G20 देशों की ग्रीन प्रोक्योरमेंट क्षमता के बंद ताले को खोलने की चुनौती

Eileen Torres Morales | Fiona Skinner | Peter Hemingway | Katarina Axelsson | Evelin Piirsalu

टास्क फोर्स 4: रिफ्यूएलिंग ग्रोथ : क्लीन एनर्जी एंड ग्रीन ट्रान्जिशन्स


सार

यदि विभिन्न देश, कंस्ट्रक्शन  क्षेत्र में ग्रीन पब्लिक प्रोक्योरमेंट (GPP) को अपनाते है तो इस GPP में उन देशों की डीकाबोर्नाइजेशन पहलों को सहायता करने की क्षमता मौजूद है. लेकिन इस क्षमता का दोहन करने के लिए G20 देशों को एकजुट होकर प्रयास करने होंगे. यह प्रयास इन देशों के भीतर और उनके बीच प्रभावी शासन, बिल्डिंग निगरानी एवं कार्यान्वयन व्यवस्था के साथ ही महत्वाकांक्षी लक्ष्य और नीतियों पर अमल करने को लेकर होने चाहिए. यह आलेख EU (a) के चुनिंदा देशों जिसमें फ्रांस और जर्मनी शामिल हैं, एक इकाई के रूप में EU तथा कुछ अन्य G20 देश जैसे कि ब्राजील, कनाडा, चीन, भारत, इंडोनेशिया, जापान और US में लागू की गई GPP नीतियों का अध्ययन करता है. यह आलेख पूर्व में स्टॉकहोम एनवायरनमेंट इंस्टीट्यूट (SEI) और क्लीन एनर्जी मिनिस्ट्रियल (CEM) इंडस्ट्रियल डीप डीकार्बोनाइजेशन इनिशिएटिव (IDD) द्वारा किए गए पिछले अध्ययनों को आगे बढ़ाते हुए इस बात की रूपरेखा बताता है जो उभरते बाज़ार में लो-एम्बोडिड कार्बन कन्सट्रक्शन मटेरियल के अवसर को उजागर करता है. यह आलेख उन महत्वाकांक्षी प्रोक्योरमेंट नीतियों की भी बात करता है जो नेट-जीरो लक्ष्य से संरेखित है और जिनका लक्ष्य डायरेक्ट  और एंबोडिड  कार्बन उत्सर्जन है. 

G20 देशों के बीच ग्रीन पब्लिक प्रोक्योरमेंट (GPP) (b) पर होने वाला असर बेहद धीमा है. इनकी निगरानी करने की प्रणाली कमज़ोर होने के कारण इस पर होने वाली प्रगति पर नज़र रखना भी बेहद मुश्किल है. ऐतिहासिक रूप से क्लायमेट पर होने वाली रिर्पोटिंग में सीधे होने वाले उत्सर्जन पर नज़र रहती है. ऐसे में समाविष्ट उत्सर्जन (c) की उपेक्षा होती है. जिसकी वज़ह से प्रोक्योरमेंट संबंधी उत्सर्जन का व्यापक दायरा अज्ञात ही रह जाता है. अगर G20 सदस्य देश GPP को रणनीतिक रूप से लागू करें तो वे वैश्विक बाज़ारों को ग्रीन ट्रान्जिशन की दिशा में आगे बढ़ने का एक मज़बूत संकेत दे सकते हैं. इससे बाज़ार को लो-कार्बन कन्सट्रक्शन मटेरियल अपनाने का प्रोत्साहन तो मिलेगा ही, लेकिन G20 देशों की जलवायु को लेकर जो प्रतिबद्धताएं हैं उन्हें भी इसका लाभ मिल सकेगा. EU ने GPP को एक बाज़ार को प्रभावित करने वाली एक नीति के रूप में मान्यता दी है.

लेकिन EU ने 2010 तक सभी प्रकार की सार्वजनिक ख़रीद में 50 प्रतिशत GPP लागू करने का जो सांकेतिक लक्ष्य निर्धरित किया है वह भी हासिल नहीं हो सका है. इतना ही नहीं EU ने 1990 को आधार रेखा मानकर 2030 तक ग्रीन हाउस  गैस (GHG) में 55 प्रतिशत तक कमी लाने का लक्ष्य तय किया है. अध्ययनों से पता चलता है कि अगर ऐसे एम्मिशन-इंटेंसिव सेक्टर्स पर ध्यान केंद्रित करने वाली GPP नीतियां लागू की गई, जहां बड़ी मात्रा में सार्वजनिक ख़रीद होती है, मसलन कन्सट्रक्शन क्षेत्र तो उत्सर्जन में कमी लाने के लक्ष्य को हासिल करने में इससे सहायता मिल सकती है. उपलब्ध अनुमानों के अनुसार सार्वजनिक ख़रीद से होने वाले GHG उत्सर्जन में ध्यान अक्सर सीधे होने वाले उत्सर्जन पर केंद्रित रहता है. इस रिपोर्ट  में सामग्री और सेवाओं में समाविष्ट कार्बन पर बेहद कम तवज्जो दी जाती है. 

वैश्विक स्तर पर कन्सट्रक्शन से जुड़ी सामग्री को लेकर होने वाली सार्वजनिक ख़रीद में ख़रीद संबंधी GHG उत्सर्जन की हिस्सेदारी 12 प्रतिशत है. लेकिन इस अनुमान में भी समाविष्ट उत्सर्जन का समावेश नहीं है. जैसे कि स्टील अथवा सीमेंट निर्माण से होने वाला उत्सर्जन. इसका मतलब यह है कि स्टील और सीमेंट निर्माण से होने वाले उत्सर्जन का पर्यावरण पर पड़ने वाले अहम प्रभाव को संज्ञान में ही नहीं लिया जाता. अधिकांश मामलों में सरकारी मॉनिटरिंग और डिस्क्लोजर सिस्टम इस उत्सर्जन को रिर्पोट ही नहीं करता है. समाविष्ट कार्बन उत्सर्जन को लेकर जानकारी के अभाव को अक्सर यह कहकर समझा दिया जाता है कि इसे मापने अथवा इसकी रिपोर्टिंग  करने के लिए पर्याप्त स्टैंडर्ड उपलब्ध नहीं है. इसकी आड़ में ही उत्सर्जन बहुल क्षेत्र पर्यावरण को सहायक बिजनेस स्टैंडर्ड को स्वीकार करने की अपनी भूमिका से बच जात है. 

