टास्क फोर्स 3: LiFE, लचीलापन और समाज कल्याण के मूल्य
वस्तु या माल की मात्रा के लिहाज़ से अंतरराष्ट्रीय यातायात की बात करें, तो समुद्री परिवहन और लॉजिस्टिक्स सेक्टर की इमसें 80 प्रतिशत हिस्सेदारी है. कोविड-19 महामारी और उसके बाद रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से अंतरराष्ट्रीय व्यापार में आई मंदी के चलते वैश्विक स्तर पर छाए वित्तीय संकट एवं वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं (GVCs) में आए व्यवधानों ने नए बुनियादी ढांचे के मॉडल स्थापित करने की ज़रूरत को लेकर जागरूकता बढ़ाने का काम किया है. इन मॉडलों में फ्रेट ट्रैफिक को संभालने वाले तंत्र को ज़्यादा लचीला, सुगम और पर्यावरण के अनुकूल बनाने में मदद करने के लिए टिकाऊ रणनीतियों एवं डिजिटल टूल्स के साथ जोड़ा जाना चाहिए. ग्रीन पोर्ट्स यानी हरित बंदरगाह मॉडल में समुद्री परिवहन लचीलेपन को बढ़ाते हुए टिकाऊ इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश को प्रोत्साहित करने की क्षमता है. भू-आर्थिक अलगाव की बढ़ती चुनौतियों का उत्तर देने के लिए G20 के स्तर पर मैरीटाइम ट्रांसपोर्ट सेक्टर हेतु एक एकीकृत बुनियादी ढांचा निवेश रणनीति को मज़बूत करना बेहद अहम है.
हाल-फिलहाल में वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में बहुत सी ऐसी कमज़ोरियां उभर कर सामने आई हैं, जो न केवल कोविड-19 महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण पैदा हुई हैं, बल्कि भू-राजनीतिक तनाव और जलवायु परिवर्तन की वजह से भी पैदा हुई हैं. वैश्विक उत्पादन नेटवर्क में आई बाधाओं ने वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं (GVCs) के पुनर्गठन के मुद्दे पर फिर से बहस छेड़ दी है. महत्त्वपूर्ण उत्पादों की आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए औद्योगिक नीति से जुड़े विकल्प, जैसे कि रीशोरिंग या नियर-शोरिंग यानी उत्पादन इकाइयों को दूसरी जगहों पर या अनुकूल स्थानों के निकट स्थापित करने की नीति को अमल में लाने में तेज़ी आ रही है.
हालांकि, इस बात के स्पष्ट प्रमाण हैं कि महामारी ने न तो अंतरराष्ट्रीय उत्पादन के पुनर्गठन के लिए मज़बूर किया है और न ही कंपनियों को इसके लिए प्रेरित किया है कि वे अपने विदेशी उत्पादन को कम करने की योजना पर काम करें (बॉटी एट अल. 2021, 8-10). इतना ही नहीं रूस-यूक्रेन युद्ध के भू-राजनीतिक नतीज़ों की वजह से सबसे विकसित अर्थव्यवस्थाओं में उत्पादन को दूसरी जगह स्थानांतरित करने के भी अभी बहुत कम वाकए सामने आए हैं.[1] यह ज़रूर है कि कंपनियां अपने आपूर्तिकर्ता देशों और स्रोत वाले देशों में बदलाव ला रही हैं या उन्हें बदल रही हैं और ज़रूरी कच्चे माल तक अपनी पहुंच सुनिश्चित करने के साथ ही बिचौलिया एवं अंतिम उत्पाद के लिए इन्वेंट्री का निर्माण कर रही हैं. (ओपन स्ट्रैटेजिक ऑटोनॉमी पर वर्क स्ट्रीम, 2023)
इतना ही नहीं वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को लेकर चल रहे संरचनात्मक बदलाव के कई दूसरे संकेत उद्योग के स्तर पर भी उभर रहे हैं (ऑटोमोटिव और बैटरी जैसे विशिष्ट क्षेत्रों में एकीकरण सुधर रहा है), साथ ही प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्रवाह के रुझान में भी इसी तरह के संकेत सामने आ रहे हैं. 2000 के दशक के मध्य (UNCTAD 2022) की तुलना में चीन में ग्रीनफील्ड प्रत्यक्ष विदेशी निवेश लगभग आधा रह गया है और बहुराष्ट्रीय कर्मचारी एवं आयात शुरुआती एफडीआई गंतव्यों, ख़ास तौर पर चीन से दूसरे एशियाई देशों की तरफ स्थानांतरित हो रहे हैं.
