टास्क फोर्स 3: LiFE, रेaज़िलिएंस, एंड वैल्यूज़ फॉर वेल बींग
संयुक्त राष्ट्र विश्वविद्यालय (UNU) और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) द्वारा पहली बार 2012 में तैयार किया गया समावेशी धन सूचकांक (IWI), राष्ट्रों की कुल संपत्ति में परिवर्तन की माप करता है. यह किसी देश की प्राकृतिक, मानवीय, सामाजिक और भौतिक (विनिर्मित और वित्तीय समेत) पूंजी के कुल योग पर आधारित एक सूचकांक है, और धन की माप करने के पारंपरिक स्वरूपों (जैसे सकल घरेलू उत्पाद यानी GDP) से परे है. यह नीति निर्माताओं को देश के धन भंडार को समझने में सक्षम बनाता है, चाहे उसमें बढ़ोतरी हो रही हो या गिरावट आ रही हो! बदले में ये क़वायद अर्थव्यवस्था के प्रबंधन में मदद करती है. IWI के दायरे में उपलब्ध प्राकृतिक संसाधन, प्रकृति की ओर से प्रदान की गई पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं (ecosystem services), मानव स्वास्थ्य, शिक्षा और कौशल के स्तर के साथ-साथ सड़कों और कारखानों जैसे निर्मित भौतिक बुनियादी ढांचे शामिल हैं. 2021 में सऊदी अरब की G20 अध्यक्षता के दौरान पहली बार इस विचार पर चर्चा हुई थी कि विकास के दायरे में महज़ GDP से परे अन्य तत्वों को भी शामिल किया जाना चाहिए. 2022 में इंडोनेशिया के अध्यक्ष रहते दोबारा इस पर मंथन किया गया. ‘पर्यावरण के लिए जीवन शैली’ (LiFE) की परिकल्पना के माध्यम से भारत इस विचार को और आगे ले जा रहा है.
यह माना जाता है कि विकास के संकेतक के रूप में GDP की सीमाएं हैं. अपने वर्तमान स्वरूप में, GDP केवल किसी देश की भौतिक संपत्ति और उसकी वस्तुओं और सेवाओं के मौद्रिक मूल्य की माप करता है. संपत्ति निर्माण को बढ़ावा देने में ऐसे प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग होता है जो आगे चलकर पूरी तरह से ख़त्म हो सकते हैं. GDP ऐसे संसाधनों के सहायक उपभोग और उनकी मात्रा में आने वाली गिरावट की माप नहीं कर सकता. यह मानव स्वास्थ्य, आसपास के वातावरण और सामाजिक कल्याण को होने वाली अतिरिक्त नुक़सान को भी अपने दायरे में नहीं लेता है. शोधकर्ताओं ने पाया है कि सकल घरेलू उत्पाद मानव कल्याण का मूल्यांकन करने में भ्रामक और अस्पष्ट है (रॉजर्स आदि 2012), और मानवीय और प्राकृतिक पूंजी को किसी अर्थव्यवस्था के उत्पादक ढांचे में शामिल किया जाना चाहिए (मानगी आदि 2022, अग्रवाल आदि 2014) .
हाल के वर्षों में, विश्व बैंक ने भी अपने प्रमुख कार्यक्रम, ‘द चेंजिंग वेल्थ ऑफ नेशंस 2021’ के तहत GDP से आगे निकलने की परिकल्पना को बढ़ावा दिया है. यह किसी राष्ट्र के उत्पादित, प्राकृतिक, मानवीय और शुद्ध विदेशी परिसंपत्ति संसाधनों को जोड़कर उसके धन की माप करने के विचार को प्रोत्साहित करता है. विश्व आर्थिक मंच (WEF) ने देश की वृद्धि और समृद्धि को मापने के लिए सकल घरेलू उत्पाद के विकल्पों पर भी चर्चा की है.