 

सीमेंट, स्टील और कांक्रीट जैसे उत्सर्जन बहुल उत्पादों की सबसे बड़ी ख़रीददार सरकारी एजेंसियां होती हैं. G20 देशों के पास जो ख़रीद शक्ति है वह उभरते हुए बाज़ारों को लो-कार्बन प्रोडक्ट्‌स अपनाने और उसमें इज़ाफ़ा करने में सहायक साबित हो सकती है. इसी शक्ति के दम पर निवेशकों के बीच नियामक व्यवस्था को लेकर भरोसा भी पैदा किया जा सकता है. और अंतत: इसी शक्ति के दम पर ख़रीद संबंधी उत्सर्जन में कमी लाने का काम भी किया जा सकता है. विशेषत: सार्वजनिक ख़रीद पर होने वाले कुल ख़र्च में G20 देशों की GDP का 13 प्रतिशत और EU GDP का 15 प्रतिशत हिस्सा है.

शासन व्यवस्था

राष्ट्रीय स्तर पर होने वाली ख़रीद को आमतौर पर ट्रेड, इकोनॉमिक्स अथवा प्लानिंग के लिए ज़िम्मेदारी गर्वनिंग बॉडिज को सौंपी जाती है. GPP नीतियों को गर्वनिंग बॉडिज से लागू करने वाले निकाय और उसके बाद ख़रीद कार्यालयों तक कम्युनिकेट किया जाता है. यह प्रक्रिया इन नीतियों के प्रभावी अमल में अहम हिस्सेदारी अदा करती है. विभिन्न देशों में अपनी-अपनी सुविधा से इन चरणों का प्रबंधन एक अथवा उससे ज़्यादा गर्वनिंग बॉडिज के पास होता है. 

इस अध्ययन के दौरान जिन देशों की GPP पर ध्यान केंद्रित किया गया वहां शासन व्यवस्था अलग-अलग थी. लेकिन मुख्यत: इस शासन व्यवस्था में दो मॉडल्स आम थे. मॉडल 1 में शासन की ज़िम्मेदारी दो या ज़्यादा इकाईयों के पास थी. मसलन एक इकाई  ख़रीद संबंधी कानून बनाने का काम करती है, जबकि दूसरी इकाई के पास पर्यावरणीय ओवरसाइट यानी निगरानी और एक्सपर्टिज़ अर्थात विशेषज्ञता उपलब्ध करवाने का ज़िम्मा होता है. (चित्र 1 देखें) मॉडल 2 में एक ही इकाई के पास GPP को लेकर कानून बनाने और पर्यावरणीय दिशा-निर्देश स्थापित करने का काम होता है. (चित्र 2 देखें) दोनों ही मॉडल में गर्वनिंग बॉडी  ही एक अथवा उससे अधिक कार्यान्वयन एजेंसी को GPP नीति उपलब्ध करवाती हैं. ये कार्यान्वयन एजेंसी ही ख़रीद कार्यालयों के माध्यम से इन नीति पर अमल और निगरानी का काम करती है. 

 

चित्र 1: गर्वनंस मॉडल 1: GPP कानून और ख़रीद के लिए इंडिपेंडेंट गर्वनिंग बॉडिज

स्त्रोत : लेखकों का अपना.

 

चित्र 2: गर्वनंस मॉडल 2: ख़रीद और GPP कानून के लिए सिंगल गर्वनिंग बॉडी

स्त्रोत : लेखकों का अपना.

 

एक से ज़्यादा गर्वनिंग बॉडिज (मॉडल 1) होने पर विभिन्न मंत्रालयों अथवा विभागों के बीच समन्वय और सहमति की आवश्यकता होती है. इन विभागों के बीच समन्वय और सहमति ही नीति डिजाइन करने और उसे लागू करने में अहम भूमिका अदा करती है. विभिन्न विभागों के बीच समन्वय और सहमति स्थापित करने के लिए कनाडा, फ्रांस और जापान ने इंस्टीट्यूशनल  चैंपियन को नियुक्त किया है. यह इंस्टीट्यूशनल  चैंपियन, गर्वनिंग बॉडी  के बीच सहयोग की अगुवाई करता है. इसी बीच सिंगल गर्वनिंग बॉडी (मॉडल 2), जैसा कि चीन और EU में है, के कारण ज़िम्मेदारी केंद्रीकृत हो जाती है. ऐसे में विभिन्न विभागों के बीच सहयोग और सहमति की बाधा दूर हो जाती है. लेकिन इस केंद्रीकृत व्यवस्था के कारण क्षेत्र संबंधी विशेषज्ञता का उपयोग करने में दिक्कत होती है. कुछ G20 देश उपरोक्त दोनों ही मॉडल का उपयोग नहीं करते. इसमें US, भारत और इंडोनेशिया  का समावेश हैं. ये देश उपरोक्त मॉडल्स के स्थान पर इंटर डिपार्टमेंटल टास्क फोर्स का उपयोग करते है. इन देशों में गवर्नेंस  का ढांचा भी भिन्न हैं. टास्क फोर्स आधारित इस शासन व्यवस्था को मॉडल 3 कहा जा सकता है.

भारत और इंडोनेशिया की इस दिशा में कोशिश आरंभिक चरणों में है. भारत ने सस्टेनेबल पब्लिक प्रोक्योरमेंट के लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया है. इसमें पर्यावरण, उद्योग, अर्थव्यवस्था और ख़रीद संस्थाओं सहित कम से कम नौ सरकारी निकायों के प्रतिनिधि शामिल हैं. इसी प्रकार इंडोनेशिया की GPP टेक्निकल  टीम में नौ सरकारी निकायों के प्रतिनिधि शामिल हैं. US की बाय क्लीन टास्क फोर्स में 14 सरकारी विभागों के प्रतिनिधि शामिल हैं. यह टास्क फोर्स फेडरल सरकार की ओर से वित्तपोषित होने वाली कन्सट्रक्शन से संबंधित 90 प्रतिशत सामग्री की ख़रीद के लिए ज़िम्मेदार है.