देखा जाए तो आम तौर पर वैश्विक ताक़तों की राजनीतिक अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख संकल्पना के रूप में आर्थिक राष्ट्रीय सुरक्षा का पुनर्जीवन और इसकी वजह से होने वाला अलगाव बहुपक्षीय प्रणाली की कार्य पद्धति पर असर डाल सकता है. इससे अहम सेक्टरों में सब्सिडी की प्रतिस्पर्धा के साथ-साथ व्यापार और निवेश नीति को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने में भी बढ़ोतरी हो सकती है (बॉटी 2022, 6-10).
वैश्विक व्यापार पर समुद्री ट्रांसपोर्ट का बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है. यूनाइटेड नेशन्स कॉन्फ्रेंस ऑन ट्रेड एंड डेवलपमेंट (UNCTAD) के मुताबिक़ पूरी दुनिया के देशों के बीच जितना भी आयात-निर्यात होता है, उसमें समुद्री मार्गों का योगदान 80 प्रतिशत से ज़्यादा है. वर्ष 2020 में अलग-अलग तरह के क़रीब 11 बिलियन टन सामान (कंटेनर, ड्राई बल्क, ऊर्जा उत्पाद, रोल ऑन – रोल ऑफ यानी ट्रकों को [2]) को दुनिया के बंदरगाहों के ज़रिए ढोया गया, जिससे सभी देशों के लॉजिस्टिक्स पर असर पड़ा. इस सारे सामान को सभी श्रेणियों के जहाजों द्वारा ट्रांसपोर्ट किया गया (UNCTAD 2022).
मुख्य कंटेनर समुद्री मार्ग, जो कि जो कि पूरी दुनिया के मैन्युफैक्चरिंग व्यापार के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं, [3] उनमें ट्रांस पैसिफिक, ट्रांस अटलांटिक, एशियाई-भूमध्यसागरीय और अंतर-क्षेत्रीय समुद्री मार्ग शामिल हैं. चित्र 1 रणनीतिक मार्गों के बीच कंटेनर ट्रैफिक के विस्तार को दिखाता है.
हालांकि, यह ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है कि शिपिंग इंडस्ट्री के विभिन्न पहलू अलग-अलग देशों में अलग-अलग हो सकते हैं. उदाहरण के तौर पर किसी भी देश की लॉजिस्टिक्स योग्यता को मापने वाले वर्ल्ड बैंक के लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स (LPI) में तीन विकासशील देश यानी भारत, बांग्लादेश और वियतनाम वर्ल्ड रैंकिंग में अपनी विभिन्न कमियों की वजह से क्रमशः 38, 88 और 43 स्थान पर हैं. (उदाहरण के तौर पर दो विकसित देश जर्मनी और नीदरलैंड लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन में शीर्ष स्थान पर हैं).[4]
चित्र 1: सामरिक वैश्विक समुद्री मार्ग (कंटेनर, मिलियन TEUs, 2022) [5]
स्रोत: क्लार्कसन्स पर SRM
यूरोप और एशिया के मध्य वर्ष 2001 और 2022 के बीच कंटेनर ट्रैफिक में वार्षिक दर से औसत 4.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, जबकि ट्रांस अटलांटिक समुद्री मार्ग पर 2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई. ट्रांस पैसिफिक समुद्री मार्ग पर ट्रैफिक, जो अभी भी वॉल्यूम के लिहाज़ से शुरुआती है, उसमें 4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. ये आंकड़े गवाही देते हैं कि लंबी दूरी के यातायात के लिए क्षेत्रीय मार्गों का महत्व लगातार बढ़ रहा है, ख़ासकर भूमध्यसागरीय बेसिन में. समुद्री ट्रैफिक में भूमध्य सागर का महत्व इस सच्चाई से पता चलता है कि कुल वैश्विक समुद्री यातायात का लगभग 12 प्रतिशत स्वेज़ नहर के ज़रिए होता है. आंकड़ों के मुताबिक़ 27 प्रतिशत कंटेनर जहाज सेवाएं और 30 प्रतिशत ऑयल ट्रैफिक इसी स्वेज़ नहर के ज़रिए संचालित होता है, जिसमें प्रति वर्ष लगभग 20,000 जहाज शामिल होते हैं.
