सतत और टिकाऊ आर्थिक विकास के लिए श्रमिकों की सलामती का प्रचार-प्रसार

G20 समूह, दुनिया के देश, अलग-अलग इलाक़े और कारोबार जगत, तमाम तरह की भू राजनीतिक और आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच आगे बढ़ रहे हैं. लागत से जुड़ी बाध्यताओं, श्रम की किल्लतों के साथ-साथ पर्यावरणीय, सामाजिक और शासन-प्रशासन (ESG) में निवेश के क्षेत्र में प्रगति की आवश्यकताएं उनके सामने खड़ी हैं. इन तमाम चुनौतियों के बीच अपनी राह बनाते हुए ये सतत और टिकाऊ विकास की अपनी यात्रा जारी रखे हुए हैं. इन दबावों के चलते टेक्नोलॉजी-समर्थित और मानवीय अगुवाई वाले परिवर्तनकारी कार्यक्रमों में निवेश की ज़रूरतें बढ़ जाती हैं. कारोबार जगत की दीर्घकालिक व्यावहारिकता के लिए ये दोनों ही क़वायद ज़रूरी है. प्रचलित तौर-तरीक़ों का कायाकल्प करने वाले इन कार्यक्रमों के साथ-साथ मौजूदा दौर के कारोबारी लक्ष्यों को पूरा करने का दबाव भी है. इन दबावों से जाने-अनजाने श्रमिक समुदाय का तनाव और बढ़ रहा है. पहले से ही थका-हारा और अलग-थलग पड़ा श्रम बल और दबाव में आ गया है. कई मामलों में हाशिए पर पड़े समूहों पर इसका बेहिसाब असर भी महसूस किया जा रहा है. इससे एक ऐसा दुष्चक्र पैदा हो जाता है जो टिकाऊ विकास को ख़तरे में डाल रहा है. दुष्चक्र से भरे इस रुझान को रोकने की क़वायद में इस पॉलिसी ब्रीफ़ में आर्थिक विकास और श्रमिक समुदाय की बेहतरी के बीच अंतर-संपर्कों को रेखांकित किया गया है. देश, कारोबार जगत और समाज के सतत लाभ के लक्ष्य के लिए कारोबारी इकाइयां और नीति-निर्माता, कैसे सामूहिक रूप से निवेश कर सकते हैं, इस बारे में सिफ़ारिशें पेश की गई है.
BHUSAN SETHI | CHARMAINE CHAN | CONNOR BUEHLER | SONIYA DABAK

टास्क फ़ोर्स 3: बेहतरी के लिए LiFE (पर्यावरण के लिए जीवनशैली), मज़बूती, और मूल्य

सारांश

G20 समूह, दुनिया के देश, अलग-अलग इलाक़े और कारोबार जगत, तमाम तरह की भू राजनीतिक और आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच आगे बढ़ रहे हैं. लागत से जुड़ी बाध्यताओं, श्रम की किल्लतों के साथ-साथ पर्यावरणीय, सामाजिक और शासन-प्रशासन (ESG) में निवेश के क्षेत्र में प्रगति की आवश्यकताएं उनके सामने खड़ी हैं. इन तमाम चुनौतियों के बीच अपनी राह बनाते हुए ये सतत और टिकाऊ विकास की अपनी यात्रा जारी रखे हुए हैं. इन दबावों के चलते टेक्नोलॉजी-समर्थित और मानवीय अगुवाई वाले परिवर्तनकारी कार्यक्रमों में निवेश की ज़रूरतें बढ़ जाती हैं. कारोबार जगत की दीर्घकालिक व्यावहारिकता के लिए ये दोनों ही क़वायद ज़रूरी है. प्रचलित तौर-तरीक़ों का कायाकल्प करने वाले इन कार्यक्रमों के साथ-साथ मौजूदा दौर के कारोबारी लक्ष्यों को पूरा करने का दबाव भी है. इन दबावों से जाने-अनजाने श्रमिक समुदाय का तनाव और बढ़ रहा है. पहले से ही थका-हारा और अलग-थलग पड़ा श्रम बल और दबाव में आ गया है. कई मामलों में हाशिए पर पड़े समूहों पर इसका बेहिसाब असर भी महसूस किया जा रहा है. इससे एक ऐसा दुष्चक्र पैदा हो जाता है जो टिकाऊ विकास को ख़तरे में डाल रहा है. दुष्चक्र से भरे इस रुझान को रोकने की क़वायद में इस पॉलिसी ब्रीफ़ में आर्थिक विकास और श्रमिक समुदाय की बेहतरी के बीच अंतर-संपर्कों को रेखांकित किया गया है. देश, कारोबार जगत और समाज के सतत लाभ के लक्ष्य के लिए कारोबारी इकाइयां और नीति-निर्माता, कैसे सामूहिक रूप से निवेश कर सकते हैं, इस बारे में सिफ़ारिशें पेश की गई है.

चुनौतियां

टेक्नोलॉजी यानी प्रौद्योगिकी में निवेश से औद्योगिक मूल्य श्रृंखला को गति मिलती है. ऐसे में नीति-निर्माताओं, कारोबार जगत और संस्थानों के लिए लाज़िमी हो जाता है कि वो इन अवसरों का प्रयोग कर लोगों में निवेश करें. इससे सकारात्मक परिवर्तन आएंगे और रुकावटी बदलावों के नकारात्मक असर का प्रभावी रूप से प्रबंधन कर पाना सुनिश्चित हो सकेगा. कामगार समुदायों के प्रभावी कल्याण (आगे इसका ज़िक्र सामान्य रूप से “बेहतरीन”, “कल्याण” या “सलामती” के रूप में होगा) के ज़रिए सतत आर्थिक प्रगति की क़वायद के रास्ते में तमाम तरह की चुनौतियां हैं. इसमें बेहतरी के सभी आयाम शामिल हैं. चूंकि इसको लेकर एक तयशुदा परिभाषा मौजूद नहीं है, लिहाज़ा सकल घरेलू उत्पाद यानी GDP के पारंपरिक पैमाने से परे निकलने, सलामती पर कारोबारी कायाकल्पों के प्रभावों और बेहतरी की प्रक्रिया में सुधार के सिलसिले में जवाबदेहियों को आगे बढ़ाने की प्रक्रिया भी इसके दायरे में शामिल है. इस ब्रीफ़ का लक्ष्य है: (1) कारोबारी वाहकों, श्रम-कल्याण, कारोबारी नतीजों और सतत आर्थिक प्रगति के बीच संपर्क स्थापित करना; (2) G20 के तमाम देशों में फैले विभिन्न कामगार समूहों और उद्योगों पर ये कैसे लागू होता है, इसकी झलक दिखाना; और (3) बेहतरी को बढ़ावा देने को लेकर G20 के लिए ख़ासतौर से नीतिगत सिफ़ारिशें प्रस्तावित करना.
शिक्षा और अध्ययन से जुड़े विषयों में कल्याण से जुड़े शोध कार्य और अलग-अलग नज़रियों को उपयोग में लाने की क़वायद प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं. इस कड़ी में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन , गैलप, और झेंग आदि की मिसाल दी जा सकती है. बहरहाल सलामती किस प्रकार कारोबारी नतीजों को प्रभावित करती है, इससे जुड़े शोध कार्य बहुत सीमित मात्रा में उपलब्ध हैं. ऐसी जानकारियों के अभाव में G20 देशों में तमाम क्षेत्रों से ताल्लुक़ रखने वाले स्टेकहोल्डर्स के लिए नकारात्मक प्रभावों की रोकथाम करना और सतत रूप से बेहतरी में सुधार लाना चुनौतीपूर्ण हो जाता है.
कई संभावित परिभाषाओं के बीच इस ब्रीफ़ में नीचे दिए गए बिंदुओं पर ज़ोर दिया जाएगा:
1. ‘बेहतरी’ में आपस में जुड़े आयाम शामिल होते हैं, जिनका ब्यौरा नीचे दिया गया है (चित्र 1 देखिए):
a. वित्तीय: वित्तीय सुरक्षा की हद, जहां कोई व्यक्ति विशेष अपनी वित्तीय ज़रूरतों और लक्ष्यों को पूरा कर पाने में सक्षम होता है और उसकी वित्तीय सेवाओं तक पहुंच होती है. इसमें न्यूनतम रूप से- जीवन यापन से जुड़े बुनियादी ख़र्चे वहन कर पाने की क्षमता, कर्ज़ चुकाने की क़ाबिलियत, बचत, जागरूकता भरे वित्तीय फ़ैसले लेना, वित्तीय नियंत्रण और सुरक्षा का भाव होना (मसलन संस्थागत और उपभोक्ता संरक्षण), शामिल हैं.
b. भौतिक: कार्यस्थल पर व्यक्तिविशेष का शारीरिक स्वास्थ्य और सेहतमंदी का स्तर- जिसमें भौतिक रूप से सुरक्षित और निष्पक्ष कार्यक्षेत्र शामिल है (मिसाल के तौर पर पर्यावरण, उपकरण और बचाव, दबंगई का प्रतिरोध), बुनियादी पोषण तक पहुंच और पोषण के मसले पर जीवनशैली से जुड़े विकल्पों पर शिक्षा के प्रोत्साहन के साथ-साथ स्वस्थ जीवनशैली बरक़रार रखने, कामकाजी ज़िंदगी और आम जीवन के बीच संतुलन क़ायम करने के लिए किए गए प्रयास शामिल हैं.
c. मनोवैज्ञानिक: किसी व्यक्ति का मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य और सकारात्मक सहयोगकारी रिश्ते. इनमें प्रेरणा, मज़बूती और परिपूर्णता की भावना के साथ-साथ कामकाज में मनोवैज्ञानिक सुरक्षा शामिल है. इसके अलावा अपनापन, तनाव और चिंता पर प्रभावी रूप से क़ाबू पाने की क्षमता भी इससे जुड़ी हुई है.
चित्र 1 – श्रमिक समुदाय की बेहतरी के घटक