 

लक्ष्य, नीति और कानून

GPP की लंबी अवधि में सफ़लता की नींव रखने के लिए मापने योग्य, कार्यान्वयन करने लायक और समयबद्ध उद्देश्य बेहद अहम है.

EU में GPP स्वैच्छिक है. इसे EU के सभी सदस्य देशों की ख़रीद प्रक्रियाओं पर लागू किया जा सकता है. इसके साथ ही अम्ब्रेला GPP पॉलिसी के समानांतर ही क्षेत्र विशेष नीतियां भी बनाई जा सकती है. यह नीतियां कुछ वस्तुओं और सेवाओं की पर्यावरण संबंधी आवश्यकताओं  को अनिवार्य रूप से परिभाषित करने वाली होनी चाहिए. यह नीतियां सीधे तौर पर ख़रीद से संबंधित नहीं होंगी, लेकिन जो वस्तुएं ख़रीदी जाएंगी उन पर इन्हें लागू किया जा सकता है. मसलन, ऊर्जा दक्षता नीतियों जैसे एनर्जी परफॉर्मन्स  ऑफ बिल्डिंग डायरेक्टिव तथा द एनर्जी एफिशियन्सी डायरेक्टिव की एक श्रृंखला के अंतर्गत कंस्ट्रक्शन  प्रोडक्ट  आते हैं.

EU सदस्य देशों को अपने नेशनल एक्शन प्लान  (NAPs) (d) में GPP लक्ष्य निर्धारित करने चाहिए. NAP की संरचना में प्रस्तावित नीति ढांचा और लक्ष्य, अनिवार्य GPP मानदंड और कार्यान्वयन के साधन शामिल हैं. कुछ में GPP को लागू करने के ठोस कार्रवाई का समावेश हैं. (केस स्टडी 1 देखें)

 

केस स्टडी 1- लक्ष्य एवं नीतियां

फ्रांस के NAP में GPP को लेकर मापने और कार्रवाई योग्य तथा समयबद्ध उद्देश्य शामिल हैं. इसमें एक नॉन-बाइंडिंग लक्ष्य भी तय किया गया है: 2025 तक सभी सार्वजनिक ख़रीद के लिए कम से कम एक पर्यावरणीय मापदंड शामिल किया जाएगा. इसके लिए NAP में सस्टेनेबल प्रोक्योरमेंट को लेकर उल्लेखित 22 कार्रवाइयों  का उपयोग किया जाएगा.

जर्मनी के फेडरल  क्लाइमेट  चेंज एक्ट में फेडरल यानी केंद्रीय प्रशासन को 2030 तक क्लाइमेट -न्यूट्रल बनाने का लक्ष्य रखा गया है. इस एक्ट के अनुसार ऐसी सामग्री की ख़रीद को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, ‘‘जिसका उद्देश्य उस सामग्री के संपूर्ण जीवनकाल तक ग्रीनहाऊस गैस एम्मिशन्स को न्यूनतम लागत लगाकर घटाने का हो.’’ जर्मनी में GPP पॉलिसी ने सामग्री और सेवाओं की जीवनकाल लागत की ऊर्जा दक्षता को संज्ञान में लिया है. इसके दायरे को कंस्ट्रक्शन  प्रोक्योरमेंट तक विस्तारित किया गया है. क्षेत्रीय स्तर पर जर्मनी के राज्यों को अपने स्वतंत्र ख़रीद उद्देश्य तय करने की छूट दी गई है. बर्लिन में ख़रीद को 2045 तक क्लायमेट न्यूट्रैलिटी तक पहुंचने का अहम साधन माना गया है. बर्लिन का ख़रीद कानून 50,000 यूरो से अधिक लागत वाले कन्सट्रक्शन प्रोजेक्ट्‌स की निविदाओं पर विचार के लिए पर्यावरणीय जानकारी को सार्वजनिक करना अनिवार्य किया गया है. इस कानून के परिणामस्वरूप GHG उत्सर्जन में 47 प्रतिशत की कमी हासिल की गई है. यह कमी कार्यालयीन सामग्री, उपभोग्य वस्तुओं, परिवहन, वेस्ट डिस्पोजल समेत अन्य 15 प्रोडक्ट ग्रुप के पर्यावरणीय चिंताओं को संज्ञान में लेकर हासिल की गई है.

कनाडा, जापान और US में राष्ट्रीय स्तर पर GPP नीति अनिवार्य है. इंडोनेशिया में भी GPP को अनिवार्य करने पर विचार हो रहा है. लेकिन वहां पर एनफोर्समेंट यानी प्रवर्तन को लेकर मौजूद ख़ामी का मतलब यह है कि हकीकत में यह लागू नहीं है. एक इकाई के रूप में संपूर्ण EU, फ्रांस और ब्राजील में GPP स्वैच्छिक है.

चीन में वहां के वित्त मंत्रालय ने ऊर्जा संरक्षण सामग्री (ECPs) की सरकारी ख़रीद लागू करने के लिए राष्ट्रीय दिशा-निर्देश अथवा विनियम जारी किए हैं. इस विनियम को एनवायरमेंटल  लेबलिंग प्रोडक्ट्स  (ELPs) सूची सहयोग करती है. इस सूची को पर्यावरण संरक्षण मंत्रालय ने जारी किया है. चीन में सरकारी ख़रीद में ELP और ECP सूची में शामिल उत्पादों को प्राथिमकता मिलती है. ख़रीद एजेंसियों को ECP सूची में शामिल कुछ विशेष श्रेणी के उत्पादों का उपयोग करना ही होता है, जबकि ELP का उपयोग स्वैच्छिक किया गया है. 

भारत भी सस्टेनेबल पब्लिक प्रोक्योरमेंट के लिए GPP का एक ढांचा तैयार करने के लिए टास्क फोर्स का गठन करना चाहता है. लेकिन उसके पास इसके लिए ठोस नीति संसाधनों का अभाव है.