भारत अपनी प्राचीन सभ्यता के ज्ञान में गहराई तक जड़ें जमाए हुए है. भारतीय दर्शन, पृथ्वी ग्रह को मानवता की मां के रूप में एक सजीव इकाई मानता है. भारत का दर्शन पूरी सृष्टि को एक अद्वैत, शुद्ध रूप से चेतनाशील (coscious), संपूर्ण रूप से आनंदमय परम सत्ता की अभिव्यक्ति मानता है. यह सर्वोच्च ईश्वरीय स्वरूप पांच प्राथमिक तत्वों में प्रकट होता है- पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु (हवा), और आकाश (अंतरिक्ष) (दयाल, 2018). ये पांच तत्व ब्रह्मांड में हर चीज़ का निर्माण करते हैं और जीवन के सार के रूप में पूजे जाते हैं. इसी तरह, LiFE में समावेशी और व्यापक विकास, संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य (SDGs), और आर्थिक समृद्धि के सभी पहलू शामिल हैं. चित्र 1 दर्शाता है कि कैसे LiFE, किसी देश के सामाजिक-आर्थिक और पर्यावरणीय विकास की एक व्यापक परिकल्पना है.
चित्र 1. तमाम विकासात्मक माप
अगर LiFE को समृद्धि के महज़ तात्कालिक संकेतक के तौर पर देखा जाए तो उसका अर्थ समझना और उसकी माप करना मुश्किलों भरा सबब साबित हो सकता है. यह परिकल्पना पीढ़ियों के आर-पार जाती है और लोगों की मूर्त (tangible) और अमूर्त (intangible) परिसंपत्तियां इसके दायरे में आती हैं.
किसी राष्ट्र की संपत्ति का आकलन करने में GDP से आगे जाने के प्रयासों में हरित GDP (2004), वास्तविक प्रगति संकेतक (2006), और आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) के बेहतर जीवन सूचकांक (2011) जैसी परिकल्पनाएं शामिल हैं. हरित GDP, विकास की पर्यावरणीय और सामाजिक लागत की कटौती के बाद शुद्ध GDP की माप करता है. हालांकि, इसमें किसी देश की अर्थव्यवस्था की कुछ अन्य परिसंपत्तियों (जैसे उसके मानव संसाधनों या उसके प्रचलित पारिस्थितिकी तंत्र) को ध्यान में नहीं रखा जाता है. इसी तरह, वास्तविक प्रगति संकेतक (GPI) सामाजिक और पर्यावरणीय लागतों को ध्यान में रखते हुए व्यापक और सतत यानी टिकाऊ विकास को मापता है. OECD का बेहतर जीवन सूचकांक एक डैशबोर्ड है, जिसका लक्ष्य राष्ट्रीय स्तर की बजाए, व्यक्तिगत स्तर की गतिविधियों को मापकर किसी देश की समग्र बेहतरी की तस्वीर हासिल करना है. हालांकि विकासशील देशों में निजी स्तर पर विश्वसनीय आंकड़े जुटाना, अक्सर एक चुनौती बन जाती है.
जून 2012 में रियो डी जेनेरियो में हरित अर्थव्यवस्था पर संयुक्त राष्ट्र की बैठक में सकल घरेलू उत्पाद के विकल्प स्थापित किए गए और एक नया समावेशी धन सूचकांक (IWI) तैयार किया गया. IWI एक समग्र दृष्टिकोण है, जो किसी देश की व्यापक आर्थिक वृद्धि और विकास पर केंद्रित है. पहले की परिकल्पनाओं की तुलना में इसमें डेटा का कम उपयोग होता है. इस प्रकार कम डेटा पहुंच वाले विकासशील देशों के लिए ये प्रणाली अधिक उपयुक्त है. इस सूचकांक के अनुप्रयोग बाद में 2014 और 2018 (UNU-IHDP और UNEP, 2014; मनागी और कुमार, 2018) की रिपोर्टों में प्रकाशित हुए. इस बात को रेखांकित करता है कि व्यक्तिगत धन भी निजी परिसंपत्तियों से परे है. ये एक समुदाय में आम परिसंपत्तियों आपस में साझा किए जाने (co-sharing) की क़वायद को शामिल करता है (बिज़िकोवा आदि 2022). समुदाय की समृद्धि भी व्यक्तियों के समग्र धन का हिस्सा है, और इस प्रकार ये सामाजिक बेहतरी का भी हिस्सा बन जाता है. यह शायद अन्य संकेतकों से IWI के महत्वपूर्ण विचलनों में से एक है.