स्रोत: सेठी आदि
मौजूदा दौर में वित्तीय अस्थिरता, प्रतिस्पर्धा का दबाव, संसाधनों की बाध्यताएं लगातार बढ़ती जा रही हैं. इनके अलावा मानवीय ज्ञान और बोध-क्षमता (cognitive) को निरंतर भारी-भरकम बोझ उठाना पड़ रहा है. तेज़ी से बदलती दुनिया में ऊपर बताए गए तीन घटकों पर ही सबसे ज़्यादा असर महसूस किया जाएगा.
1. लेखक श्रमबल के प्रभावित तबक़ों को संदर्भ में लेकर सकल स्तर पर बेहतरी की बात कर रहे हैं. श्रमिक समुदाय के प्रभावित तबक़ों के अध्ययन से जुड़ी इस क़वायद में गणना व्यक्तिविशेष के स्तर पर की जाएगी.
2. आख़िर में लेखक इस बात की तस्दीक़ करते हैं कि समूह के सदस्य के तौर पर “कामगार”, “कर्मचारी”, और “श्रमबल” में आबादी के अलग-अलग समुदाय शामिल हो सकते हैं. मिसाल के तौर पर “कामगार” “कर्मचारी” से अलग हो सकते हैं क्योंकि हरेक कामगार को संगठित क्षेत्र ने रोज़गार नहीं दिया है. लिहाज़ा “श्रमबल” के दायरे में वो होंगे जो:
a. श्रमिक समुदाय में सक्रिय हों (मसलन कर्मचारी, अस्थायी और लक्ष्य आधारित काम करने वाले कामगार और स्वरोज़गार में लगे व्यक्ति)
b. भावी श्रमबल के हिस्सा होंगे (मिसाल के तौर पर सक्रिय रूप से रोज़गार चाहने वाले लोग, विद्यार्थी और वो लोग जो अस्थायी रूप से श्रमबल से बाहर जाते हैं लेकिन वापसी का इरादा भी रखते हैं)
सक्रिय रूप से रोज़गार की तलाश नहीं करने वालों, श्रमबल को स्थायी रूप से छोड़ देने वालों और कामकाज करने की क्षमता नहीं रखने वाले लोगों (जैसे रोज़गार के लिए ज़रूरी आयु सीमा से कम आयु वाले लोगों या स्थायी दिव्यांगता वाले व्यक्तियों) को इसमें शामिल नहीं किया गया है.
कामकाजी समुदाय की बेहतरी पर कारोबारी वाहकों के प्रभावों को प्रदर्शित करने के लिए (और कारोबारी नतीजों के साथ उसके संपर्कों के सिलसिले में), इस पॉलिसी ब्रीफ़ में G20 के तमाम देशों में फैले श्रमबल के अलग-अलग समूहों और उद्योगों के किरदारों और शख़्सियतों के ज़रिए इसकी झलक पेश की जाएगी.

किरदार नंबर 1 – 56 वर्षीय पेड्रो, ब्राज़ील के पारा में खनन कार्य में इस्तेमाल होने वाले भारी साज़ोसामान के संचालक

Brazil

Business Drivers(s) Well-being Implications Impact on Business Outcomes
A recent site audit went poorly, as a result, the mining dam where Pedro works may close due to unstable conditions. Despite the safety risks, work orders continue. Pedro is the sole source of income for the family but he is increasingly anxious about safety conditions, and fears he’s too old to find another job. The site has suffered high attrition, productivity losses, and increased workloads for those who remain. Due to high risks of injury and stressed workers, the business is experiencing financial loss, breach in trust & reputational risk.
Financial Physical Psychological Financial Customer Operational Risk & Qual People

Source: Sethi et al.

 

श्रमिक समुदाय की बेहतरी के पूरक उपायों के साथ GDP से आगे की क़वायद
जीवन की गुणवत्ता के समग्र पैमाने के तौर पर GDP की ख़ामियों को लंबे अरसे से स्वीकारा जाता रहा है. ये जीवन की गुणवत्ता के तत्वों को दर्शाने में नाकामयाब रहता है. इसके अलावा GDP के तहत प्राकृतिक और सामाजिक पूंजी के वितरण और बाज़ार से इतर सेवाओं और गतिविधियों की भी पहचान नहीं हो पाती. आर्थिक वृद्धि और कल्याण के बीच बड़ा ही सशक्त संपर्क है, जो GDP से परे विकास के ज़्यादा समग्र और पूरक पैमाने की वक़ालत करता है. श्रमबल की बेहतरी इस क़वायद का एक प्रमुख आधार-स्तंभ होगी. (चित्र 2 देखिए)
चित्र 2 – सलामती, कारोबारी नतीजों और सतत आर्थिक प्रगति के बीच अंतर-संपर्कों की रूपरेखा