 

केस स्टडी 2- लक्ष्य एवं नीतियां

कनाडा में पॉलिसी ऑन ग्रीन प्रोक्योरमेंट (2006) में यह प्रावधान किया गया है कि ‘बेस्ट वैल्यू फॉर मनी’ के सिद्धांत के अलावा प्रोडक्ट्‌स और सर्विसेस के लाइफ-साइकिल पर्यावरणीय प्रभाव को संज्ञान में लेकर ही ख़रीद की जाएं. इस नीति को जल्दी लागू किए जाने के कारण ही कनाडा अब स्टैंडर्ड ऑन   एम्बोडिड कार्बन इन कंस्ट्रक्शन  (31 दिसंबर 2022 से प्रभावी) जैसे दिशा-निर्देश को विकसित कर सका है. इसी तरह कनाडा ने स्टैंडर्ड ऑन द डिस्क्लोजर ऑफ ग्रीन हाउस  गैस एम्मिशन्स एंड द सेटिंग ऑफ रिडक्शन टार्गेट्‌स (1 अप्रैल 2023 से प्रभावी) पर मानक तैयार कर सका है. बाद के मानकों के तहत 18 मिलियन US$ (25 मिलियन कनेडियन डॉलर्स) से ज़्यादा की ख़रीद के लिए GHG उत्सर्जन की जानकारी का खुलासा करना ज़रूरी किया गया है. इसी प्रकार इस ख़रीद को अंजाम देते वक्त विज्ञान आधारित लक्ष्य तय करना पड़ता है जो पेरिस समझौते के अनुसार संरेखित होने चाहिए. कंस्ट्रक्शन  में समाविष्ट कार्बन उत्सर्जन का खुलासा करने वाले कानून बनाने में कनाडा अग्रणी है.

जापान में ग्रीन प्रोक्योरमेंट एक्ट (2000) के तहत सभी सरकारी एजेंसियों और सार्वजनिक संस्थाओं को ग्रीन प्रोक्योरमेंट पॉलिसी तैयार करना अनिवार्य किया गया है. इसके अलावा इन एजेंसियों और संस्थाओं को इको-प्रोडक्ट्‌स ख़रीद का सालाना लक्ष्य तय करना होता है. इन लक्ष्यों की सालाना जानकारी पर्यावरण मंत्रालय को भेजना भी ज़रूरी है. GPP भले ही स्वैच्छिक है, लेकिन सब-नेशनल लेवल और निजी क्षेत्र में होने वाली ख़रीद के लिए इसका उपयोग करने को बढ़ावा दिया जा रहा है.

एक्जीक्यूटिव ऑर्डर 14057 के तहत अमेरिका में कैटालाइजिंग  क्लीन एनर्जी इंडस्ट्रीज  एंड जॉब्स थ्रू फेडरल सस्टेनेबिलिटी (2021) के माध्यम से मापने योग्य, समयबद्ध फेडरल पर्यावरण लक्ष्य निर्धारित किए जाते है. इसके तहत ही सरकारी एजेंसियों के प्रमुखों को सरकार के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सहयोग करने वाले अपने लक्ष्य भी निर्धारित करना अनिवार्य है. सेक्शन 303 में बाय क्लीन टास्क फोर्स को निर्देश दिया गया है कि वह समाविष्ट उत्सर्जन एवं प्रदूषकों संबंधी रिपोर्टिंग  और पारदर्शिता को बढ़ाने के लिए नीति और प्रक्रियाओं को विकसित करें.

 

निगरानी व्यवस्था

राष्ट्रीय लक्ष्यों के मुकाबले GPP नीतियों पर होने वाले अमल की निगरानी करने से सरकारों को GPP गतिविधियों पर नज़र रखकर उसका आकलन करने और ख़रीद प्रक्रियाओं को प्रबंधित करने का अवसर मिलता है. लेकिन जहां GPP पॉलिसी अस्तित्व में है, वहां भी ख़रीद संबंधी जानकारी में अक्सर इस बात की जानकारी नहीं रहती है कि कैसे ख़रीदी गई वस्तुएं राष्ट्रीय स्तर पर तय GPP मापदंड के साथ संरेखित है. 

कनाडा, फ्रांस, जर्मनी और जापान के पास GPP मापदंड के मुकाबले की गई ख़रीद संबंधी निगरानी करने और उसे सार्वजनिक करने की बेहतर ढंग से विकसित व्यवस्था है. (टेबल 1 देखें)

इस संबंध में जानकारी एकत्रित करने का एक आम उपाय समय-समय पर होने वाला सर्वेक्षण है. कनाडा में सस्टेनेबल प्रोक्योरमेंट पर होने वाले सालाना सर्वे के कारण ही चार वर्ष में एक बार सस्टेनेबल प्रोक्योरमेंट बैरोमीटर स्थापित करना संभव हो सका था. इसके चलते अब सार्वजनिक  और निजी संस्थाओं को स्वयं का मूल्यांकन कर दूसरों के साथ अपनी तुलना करने में आसानी होती है.

जापान में ग्रीन प्रोक्योरमेंट एक्ट में शामिल वस्तुओं और सेवाओं की ख़रीद करने वाले सार्वजनिक संस्थाओं को इसकी सालाना रिपोर्ट पर्यावरण मंत्रालय को सौंपनी होती है. इस रिपोर्ट की जानकारी में इको-फ्रेंडली प्रोडक्ट्‌स की ख़रीद की अनुमानित मात्रा शामिल होती है. इसी प्रकार यह भी बताना पड़ता है कि वस्तुओं तथा सेवाओं की कुल ख़रीद में इको-फ्रेंडली वस्तुओं की मात्रा का अनुपात क्या है. इसके परिणाम को पर्यावरण मंत्रालय की वेबसाइट पर जारी किया जाता है. इसी प्रकार अमेरिका  में सरकारी एजेंसियों के मुखियाओं को  सालाना सस्टेनेबिलिटी प्लान  में टार्गेट्स  को प्रस्तावित कर रिपोर्ट करना होता है. ये  योजनाएं  काउंसिल ऑन एनवायरमेंट  क्वॉलिटी  की ओर से जारी होने वाले केंद्रीय  मार्गदर्शन पर आधारित होते हैं. 