किसी देश या क्षेत्र के धन का निर्धारण करते समय चार जटिलताएं उभर कर सामने आती हैं:
(a) क्या सामान्य मापदंडों का उपयोग करके निर्धारित की गई संपत्ति मज़बूती से स्थिरता सुनिश्चित कर सकती है, भले ही सभी परिसंपत्तियों का पूंजी मूल्य बढ़ रहा हो या कम से कम एक कालखंड में अपरिवर्तित रहा हो?
(b) भविष्य की परिसंपत्ति की क़ीमत के संकेत धन अनुमान को कैसे प्रभावित करते हैं (क्या ऐसे संकेत निष्पक्ष हैं?)
(c) धन वितरण में समानता कैसे बनाए रखी जा सकती है?
(d) धन का अनुमान लगाते समय भविष्य की अनिश्चितताओं (जैसे जलवायु आपदा के कारण प्राकृतिक पूंजी या मानव पूंजी की अचानक हानि) को कैसे ध्यान में रखा जा सकता है? (पोलास्की आदि 2015; गुएरी आदि 2015)
समावेशी धन यानी IW को किसी देश की प्राकृतिक, मानवीय, उत्पादित और यहां तक कि सामाजिक पूंजी की क्षेत्रीय विविधता के आधार पर स्थानिक रूप से वितरित किया जा सकता है. इस प्रकार, राष्ट्रीय IW मूल्य का अनुमान लगाने के लिए सटीक स्थानिक (spatial) और सामयिक (temporal) संकेतकों की आवश्यकता होती है. IW का द्वि-आयामी मूल्यांकन मज़बूत स्थिरता बनाम कमज़ोर स्थिरता के मसलों और धन वितरण में समानता की हद को रेखांकित करने में मदद करेगा. अगर IW को स्थानिक रूप से मापा जाए तो देश के अन्य हिस्से किसी दूसरे हिस्से में प्राकृतिक पूंजी के अचानक नुकसान की भरपाई भी कर सकते हैं.
इस पॉलिसी ब्रीफ में प्रस्ताव किया गया है कि LiFE का मूल्यांकन समावेशी धन (IW) के सिद्धांत पर आधारित हो सकता है, लेकिन एक देश के भीतर स्थानिक वितरण के साथ और भारित औसत पर एकत्रित किए हुए स्वरूप में. किसी देश का LiFE सूचकांक उसके प्रत्येक उप-क्षेत्र के लिए समावेशी धन सूचकांक का आकलन करके और फिर उन्हें अस्थायी पैमाने पर जोड़कर प्राप्त किया जा सकता है.
LiFE सूचकांक = ∑ क्षेत्र [ IWt (SC, HC, MC, NC)]
(SC: सामाजिक पूंजी, HC: मानवीय पूंजी, MC: विनिर्मित/उत्पादित पूंजी, और NC: प्राकृतिक पूंजी)
विकास और ख़ुशहाली के संकेतक के रूप में LiFE सूचकांक को अपनाने के लिए सार्वजनिक संसाधनों के महत्वपूर्ण निवेश और सभी स्तरों पर क्षमता निर्माण की आवश्यकता होगी. इससे संक्रमण के लिए एक सक्षम वातावरण तैयार किया जा सकेगा. सूचकांक की नींव और सैद्धांतिक आधार स्थापित करने के बाद भी, इसे मापना निम्नलिखित कारणों से चुनौतीपूर्ण हो सकता है:
LiFE सूचकांक के दीर्घकालिक कार्यान्वयन के लिए कुछ बातें निहायत ज़रूरी हैं. इनमें वृद्धि और विकास को मापने के नए दृष्टिकोण को अपनाने का जोख़िम लेने की क्षमता और नई चीज़ों को सीखने का धैर्य शामिल हैं. देशों के बीच सहयोग और तालमेल महत्वपूर्ण है, लेकिन G20 समूह के भीतर और बाहर उथल-पुथल भरी भू-राजनीतिक परिस्थिति के कारण यह मुश्किल हो सकता है. इसके बावजूद, G20 देश, अपनी बड़ी और बेहद कुशल अफ़सरशाही, महत्वपूर्ण वित्तीय संसाधनों और ठोस निर्णय लेने की प्रक्रियाओं के साथ, LiFE की दिशा में आवश्यक परिवर्तन का नेतृत्व करने के लिए रणनीतिक रूप से बेहतर स्थिति में हैं. (ज़ौंडी आदि 2022).