इतना ही नहीं उपलब्ध आंकड़ों पर अगर नज़र डालें तो अंतर-क्षेत्रीय समुद्री मार्गों में ट्रैफिक में हर साल औसतन 6.8 प्रतिशत की दर से उल्लेखनीय बढ़ोतरी जारी है. ऐसा इसलिए है, क्यों कि समुद्री यातायात का एक अहम हिस्सा कम दायरे में या कहा जाए कि छोटे समुद्री मार्गों से जुड़ा हुआ है, यानी ट्रांसपोर्ट का एक ऐसा साधन जो अपने आप में न केवल ज़्यादा टिकाऊ है (छोटे समुद्री मार्ग का अर्थ है कि एक जहाज कम कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन करता है), बल्कि यह बंदरगाह प्रणाली को किसी भी प्रकार के आर्थिक झटके के चलते जाम होने वाली लॉजिस्टिक श्रृंखलाओं के कारण ट्रैफिक में होने वाली देरी के प्रति ज़्यादा लचीला बनाता है. वर्ष 2021 के लिए यूरोस्टेट के आंकड़ों के अनुसार,[6] छोटी समुद्री शिपिंग से संबंधित समुद्री यातायात के लिए भूमध्यसागरीय बेसिन EU-27 में प्रमुख क्षेत्र था, जिसमें 627.8 मिलियन टन माल का परिवहन हुआ था, जो कुल परिवहन किए गए यूरोपीय सामान का 35.2 प्रतिशत था.
संभवत: नेवल ट्रैफिक में यह ट्रेंड तथाकथित ‘वैश्वीकरण और क्षेत्रीयकरण’ की परिघटना के घटकों में से एक है, यानी कि बड़े बाज़ारों वाले देशों को नज़रंदाज किए बगैर पड़ोसी या पास में स्थित देशों के साथ आर्थिक और व्यापारिक संबंधों में तेज़ी के साथ सुधार करने की प्रवृत्ति का एक घटक. हालांकि, अभी भी संरचनात्मक नज़रिए से सबसे अहम फ्रेट ट्रैफिक ही है, जिस पर बड़ी शिपिंग कंपनियों के जहाजी बेड़े का एक बड़ा हिस्सा निर्भर है. कहने का तात्पर्य यह है कि बड़े कंटेनर वाले जहाज और ऊर्जा आपूर्ति (गैस और तेल टैंकर) का परिवहन करने वाले जहाजों के बेड़े पर शिपिंग कंपनियां अत्यधिक निर्भर हैं.
हाल-फिलहाल में कुछ ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिन्होंने लंबी लॉजिस्टिक्स श्रृंखलाओं की कमज़ोरियों को सामने लाने का काम किया है. उदाहरण के तौर पर 23 मार्च 2021 को एवर गिवेन (Ever Given) नाम के एक विशाल कंटेनर जहाज की वजह से स्वेज़ नहर के रास्ते में रुकावट आ गई थी. स्वेज़ नहर में बाधा उत्पन्न होने से बंदरगाहों तक जहाजों के पहुंचने में देरी हुई, साथ ही नहर के रास्ते में यहां-वहां इंतजार कर रहे जहाजों के कारण उनमें लदा सामान आगे नहीं जा पाया और इन जहाजों में कच्चे माल के फंस जाने के कारण प्रोडक्शन साइकिल बाधित हो गया. ब्लूमबर्ग (क्लार्क 2021) के मुताबिक इस गतिरोध के कारण रोज़ाना 9.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य की वस्तुओं में रुकावट पैदा हुई.
