कैरिबियाई देश किस तरह से “लचीलेपन का तरीक़ा” अपना रहे हैं!

जलवायु परिवर्तन के पीड़ितों जैसे कि कैरिबियाई देशों के द्वारा जिन मुद्दों का सामना किया जा रहा है, उनके समाधान के ज़रिए G20 के पास सामूहिक कार्रवाई का एक अवसर है.
Marian Vidaurri

अचानक एक समुदाय को ज़मीन पर गिराया जा सकता है और सतत विकास के लिए एक देश की संभावनाएं बर्बाद हो सकती हैं. 2019 में डोरियन तूफ़ान ने बहामास में अबाको और ग्रैंड बहामा द्वीपों को तबाह कर दिया. कई लोगों की जान चली गई, सैकड़ों लोग अभी भी लापता हैं और बहामास के हज़ारों नागरिकों ने अपना घर गंवाया एवं आवश्यक सेवाओं तक उनकी पहुंच ख़त्म हो गई. तूफ़ान की वजह से 3.4 अरब अमेरिकी डॉलर के भौतिक नुक़सान का अनुमान है जो कि देश की GDP का एक-चौथाई है. प्रधानमंत्री फिलिप डेविस ने पिछले दिनों पीड़ितों से बातचीत के दौरान कहा: “मैंने आपकी कहानी दुनिया भर के नेताओं से साझा की है. मेरे लिए ये महत्वपूर्ण है कि वो जलवायु परिवर्तन की असली क़ीमत को जानें. जीवाश्म ईंधन से कार्बन उत्सर्जन ने कई बड़े देशों को काफ़ी अमीर बना दिया लेकिन इसकी वजह से तूफ़ान जल्दी-जल्दी और काफ़ी तीव्रता से भी आने लगे. उन सभी देशों को हमारे जैसे देशों के प्रति अपने संकल्प को पूरा करना चाहिए जिन्होंने इस संकट को खड़ा करने में लगभग कोई योगदान नहीं दिया है ताकि हम सामंजस्य स्थापित कर सकें और ज़्यादा अनुकूल बन सकें.”

 

परिवर्तन ने कई शिकार बनाए हैं और ये वैश्विक अर्थव्यवस्था एवं सतत विकास लक्ष्यों (SDG) को हासिल करने की दिशा में एक ख़तरा है. इस तरह जलवायु परिवर्तन प्रभावी आपदा लचीलेपन के निर्माण के महत्व पर ज़ोर देता है. 

 

जलवायु परिवर्तन ने कई शिकार बनाए हैं और ये वैश्विक अर्थव्यवस्था एवं सतत विकास लक्ष्यों (SDG) को हासिल करने की दिशा में एक ख़तरा है. इस तरह जलवायु परिवर्तन प्रभावी आपदा लचीलेपन के निर्माण के महत्व पर ज़ोर देता है. कॉप26 एजेंडे को अमल में लाने के अलावा G20 के सामने आपदा लचीलेपन के नक्शे को लागू करने की सामूहिक ज़िम्मेदारी है. हालांकि एक वैश्विक मंच पर आपदा अनुकूलन को लेकर किसी भी संवाद के लिए कैरिबियाई देशों की आवाज़, अनुभव और जानकारी की आवश्यकता है. वैसे तो कोविड-19 और लोगों के कल्याण से जुड़े सभी पहलुओं पर कोविड्-19 के झटके के बाद लचीलापन अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में एक प्रचलित शब्द बन गया है लेकिन कैरिबियाई समुदाय (CARICOM) और अन्य कैरिबियाई देशों के लिए ये कोई नई धारणा या नीतिगत उदाहरण नहीं है. इस क्षेत्र में लचीलापन नागरिकों के रोज़ाना की ज़िंदगी और सरकार एवं क्षेत्रीय संस्थानों के काम-काज के केंद्र में है. 

प्राकृतिक आपदाओं का केंद्र

 

कई दशकों से इन देशों ने अलग-अलग दृष्टिकोणों से लचीलेपन का समाधान किया है: ऊर्जा लचीलापन, आर्थिक लचीलापन, नागरिकों का लचीलापन और जलवायु एवं आपदा लचीलापन. बाढ़, तूफ़ान, भूकंप, भूस्खलन और सूखे की घटनाओं के मामले में कैरिबियाई और लैटिन अमेरिका दुनिया में दूसरा सबसे ख़तरनाक क्षेत्र हैं. तब भी इस क्षेत्र ने कुल वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में 10 प्रतिशत से भी कम का उत्पादन किया. USAID के द्वारा 11 पूर्वी एवं दक्षिणी कैरिबियाई देशों के अध्ययन से संकेत मिलता है कि ये देश औसतन विश्व में कुल कार्बन उत्सर्जन में केवल 2.42 प्रतिशत का योगदान करते हैं. पश्चिमी गोलार्द्ध के भीतर कैरिबियाई देश और मध्य अमेरिका “जलवायु परिवर्तन से सबसे ज़्यादा पीड़ित हैं.” कैरिबियाई देश जलवायु परिवर्तन में सबसे ज़्यादा योगदान नहीं देते हैं लेकिन इसके बावजूद उन्हें सबसे ज़्यादा क़ीमत चुकानी पड़ती है. 