ख़रीद कार्यालय स्तर पर ख़रीद अधिकारी की सहायता करने के लिए सीमित मानकीकृत कार्यप्रणालियां होती है जो उन्हें कन्सट्रक्शन प्रोडक्ट्‌स के पर्यावरणीय प्रभावों के बारे में आकलन करने की सुविधा प्रदान करती है. इसकी वज़ह से ही ख़रीद कार्यालय के पास लो-कार्बन प्रोडक्ट्‌स की पहचान करने की क्षमता प्रभावित होती है. अत: वे GPP को लागू करने वाली बॉडी  को इस संबंध में रिपोर्टिंग  और मॉनिटरिंग को भी असंभव बना देती है. कुछ क्षेत्रों में एनवायरमेंट  प्रोडक्ट डिक्लरेशंस   (EPD) को अपनाया गया है. लेकिन वहां भी इसकी प्रक्रिया या प्रणाली भिन्न-भिन्न हैं.

साधन, लेबलिंग और समर्थन

सार्वजिनक ख़रीद में पर्यावरणीय मापदंड तैयार करने की कोशिशें चल रही है. लेकिन इसमें सामग्रियों में समाविष्ट कार्बन उत्सर्जन पर अभी व्यापक तौर पर विचार शामिल नहीं है. GPP पर होने वाले अमल में हुई प्रगति की गणना करना और उसकी इस अध्ययन में शामिल G20 देशों के साथ तुलना करना एक चुनौती है. इसका कारण यह है कि विभिन्न देशों के बीच निगरानी व्यवस्था अलग-अलग है. यहां तक कि EU के सदस्य देशों में भी यह व्यवस्था भिन्न-भिन्न हैं.

G20 सदस्य प्रोक्योरमेंट टूल्स की एक श्रृंखला का उपयोग कर सकते हैं. इसमें स्वीकृत सामग्रियों का डेटाबेस, इको लेबलिंग  सिस्टम  और डेटा विजुअलाइजेशन  सॉफ्टवेयर शामिल है. इनका उपयोग करके ‘ग्रीनर’ इंडस्ट्रियल प्रोडक्ट्‌स की पहचान की जा सकती है और ख़रीद की मात्रा पर निगरानी रखी जा सकती है. ख़रीद अधिकारियों की सहायता करने के लिए कनाडा के ऑफिस ऑफ ग्रीनिंग गर्वनमेंट ऑपरेशन्स टूल्स और ट्रेनिंग मटेरियल्स (e) को विकसित करने का प्रबंध करता है. कनाडा ने अपने इंटरनल  बिजनेस एंड रिर्सोज  मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर के साथ भी GPP निगरानी को एकीकृत कर दिया है. इसका उद्देश्य प्रोक्योरमेंट में सस्टेनेबिलिटी मापदंड के उपयोग पर नज़र रखना है.

जापान भी इको मार्क प्रोग्राम (f) का उपयोग करके इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन  फॉर स्टैंडर्ड डाइजेशन  (ISO) अर्थात  ISO 14020 और ISO 14024 के मानकों के अनुरूप उत्पादों की पहचान करता है. इसके साथ ही जापान के ग्रीन परचेसिंग नेटवर्क (g) जैसे नॉन-प्रॉफिट ग्रुप  भी देश में GPP को लागू करने, उसे बढ़ावा देने और उसे मान्यता दिलवाने में सहयोग कर रहे है. भारत में इको-मार्क लेबलिंग स्कीम को न तो निर्माताओं ने व्यापक रूप से अपनाया है और न ही उपभोक्ताओं की ओर से इसकी मांग ही की गई है. लेकिन सीमेंट और स्टील जैसे कुछ चुनिंदा सामानों में लेबलिंग की ज़रूरत होती है. 

EU ने अपने सदस्यों में GPP को प्रोत्साहित करने के लिए कुछ टूल्स और सपोर्ट मटेरियल विकसित किया है. GPP वेबसाइट (h) EU GPP मटेरियल्स के लिए रिपॉजिटरी की भूमिका अदा करती है, जिसमें गाइडलाइन्स (i), ट्रेनिंग टूलकिट (j), NAPs (k), अपडेटेड GPP मापदंड (l) और एक हेल्पडेस्क (m) भी शामिल है. EU इकोलेबल को अनेक प्रोडक्ट्स  पर देखा जा सकता है. इसका उपयोग आमतौर पर प्रोडक्ट  के पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन करने के लिए किया जाता है. EU बिग बायर्स फॉर क्लाइमेट  एंड एनवायरनमेंट  इनिशिएटिव, (n) जैसे सदस्य संगठन क्षेत्रीय खरीदारों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने का काम करते है.

ब्राजील में सरकारी सामग्री सूची CATMAT, ख़रीददारों को उन उपलब्ध वस्तुओं और सेवाओं की पहचान करने में सहायता करती है जो पर्यावरण संरक्षक होते है. ब्राज़ील में प्रोडक्ट  के लाइफ साइकिल एनवायरमेंटल परफॉर्मेंस  के आधार वस्तुओं और सेवाओं की पहचान करने के लिए इकोलेबल  का उपयोग किया जाता है. यह मुख्यत: निर्माण संबंधी ख़रीद के लिए किया जाता है. मसलन, लकड़ी ख़रीदने के इच्छुक PEFC तथा CERTFOR लेबल देखकर सामान ख़रीद सकते है. इसी प्रकार ऊर्जा दक्षता वाले उत्पादों के लिए इलेक्ट्रो ब्रास  तथा PROCEL लेबल्स होते है.

द US इंफ्लेशन रिडक्शन एक्ट (2022) में एनवायरनमेंटल  प्रोटेक्शन एजेंसी के लिए फंडिंग का प्रावधान है. इसका उपयोग एनवायरमेंट  प्रोडक्ट डिक्लेरेशन  तथा लो-कार्बन मटेरियल की लेबलिंग के लिए किया जाता है. इस लेबलिंग का उद्देश्य निर्माताओं को बाज़ार में लो-कार्बन प्रोडक्ट्‌स की विभिन्नता को आसान बनाने में सहायता करना है. इसके साथ ही यह ग्राहकों को भी लो-कार्बन प्रोडक्ट्‌स ख़रीदने में सहयोग करता है.