यह जो परेशानी पैदा हुई, वो लंबे मार्गों पर समुद्री माल ढुलाई दरों में उल्लेखनीय बढ़ोतरी की वजह से अंतरराष्ट्रीय व्यापार में संलग्न समुद्री रास्ते से सामान भेजने वालों और इस कारोबार में लगी कंपनियों के समक्ष आने वाली मुद्रास्फ़ीति से संबंधित दिक़्क़तों के अतिरिक्त थी. ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि वर्ष 2020 की दूसरी छमाही से वर्ष 2021 के आख़िरी तक निर्यात दोबारा शुरू हो गया और जहाज मालिकों द्वारा जहाजों के भंडार में कम जगह उपलब्ध कराई गई. ड्रयूरी वर्ल्ड कंटेनर इंडेक्स (DWCI) चोटी के आठ गहरे समुद्री मार्गों पर कंटेनर माल ढुलाई की दरों को दिखाता है, साथ ही ऊपर बताई गई अवधि के दौरान ऊंची क़ीमतों को दर्शाता है.[7]
ज़ाहिर है कि कोरोना महामारी की वजह से भी कई देशों की पोर्ट लॉजिस्टिक्स प्रणालियों में ज़बरदस्त बाधाएं पैदा हुई थी. कर्मचारियों के कोविड-19 से संक्रमित होने के कारण पोर्ट टर्मिनलों की उत्पादकता में गिरावट दर्ज़ की गई, जिससे न केवल देरी हुई, बल्कि रोडस्टेड यानी जहाजों के लंगर डालने वाले स्थान पर लंबे समय तक इंतजार करने के साथ बंदरगाह पर बड़ी संख्या में जहाजों की भीड़ जमा हो गई. युद्ध, ऊर्जा संकट और महामारी के कारण लगने वाले तमाम आर्थिक झटकों ने यह साफ दिखाया है कि ग्लोबल पोर्ट लॉजिस्टिक्स सिस्टम को ऐसे मॉडल में परिवर्तित करने की ज़रूरत है, जो छोटी और मध्यम दूरी के समुद्री मार्गों में जहाजों के परिवहन को प्रोत्साहित करना जारी रख सके, अर्थात ऐसे समुद्री मार्ग जहां जहाज को लंबी दूरी तय नहीं करनी पड़ती है (जैसे कि सुदूर पूर्व से उत्तरी अमेरिका या उत्तरी यूरोप तक के समुद्री मार्ग). इससे इकोनॉमी के एक हिस्से को रणनीतिक रूप से पहचानी जाने वाली कुछ उत्पादन श्रृंखलाओं को एक साथ लाने के लिए ट्रैफिक के क्षेत्रीयकरण के एक मॉडल की तरफ ढलने में सहायता मिलेगी.
हाल के वर्षों में जो आर्थिक उथल-पुथल हुई है (जैसे कि युद्ध या महामारी की वजह से), उसने टिकाऊ एवं हरित बंदरगाह और लॉजिस्टिक्स मॉडल पर ध्यान केंद्रित करने की ज़रूरत को लेकर जागरूकता बढ़ाने का काम किया है. वास्तविकता में ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर ऊर्जा संकट (उदाहरण के लिए, युद्ध की वजह से पैदा हुए ऊर्जा संकट) के प्रति अधिक लचीला है, क्योंकि यह ऊर्जा दक्षता और नवीकरणीय ऊर्जा पर केंद्रित है. हरित इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रदूषण को भी कम कर सकता है, नतीज़तन इसका लोगों के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, ख़ासकर महामारी जैसी परिस्थितियों के दौरान.
