शहरी प्रतिरोध, व सामाजिक कल्याण के निर्माण की रूपरेखा; और विकासशील देशों के आगामी शहरों में निवेश को आकर्षित करने की कोशिश

डिजिटलीकरण और डिजिटल साक्षरता भविष्य के शहरों की रीढ़ हैं
Chen Xi

 

चुनौतियां: एक सीधा, व्यावहारिक और व्यवस्थित दृष्टिकोण की आवश्यकता

 

शहरी प्रतिरोध (resilience) आम तौर पर बारिश-बाढ़, महामारी, प्रोडक्शन, एक्सीडेंट, आतंकवाद, बिजली ठप होने या अक्सर यातायात जाम सहित आपदाओं या अचानक होने वाली घटनाओं से उबरने की शहरी क्षमता को बताता है. अर्बन या शहरी resilience में सुधार की प्रक्रिया नागरिकों की सामाजिक भलाई के समांतर चलती हैं. उदाहरण के लिए, स्पंज सिटी की सुविधा के लिए शहरी पार्क; आपात स्थिति और कमांडिंग सिस्टम के लिए सिटी ब्रेन और सर्वव्यापी सेंसिंग सिस्टम और सैटेलाइट सिटीज़ को महानगरों से जोड़ने वाली सुविधाजनक मूवमेंट सिस्टम.

शहरी प्रतिरोध (resilience) आम तौर पर बारिश-बाढ़, महामारी, प्रोडक्शन, एक्सीडेंट, आतंकवाद, बिजली ठप होने या अक्सर यातायात जाम सहित आपदाओं या अचानक होने वाली घटनाओं से उबरने की शहरी क्षमता को बताता है. 

फिलहाल समस्याएं इसे लेकर नहीं हैं कि हमें शह री प्रतिरोध की आवश्यकता है या नहीं, बल्कि इसे सीधे, व्यावहारिक और व्यवस्थित तरीक़े से कैसे सुगम बनाया जाए, और विशुद्ध रूप से सैद्धांतिक या अकादमिक चर्चाओं और बड़ी संख्या में डुप्लीकेट या अलग-थलग परियोजना जो शहरी प्रतिरोध (urban resilience) के नाम पर चलाई जाती हैं, उनसे बचा जा सके. उदाहरण के लिए, यहां तक कि ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर कनेक्टिविटी एलायंस (जीआईसीए) द्वारा विश्व बैंक के नेतृत्व वाली ट्रांसपोर्टेशन कॉरिडोर योजना में व्यावहारिक एक्शन मैप की कमी है.

दृष्टिकोण: कई बुनियादी ढांचे का एकीकरण

 

पारंपरिक बुनियादी ढांचा मुख्य रूप से शहरी व्यवसायों की ओर इशारा करता है, जैसे रेल ट्रांज़िट (रेल पारगमन), ऊर्जा, सार्वजनिक स्वास्थ्य और आपातकालीन प्रबंधन. इस तरह के काम हमारे दैनिक जीवन और शहरी संचालन की गारंटी देते हैं. डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में वायरलेस और वायर्ड कम्युनिकेशन नेटवर्क या सर्वव्यापी सेंसिंग नेटवर्क के साथ-साथ लोगों और चीजों को जोड़ने के लिए कई तरह के एप्लिकेशन शामिल रहते हैं. ये तकनीक़ उच्च गुणवत्ता वाले जीवन और कुशल शहरी प्रबंधन प्रदान करती हैं. संस्थागत बुनियादी ढांचा मुख्य रूप से डिजिटल जायंट्स और एमएसएमई, बौद्धिक संपदाओं और उनकी सुरक्षा और मध्यस्थता, पर्याप्त डेटा प्रवाह की निगरानी से जुड़ी गवर्निंग सिस्टम की ओर इशारा करता है. संस्थागत बुनियादी ढांचा पारंपरिक और डिजिटल बुनियादी ढांचे के कपलिंग को सक्रिय बनाता है. इसके बाद तटवर्ती या तट से दूर वित्तीय बुनियादी ढांचा बाज़ार की मांगों को पूरा करने या संबंधित बुनियादी ढांचे को फंड देने के लिए पूंजी प्रवाह की गारंटी देता है.

कुछ मामलों में, क्रॉस बॉर्डर समाधान एक शहर से परे तलाशे जाते हैं. अलग-थलग द्वीपों या दूर के अंदरूनी इलाक़ों को एकीकृत करके एक बड़ा बाज़ार वैश्विक आपूर्तिकर्ताओं के लिए आकर्षक है और पूंजी बाज़ार को यह प्रेरित करता है. अन्य मामलों में, “नोड-शहर पहले और उसके बाद कॉरिडोर” सिद्धांत को अपनाने के साथ मैक्रो-लेवल कॉरिडोर के विकास पर अधिक ज़ोर दिया गया है.