 

टेबल 1 : अध्ययन किए गए G20 देशों की GPP की विशेषताएं

G20 member Has GPP-specific legislation Applicability Defined goals Monitoring Public disclosure Has construction-Specific GPP policy Governance structure Average procurement spend as share of GDP
Brazil Yes Voluntary No Information not available No – general procurement info via ComprasNet [o] Yes Model 1 15%  [p]
Canada Yes Mandatory Yes Yes Yes Yes Model 1 17%  [q]
China Partially Partially mandatory No Monitoring framework under development Information not available Partially Model 2 35%  [r]
EU Yes Voluntary Yes No No – general procurement info via TED [s] Yes Model 2 15% q
France Yes Voluntary Yes Yes Yes Yes Model 1 16% q
Germany Yes Partially mandatory Yes, at the federal level Yes Yes Yes Model 2 18% q
India No Voluntary No Information not available Information not available No Model 3 30% [t]
Indonesia Yes Planned to be mandatory No No No Yes Model 3 7% q
Japan Yes Mandatory Yes Yes Yes Yes Model 1 14% q
The USA Yes Mandatory Yes Yes Yes – in development Yes Model 3 10% q

 

GPP पॉलिसी के अपनाने की गति को बढ़ावा देने के लिए इस आलेख में राष्ट्रीय सरकारों से विभिन्न स्तरों पर सहयोग के साथ सभी स्तरों पर एक संरेखित नीति तैयार करने की सिफ़ारिश की गई है. इसके साथ ही एक मानकीकृत पर्यावरणीय रिर्पोटिंग एंड मॉनिटरिंग प्रणाली स्थापित करने, क्षेत्र विशेष और समयबद्ध लक्ष्य तय करने, ख़रीददारों को सशक्त बनाकर उनके कौशल को बढ़ाने के साथ ही सार्वजनिक-निजी सहयोग को मज़बूत करने की सिफ़ारिश की गई है ताकि साझा दृष्टिकोण और रणनीति विकसित की जा सके.

GPP प्रतिबद्धताएं, क्लायमेट पॉलिसीज्‌ जैसे कि कार्बन प्राइसिंग, इको-लेबलिंग  और ग्रीन प्रोडक्ट स्टैंडर्डस्‌  जैसी नीतियों के मिश्रण के हिस्से के रूप में काम कर सकती है. ये प्रतिबद्धताएं लो-कार्बन कंस्ट्रक्शन  प्रोडक्ट  के निर्माण में तकनीकों का उपयोग करने के लिए कारोबारी मामले का समर्थन भी कर सकती है. यह आलेख G20 देशों के लिए पांच सिफ़ारिशें करता है, जिन्हें अपनाकर ये देश GPP का समर्थन करते हुए इसका प्रभावी अमल सुनिश्चित कर सकते हैं.

 