स्रोत: सेठी आदि

मिसाल के तौर पर, ऐसे सबूत मौजूद हैं जिनसे ये संकेत मिलते हैं कि सेहतमंदी में सुधार से बेहतर कारोबारी नतीजे हासिल होते हैं (परिभाषा के लिए परिशिष्ट यानी अपेंडिक्स 1 देखिए). इसमें ऊंची उत्पादकता, रचनात्मकता और नवाचार शामिल हैं. उत्पादकता को लेकर विभिन्न देशों से जुटाए गए आंकड़ों से पता चलता है कि ज़्यादा घंटों तक काम करने से उत्पादकता में बढ़ोतरी की गारंटी नहीं मिलती. असलियत ये है कि आक्रामक रूप से उत्पादकता बढ़ाने और मुनाफ़ा कमाने की क़वायद का उलटा असर भी हो सकता है. कामगारों की भलाई को प्राथमिकता देने से ज्ञान संबंधी संसाधनों में बढ़ोतरी हो सकती है, साथ ही विचारों की विविधता भी बढ़ सकती है. इस तरह व्यक्तिविशेष के संपर्क जोड़ने और नवाचार की क्षमता में भी मज़बूती आ सकती है. इससे दीर्घकालिक तौर पर कारोबारी नतीजे दे पाने की क्षमता का विस्तार होता है.
इसके विपरीत कामगारों की बेहतरी में गिरावट आने के प्रतिकूल प्रभाव होते हैं, जिसका दायरा कारोबार या व्यक्तिगत परिणामों से कहीं आगे तक जाता है. मिसाल के तौर पर उत्पाद या सेवा की निम्न गुणवत्ता, वित्तीय घाटा, प्रतिष्ठा के नुक़सान के साथ-साथ व्यक्ति विशेष पर निर्भर रहने वाले लोगों पर प्रतिकूल प्रभाव भी दिखाई दे सकते हैं. वित्तीय तौर पर इसकी लागत उठानी पड़ सकती है, और सार्वजनिक संसाधनों पर बोझ पड़ सकता है. मिसाल के तौर पर कर्मचारियों के बर्नआउट यानी काम से संबंधित अंतहीन थकान के चलते टर्नओवर और उत्पादकता के नुक़सान के चलते वैश्विक रूप से 322 अरब अमेरिकी डॉलर का घाटा होता है.
किरदार नंबर 2 – 30 वर्षीय लता, भारत के शहर बेंगलुरु की पेशेवर महिला

 

Business Drivers(s) Well-being Implications Impact on Business Outcomes
Lata’s org just announced a series of transformation efforts, leading to extended hours across time zones. Lata, a recently promoted manager, is burned out from conflicting stakeholder demands, exclusion from key decision-making, and resource constraints due to the temporary hiring freeze. Lata’s supervisors have received escalations about lapses in quality, frequent delays and reduction in client satisfaction. This has led to increase in overtime from teammates resulting in higher costs and increased attrition issues.
Financial Physical Psychological Financial Customer Operational Risk & Qual People

Source: Sethi et al.

कारोबार के कायाकल्प के चलते बेहतरी पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों की रोकथाम करने के लिए अभी काफ़ी कुछ किए जाने की दरकार है.
कोविड-19 महामारी के बाद श्रमिक समुदाय की सलामती और अहम हो गई है. इसके बावजूद उत्तरदायित्व और नतीजों में एक खाई मौजूद है. वैसे तो दुनिया भर की 74 प्रतिशत कंपनियां कर्मचारियों की बेहतरी के महत्व को स्वीकार करती हैं, इसके बावजूद एडेको के सर्वेक्षण “डिस्कनेक्ट टू रीकनेक्ट” में शामिल तक़रीबन आधे कामगारों ने ख़ुलासा किया कि वो ख़ुद को बेसहारा महसूस करते हैं. हाशिए पर पड़े समुदायों पर इसके बेहिसाब असर की रोकथाम करने के लिए नीति-निर्माताओं और कारोबार जगत को सार्थक सोच रखनी होगी. आबादी की बनावट के हिसाब से अल्पसंख्यक समुदायों के कार्यक्षेत्र में होने वाली बेइंसाफ़ी का शिकार होने की ज़्यादा आशंका रहती है. नतीजतन उनका मनोवैज्ञानिक और शारीरिक स्वास्थ्य कमज़ोर पड़ जाता है. महामारी ने लिंग, शिक्षा और कौशल, अप्रवास के दर्जे, और शारीरिक दिव्यांगता से जुड़ी मौजूदा असमानताओं को और गहरा कर दिया है. ऐसे तमाम भेदभावों के लक्षणों के चलते आगे चलकर और संगीन परिणाम सामने आ सकते हैं (जैसे कलंकित करना, पक्षपात करना). इन तमाम क़वायदों के चलते श्रमबल की सलामती में गिरावट आ जाती है.
कारोबार जगत के कायाकल्प के प्रभाव
बाहरी दबाव के चलते कारोबार जगत में निरंतर परिवर्तनकारी बदलाव आ रहे हैं. अक्सर श्रमबल की बेहतरी की क़ीमत पर इस तरह के परिवर्तन सामने आते हैं. साल 2023 की शुरुआत में प्रकाशित PwC के 26वें सालाना वैश्विक CEO सर्वे में ये बात सामने आई थी कि कारोबार जगत की अगुवाई करने वाले 39 प्रतिशत बिज़नेस लीडर्स ये मानते हैं कि कारोबार का उनका मौजूदा तौर-तरीक़ा अगले दशक में व्यावहारिक नहीं रहेगा. लिहाज़ा अनिश्चितताओं से भरे वक़्त में प्रतिस्पर्धी बने रहने की ज़रूरत मौजूदा कारोबार के कायाकल्प (जैसे उत्पादों और सेवाओं में विविधता लाना, लागत में कमी करना, कार्यबल में कटौती) की प्रक्रिया को आगे बढ़ा रही है. आर्थिक अस्थिरता, भू राजनीतिक तनावों, गहराते ध्रुवीकरण और बढ़ती ब्याज़ दरों के बीच प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए दुनिया भर के CEOs टेक्नोलॉजी और नए-नए आविष्कारों से जुड़े निवेशों को प्राथमिकता दे रहे हैं. लेकिन इसका कामगार समुदाय पर क्या प्रभाव हो रहा है?
आर्थिक वृद्धि में गिरावट से अनिश्चितता और आर्थिक असुरक्षा बढ़ जाती है जिससे श्रमिकों के हितों पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव और गहरे हो जाते हैं. मिसाल के तौर पर आर्थिक वृद्धि वाले दौर की तुलना में आर्थिक सुस्ती के कालखंड में जीवन संतुष्टि भी आठ गुणा ज़्यादा संवेदनशील हो सकती है. इसके साथ-साथ सांगठनिक बदलाव के प्रभावों को नौकरी से जुड़े तनाव और काम की निम्न संतुष्टि के साथ जोड़ा गया है. एक और बात, भले ही टेक्नोलॉजी कामकाज को सुचारू बनाकर उसमें रफ़्तार भर दे, लेकिन ये एक दोधारी तलवार भी साबित हो सकती है. जिसके नतीजे के तौर पर बेहतरी के मोर्चे पर नकारात्मक परिणाम दिखाई दे सकते हैं (मसलन तनाव में बढ़ोतरी, काम की अंतहीन थकान, कामकाज का भारी बोझ आदि). तकनीक के क्षेत्र में उन्नति से रोज़गार सुरक्षा के ख़तरे में पड़ जाने की धारणा भी करियर को लेकर संतुष्टि के स्तर को घटा सकती है. इससे घोर निराशा और अवसाद में भी बढ़ोतरी हो सकती है. चूंकि श्रम समुदाय में अनेक पीढ़ियां शामिल रहती हैं, लिहाज़ा ऊपर बताए गए प्रभाव भी परिवर्तित होते रहते हैं. युवा कामगारों को अपनी भूमिका टेक्नोलॉजी द्वारा बदले जाने की ज़्यादा चिंता रहती है, साथ ही रोज़गार-प्रदाताओं की ओर से डिजिटल कौशल बढ़ाने को लेकर नाकाफ़ी कोशिशों की भी शिकायत रहती है.
भू राजनीतिक तनाव, रुकावट और लागत पर लगाम लगाने के दबावों से भी कार्य की संरचना प्रभावित हो सकती है. इसके चलते विवेक के स्तर में गिरावट आती है और निर्णय लेने की क्षमता कमज़ोर पड़ती है. इतना ही नहीं प्रशिक्षण और विकास के साथ-साथ प्रासंगिक कौशल दिखाने के अपर्याप्त मौक़ों के चलते बेहतरी के मोर्चे पर नकारात्मक मनोवैज्ञानिक प्रभाव सामने आते हैं. अकेलेपन की ज़्यादा सघन भावनाओं के चलते महिलाओं पर ये नकारात्मक प्रभाव और ज़्यादा नज़र आते हैं. उन्हें अपनी पेशेवर क्षमताओं से जुड़ी आशंकाओं के साथ-साथ सामाजिक मानकों (जिसके तहत उनसे बिना भुगतान वाले घरेलू कामकाज में ज़्यादा वक़्त देने की उम्मीद की जाती है)- दोनों तरह के सवालों का सामना करना पड़ता है. ठेके वाला, अस्थायी और लक्ष्य आधारित रोज़गार (gig employment) तेज़ी से पांव पसार रहा है. ऐसे क्षेत्रों में निम्न-कौशल वाले कामगारों की बेहतरी के सामने अलग तरह की चुनौतियां होती हैं. इन दुश्वारियों में उनके काम का अल्पकालिक और अस्थायी स्वभाव, नाकाफ़ी प्रशिक्षण और कार्यक्षेत्र में निगरानी सहायता और सामाजिक संपर्कों का अभाव शामिल हैं.
प्रतिस्पर्धी दबावों के प्रभाव
आख़िर में कारोबारी प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने से रोज़गार से जुड़ी मांगों में बढ़ोतरी हो सकती है (मसलन भूमिकाओं के बीच टकराव, भावनात्मक मांगें, नौकरियों के घटते संसाधन). वैश्विक व्यापार प्रतिस्पर्धा के चलते कामगारों की भलाई पर पड़ने वाले प्रभावों को लेकर मलेशिया में एक अध्ययन किया गया. इससे मिली जानकारी के मुताबिक 54 प्रतिशत प्रतिभागियों ने पहले से ज़्यादा कड़ी मेहनत करने का ख़ुलासा किया, 25 प्रतिशत लोगों ने नौकरियों में असुरक्षा की भावना अनुभव की और 24 फ़ीसदी लोगों ने अपनी नौकरियों में आत्म-शक्ति और नियंत्रण में कमी का एहसास होने की बात कही. ये प्रभाव सिर्फ़ विकसित देशों के मतलब की बात नहीं है. मांगों और संसाधनों में हेरफ़ेर के ज़रिए नौकरियों की संरचना को नए सिरे से तैयार करना सबके लिए महत्वपूर्ण होगा, चाहे उनका आर्थिक रुतबा कुछ भी क्यों ना हो. जैसा कि 2020 के पॉलिसी ब्रीफ़ में सेठी आदि ने इशारा किया है, महामारी के बाद की दुनिया में “अच्छी नौकरियों” के निर्माण के लिए लगातार और इरादतन ध्यान दिए जाने की दरकार है.
किरदार नंबर 3 – 25 वर्षीय जैकी, जो अमेरिका के इलिनॉयस में इंटेंसिव केयर नर्स हैं

