं फ़िलहाल अपेक्षाकृत महंगे दायरों में हैं, लिहाज़ा इन्हें आबादी का केवल एक छोटा हिस्सा ही ख़रीद पा रहा है. ऐसे में इनसे हासिल डेटा सच्चे अर्थों में प्रतिनिधित्वकारी नहीं हो सकते. हालांकि राष्ट्र-राज्यों को ऐसे सूक्ष्म डेटा का प्रयोग करने से पीछे नहीं हटना चाहिए. इनके उपयोग से वो अपने नागरिकों की ख़ुशहाली से जुड़ी ज़रूरतों को समझ सकते हैं. इतना ही नहीं, पहनने योग्य वस्तुओं पर भारी भरकम रियायत के साथ लोगों की चाहत (ख़ासतौर से स्मार्टवॉच को लेकर) बढ़ती जा रही है. इंटरनेशनल डेटा कॉरपोरेशन के तिमाही ट्रैकर के मुताबिक 2022 की पहली तीन तिमाहियों में भारत में 7.5 करोड़ वियरेबल्स विदेशों से मंगवाए गए. विश्व में वेरेबल टेक्नोलॉजी का बाज़ार 116.2 अरब अमेरिकी डॉलर के बराबर है. इनमें से अधिकतर का विस्तार ज़्यादातर जी20 के सदस्य देशों में हो रहा है. जी20 का मंच वैश्विक प्रशासन और अहम आर्थिक मसलों पर ढांचागत स्वरूपों को मज़बूत बनाने का लक्ष्य रखता है. ये वैश्विक जीडीपी के 85 प्रतिशत की नुमाइंदगी करता है और यहां विश्व की तक़रीबन दो-तिहाई आबादी निवास करती है. इस संदर्भ में जी20 के देश ख़ुशहाली को नए सिरे से परिभाषित करने और उसकी बारीक़ समझ तैयार करने में अगुवा भूमिका निभा सकते हैं. ये देश नीति निर्माण की दिशा में भी गठजोड़ कर सकते हैं, जिनसे वेरेबल टेक्नोलॉजी के प्रभावी विकास का रास्ता साफ़ हो सकता है. इटली ने 2021 के जी20 सम्मेलन को नवाचार लीग की शुरुआत करने के लिए इस्तेमाल किया था, जहां ये चर्चा हुई थी कि IoT और वियरेबल टेक्नोलॉजी किस प्रकार मानव की ख़ुशहाली और जीवनशैली के लिए पूरक का काम कर सकते हैं. थिंक20 इंडिया का टास्क फ़ोर्स 3 (जो LiFE, बेहतरी के लिए लोचदार व्यवस्था और मूल्यों पर चर्चा करता है) डेटा संग्रह के लिए पहनने योग्य वस्तुओं के इस्तेमाल का नियमन करने के लिए एक ढांचे का विकास कर सकता है. जी20 के देश एक सर्व-समावेशी समिति बना सकते हैं, जो इंसान की बेहतरी में IoT और वेरेबल्स पर विचार-मंथन कर सकता है. 

निष्कर्ष

बेहतरी की गुत्थी सुलझाने के लिए कारक नए-नए तरीक़े अपना रहे हैं. हालिया क़वायद में विश्व ख़ुशहाली सूचकांक में लोगों के भावनात्मक अनुभवों की माप के लिए सोशल मीडिया टेक्स्ट विश्लेषण का प्रयोग किया गया. वेरेबल्स इस दिशा में एक बड़ा प्रगतिशील क़दम है. जैसे-जैसे इस डेटा के प्रबंधन और विश्लेषण से जुड़ा बुनियादी ढांचा उभरता जाएगा, ये हमें इंसानी ख़ुशहाली के लिए रियल-टाइम डेटा संग्रह को लेकर नए तौर-तरीक़ों को साथ जोड़ने के रास्ते दिखाने लगेगा. इससे सालाना सर्वेक्षणों पर हमारी निर्भरता घटती जाएगी और जी20 देशों को पहले से ज़्यादा प्रमाण-आधारित हस्तक्षेपों की संरचना तैयार करने में मदद मिलेगी. ये बेहतरी के दायरों में पहले से ज़्यादा संदर्भित शोध के लिए भी रास्ता साफ़ कर देगा. दरअसल पहनने योग्य ये तमाम वस्तुएं इस नब्ज़ को पकड़ लेती हैं कि कोई शख़्स कैसे रोज़ाना अपनी ज़िंदगी जीता है. इस तरह वो तमाम संबंधित कारकों पर बेहतरी के गूढ़ संदर्भित समझ सामने प्रस्तुत करेंगे, जो सभी लोगों पर लागू हो सकेंगे. 


ये लेख जी20-थिंक20 टास्क फ़ोर्स 3: LiFE, रेज़िलिएंस, एंड वैल्यूज़ फ़ॉर वेलबींग पर निबंध श्रृंखला का हिस्सा है.