  1. GPP नीतियों को प्रशासन के सभी स्तरों पर संरेखित करने के लिए सहयोग करना. सरकारी स्तर पर समन्वय से सुसंगत कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जा सकता है. सरकारी स्तर पर होने वाली प्रत्येक ख़रीद के लिए ग्रीन प्रोक्योरमेंट क्राइटिरिया को लागू किया जाना चाहिए. इसमें केंद्रीय GPP मापदंडों के तहत ख़रीदी गई सामग्री में समाविष्ट कार्बन का स्वीकार्य स्तर भी शामिल होना चाहिए.इसे GPP नीति विकास, कम्युनिकेशन एवं अमल के लिए स्पष्ट ज़िम्मेदारी तय करके हासिल किया जा सकता है. इसके साथ ही ग्रीन प्रोक्योरमेंट के लिए एक वर्किंग ग्रुप का गठन किया जाना चाहिए, जिसमें ख़रीद कार्यालयों के प्रतिनिधि शामिल होने चाहिए. जिन देशों ने GPP की ज़िम्मेदारियों की रूपरेखा तैयार कर ली है उसमें जापान और कनाडा शामिल हैं. वहां इसका प्रबंधन करने की ज़िम्मेदारी एक से ज़्यादा गर्वनिंग बॉडिज (मॉडल 1) को सौंपी गई है. ग्रीन प्रोक्योरमेंट का नेतृत्व इंस्टीट्यूशनल  चैंपियन्स करते हैं.
  2.  अनिवार्य GPP स्थापित करें. इसमें ख़रीदी गई वस्तुओं में समाविष्ट कार्बन उत्सर्जन के लिए मानकीअध्ययन किए गए अधिकांश देशों में GPP स्वैच्छिक है. (टेबल 1 देखें). स्वैच्छिक प्रणालियों के साथ ही अनिवार्य नीतियां लागू करने से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले निविदा प्रस्तावों की पहचान की जा सकेगी और न्यूनतम स्तर पर अमल भी सुनिश्चित होगा. इसका पालन नहीं करने वालों को दंडित करने से इस प्रक्रिया की सहायता होगी. डेटा में GPP नीतियों को मज़बूत करने की क्षमता है. कन्सट्रक्शन प्रोडक्ट्‌स के कार्बन फुटप्रिंट्‌स पर सटीक, अनुमोदित और पारदर्शी डेटा ख़रीददारों को सूचित अर्थात समझी हुई रणनीति बनाकर फ़ैसला लेने में सहायता करेगा. यह डेटा वर्तमान में की गई ख़रीद के पर्यावरणीय प्रभाव की जानकारी भी उपलब्ध करवाएगा, जिससे आपूर्ति श्रृंखलाओं में उत्सर्जन के स्त्रोत की पहचान करना संभव होगा और नीति के आकलन में सहयोग मिलेगा.
  3. क्षेत्र विशेष, समयबद्ध लक्ष्य और रोडमैप स्थापित करें. ख़रीद के माध्यम से राष्ट्रीय डीकार्बनाइजेशन लक्ष्य में योगदान पाना तभी संभव है जब एक्शन प्लान्स को देश की ज़रूरतों को पूरा करने के हिसाब से तैयार किया जाएगा. प्रोक्योरमेंट के लिए ग्रीन क्राइटेरिया  शामिल करने के अच्छे इरादे के साथ ही GPP को लागू करने का एक रोडमैप जैसे कि पहले उल्लेखित NAP में भी हर क्षेत्र के लिए एक समय सीमा देकर मापने योग्य लक्ष्य तय करने होंगे.
  4. ख़रीददारों को स्पष्ट आदेश, लक्ष्य और पर्याप्त वित्तीय तथा ज्ञान संबंधी संसाधन मुहैया करवाए ताकि वे GPP को लागू करने में एक रणनीतिक भूमिका निभा सकें. NAP की डिजाइन अथवा इसी तरह की रणनीतिक ख़रीद योजना को लॉन्च करने से पहले इन्हें स्थानीय तथा क्षेत्र विशेष में लागू करने से पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन किया जाना चाहिए. इसमें इन्हें लागू करने वाली इकाई की क्षमता पर विचार करने के साथ ही इसके लिए आवश्यक कौशल एवं संसाधनों पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए, ताकि स्थानीय ख़रीद अधिकारियों को ग्रीन प्रोक्योरमेंट क्राइटिरिया यानी मापदंड का उपयोग करने और उसे प्रबंधित करने में सहायता हो सके.
  5. सार्वजनिक-निजी सहयोग को मज़बूत करें ताकि साझा दृष्टिकोण और रणनीति विकसित की जा सके.  कम पर्यावरणीय प्रभाव वाली वस्तुओं और सेवाओं की ख़रीद करने के लिए ठोस लक्ष्य तय करने से सार्वजनिक क्षेत्र बाज़ारों के माध्यम से निजी क्षेत्र को मज़बूत संकेत दे सकता है. G20 सरकारों को भी औद्योगिक क्षेत्र के संगठनों के साथ मिलकर काम करते हुए समाविष्ट कार्बन के लिए प्रोडक्ट्-स्पेसिफिक बेसलाइन वैल्यू तय करनी चाहिए. इसके साथ ही स्टील, सीमेंट तथा कांक्रीट जैसे उत्सर्जन गहन वस्तुओं के उत्सर्जन को कम करने के लक्ष्य भी निर्धारित करने चाहिए. कंस्ट्रक्शन  क्षेत्र के लिए इस समन्वय को केवल वैल्यू चेन में शामिल निर्माताओं तक ही सीमित नहीं रखना चाहिए. इसमें क्षेत्रीय संगठन और निर्माण प्रतिष्ठानों को भी शामिल किया जाना चाहिए. वैश्विक दृष्टिकोण लेकर औद्योगिक डीकार्बनाइजेशन से जुड़ी बेस्ट प्रैक्टिसेज़  को साझा करने वाली विभिन्न पहलों के सहयोग से भी यह एकीकरण हासिल किया जा सकता है. द इंडस्ट्रियल डीप डीकार्बनाइजेशन इनिशिएटिव (IDDI) (u) औद्योगिक डीकार्बनाइजेशन के लिए मापने योग्य तथा समयबद्ध लक्ष्य निर्धारित करने के लिए मार्गदर्शन मुहैया कराता  है. इसका ध्यान मुख्यत: स्टील, सीमेंट तथा कंक्रीट  पर होता है. इसके साथ ही लीडरशिप  ग्रुप फॉर इंडस्ट्री ट्रांजिशन  (LeadIT)(v) इंडस्ट्री ट्रांजिशन  का रोडमैप विकसित करने के लिए उपकरण मुहैया करवाते हुए लो-कार्बन स्टील और सीमेंट में होने वाले निवेश को भी ट्रैक करता है.  कंसट्रक्शन प्रोजेक्ट्‌स के लिए GPP क्राइटिरिया को पुख़्ता करने के लिए अच्छी प्रथाओं की पहचान करने के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बीच साझेदारी और सहयोग आवश्यक है. 

एट्रीब्यूशन: एलीन टोरेस मोरालेस et al., ‘‘अनलॉकिंग द G20’s ग्रीन पब्लिक प्रोक्योरमेंट पोटेंशियल,’’ T20 पॉलिसी ब्रीफ, मई 2023.


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Endnotes

[a] EU member states selected: Estonia, France, Germany, Italy, the Netherlands, Poland, Spain and Sweden.

[b] The European Commission defines Green Public Procurement as “a process whereby public authorities seek to procure goods, services and works with a reduced environmental impact throughout their life cycle when compared to goods, services and works with the same primary function that would otherwise be procured.” See: European Commission, ‘What Is GPP’, 2022.

[c] Embodied carbon or embodied emission is defined as the GHG emission associated with a material throughout its entire life cycle, stretching from raw material extraction to the end of life. See: World Green Building Council, ‘Bringing Embodied Carbon Upfront’, 2019.

[d] NAPs in the EU publicly.

[e] See: https://www.tpsgc-pwgsc.gc.ca/app-acq/ae-gp/index-eng.html

[f] See: https://ecomark.jp/nintei/index_en.html

[g] See: https://www.gpn.jp/english/

[h] See: https://ec.europa.eu/environment/gpp/index_en.htm

[i] See: https://ec.europa.eu/environment/gpp/buying_handbook_en.htm

[j] See: https://ec.europa.eu/environment/gpp/toolkit_en.htm

[k] See: https://ec.europa.eu/environment/gpp/action_plan_en.htm

[l] See: https://ec.europa.eu/environment/gpp/eu_gpp_criteria_en.htm

[m] See: https://ec.europa.eu/environment/gpp/helpdesk.htm

[n] See: https://public-buyers-community.ec.europa.eu/about/big-buyers-working-together

[o] See: http://paineldecompras.economia.gov.br/

[p] See: https://www.oecd-ilibrary.org/sites/18dc0c2d-en/index.html?itemId=/content/component/18dc0c2d-en – Figure 8.1

[q] https://www.international.gc.ca/trade-agreements-accords-commerciaux/topics-domaines/gp-mp/index.aspx?lang=eng#:~:text=Some%20estimates%20suggest%20that%20government,gross%20domestic%20product%20(GDP)

[r] See: https://www.open-contracting.org/wp-content/uploads/2020/08/OCP2020-Global-Public-Procurement-Spend.pdf – Page 23

[s] See: https://ted.europa.eu/TED/browse/browseByMap.do

[t] See: https://www.climateworks.org/wp-content/uploads/2019/09/Green-Public-Procurement-Final-28Aug2019.pdf

[u] https://www.unido.org/IDDI

[v] https://www.industrytransition.org/

[1] OECD, ‘Government at a Glance 2021’, 2021.; UNODC, ‘G20 PRINCIPLES FOR PROMOTING INTEGRITY IN PUBLIC PROCUREMENT – Turkey G20’, 2015.