जैसे-जैसे ख़तरा बढ़ेगा, वैसे-वैसे जलवायु परिवर्तन की क़ीमत बढ़ती रहेगी. 1980 से 1995 के बीच उत्तरी अटलांटिक महासागर में जहां 42 बड़े तूफ़ान आए थे वहीं 2000 से 2021 के बीच 78 बड़े तूफ़ानों ने दस्तक दी. ज़्यादातर कैरिबियाई अर्थव्यवस्थाओं की संरचनात्मक विशेषताएं भी प्रभावी तैयारी, जवाब और बहाली की प्रक्रिया का निर्माण करने के लिए वित्तीय संसाधानों को सुनिश्चित करने के हिसाब से प्रतिकूल परिस्थिति में हैं. आर्थिक विकास आमदनी के बाहरी स्रोतों जैसे कि पर्यटन पर काफ़ी निर्भर है. जब कोई आपदा आती है तो अर्थव्यवस्था को काफ़ी नुक़सान होता है क्योंकि पर्यटकों का आना रुक जाता है. पहले से ही वित्तीय दबाव झेल रही सरकारों को तुरंत आर्थिक बहाली और पुनर्निर्माण की कोशिशों के लिए ज़्यादा लागत पर कर्ज़ लेना पड़ता है. दो-तिहाई कैरिबियाई देशों में GDP के अनुपात में कर्ज 60 प्रतिशत से ऊपर है यानी विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के औसत से ज़्यादा. इसके अतिरिक्त, मददगार अंतर्राष्ट्रीय वित्त की शर्तें प्रति व्यक्ति GDP आमदनी वर्गीकरण के फॉर्मूले के द्वारा तय होता है जो वास्तविकता एवं आवश्यकता के अनुसार नहीं है. मिसाल के तौर पर, बारबाडोस को एक उच्च आमदनी वाली अर्थव्यवस्था की श्रेणी में रखा जाता है और इसका कुल सार्वजनिक कर्ज GDP के अनुपात में 131.9 प्रतिशत है. 

 

आपदा लचीलापन निजी क्षेत्रों विशेष रूप से बिग टेक कंपनियों जैसे कि अमेज़न, एप्पल, मेटा और माइक्रोसॉफ्ट की भागीदारी के बिना एक कल्पना है.

 

इसके अलावा, आपदा के जवाब की कोशिशों में महत्वपूर्ण प्रगति को संभव बनाने वाली मौजूदा स्थानीय एवं क्षेत्रीय क्षमताओं का सशक्तिकरण आवश्यक है. आपदा प्रबंधन के लिए CARICOM की अंतर-सरकारी एजेंसी यानी कैरिबियाई आपदा आपातकालीन प्रबंधन एजेंसी (CDEMA) को व्यापक आपदा प्रबंधन को बढ़ावा देने का काम सौंपा गया है जिसमें तैयारी, जवाब, बहाली और पुनर्वास शामिल हैं. पिछले दिनों एजेंसी ने बहाली की क्षमता को सुधारने और अलग-अलग देशों एवं क्षेत्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय किरदारों के बीच ज़्यादा तालमेल को बढ़ावा देने के लिए कैरिबियाई लचीलापन आर्थिक सुविधा की शुरुआत की है. एजेंसी अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ सहयोग के द्वारा आपदा से पहले चेतावनी की प्रणाली को मज़बूत करने पर भी ध्यान देती है. CEDMA समन्वय की कार्यकुशलता को बढ़ाने और डेटा संग्रह एवं विश्लेषण को बेहतर बनाने के लिए डिजिटल कायापलट के उपकरणों को अपना रही है. हालांकि अभी भी कई काम होने बाक़ी हैं और G20 देशों, बहुपक्षीय विकास बैंकों एवं निजी क्षेत्र के साझेदारों से और ज़्यादा संसाधन हासिल किए जा सकते हैं. ये विशेष रूप से इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि ख़तरे बार-बार आ रहे हैं और उनकी तीव्रता बढ़ रही है. 

आपदा लचीलापन निजी क्षेत्रों विशेष रूप से बिग टेक कंपनियों जैसे कि अमेज़न, एप्पल, मेटा और माइक्रोसॉफ्ट की भागीदारी के बिना एक कल्पना है. सरकारी और बड़ी तकनीकी कंपनियों को कैरिबियाई क्षेत्र में आपदा लचीलापन के उद्देश्य से तकनीक, इनोवेशन और प्रशिक्षण में निवेश करने के लिए सहयोग एवं तालमेल को मज़बूत करना चाहिए. उदाहरण के तौर पर अमेज़न वेब सर्विसेज़ के पास आपदा का जवाब देने के लिए एक विशेष टीम है जो कनेक्टिविटी को फिर से बहाल करके, आपदा की जगह का पता लगाकर और निर्णय लेने में डेटा को सुधारने वाले सॉफ्टवेयर का डिज़ाइन करके मदद देती है. इस टीम के भीतर प्रोजेक्ट रेज़िलिएंस सार्वजनिक, ग़ैर-लाभकारी और बहुपक्षीय संगठनों को संकट के जवाब और बहाली में क्लाउड सर्विसेज़ का इस्तेमाल करने के लिए ‘रेज़िलिएंस क्रेडिट’ की पेशकश करके कारोबार की निरंतरता पर ध्यान केंद्रित करता है. जब आपदा आती है तो क्लाउड सर्विसेज़ और अर्थ ऑब्ज़र्वेशन डेटा संस्थानों के लिए काम करने, प्रभावित नागरिकों के साथ संपर्क बनाए रखने और वास्तविक समय में डेटा तक पहुंचने एवं उनका विश्लेषण करने के लिए आवश्यक हैं. 