शहर-स्तर या क्षेत्र-स्तर पर बिखरे और ओवरलैपिंग फंक्शन के सेंसर या सिस्टम से बचने के लिए जो भी रणनीति अपनाई गई है, उसमें योजना से जुड़े सिद्धांतों की एक श्रृंखला को मानना होगा जिसमें “केंद्रीकृत निर्माण और बुनियादी ढांचे का साझाकरण”, “अर्बन बिजनेस का समन्वय”, आईसीटी (सूचना और संचार प्रौद्योगिकी) और संचालन तंत्र”, के साथ-साथ “योजना, निवेश, निर्माण और संचालन के सभी लाइफ़ साइकिल सुपरविज़न इसमें शामिल रहते हैं.”

 

विशाल रेल ट्रांज़िट और फाइबर ऑप्टिकल संचार नेटवर्क के साथ-साथ संबंधित संचालन तंत्र डी-ग्लोबलाइजेशन प्रक्रिया के जोख़िमों को कम करने के लिए एक बड़ा बाज़ार तैयार करेगा.

 

उच्च-गुणवत्ता वाले शीर्ष-स्तरीय स्मार्ट सिटी डिज़ाइन द्वारा किसी भी अप्रोच को लागू किया जा सकता है. इस लेख में उल्लिखित और प्रस्तावित विचारों और तरीक़ों को एशिया स्मार्ट सिटी क्वार्टरली रिव्यू-वेस्ट एशिया में केस स्टडीज़ द्वारा प्रमाणित किया जा सकता है.

केस स्टडी 

 

आने वाले समय में एशिया द्वारा वैश्विक अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया जाएगा और यहां हम इसे ध्यान में रखते हुए दो परिदृश्यों पर चर्चा करते हैं.

पश्चिम एशिया के शहरों के लिए पहले कॉरिडोर ही रणनीति है: उदाहरण के लिए, रियाद-मनामा/दोहा/अबूधाबी-मस्कट-दुक्म के रास्ते, या बेरूत/त्रिपोली/हाइफा-दमिश्क-अम्मान-अकाबा-जेद्दाह-जज़ान के रास्ते. अरब प्रायद्वीप में अलग-थलग पड़े शहरों को जोड़ने के लिए रेल ट्रांज़िट महत्वपूर्ण है. ग्लोबल कैपिटल उन हिस्सों में ज़्यादा निवेश किए जाएंगे जो व्यवस्थित है न कि जहां प्रोजेक्ट बिखरे हुए हैं, क्योंकि अपेक्षाकृत कम संसाधन में लंबी अवधि के लिए उनके हितों की गारंटी ऐसे ही इलाक़ों में सुनिश्चित होगी. 

व्यावहारिक रोडमैप के अनुसार, हिंदू कुश पर्वत से अरब सागर तक मल्टी इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण किया जाएगा. विशाल रेल ट्रांज़िट और फाइबर ऑप्टिकल संचार नेटवर्क के साथ-साथ संबंधित संचालन तंत्र डी-ग्लोबलाइजेशन प्रक्रिया के जोख़िमों को कम करने के लिए एक बड़ा बाज़ार तैयार करेगा. नोड-सिटी में परियोजनाएं पहले शुरू हो सकती हैं और फिर एक बड़े क्षेत्र में इसे लागू किया जा सकता है. मूल रूप से किसी भी तरह की तकनीक़ी योजना या निर्माण हमारे सामने असल चुनौतियां नहीं हैं.

अगर सुरक्षा चिंताओं के कारण खाड़ी अर्थव्यवस्थाओं, ईरान या मध्य एशिया को एकीकृत नहीं किया जा सकता है; तो परिणामस्वरूप, यह पूरे एशिया को प्रभावित करेगा. एक ओर  हमें इस क्षेत्र की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की उभरती आकंक्षाओं की ज़रूरत है – जो हमारी कुंजी है. तो दूसरी ओर  सौभाग्य से, एशिया में दूरदर्शी और व्यावहारिक सदस्य और नेता मौज़ूद हैं.

दक्षिण एशिया के शहरों के लिए, जहां मुख्य चिंताएं बड़े शहरों में तेज़ी से बढ़ रहे डेमोग्राफिक डेन्सिटी (जनसांख्यिकीय घनत्व) और रोज़गार की हैं, वहां “गलियारे के बाद सबसे पहले नोड-शहरों” की रणनीति का सुझाव दिया गया है. उदाहरण के लिए चटोग्राम के क्षेत्रीय कपड़ा केंद्रों (जनसंख्या: 2021 में 6.6 मिलियन से अधिक) और कोलकाता (जनसंख्या: 18 मिलियन से अधिक होने की उम्मीद, चालू 2021 की जनगणना में अनुमानित) में आसमान छूती आबादी, शहरी बीमारियों और रोज़गार की चिंता को बढ़ाने वाली है.