 

Business Drivers(s)   Wellbeing Implications Impact on Business Outcomes
The global pandemic has pushed healthcare professionals to the brink of collapse, including Jackie. Jackie is attempting to start a family, however she’s taking more shifts from personnel shortages, meaning extended work hours with decreased resources. She wants to quit but fears starting over. The entire hospital staff has seen increased levels of posttraumatic stress and irritability. As a result, this has worsened the patient experience and increased patient time in beds, and costs.
Financial Physical Psychological Financial Customer Operational Risk & Qual People

Source: Sethi et al.

G20 की भूमिका
श्रमिक बिरादरी की बेहतरी की मदद से सतत आर्थिक वृद्धि और समृद्धि की तलाश से जुड़ी क़वायद में G20 के देश वैश्विक मंच पर अनोखी स्थिति में हैं. वो इस एजेंडे की अहमियत पर रोशनी डालते हुए इसको हासिल किए जाने की क़वायद में रफ़्तार भर सकते हैं.
G20 के नीति-निर्माता कामगारों की सलामती को परिभाषित करने और उसको अमल में लाने की क़वायद में मानकीकरण के संचालन के साथ-साथ उनकी कुशलता सुधारने में जवाबदेही के स्तर को भी आगे बढ़ा सकते हैं. G20 सहयोगात्मक और सामूहिक कार्रवाई के जमावड़े के तौर पर कार्य करता है. ख़ासतौर से उन क्षेत्रों में जानकारियों को साझा करने के अवसर के तौर पर, जिनमें कोई अकेला देश पिछड़ा हुआ होता है. इतना ही नहीं G20 बाहर के देशों को भी सहायता और संसाधन मुहैया कराए जाते हैं.
G20 के लिए सिफ़ारिशें
कार्यबल की बेहतरी को बढ़ावा देने के लिए कारोबार जगत, नीति-निर्माताओं, सार्वजनिक संस्थानों और सिविल सोसाइटी के बीच जागरूकता और तालमेल को आगे बढ़ाने के लिए इस पॉलिसी ब्रीफ़ में आपसी जुड़ाव वाली पांच नीतिगत कार्रवाइयों की सिफ़ारिश की जाती है:
1. सतत और टिकाऊ आर्थिक परिणामों से जुड़ी बेहतरी की एक साझी रूपरेखा स्थापित करने और उसके पैमाने तय करने के लिए G20 में तमाम स्टेक होल्डर्स को साथ लेकर कार्य बल का गठन करना.
2. कारोबारियों के बीच बेहतरी से जुड़े आंकड़ों के ख़ुलासे की क़वायद को बढ़ावा देना. इन आंकड़ों में तमाम कार्यक्रम, कारोबारी प्रभाव और सीखे गए सबक़ शामिल होने चाहिए.
3. समुदाय के सभी सदस्यों को शामिल कर एक कार्यकारी समूह की स्थापना करना. नेटवर्किंग में मदद करके, ज्ञान का आदान-प्रदान करके और G20 के तमाम देशों से सीखे गए सबक़ को इकट्ठा करना. इस तरह G20 कार्य बल को भविष्य को ध्यान में रखकर अपनी सिफ़ारिशें प्रस्तुत करने की शक्ति मिलेगी.
4. नगर, राज्य, क्षेत्र और देश के स्तर पर कारोबारों और सरकारों के बीच तालमेल भरी प्रतिक्रिया को रफ़्तार देने के लिए सिविल सोसाइटी को शिक्षित करना और इस प्रयास से जुड़े तमाम स्टेक होल्डर्स के बीच मज़बूत गठजोड़ को आगे बढ़ाना.
5. मान्यता, वित्तीय प्रोत्साहन और भागीदारियों के ज़रिए कारोबारों को “सबसे पहला अनुकूलक यानी adopter” बनने के लिए प्रोत्साहित करना.
नीतिगत कार्रवाई यानी पॉलिसी एक्शन 1: “श्रमिकों की बेहतरी के ज़रिए टिकाऊ आर्थिक प्रगति” पर G20 टास्क फ़ोर्स का गठन (इसे आगे “टास्क फ़ोर्स” के नाम से लिखा जाएगा). इसमें G20 के तमाम सदस्य देशों से नीति-निर्माता, B20 के प्रतिनिधि और सदस्य देशों द्वारा नियुक्त अर्थशास्त्री, चिंतक, सार्वजनिक क्षेत्र के नुमाइंदे (शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा संस्थानों), व्यापार संगठन और श्रमिक संघ शामिल हों. दूसरे G20 भारत कल्याणकारी टास्क फ़ोर्स की सिफ़ारिशों के संदर्भ में इस नए टास्क फ़ोर्स को आगे बढ़ाया जाना चाहिए. इस सिलसिले में नीचे दिए गए तत्वों पर ध्यान दिया जाना चाहिए:
● दक्षताएं / एकीकरण के अवसर- घोषणापत्रों और सदस्यता में घालमेल होने पर ये मौजूदा टास्क फ़ोर्स की उप-समिति के तौर पर बेहतर स्थिति में रह सकता है.
● दीर्घकालिक प्रभाव और टिकाऊपन- इस टास्क फ़ोर्स की प्रशासनिक प्रक्रिया इस तरह तैयार की जानी चाहिए जिससे इस गठजोड़ को बरक़रार रखना सुनिश्चत हो सके. साथ ही अनेक सालों वाली मियाद में ये प्रभावकारी भी साबित हो सके.
टास्क फ़ोर्स के घोषणापत्र में ये बातें अनिवार्य होनी चाहिए:
क. कामगारों की बेहतरी को लेकर माप-योग्य संकेतकों का स्थायी ढांचा प्रस्तुत करना (चित्र 3 देखिए). व्यक्तिगत और अलग-अलग आंकड़े इकट्ठा करते वक़्त देशों (उभरती अर्थव्यवस्थाओं समेत) की परिपक्वता और क्षमता के अलग-अलग स्तरों पर विचार किया जाना चाहिए.
चित्र 3 – श्रमबल के कल्याण के संकेतक (प्रस्ताविक रूपरेखा के भीतर)