 

अन्य देशों के लिये ब्लू प्रिंट

 

G20 का साझा लक्ष्य सबसे ज़्यादा कार्बन उत्सर्जन में योगदान करने वालों और सबसे ज़्यादा क़ीमत चुकाने वालों (जैसे कि कैरिबियाई देश जो जलवायु परिवर्तन की अग्रिम पंक्ति में हैं) के बीच निष्पक्षता की दिशा में काम करना होना चाहिए. मशहूर कैरिबियाई राजनयिक सर रोनाल्ड सैंडर्स ने कहा था कि छोटे देश “जिन तूफ़ानी समुद्रों में उछाले जाते हैं” उसमें आगे बढ़ने और डूबने से बचने के लिए उन्हें अमीर देशों के सहयोग और मदद की आवश्यकता है. निष्पक्षता या तो इच्छा या क़ानूनी झगड़े से हासिल हो सकती है. अभी तक एंटीगा एवं बारबूडा और तुवालू ने एक प्रक्रिया की शुरुआत की है जो पेरिस समझौते के परिशिष्ट की उपधारा 51 की परीक्षा लेती है. ये प्रक्रिया अंतर्राष्ट्रीय क़ानून के तहत नुक़सान और क्षति के लिए दायित्व की संभावना का दरवाज़ा खोल सकती है

कैरिबियाई अनुभव बाक़ी दुनिया के लिए आपदा लचीलापन के उद्देश्य से एकीकृत एवं समन्वित निवेश, नीति और कार्रवाई का एक ब्लूप्रिंट प्रदान करता है. G20 कैरिबायाई देशों के “लचीलेपन के तरीक़े” से सीख सकता है. वैश्विक आर्थिक सहयोग के प्रमुख मंच के रूप में G20 जलवायु परिवर्तन के सबसे बड़े पीड़ितों का समर्थन करने और उनकी आवाज़ बनने के लिए बेहतरीन स्थिति में है. इसके लिए G20 औपचारिक G20-SIDS (छोटे द्वीपीय विकासशील देश) लचीलापन संवाद शुरू कर सकता है; मौजूदा क्षेत्रीय व्यवस्था एवं छोटे, कमज़ोर देशों के लिए पैसे जुटा सकता है; अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के लचीलेपन एवं निरंतरता न्यास के लिए अपनी प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि कर सकता है; लाभदायक वित्त पोषण को हासिल करने के लिए वैकल्पिक वर्गीकरण के फॉर्मूले की वक़ालत कर सकता है; और सार्वजनिक-निजी साझेदारी को प्रोत्साहन दे सकता है. इससे भी बढ़कर G20 के पास एक अवसर है कि वो जलवायु परिवर्तन के पीड़ितों के कल्याण की तरफ़ ध्यान देकर और लोगों की जिंदगी बचाकर एक लगातार विभाजित हो रही अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली में सामूहिक कार्रवाई का एक उदाहरण स्थापित करे. 

 


[i] CARICOM is comprised of 15 Member States and five Associate Members. Member States are Antigua and Barbuda, Bahamas, Barbados, Belize, Dominica, Grenada, Guyana, Haiti, Jamaica, Montserrat (UK), Saint Lucia, St. Kitts and Nevis, St. Vincent and the Grenadines, Suriname, and Trinidad and Tobago. Associate Members are Anguilla (UK), Bermuda, British Virgin Islands (UK), Cayman Islands (UK), and Turks and Caicos Islands. Non-CARICOM members are: The Netherlands (Aruba, Bonaire, Curacao, Saba, Sint Eustatius, Sint Maarten), Cuba, Dominican Republic, France (Guadeloupe, Martinique, St. Barthélemy, Saint Martin), United States (Puerto Rico, United States Virgin Islands).

[ii] There are 19 CDEMA participating States: Anguilla, Antigua and Barbuda, Cayman Islands, Commonwealth of the Bahamas, Barbados, Belize, Commonwealth of Dominica, Grenada, Republic of Guyana, Haiti, Jamaica, Montserrat, St. Kitts and Nevis, Saint Lucia, St. Vincent and the Grenadines, Suriname, Republic of Trinidad and Tobago, Turks and Caicos Islands, and the Virgin Islands.


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