देखा जाए तो वर्ष 2019 तक बंदरगाहों और उससे संबंधित लॉजिस्टिक्स में जो भी निवेश होता था, उसका ज़्यादातर हिस्सा बंदरगाहों के मौज़ूदा इंफ्रास्ट्रक्चर को मज़बूत करने के लिए ख़र्च किया जाता था. यानी कि नए डॉक्स का निर्माण करने, सामान को यहां-वहां पहुंचाने-उठाने के लिए विभिन्न मशीनों को ख़रीदने (क्रेन्स और सामान को उठाने एवं संभालने वाले उपकरण को ख़रीदने) और वेयरहाउसों को बनाने, गाड़ियों को पार्क करने के स्थानों के निर्माण पर ख़र्च किया जाता था. लेकिन लॉजिस्टिक्स श्रृंखलाओं में पड़ने वाली बाधाओं ने अधिक प्रभावी और टिकाऊ पोर्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर की ज़रूरत को बढ़ा दिया है, यानी एक ऐसा बुनियादी ढांचा, जो कार्बन उत्सर्जन में कमी और बंदरगाहों एवं अर्बन सेंटर्स के बीच संपर्क में सुधार के साथ पोर्ट की कार्यक्षमता में मेलजोल स्थापित कर सकता हो.
इटली में नेशनल रिकवरी एंड रेजिलिएंस प्लान ने उदाहरण के तौर पर ऐसे पोर्ट्स बनाने की रणनीति निर्धारित की है, जो अधिक ऊर्जा-कुशल हों, रेल इंटरमॉडेलिटी के लिए अच्छी तरह से लैस हों, डॉक्स के विद्युतीकरण के ज़रिए शिप के कार्बन उत्सर्जन पर अधिक केंद्रित हों और नवीकरणीय ऊर्जा के माध्यम से ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने के लिए अधिक सक्षम हों. ये बंदरगाह जहाजों को लिक्विफाइड नेचुरल गैस (LNG), हाइड्रोजन, अमोनिया, लिथियम और मेथनॉल जैसे नए ईंधन भी उपलब्ध कराएंगे, ज़ाहिर है कि इस प्रकार के ईंधन के नए विकल्प तेज़ी से हर जगह उपलब्ध हो रहे हैं.
ज़ाहिर है कि बंदरगाहों पर नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करने वाला बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराने से, वे जीवाश्म ईंधन पर कम निर्भर होंगे और उनका संचालन अधिक पर्यावरण-अनुकूल होगा. बढ़ती इंटरमॉडेलिटी की वजह से यानी सिर्फ़ रोड के माध्यम से परिवहन के बजाय समुद्र से रेल मार्ग तक सामान को भेजना भी योजनाबद्ध हो जाएगा. जहाजों की तरह ही रेल परिवहन भी कम प्रदूषण फैलाने वाला होता है और पटरियों पर बगैर अधिक ट्रैफिक के चलता है, जहां दुर्घटनाओं की संभावना भी बहुत कम होती है. हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि सड़कों को नज़रंदाज़ कर दिया जाए, उल्लेखनीय है अंतिम छोर तक सामान को पहुंचाने के लिए सड़क परिवहन ज़रूरी होता है.
ये परिकल्पनाएं (नवीकरणीय ऊर्जा का इस्तेमाल, इंटरमॉडेलिटी और स्थिरता) ग्रीन पोर्ट्स मॉडल का विवरण प्रदान करती हैं, जिसका ख़ासकर उत्तरी यूरोप के बंदरगाहों पर पहले से ही अनुसरण किया जा रहा है. ज़ाहिर है कि यह बंदरगाह का एक ऐसा मॉडल है, जिसके लिए कोई इकलौती या स्पष्ट परिभाषा नहीं है. यह मूलतः छह क्रमिक विकास की धुरियों पर आधारित है, जिनमें शामिल हैं:
इस मॉडल को लक्ष्य बनाना और इसमें प्रभावी एवं ठोस नियंत्रण स्थापित करना पूरी दुनिया को माल या वस्तुओं को अधिक प्रभावी बनाने एवं परिवहन व लॉजिस्टिक्स सिस्टम के लिए अधिक स्थिरता प्रदान कर सकता है. (वास्तविकता में यह विश्व के लगभग एक चौथाई CO2 उत्सर्जन के लिए उत्तरदायी है.)
