भारत ऐसे समय में G20 का अध्यक्ष बना जब दुनिया में ज़बरदस्त उथल-पुथल मची हुई है. महामारी के बाद उबरने के प्रयास अनिश्चित और असमान थे; यूक्रेन संकट ने आपूर्ति श्रृंखलाओं में बाधा डाल दी थी, जिसके नतीजे में दुनिया भर में आर्थिक सुस्ती के साथ महंगाई बढ़ गई (Stagflation); और, हमारी धरती की स्थायी समस्या यानी ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के लगातार बढ़ते हमलों ने चुनौतियों को बढ़ाने का ही काम किया है.
भारत की G20 अध्यक्षता के लोगो और थीम का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने भारत को दुनिया के लिए दूरगामी और नतीजों पर केंद्रित एजेंडे के निर्माता और G20 को बदलाव की एक मिसाल के तौर पर पेश किया था. प्रधानमंत्री ने G20 के लिए स्थायित्व और विकास का विज़न सामने रखने के साथ साथ उसको विकासशील देशों (ग्लोबल साउथ) के लिए महत्वपूर्ण सभी विषयों पर संवाद के मंच के तौर पर प्रस्तुत किया था. भारत के सदियों पुराने सूत्र वाक्य वसुधैव कुटुम्बकम पर आधारित प्रधानमंत्री के इस दृष्टिकोण ने इस बात को मज़बूती से दोहराया था कि G20 की भारत की अध्यक्षता सबको साथ लेकर चलने और वैश्विक सहयोग की नींव पर आधारित होगी.
प्रधानमंत्री ने G20 के लिए स्थायित्व और विकास का विज़न सामने रखने के साथ साथ उसको विकासशील देशों (ग्लोबल साउथ) के लिए महत्वपूर्ण सभी विषयों पर संवाद के मंच के तौर पर प्रस्तुत किया था.
4D की एक रूपरेखा, अध्यक्ष के तौर पर भारत की प्राथमिकताओं को रेखांकित करती है- कार्बन उत्सर्जन कम करने (Decarbonisation), डिजिटलीकरण और समान विकास को बढ़ावा देना, और संघर्षों को कम करना. ये नज़रिया Think20 (T20)- यानी थिंक टैंकों के लिए G20 का आधिकारिक संपर्क समूह- की थीम के तमाम क्षेत्रों में दिखाई देता है. T20 के ज़रिए उच्च स्तर के विशेषज्ञों, रिसर्च संस्थानों और अकादेमिक विद्वानों के बीच विचारों का आदान-प्रदान, G20 की वार्ताओं को विश्लेषण वाली गहराई और विचारों की ताक़त देता है. इसीलिए, T20 ने उस बात को संस्थागत स्वरूप दिया है, जिसे थॉमस होमर- डिक्सन ‘चतुराई’ या ‘विचारों के उत्पादन’ कहते हैं. और, T20 ने ‘चतुराई या प्रतिभा की कमी’ दूर करने में मदद की है. जिसका मतलब है कि इसने जटिल चुनौतियों के समाधान के लिए लागू किए जा सकने वाले, नए विचारों की मांग और इन विचारों के वास्तविक उत्पादन के बीच के बेहद महत्वपूर्ण फ़ासला कम करने का काम किया है.
थिंक20 टास्क फोर्स का गठन
4D टिकाऊ विकास के लक्ष्य (SDGs) प्राप्त करने से नज़दीकी से जुड़े हुए हैं. इसीलिए, इन मूल विचारों या सिद्धांतों की झलक T20 की उन सभी सात टास्क फोर्स में दिखाई देती है, जो ‘व्यापक अर्थशास्त्र, व्यापार और रोज़ी-रोटी’; ‘हमारा साझा डिजिटल भविष्य’; ‘LiFE लचीलापन और कल्याण के मूल्यों’; ‘स्वस्थ ऊर्जा और हरित परिवर्तन’; ‘वैश्विक वित्तीय व्यवस्था का पुनर्मूल्यांकन’; ‘स्थायी विकास के लक्ष्यों (SDGs) की रफ़्तार बढ़ाना’; और ‘सुधरा हुआ बहुपक्षीयवाद’ के विषयों पर विचार करते हैं.