स्रोत: सेठी आदि

ख. माप और पैमाने को लेकर कार्रवाई के अनुकूल क़दम उठाने के लिए दिशा निर्देशक सिद्धांत तय करना. इस ब्रीफ़ में कुछ अहम सिद्धांतों का प्रस्ताव किया जाता है:
1. समग्रता: पैमाने या माप के लिए अनेक साधनों का इस्तेमाल करना. बेहतरी की अगुवाई करने वाले और उस दिशा में पिछड़ने वाले संकेतकों- दोनों का प्रयोग होना चाहिए. पिछड़ने वाले संकेतक, बदलावों और कार्यक्रमों से बेहतरी के परिणामों को दर्शाते हैं, वहीं अगुवा संकेतक माप-योग्य चर कारकों की प्रगति की पड़ताल करने के लिहाज़ से बेहद सक्रिय और भविष्य की सूचना देने वाले होते हैं.
2. कस्टमाइज़ेशन यानी अनुकूलित करना: बेहतरी के वाहक अलग-अलग समूहों (जैसे बहुसंख्यक बनाम कम प्रतिनिधित्व वाले समूह) में बदलते रह सकते हैं. लिहाज़ा चुने गए संकेतकों को उद्देश्य के हिसाब से सटीक होना चाहिए. साथ ही कामगारों के अलग-अलग समूहों की बेहतरी के लिए उठाए जाने वाले क़दमों के तुलनात्मक प्रभाव और प्रगति की माप करने के हिसाब से अनुकूलित होना चाहिए. मिसाल के तौर पर अल्पसंख्यक आबादियों को जिन ढांचागत लांछनों का सामना करना पड़ता है, उनसे उनकी बेहतरी (ख़ासतौर से मानसिक स्वास्थ्य) के लिए ख़तरे बढ़ जाते हैं. न्यूरो डाइवर्जेंट या ख़ास शख़्सियत वाले लोगों में घबराहट और अवसाद के ख़तरे ज़्यादा होते हैं. विकासशील देशों में सामाजिक रिश्ते बेहतरी के महत्वपूर्ण वाहक होते हैं क्योंकि इन्हें राज्यसत्ता की मज़बूत क्षमताओं के अभाव में कल्याणकारी सेवाएं मुहैया कराने में संतुलनकारी शक्ति के तौर पर देखा जाता है.
3. तमाम तौर-तरीक़ों में एकजुटता और ट्रायंगुलेशन: नई संभावनाओं की शुरुआत के लिए अनेक स्रोतों से प्राप्त सुझावों को एकजुट करना अहम है. एनालिटिक्स के साथ सेल्फ़-रिपोर्टिंग, टेक्नोलॉजी (मसलन आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग), और अमल में लाई गई कार्रवाइयों के परिणामों में संतुलन क़ायम करने से भविष्य का संकेत देने वाले और रोकथाम करने वाले उपायों के लिए संसाधनों का विस्तार हो सकेगा. इससे श्रमबल की बेहतरी को आगे बढ़ाया जा सकेगा.
पॉलिसी एक्शन 2: श्रमिकों की बेहतरी से जुड़े संकेतकों पर सार्वजनिक ख़ुलासों को बढ़ावा देना
नीति-निर्माताओं को ऐसी कार्रवाई की दरकार नहीं होती; इस बात की तस्दीक़ करते हुए जो ऐसा करने का विकल्प चुनेंगे वो स्थानीय समुदायों को ये दिखा सकेंगे कि वो बेहतरी को प्राथमिकता दे रहे हैं. साथ ही भरोसा पैदा करने के लिए जवाबदेही का प्रदर्शन करते हैं. सार्वजनिक ख़ुलासों को आगे बढ़ाने की क़वायद शुरू कर ये कामगारों की भलाई से जुड़े जोख़िमों के ज़्यादा इरादतन मूल्यांकन को प्रोत्साहित करेंगे. इतना ही नहीं पावतियों (returns) को अधिकतम बनाने के लिए पहले से ज़्यादा जागरूक पूंजी आवंटन को भी आगे बढ़ा सकेंगे.
ये भी सिफ़ारिश की जाती है कि सार्वजनिक ख़ुलासों के मौजूदा प्रयासों में बेहतरी के उपायों को जोड़ने के लिए टास्क फ़ोर्स अवसरों की पहचान करें. इस कड़ी में अमेरिका में रेग्युलेशन S-K संशोधन (जिसके लिए मानवीय पूंजी संसाधनों के ख़ुलासे की दरकार होती है) के साथ या संयुक्त राष्ट्र से संचालित सतत विकास लक्ष्यों के संदर्भ में ESG रिपोर्टिंग की मिसाल दी जा सकती है.
आख़िर में अतिरिक्त दिशानिर्देश के साथ ख़ुलासों को बढ़ावा देने के लिए टास्क फ़ोर्स को एक हैंडबुक तैयार करना चाहिए:
a. बेहतरी के संबंधित घटकों के लिए संकेतक और चर पैमाने वाले विकल्प (अपेंडिक्स 2 देखिए). इससे कंपनियों द्वारा ख़ुलासे के लिए चुने जा सकने वाले तत्वों के इर्द-गिर्द कुछ मात्रा में सर्वसम्मति हासिल की जा सकेगी.
b. विशाल और छोटे/मध्यम कारोबार के साथ-साथ विकसित बनाम विकासशील देशों में आंकड़ों के संग्रहण/रिपोर्टिंग के लिए संसाधनों की उपलब्धता में अनचाहे प्रशासनिक बोझ को टालने के लिए व्यावहारिकता और न्यूनतम रिपोर्टिंग की ज़रूरतें.
c. वित्तीय प्रदर्शन से सबसे ज़्यादा जुड़े संकेतकों को वरीयता देना. इसमें सामयिक प्रभावों के विचार भी शामिल हों.
d. ख़ुलासों की आवृति (जैसे डेटा संग्रहण और दीर्घकालिक प्रभावों की पड़ताल के लिए पर्याप्त समय देने के लिए हर दो वर्ष में).
e. बेहतरी के कार्यक्रमों की योजनाओं और शुरुआत से जुड़े ब्योरे, जिसमें इरादतन और वास्तविक प्रभाव शामिल हों. कामयाबी के पैमानों के हिसाब से प्रगति, सीखे गए सबक़ और बढ़े हुए अवसर.
किरदार नंबर 4 – 23 वर्षीय कैमरन, यूनाइटेड किंगडम के लंदन में इक्विटी कारोबारी

Business Drivers(s) Well-being Implications Impact on Business Outcomes
A competitive financial trading work environment is leading to Cameron’s diminished wellbeing. ONA (Org. network analysis) through meeting invitations and communications has identified using AI that Cameron is at high risk of burnout and increased stress due to collaboration overload. The risk combined with red flags identified through NLP (natural language processing), have provided his HR manager with insights to give Cameron a brief vacation and establish a new work cadence to support the team’s productivity and reduce attrition.
Financial Physical Psychological Financial Customer Operational Risk & Qual People

Source: Sethi et al.