सबसे पहले पारंपरिक उद्योगों को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है. चटोग्राम और कोलकाता में कपड़ा उत्पादों के मार्केटिंग और मैन्युफैक्चरिंग प्रक्रियाओं के लिए ई-कॉमर्स और डिजिटल लॉजिस्टिक्स लागू किया जाना चाहिए. लॉजिस्टिक सेंटर्स को सब-अर्बन इलाक़ों में बनाया और तैयार किया जा सकता है जिससे लोगों को यहां फिर से बसाया जा सके और उन्हें रोज़गार दिया जा सके और इसके साथ ही सब-अर्बन रेलवे या फिर इंटरसिटी रेल नेटवर्क के ज़रिए उन्हें कमर्शियल डाउनटाउन के साथ जोड़ा जा सकता है.

दूसरा, डिजिटल साक्षरता बढ़ाना ज़रूरी है. स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय ख़रीदारों के साथ उनकी सौदेबाज़ी की ताक़त को बढ़ाने के लिए ग्रामीण समूहों में कृषि उत्पादन या बिक्री के आंकड़े एकत्र किए जा सकते हैं. इलेक्ट्रॉनिक मेडिकल रिकॉर्ड सब-अर्बन या ग्रामीण समुदायों में अस्पतालों और ज़मीनी स्तर के स्वास्थ्य संस्थानों के बीच की कड़ी होती है. कृषि या स्वास्थ्य में ऑप्टिक-फाइबर या 4जी संचार सहित बुनियादी सुविधाओं का उपयोग जूनोटिक रोगों और नेचर रिज़र्व रिज़र्वेशन (प्रकृति भंडार निरीक्षण) के बारे में जानकारी साझा करने के लिए किया जा सकता है. ये डिजिटलीकृत स्वास्थ्य, भोजन और पारिस्थितिक तंत्र घनी आबादी को स्थानांतरित करके ना केवल डाउनटाउन क्षेत्रों के बाहर एक सभ्य जीवन का निर्माण करते हैं बल्कि  डिजिटल डिवाइड को भी कम करते हैं.

 

डिजिटलीकृत स्वास्थ्य, फसलों और व्यापारिक पारिस्थितिक तंत्र द्वारा दिए जाने वाले डेटा शुरुआती डेटा-आधारित नीति-निर्माण प्रणाली को जन्म दे सकते हैं और डेटा संसाधनों के पूंजीकरण के लिए आधार तैयार कर सकते हैं.

 

तीसरा, एमएसएमई (सूक्ष्म-लघु-मध्यम उद्यम) को बढ़ावा देने के लिए डिजिटल सेटअप तैयार करना ज़रूरी है. बतौर म्यूजियम सिटी, कोलकाता पर्यटन को प्रोत्साहित करने के लिए रिमोट ह्यूमन-मशीन-इंटरैक्शन सिस्टम को बढ़ावा देने के लिए वेंचर कैपिटल फंड स्थापित कर सकता है. इसके अलावा, इसे संयुक्त रूप से बांग्लादेश-चीन-भारत-म्यांमार (बीसीआईएम) कॉरिडोर के शहरों में डिजिटल मोस्ट-फेवर्ड सिद्धांतों को स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, जिसमें पर्याप्त डिजिटल फ्लो भी शामिल है, जिसमें डीईपीए (डिजिटल इकोनॉमी पार्टनरशिप एग्रीमेंट), सीपीटीपीपी (कांप्रेहेंसिव एंड प्रोग्रेसिव अग्रीमेंट फॉर ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप) या इससे भी उच्च मानक शामिल हैं.

अंत में, यह वित्तीय विभागों के लिए मौक़ा पैदा करता है. डिजिटलीकृत स्वास्थ्य, फसलों और व्यापारिक पारिस्थितिक तंत्र द्वारा दिए जाने वाले डेटा शुरुआती डेटा-आधारित नीति-निर्माण प्रणाली को जन्म दे सकते हैं और डेटा संसाधनों के पूंजीकरण के लिए आधार तैयार कर सकते हैं. नतीज़तन, एक क्रेडिट सिस्टम ऐसा उभरेगा, जिसका इस्तेमाल छोटे कर्ज़ के लिए किया जा सकता है. इसके अलावा, उच्च गुणवत्ता वाली नौकरियों के लिए डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देना एक शर्त है. एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (AIIB), ब्रिक्स के लिए न्यू डेवलपमेंट बैंक या विश्व स्तर पर मध्यम या छोटे बैंकों सहित अंतर्राष्ट्रीय बहुपक्षीय और निजी बैंक इस खुले बाज़ार के कारण इस क्षेत्र की ओर आकर्षित हो सकते हैं.

निष्कर्ष

 

हमने शहरी प्रतिरोध (urban resilience), सामाजिक कल्याण और ग्लोबल कैपिटल का मार्गदर्शन करने के लिए एक इंटीग्रेटेड एक्शन रोडमैप (एकीकृत कार्य रोडमैप) को सामने लाया है. इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए जी 20 के तहत एक गाइडेंस पैनल की आवश्यकता हो सकती है. एशिया में सभी निर्णयकर्ताओं को स्पष्ट तौर पर यह महसूस करना चाहिए कि अभी एक लंबा रास्ता तय करना है. अगर हम एक साथ काम नहीं कर सकते हैं, तो यह कल्पना करना मुश्किल होगा कि वास्तव में एशिया शताब्दी कब आएगी.