T20 का साल के मध्य में होने वाला सम्मेलन 10 से 12 मई 2023 को मुंबई में हुआ था. इसमें G20 देशों के तीन सौ प्रतिनिधि और टास्क फोर्स के सदस्य शामिल हुए, जिन्होंने सात चुने हुए मुद्दों पर चर्चा की और अब तक T20 की उपलब्धियों की समीक्षा करने के साथ-साथ आगे की राह पर विचार विमर्श किया. भारत के रिसर्च और संवाद के दो मुख्य तत्व बिल्कुल अलग नज़र आते हैं- लैंगिकता को मुख्यधारा में लाने और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने पर भारत का ज़ोर, और ये सुनिश्चित करना कि अफ्रीका महाद्वीप सभी परिचर्चाओं का अभिन्न अंग रहे. G20 में एक के बाद एक, चार उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं को मिली अध्यक्षता (2022 से 2025 के दौरान इंडोनेशिया, भारत, ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका G20 के अध्यक्ष की ज़िम्मेदारी संभालेंगे) के दूसरे व महत्वपूर्ण सदस्य के रूप में भारत न केवल विकासशील देशों की प्रमुख आवाज़ बना है, बल्कि उसने ख़ास तौर से अफ्रीकी महाद्वीप के विकास की अनूठी ज़रूरतों को सामने रखा है.
T20 के ज़रिए उच्च स्तर के विशेषज्ञों, रिसर्च संस्थानों और अकादेमिक विद्वानों के बीच विचारों का आदान-प्रदान, G20 की वार्ताओं को विश्लेषण वाली गहराई और विचारों की ताक़त देता है.
साल के बीच में हुए सम्मेलन की एक प्रमुख गतिविधि टास्क फोर्स के बयान को अंतिम रूप देना था. असल में ये अलग अलग टास्क फोर्स के ‘संवाद के क्षेत्रों’ के विज़न डॉक्यूमेंट हैं. T20 का आधिकारिक बयान यानी G20 प्रक्रिया में योगदान देने वाले सुझावों के सारांश को इन्हीं बयानों के आधार पर तैयार किया जा रहा है और इसे अगस्त 2023 में मैसुरू में होने वाले थिंक20 (T20) भारत शिखर सम्लन में उस वक़्त जारी किया जाएगा, जब भारत के T20 का कार्यकाल अपना आधा सफ़र पूरा कर लेगा. T20 के तहत देश भर में और देश के बाहर भी, पहले ही 50 से ज़्यादा कार्यक्रम आयोजित किए जा चुके हैं. और, ये लगभग 125 पॉलिसी ब्रीफ प्रकाशित कर चुका है और अभी कई को तैयार करने का काम चल रहा है. ये संक्षिप्त विवरण, अधपके विचारों के विश्लेषण से तैयार किए गए हैं और इन्हें, लागू करने लायक़ सुझावों का रूप दिया गया है.
T20 के तहत देश भर में और देश के बाहर भी, पहले ही 50 से ज़्यादा कार्यक्रम आयोजित किए जा चुके हैं. और, ये लगभग 125 पॉलिसी ब्रीफ प्रकाशित कर चुका है और अभी कई को तैयार करने का काम चल रहा है.
भारत की अध्यक्षता में G20 और इसके विचारों को युवाओं, महिलाओं, कारोबारियों और नागरिक समुदायों तक ले जाने के प्रयासों के मूल में जन भागीदारी (या प्रशासन में बड़े पैमाने पर नागरिकों की भागीदारी) का विचार रहा है. विकास और प्रगति में युवाओं और महिलाओं को ज़रूरी भागीदार मानते हुए मुंबई के सम्मेलन ने इन समूहों के साथ सक्रियता से संवाद किया. इसी कोशिश के चलते इस सम्मेलन में, मुंबई और पुणे के स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के 100 से ज़्यादा छात्र शामिल हुए थे.
ये लेख मूल रूप से G20 इंडिया न्यूज़लेटर में प्रकाशित हुआ था.