किरदार नंबर 5 – 42 वर्षीय अंजी, इंडोनेशिया के डि योग्याकर्ता में सिलाई-बुनाई का काम करने वाली महिला

 

Business Drivers(s) Well-being Implications Impact on Business Outcomes
There have been inconsistent supply chain needs across the apparel industry & manufacturing centers, where Anji works. As a result, Anji, a member of the informal sector, fears for her health, and losing the consistent source of income for basic needs so has picked up several other clients in off-hours to “moonlight”. Given the informal nature of her income and her fear of missing work if sick or injured, her main client provided her guaranteed contracts to encourage consistent inputs towards their supply while reducing production delays.
Financial Physical Psychological Financial Customer Operational Risk & Qual People

Source: Sethi et al.

पॉलिसी एक्शन 3: G20 टास्क फ़ोर्स को सहारा देने के लिए एक कार्यकारी समूह का निर्माण. G20 देशों के इर्द-गिर्द और उनके भीतर नेटवर्किंग, प्रचलित तौर-तरीक़ों पर ज्ञान के आदान-प्रदान और सीखे गए सबक़.
ये कार्यकारी समूह अनेक स्टेकहोल्डर्स वाले जमावड़ों से तौर-तरीक़ों को इकट्ठा करने के लिए सलाहकारी प्रक्रिया को प्रोत्साहित करेगा. इनमें बिज़नेस20 (B20), सिविल20 (C20), लेबर20 (L20), थिंक20 (T20), महिला20 (W20), युवा20 (Y20), शिक्षा जगत, थिंक टैंक्स और छात्र शामिल हैं. भविष्य का संकेत करने वाले, रोकथाम करने वाले और उपचारात्मक / पुनर्वास से जुड़ी कार्रवाइयों को साझा करने का ढांचा भी निरंतरता और समग्रता को आगे बढ़ाएगा (ब्योरे के लिए अपेंडिक्स 3 देखिए). बेहतरी को लेकर उभरते मसलों / कारोबारों और आर्थिक वृद्धि के बीच के संपर्कों की भी समय-समय पर पहचान की जानी चाहिए ताकि गहन परिचर्चाओं और विचार-प्रक्रियाओं में तेज़ी लाई जा सके.
पॉलिसी एक्शन 4: सिविल सोसाइटी को शिक्षित करना और श्रमबल की बेहतरी की कार्रवाइयों में मज़बूत मल्टी-स्टेकहोल्डर गठजोड़ को बढ़ावा देना

वैसे तो सरकार, सिविल सोसाइटी के ज़्यादा से ज़्यादा जुड़ावों के लिए पहले से ही बेहतरी से जुड़े मसलों को जोड़ने लगी हैं, अनेक स्टेकहोल्डर्स समूहों को जोड़े जाने से ये सुनिश्चित हो सकेगा कि सह-निर्माण और समन्वित प्रतिक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए बदलते ज़रूरतों की सुनवाई हो सके. ये सरकार के भीतर अंतर-विभागीय समन्वय से जुड़ी क़वायदों में जवाबदेही में भी बढ़ोतरी करेगी. साथ ही स्वास्थ्य, शिक्षा, रोज़गार और सामाजिक न्याय समेत तमाम नीतिगत क्षेत्रों में बेहतरी पर समग्र रूप से ज़ोर दिया जाना सुनिश्चित हो सकेगा.
सिविल20 और लेबर20 जैसी इकाइयों के साथ G20 संसाधनों का निर्माण करने में एक अहम भूमिका निभा सकता है. इससे स्वास्थ्य समावेश, वित्तीय समावेश, सामाजिक समावेश के आपस में जुड़े दायरों में मंच तैयार हो सकेंगे. सिविल सोसाइटी समूहों, शिक्षा जगत, छात्रों, थिंक टैंकों से कौशल समावेश में मदद मिलेगी. आगे चलकर ये क़वायद समग्र बेहतरी की ओर उत्तरदायित्व के स्तर को ऊंचा उठाएगी. ख़ासतौर से G20, क्षमता-निर्माण और सिविल सोसाइटी के साथ नीति-निर्माताओं के जुड़ाव पर तवज्जो दे सकता है. सदस्यता से संचालित गठजोड़कारी ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म तैयार कर तमाम बाधाओं से पार पाया जा सकता है:
● जागरूकता और ज्ञान पैदा करने के लिए संसाधनों का आदान-प्रदान और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच बढ़ाने के लिए संचार को प्रोत्साहन.
● समाज के हाशिए पर पड़े और कम प्रतिनिधित्व वाले समूहों के लिए सुरक्षित वर्चुअल समुदाय का निर्माण ताकि वो सलाह और सहायता हासिल कर सकें. परिणामों को लेकर डर को न्यूनतम स्तर पर लाते हुए इस क़वायद को अंजाम देना (जैसे बग़ैर दस्तावेज़ों वाले प्रवासियों को सहायता पहुंचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन का सहयोग प्लेटफ़ॉर्म).
● सार्वजनिक जुड़ावों और ज़मीनी स्तर पर सलाहकारी क़वायदों के दर्जे को ऊंचा उठाने के लिए ओपन-हाउस सत्रों की मेज़बानी.
● स्थानीय स्तर पर बेहतरी के सामने खड़ी चुनौतियों में प्रतिक्रियात्मक कार्रवाइयों की तैयारी को बढ़ाने के लिए कौशल को ऊंचा उठाने की रजिस्ट्रेशन आधारित प्रक्रिया. सामुदायिक संगठनों और शिक्षण संस्थानों की भागीदारी से ऐसी गतिविधियों को अंजाम देना.
● डेटा संग्रहण के प्रयास