G20 का थिंक टैंक T20 अपनी 2022 की विज्ञप्ति[1] में पहले ही स्वीकार कर चुका है कि समावेशी धन यानी IW सकल घरेलू उत्पाद से परे सतत विकास को मापने के लिए एक वैकल्पिक तरीक़ा हो सकता है. हालांकि, कौन से नए संकेतक अपनाए जाने चाहिए, इस पर विशिष्ट रूप से जानकारी नहीं दी गई है. G20 देशों में प्रगति के मुख्य मापक के रूप में LiFE सूचकांक को अपनाए जाने की आवश्यकता है.
चित्र 2, 147 देशों के लिए समावेशी धन सूचकांक और संयुक्त राष्ट्र के SDG सूचकांक के बीच संबंध को दर्शाता है, जिसे आय स्तर के आधार पर चार श्रेणियों में विभाजित किया गया है (सुगियावान आदि 2023). Q1, Q2, Q3, और Q4 इस पूरी कथा में चौथे हिस्सों (quadrants) का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो दर्शाते हैं कि कोई विशेष देश सतत विकास मार्ग का कितनी अच्छी तरह अनुसरण करता है. Q1 सबसे टिकाऊ मार्ग को दर्शाता है क्योंकि SDG सूचकांक स्कोर में सकारात्मक वृद्धि के बाद प्रति व्यक्ति IW सूचकांक में सकारात्मक वृद्धि हुई थी, जबकि Q3 सबसे अस्थिर पथ का प्रतिनिधित्व करता है क्योंकि SDG सूचकांक स्कोर और प्रति व्यक्ति IW सूचकांक दोनों घट रहे थे. यह दर्शाता है कि 147 में से 97 देश पहले चतुर्थांश (Q1) में हैं, जिसमें IWI और SDG सूचकांक दोनों के लिए सकारात्मक वृद्धि है. दूसरे चतुर्थांश (Q2) में, 47 देश हैं – ये सकारात्मक SDG वृद्धि दर्शाते हुए नकारात्मक IWI का प्रदर्शन करते हैं. यह दर्शाता है कि वे अल्पकालिक स्थिरता मार्ग पर हैं. एक से दूसरी पीढ़ियों में धन की आवाजाही पर ध्यान नहीं दिया गया है. तीसरा चतुर्थांश (Q3) सबसे ख़राब प्रदर्शन करने वाले देशों में से है, जहां SDG सूचकांक और IWI, दोनों में गिरावट आ रही है – ये पूरी तरह से अस्थिर रास्ते पर चलने वाले देश हैं. चौथा चतुर्थांश (Q4) वह है जहां SDG विकास नकारात्मक है, लेकिन IWI बढ़ रहा है. यह किसी राष्ट्र के व्यापक विकासात्मक पहलुओं का एक बहुमुखी माप होने के लिए समावेशी धन सूचकांक की क्षमता की पुष्टि करता है.
चित्र 2: समावेशी धन सूचकांक बनाम SDG सूचकांक तुलना
स्रोत: सुगियावान आदि, 2023 (लेखकों द्वारा दोबारा तैयार किया गया)
सतत विकास लक्ष्यों और समावेशी धन सूचकांक के बीच सहसंबंध को पहचानते हुए, यह पॉलिसी ब्रीफ एक रूपरेखा का प्रस्ताव करती है जिसे LiFE सूचकांक के लिए दोहराया जा सकता है. इसमें विकासात्मक प्रदर्शन के अधिक विस्तृत मूल्यांकन के लिए सभी तीन सूचकांकों (IWI, SDG और LiFE) की एक साथ जांच की जा सकती है. चूँकि LiFE सूचकांक क्षेत्रीय IWI के भारित औसत का योग होगा, लिहाज़ा यह देश की विकास स्थिति को एक स्थानिक आयाम प्रदान कर सकता है; अधिक व्यापक उपायों के लिए इसकी तुलना SDG सूचकांक से की जा सकती है। चित्र 4 एक निर्दिष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है.