[2] European Commission, ‘Communication from the Commission to the European Parliament, the Council, the European Economic and Social Committee and the Committee of the Regions: Public Procurement for a Better Environment’ (European Commission, 2008).

[3] European Commission, ‘Studies’, 2021.

[4] World Economic Forum, ‘Green Public Procurement: Catalysing the Net-Zero Economy’, January 2022.

[5] World Economic Forum, ‘Green Public Procurement: Catalysing the Net-Zero Economy’, 7.

[6] UNODC, ‘G20 PRINCIPLES FOR PROMOTING INTEGRITY IN PUBLIC PROCUREMENT – Turkey G20’.

[7] OECD, ‘Government at a Glance 2021’.

[8] Liesbeth Casier and Laurin Wuennenberg, ‘Leveraging the Power of the Public Purse: Using Public Procurement of Low-Carbon Innovation for Sustainable Infrastructure’, Policy brief (i24c, 14 December 2017), 27.

[9] Ali Hasanbeigi, Renilde Becqué, and Cecilia Springer, ‘Curbing Carbon from Consumption: The Role of Green Public Procurement’ (Global Efficiency Intelligence, 2019).

[10] APRSCP and SWITCH-Asia, ‘Indonesia Current Status of Green Public Procurement (GPP)’, 2022.

[11] The White House, ‘FACT SHEET: Biden-Harris Administration Announces New Buy Clean Actions to Ensure American Manufacturing Leads in the 21st Century’, The White House, 15 September 2022.

[12] European Commission, ‘Green Public Procurement’, European Commission: Environment, 2021.

[13] Astrid Nilsson Lewis et al., ‘Green Public Procurement: A Key to Decarbonizing Construction and Road Transport in the EU’, 9 February 2023.

[14] European Commission, ‘GPP National Action Plans’, Green Public Procurement, 2022.

[15] Nilsson Lewis et al., ‘Green Public Procurement’.

[16] Federal Ministry of Justice, ‘Federal Climate Change Act of 12 December 2019’ (2019).

[17] Federal Ministry of Justice.

[18] European Commission, ‘GPP National Action Plans’.

[19] Nilsson Lewis et al., ‘Green Public Procurement’.

[20] Nilsson Lewis et al.

[21] Nilsson Lewis et al.

[22] APRSCP and SWITCH-Asia, ‘Indonesia Current Status of Green Public Procurement (GPP)’.

[23] Economic and Social Research Council, ‘EXECUTIVE SUMMARY OF THE REPORT: SUSTAINABLE PUBLIC PROCUREMENT IN BRAZIL’, 2012.; European Commission, ‘What Is GPP’, 2022.; Nilsson Lewis et al., ‘Green Public Procurement’.

[24] Tilmann Liebert et al., ‘Green Public Procurement in China: Quantifying the Benefits’ (International Institute for Sustainable Development, 2015).

[25] UNEP, ‘Comparative Analysis of Green Public Procurement and Ecolabelling Programmes in China, Japan, Thailand and the Republic of Korea: Lessons Learned and Common Success Factors’ (United Nations Environment Programme, 2017).

[26] Hasanbeigi, Becqué, and Springer, ‘Curbing Carbon from Consumption: The Role of Green Public Procurement’.

[27] Hasanbeigi, Becqué, and Springer.

[28] Treasury Board of Canada Secretariat, ‘Standard on Embodied Carbon in Construction’, 4 November 2022.

[29] Treasury Board of Canada Secretariat, ‘Standard on the Disclosure of Greenhouse Gas Emissions and the Setting of Reduction Targets’, 9 November 2022.

[30] Treasury Board of Canada Secretariat.

[31] Treasury Board of Canada Secretariat, ‘Standard on Embodied Carbon in Construction’.

[32] Environment and Economy Division, The Ministry of the Environment Government of Japan, and Environmental Policy Bureau, ‘Introduction to Green Purchasing Legislation in Japan’ (Japan, 2016).

[33] The White House, ‘Executive Order on Catalyzing Clean Energy Industries and Jobs Through Federal Sustainability’, The White House, 8 December 2021.

[34] ECPAR, ‘Sustainable Procurement Barometer’, 2018.

[35] World Bank, ‘Green Public Procurement: An Overview of Green Reforms in Country Procurement Systems’, 4 November 2021.

[36] Japanese Law Translation, Ministry of Justice, Japan, ‘Act on Promotion of Procurement of Eco-Friendly Goods and Services by the State and Other Entities’, 2000, art. 8 (1).

[37] The White House, ‘Executive Order on Catalyzing Clean Energy Industries and Jobs Through Federal Sustainability’.

[38] Ali Hasanbeigi, Renilde Becqué, and Cecilia Springer, ‘Curbing Carbon from Consumption: The Role of Green Public Procurement’ (Global Efficiency Intelligence, 2019).

[39] Hasanbeigi, Becqué, and Springer.

[40] Hasanbeigi, Becqué, and Springer.

[41] Bureau of Indian Standards, ‘Products under Compulsory Certification’, Bureau of Indian Standards, 2023.

[42] Astrid Nilsson Lewis et al., ‘Green Public Procurement: A Key to Decarbonizing Construction and Road Transport in the EU’, 9 February 2023, https://doi.org/10.51414/sei2023.007.

[43] Hasanbeigi, Becqué, and Springer, ‘Curbing Carbon from Consumption: The Role of Green Public Procurement’.

[44] Hasanbeigi, Becqué, and Springer.

[45] US EPA, ‘Inflation Reduction Act Programs to Fight Climate Change by Reducing Embodied Greenhouse Gas Emissions of Construction Materials and Products’, Overviews and Factsheets, 12 January 2023.

[46] Open Data Institute, ‘Tackling the Climate Crisis with Data: What the Built-Environment Sector Can Do’, 2021.