पॉलिसी एक्शन 5: G20 के नीति-निर्माताओं के लिए विकल्पों को रेखांकित करना ताकि वो तमाम उद्योगों से जुड़े कारोबारों को “प्रथम अनुकूलक यानी एडॉप्टर” बनने के लिए प्रोत्साहित कर सकें. साथ ही प्रभावी कुशलताओं के लिए भागीदारी को बढ़ावा देना. इनमें:
A. सार्वजनिक पहचान: बेहतरी को बढ़ावा देने और तमाम क्षेत्रों में भागीदारों की शुरुआत के लिए नवाचार भरे रुख़ उठाने वाले संगठनों को रेखांकित करना. मीडिया में उनका प्रचार-प्रसार करके और सार्वजनिक पुरस्कारों के ज़रिए ऐसी क़वायदों को अंजाम दिया जा सकता है.
B. वित्तीय प्रोत्साहन: कारोबारों के साथ भागीदारी करने वाले (या विपरीत रूप से) सार्वजनिक संस्थानों की फ़ंडिंग के लिए कार्यक्रम तैयार करना (जैसे टैक्स क्रेडिट्स/ प्रोत्साहन, अनुदान). विकास, पायलट परियोजनाओं और बेहतरी से जुड़े कार्यक्रमों को अमल में लाकर कर्मियों के हितों में सुधार लाना. मिसाल के तौर पर कारोबार जगत और विश्वविद्यालयों / शोध संस्थाओं के लिए वित्तीय प्रोत्साहन, ताकि वो बेहतरी के संदर्भ में बाज़ार शोध को अंजाम दे सकें या कार्यक्रमों की शुरुआत कर सकें. G20 देशों और टास्क फ़ोर्स को इस क़वायद के हिस्से के तौर पर इन योग्यताओं के संदर्भ में दिशा निर्देश, आवेदन की प्रक्रिया, स्वीकार्यता से जुड़ी शर्तें, मूल्यांकन के मानक और रिपोर्टिंग की ज़रूरतें (मसलन सार्वजनिक ख़ुलासे) तैयार करने चाहिए.
C. भागीदारियां: G20 देश या टास्क फ़ोर्स बेहतरी को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग प्रकार की भागीदारों को सुविधाजनक बना सकते हैं:
a. पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप- मिसाल के तौर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों के साथ भागीदारी करने वाले निजी संगठनों को मौजूदा रणनीतियों के साथ जोड़ा जा सकता है. इस भागीदारी के ज़रिए वो स्वास्थ्य और सेहतमंदी से जुड़ी सेवाओं तक कामगारों की पहुंच और उनकी जागरूकता का विस्तार कर सकते हैं. साथ ही कम उम्र से ही बेहतरी की सामुदायिक समझ विकसित करने के लिए शिक्षण संस्थानों के साथ ऐसी पहल की जा सकती है. इसके तहत पोषण और मानसिक स्वास्थ्य की अहमियत के इर्द-गिर्द शिक्षा दी जा सकती है और भविष्य के लिए एक टिकाऊ कार्यबल को ज़रूरी साज़ोसामान से लैस किया जा सकता है.
b. क्षेत्रवार भागीदारियां- किसी ख़ास सेक्टर या उद्योग के भीतर बेहतरी से जुड़े प्रभावों के विशिष्ट वाहकों के निपटारे के लिए कारोबारों, सरकारी एजेंसियों, व्यापार संगठनों, श्रम संघों के बीच गठजोड़ भरे प्रयासों को प्रोत्साहित करना (मसलन खनन में शारीरिक तौर पर कामकाज के सुरक्षित वातावरणों को प्रोत्साहित करने के लिए नियामक निकायों पर प्रभाव डालना, अंतरराष्ट्रीय मानक अपनाने के लिए ज़ोर डालना). G20 के नीति-निर्माता आर्थिक वृद्धि और प्रतिस्पर्धी क्षमता को ऊंचा उठाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर इन प्रयासों को आगे बढ़ाने पर विचार कर सकते हैं. सेहतमंद / बेहतर उत्पादकता और नई और अच्छी नौकरियों के निर्माण के ज़रिए इस प्रक्रिया को अंजाम दिया जा सकता है. उप-राष्ट्रीय स्तर पर ये भागीदारियां क्षेत्रीय चुनौतियों पर ज़ोर दे सकती हैं या विशिष्ट भौगोलिक इकाइयों में आर्थिक प्रगति को बढ़ावा दे सकती हैं.
c. सामुदायिक भागीदारियां- स्थानीय तौर पर बेहतरी के ज़्यादा पेचीदा या विशिष्ट प्रभावों से निपटना और सामुदायिक संगठनों, स्थानीय कारोबारों और सरकारी एजेंसियों के साथ सामुदायिक विकास को बढ़ावा देना
निष्कर्ष के तौर पर G20 के नीति-निर्माताओं और टास्क फ़ोर्स को ये सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रगति, परिणाम और कामयाबी के उपयुक्त उपायों की पड़ताल होती रहे. वहां से G20 विविधताओं से भरे अपने प्रतिनिधित्व को जारी रख सकता है, जहां बदलते बाहरी वातावरण में लोचदार रूप से परिप्रेक्ष्यों या नज़रियों का उभार हो रहा हो.

Appendices

Appendix 1- Business Outcome Definitions

Business Outcome Definition
Financial Measurable results that reflects a business’s financial performance and success in meeting its financial goals, expressed in financial metrics such as sales/production volumes, revenue, profit, gross margin, EBITDA, cash flow, cost savings, return on investment, or identified KPIs
Customer Measurable results that reflects the success of a business’s products and services for its customers, expressed in customer metrics such as customer satisfaction, engagement, retention, brand loyalty, net promoter score
Operational Measurable results that reflects how effectively a business manages its operations and processes, expressed in operational metrics such as productivity, efficiency, operating margins
Risk and Quality Measurable result that reflects how effectively a business manages risk and quality, expressed in product and service risk and quality metrics such as risk appetite, risk reduction, regulatory compliance, customer complaints, defect rates, product safety and quality
People Measurable result that reflects how effectively a business manages its people and talent, expressed in people metrics such as employee engagement, talent retention, diversity, job satisfaction, employee net promoter score

 

Appendix 2 – Illustrative Indicators and Measures of Workforce Well-being

Wellbeing Component Illustrative Indicators Variable(s) of Measurement for Consideration Method of Measurement Objective / Subjective Altitude Leading / Lagging Corresponding Definition of Wellbeing Component
Financial[29] Subjective Financial Wellness[30] Perception of financial condition Questionnaire Subjective Individual Leading Financial security
Company- sponsored Financial Investment and Insurance Resources Perception of effectiveness of financial investment and insurance resources Questionnaire Subjective Lagging Access to financial services
Quality of financial investment and insurance resources (i.e., fit for purpose) Questionnaire Subjective Lagging
Access to (or lack thereof) of financial investment and insurance resources Statistical Analysis Objective Leading
Company- sponsored Financial Education / Counseling Services Perception of effectiveness of financial education / counselling services Questionnaire Subjective Lagging Access to financial services to make informed financial decisions
Quality of financial education / counselling services (i.e., fit for purpose) Questionnaire Subjective Lagging
Access to (or lack thereof) financial education / counselling services Statistical Analysis Objective Leading
Company- sponsored Financial Assistance Programs Perception of effectiveness of financial assistance programs Questionnaire Subjective Lagging Access to financial services
Quality of financial assistance programs (i.e., fit for purpose) Questionnaire Subjective Lagging
Access to (or lack thereof) financial assistance programs Statistical Analysis Objective Leading
Physical[31] Healthcare Utilisation Access to (or lack thereof) company-sponsored healthcare programs Statistical Analysis Objective Individual Lagging Healthy lifestyle
Quality of company-sponsored healthcare programs
Employee Complaints Changes in number of employee complaints Statistical Analysis Objective Aggregate Lagging Safe physical and fair workplace, healthy lifestyle, work-life balance
Workplace Injuries[32] Changes in number of work-related injuries and health disorders Statistical Analysis Objective Aggregate Lagging
Working Environment Safety of working conditions, environment, machinery / tools Statistical Analysis Objective Aggregate Leading Safe physical workplace
Workplace Wellness Programs (physical and mental health) Effectiveness of workforce wellness incentives or programs[33] Questionnaire Subjective Individual Lagging Education on lifestyle choices, healthy lifestyle, work-life balance

 

Accommodations for different abilities[34] (e.g., accommodating work designs for those with reduced work capacity) Statistical Analysis Objective Individual Leading
Psychological Stress and Anxiety[35] Perception of stress and anxiety levels from work Questionnaire Subjective Individual Leading Mental and emotional health
Working Relationships Perception of the quality of supportive working relationships with supervisors and colleagues Questionnaire Subjective Individual Leading Supportive relationships (or absence of), motivation, fulfilment
Change in the quality of community relationships due to workplace impacts Questionnaire Subjective Individual Leading
Quality of employee resource groups (fit for purpose) and effectiveness Questionnaire Subjective Individual Lagging
Membership in employee resource groups Statistical Analysis