इस बात को दोबारा कहने की ज़रूरत है कि बंदरगाह अब एक नई ज़िम्मेदारी की ओर बढ़ रहे हैं, जिससे उनकी रणनीतिक और भू-राजनीतिक अहमियत बढ़ेगी. इतना ही नहीं इससे बंदरगाह सच्चे अर्थों में ऊर्जा के केंद्र बन सकते हैं, जो न केवल बुनियादी ढांचे में, बल्कि ऊर्जा में भी निवेश को बढ़ावा देने का काम कर सकते हैं. इसके साथ ही नए पारिस्थितिक ईंधन के लिए पाइपलाइनों और भंडारण डिपो को आकर्षित कर सकते हैं और अपने लिए एवं जहाजों के लिए नवीकरणीय ऊर्जा के उत्पादक बन सकते हैं. अगर सिर्फ़ पारिस्थितिक ईंधन के बारे में बात करें, तो यार्ड में जहाजी बेड़े के 46 प्रतिशत से अधिक शिप वैकल्पिक ईंधन (ज्यादातर LNG और मेथनॉल) द्वारा संचालित होते हैं.[8]
नॉर्वे एक ऐसा देश है, जो स्पष्ट तौर पर हरित समुद्री नीतियों को अपनाने के लिए सामने आया है, ख़ास तौर पर पर्यावरण-अनुकूल जहाजी बेड़ों की शुरुआत के मामले में और वैकल्पिक ईंधन का उपयोग करने वाले जहाजों के विकास के साथ ही पैसेंजर शिपिंग सेक्टर में इस्तेमाल की गयी प्रौद्योगिकियों और निवेश के मामले में.
बंदरगाह, परिवहन सेवाओं के साथ-साथ ऊर्जा सेवाओं में विविधता लाकर वैश्विक आर्थिक प्रणाली द्वारा अपेक्षित लॉजिस्टिक्स श्रृंखलाओं के लिए एक सहायता प्रदान करने वाले की भूमिका निभाने में सक्षम होंगे. इस प्रकार से बंदरगाह यातायात के वैश्वीकरण और क्षेत्रीयकरण के बीच सही सामंजस्य स्थापित करने में योगदान देंगे.
उल्लेखनीय है कि G20 के सदस्य देशों की वैश्विक जीडीपी (लगभग 85 प्रतिशत), अंतर्राष्ट्रीय व्यापार (तीन-चौथाई) और वैश्विक आबादी (लगभग दो-तिहाई) में प्रमुख हिस्सेदारी हैं. इसके हिसाब से G20 राष्ट्रीय और बहुपक्षीय स्तरों पर अपनाए जाने वाले और लागू किए जाने वाले संवाद, विचारों के आदान-प्रदान और प्रारंभिक समझौतों के लिए एक प्रभावी एवं अनौपचारिक प्लेटफार्म प्रदान करता है. G20 इन्फ्रास्ट्रक्चर कार्य समूह अध्यक्षता करने वाले हर देश के फाइनेंस ट्रैक का हिस्सा है, जिसमें प्रत्येक सदस्य देश की फाइनेंस मिनिस्ट्री और सेंट्रल बैंक शामिल हैं.
G20 को अव्यवस्था या व्यवधानों के प्रति लचीलेपन का समर्थन करने और तीव्र गति से बढ़ती क्षेत्रीय वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं के बीच पर्यावरणीय स्थिरता एवं कुशल पारस्परिक संबंध सुनिश्चित करने में अंतर्राष्ट्रीय समुद्री परिवहन इन्फ्रास्ट्रक्चर की भूमिका को प्रोत्साहन देना चाहिए.