 

Objective Aggregate Lagging
Workload Changes in hours worked (overtime, shifts, work hours) Statistical Analysis

 

Objective Individual Lagging Mental and emotional health
Frequency and duration of breaks / rest periods during the work day
Perception of and accurate reporting of hours worked and availability / frequency of breaks / rest periods Questionnaire Subjective Individual Leading
Psychological Safety Perception of psychological safety to raise issues and concerns, escalate, contributing ideas, feel listened to, respected and recognized, giving and receiving feedback Questionnaire Subjective Individual Leading Sense of psychological safety, Supportive relationships (or absence of)
Perception of respect, tolerance, equity, and anti-discrimination
Effectiveness of Anti-retaliation policies Statistical Analysis Objective Aggregate Leading
Fulfilling / Meaningful Work[36] Employee sentiment about the impact and significance of their work to society Questionnaire Subjective Aggregate Leading Motivation, fulfilment, sense of belonging

Appendix 3 – Examples of Actions to Drive Well-being

Type of Actions to drive Wellbeing Examples
Predictive ●     Proactive use of data and technology (e.g., wearable tech) to track health and wellbeing indicators to provide personalised inputs

●     Analysing collaboration and information sharing patterns through organisational network analysis (ONA) to understand risks of burnout

Preventive ●     Individually: Awareness tools and resources, work design changes

●     Organisationally: Progressive policies, processes and physical environment (e.g., enhance financial wellness through debt reduction programmes, changes to flexible working guidelines, comprehensive insurance policies)

Curative / rehabilitative ●     Response readiness through resource groups

●     Access to medical and mental health practitioners

 

 


Endnote

[1] Andrew Sharpe, et al., “The current state of research on the two-way linkages between productivity and well-being,ILO, Working Paper 56 (2022).

[2]The World Happiness Report,” Gallup World Poll, accessed March 5,2023.

[3] Xiaoming Zheng, et al., “Employee wellbeing in organizations: Theoretical model, scale development, and cross-cultural validation,Journal of Organizational Behavior 36, no. 5 (January 2015): 621-644.

[4] Indy Wijngaards, et al., “Worker Wellbeing: What it Is, and how it Should Be Measured,Applied Research in Quality of Life 17 (April 2022): 795-832.

[5] Zakaria Zoundi, et al., “Moving Beyond GDP: A Stock-Flow Approach to Measuring Wellbeing for The G20,T20 Indonesia Policy Brief, (2022).

[6] OECD, “The Wellbeing of Nations: The Role of Human and Social Capital,” The Centre for Educational Research and Innovation 11 (2001).

[7] Bhushan Sethi, et al., “TF7 – The Future of Work and Education for the Digital Age: Delivering Workforce Productivity Growth,T20 Japan Policy Brief, (2019).

[8] Christian Krekel, et al., “Employee Well-being, Productivity, and Firm Performance: Evidence and Case Studies,Saïd Business School WP 2019-04 (March 2019).

[9]Employee Wellbeing Is Key for Workplace Productivity”, Gallup, accessed March 5, 2023.

[10]Workers say they want even more wellbeing support now than during the pandemic. This is why,” WEF, accessed March 4, 2023.

[11] Cassandra Okechukwu, et al. “Discrimination, harassment, abuse, and bullying in the workplace: Contribution of workplace injustice to occupational health disparities,American Journal of Industrial Medicine 57, no. 5 (2013): 573-86.

[12]International Women’s Day 2023,” PwC, accessed March 25, 2023.

[13]PwC’s Upskilling Hopes and Fears 2021 Survey,” PwC, accessed March 4, 2023.

[14]The AXA Study of Mind Health and Wellbeing in 2023,” AXA, accessed March 4, 2023.

[15] Marc Cubrich, et al., “Pandemics and Precarious Work: Translating Research to Practice for Marginalized Workers,Translational Issues in Psychological Science 8, no. 3 (2022): 416–430.

[16]PwC’s 26th Annual Global CEO Survey,” PwC, accessed March 12, 2023.

[17] “Jan-Emmanual De Neve, et al., “The Asymmetric Experience of Positive and Negative Economic Growth: Global Evidence Using Subjective Wellbeing Data,The Review of Economics and Statistics 100, no.2 (2018): 362–375.

[18] Alex Bryson, et al., “The Effects of Organizational Change on Worker Wellbeing and the Moderating Role of Trade Unions.ILR Review 66, no. 4 (July 2013):  989–1011.

[19] David Brougham, et al., “Smart Technology, Artificial Intelligence, Robotics, and Algorithms (STARA): Employees’ perceptions of our future workplace,Journal of Management & Organization 24, no. 2 (2018): 239–257.

[20]Hopes and Fears Survey 2022,” PwC, accessed March 12, 2023.

[21] Emsie Arnoldi et al., “Mapping themes for the well-being of low-skilled gig workers: Implications for digital platform design,” Journal of Transient Migration, (2021), DOI:10.1386/tjtm_00031_1.

[22] Mohd Awang Idris, et al., “The Effect of Globalization on Employee Psychological Health and Job Satisfaction in Malaysian Workplaces,Journal of Occupational Health 53, no. 6 (2011): 447–454.

[23] Bhushan Sethi, et al., “Policy Brief Delivering Economic Value and Societal Cohesion Through ‘Good Jobs’,T20 Group Saudi Arabia, (2020).

[24] Kelly McCain, “Explainer: What is neurodivergence? Here’s what you need to know,” WEF, accessed March 4, 2023.

[25] Nicola Pontarollo, et al., “The Determinants of Subjective Well-Being in a Developing Country: The Ecuadorian Case,Journal of Happiness Studies 21, (2020): 3007–3035.

[26]Task Force on Climate-related Financial Disclosures,” accessed March, 24, 2023.

[27] Riccardo Boffo, et al., “ESG Investing: Practices, Progress and Challenges,OECD Paris, (2020).

[28] Department of Economic and Social Affairs: Sustainable Development, “Sustainable Development Goals,” United Nations, accessed March 23, 2023.

[29] Angela Sorgente, et al., “The Multidimensional Subjective Financial Wellbeing Scale for Emerging Adults, Development and Validation Studies,International Journal of Behavioral Development 43, no. 5 (2019): 466-478.

[30] Ambika Prasad Nanda, et al., “Consumer’s subjective financial well-being: A systematic review and research agenda,International Journal of Consumer Studies 45, no. 4 (2021): 750-776.

[31] Joel Goh, et al., “Workplace stressors & health outcomes: Health policy for the workplace,” Behavioral Science and Policy Association 1, no. 1 (2015): 43–52, doi:10.1353/bsp.2015.0001.

[32]Work-Related Musculoskeletal Disorders & Ergonomics,” Center for Disease Control and Prevention, accessed March 21, 2023.

[33] Brooke R Envick, “Investing in a Healthy Workforce: The impact of physical wellness on psychological well-being and the critical implications for worker performance,Academy of Health Care Management Journal 8, no. 1/2 (2012): 21-32.

[34] Lilah Rinsky-Halivni, et al., “Aging workforce with reduced work capacity: From organizational challenges to successful accommodations sustaining productivity and well-being,Social Science & Medicine 312, (2022): 115369.

[35] Kimberly Williams, et al., “Evaluation of a Wellness-Based Mindfulness Stress Reduction Intervention: A Controlled Trial,American Journal of Health Promotion 15, no. 6 (2001): 422-32.

[36] KW Nilsson, et al., “Sense of coherence and psychological well-being: improvement with age,Journal of Epidemiology & Community Health, Centre for Clinical Research, Uppsala University, Central Hospital 64, no. 4 (2010): 347-352.