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की सहायता करने में महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की भूमिका बेहद अहम है. वर्ष 2020 का बेरूत बंदरगाह विस्फोट, वर्ष 2021 की स्वेज़ नहर में जाम की स्थिति, ज़ीरो कोविड नीति की वजह से कुछ एशियाई देशों के बंदरगाहों पर जहाजों की भीड़ और वर्तमान में रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण काला सागर नाकाबंदी जैसी हाल के वर्षों में समुद्री परिवहन को प्रभावित करने वाली घटनाओं ने इसे स्पष्ट तौर पर साबित कर दिया है. मूल्य श्रृंखला पुनर्गठन की पूरी प्रक्रिया में बंदरगाहों और लॉजिस्टिक्स प्लेटफार्मों में निवेश की भूमिका भी बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह अधिक रीजनल ट्रेड रूट्स के लिए मैरीटाइम इन्फ्रास्ट्रक्चर के अनुकूलन का समर्थन कर सकता है. सच्चाई यह है कि हाल के संकटों ने न केवल इस तथ्य को प्रकट किया है कि 90 प्रतिशत वैश्विक ट्रैफिक में समुद्री व्यापार शामिल है, बल्कि यह भी साबित किया है कि समुचित समुद्री इन्फ्रास्ट्रक्चर और कार्य संबंधी लॉजिस्टिक कड़ियां समयबद्ध एवं प्रभावी आपूर्ति के लिए बेहद ज़रूरी हैं.
लेखकों द्वारा G20 को निम्नलिखित नीतिगत क्षेत्रों में ठोस एवं उचित कार्रवाई की सिफ़ारिश की गई है:
हरित बंदरगाहों के मॉडल को दो तरीक़े से विकसित किया जा सकता है.
इसे हासिल करने के लिए तीन प्रमुख पहलों का प्रस्ताव किया गया है.
इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए दो प्रमुख पहलों का प्रस्ताव है.
इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए दो प्राथमिक पहलों का प्रस्ताव है.
एट्रीब्यूशन: फुल्वियो बेर्सनेटी et al., “खंडित भू–राजनीतिक के बीच लचीली वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाएं (GVCs): समुद्री अर्थव्यवस्था में बुनियादी ढांचे के निवेश की भूमिका”, T20 पॉलिसी ब्रीफ़, मई 2023.
Botti, Fabrizio ed. Euro–Mediterranean Economic Cooperation in the Age of Deglobalisation. Rome: IAI, November 2022.
Botti, Fabrizio, Cristina Castelli, and Giulio Giangaspero. “EU Open Strategic Autonomy in a Post-Covid World: An Italian Perspective on the Sustainability of Global Value Chains.” IAI Papers 21/37 (July 2021).
Clarke, Aaron. “Suez Snarl Seen Halting $9.6 Billion a Day of Ship Traffic.” Bloomberg, March 25, 2021.
Di Stefano, Enrica, Giorgia Giovannetti, Michele Mancini, Enrico Marvasi, and Giulio Vannelli. “Reshoring and Plant Closures in Covid-19 Times: Evidence from Italian MNEs.” International Economics 172 (December 2022): 255-277.
Work Stream on Open Strategic Autonomy. “The EU’s Open Strategic Autonomy from a Central Banking Perspective Challenges to the Monetary Policy Landscape from a Changing Geopolitical Environment.” ECB Occasional Paper, no. 2023/311 (March 2023).
UNCTAD. Review of Maritime Transport 2022. New York: United Nations Publications, November 2022.
UNCTAD. World Investment Report 2022 (Annex Table 14: Value of Announced Greenfield FDI Projects, by Destination, 2003-2021). New York: United Nations Publications, June 2022.
Endnotes:-
[1] OECD countries’ share of manufacturing with regard to GDP is around 13% (2021), a historically low level.
[2] These are ships carrying rubber-tyred vehicles.
[3] Because containers carry finished products.
[4] Logistics Performance Index (LPI), The World Bank.
[5] SRM elaborations on Clarksons Shipping Intelligence Network (2022).
[6] Eurostat, “Short Sea Shipping – Country Level – Gross Weight of Goods Transported to/from Main Ports, by Sea Region of Partner Ports”.
Drewry World Container Index database (2023).
[8] Clarksons Shipping Intelligence Network (2022).