चित्र 4 विकास की त्रि-आयामी तुलना का उदाहरण पेश करने वाली मिसाल
स्रोत: ख़ुद लेखक के
LiFE प्रकृति और उसके पांच तत्वों के साथ सह-अस्तित्व के भारतीय दर्शन की अभिव्यक्ति है. यह एक वांछनीय मार्ग है जो सामाजिक-आर्थिक वृद्धि और विकास की अनिवार्यताओं को पूरा करते हुए ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी सुनिश्चित कर सकता है. LiFE को मापने की आवश्यकता है ताकि लोग इसकी दिशा में अनुकूलित होकर इसमें आगे बढ़ सकें. प्रस्तावित समावेशी धन सूचकांक LiFE के निकटतम संभावित मापकों में से एक है जो एक क्रमिक परिकल्पना में प्रगति की मौलिक माप मुहैया करा सकता है. ये पॉलिसी ब्रीफ ‘नेट ज़ीरो’ प्राप्त करने के लिए LiFE परिकल्पना को LiFE अभ्यास में परिवर्तित करने के संदर्भ में समावेशी धन सूचकांक की अहमियत को रेखांकित करता है.
सतत विकास के लिए एक समग्र उपाय के रूप में LiFE सूचकांक को अपनाने और एक वैध समय सीमा के भीतर नेट-ज़ीरो हासिल करने से G20 देशों को अपनी प्रगति को मापने और संक्रमण के दौरान तौर-तरीक़ों में सुधार की आवश्यकता को समझने में मदद मिलेगी. प्रस्तावित LiFE सूचकांक G20 देशों को स्थानिक विकासात्मक समानता को आंतरिक स्तर पर समाहित करने में भी मदद करेगा, जो सफलता के लिए एक प्रमुख संकेतक है.
भारत की अध्यक्षता में G20 के देश जलवायु के हिसाब से लचीले सतत विकास को मापने के एक व्यापक साधन के रूप में LiFE सूचकांक को अपना सकते हैं, जो मूल रूप से सामयिक और स्थानिक पैमाने पर पीढ़ियों के आर-पार समानता के सिद्धांतों पर आधारित हो. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तुलना-योग्य, विश्वसनीय, विस्तृत और समयबद्ध डेटा के आधार पर विकासात्मक प्रगति को मापने के लिए G20 देशों को भारत की G20 अध्यक्षता का उपयोग करना चाहिए. इस तरह के डेटा मज़बूत संकेतकों पर आधारित होने चाहिए, साथ ही अलग-अलग कर छांटे जाने लायक़ भी होना चाहिए. इससे ख़ुशहाली का बहुआयामी मेट्रिक्स बन सकेगा, जिसमें आर्थिक और सामाजिक बेहतरी, और पर्यावरण और पारिस्थितिक स्थिरता (ecological sustainability) जैसे पहलुओं को शामिल किया जा सकेगा. पीढ़ियों के आर-पार और समग्र रूप से ख़ुशहाली को लेकर सबको स्वीकार्य एक नए मापक ढांचे को अपनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता होगी. इस कार्य को लोकप्रियता दिलाने के लिए G20 एक आदर्श मंच है.
LiFE का लक्ष्य जलवायु परिवर्तन और सतत विकास की चुनौतियों का समाधान करना है. राष्ट्रीय समावेशी धन सूचकांकों के स्थानिक योग के माध्यम से प्राप्त प्रस्तावित LiFE सूचकांक, किसी देश की LiFE कार्यान्वयन योजना का ख़ाका साबित हो सकता है. यह खंड G20 देशों में इसे अपनाने और लागू करने के लिए उठाए जा सकने वाले कदमों पर प्रकाश डालता है.
प्रस्ताव 1
LiFE सूचकांक के लिए सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत गणना पद्धति विकसित करने के लिए G20 के देशों को एक दूसरे और अन्य समान विचारधारा वाले देशों के साथ जुड़ना चाहिए. सतत विकास के वैकल्पिक संकेतक के रूप में स्थानिक रूप से वितरित IWI के एकत्रीकरण के ज़रिए इस क़वायद को अंजाम दिया जाना चाहिए. IW के सिद्धांतों का पालन करते हुए, LiFE सूचकांक एक व्युत्पन्न (derived) सूचकांक होना चाहिए. ये सूचकांक किसी निश्चित कालखंड में और देश के तमाम भौगोलिक क्षेत्रों में उस देश की प्राकृतिक, मानवीय, सामाजिक और भौतिक पूंजी के आकलन पर आधारित होना चाहिए.
G20 देशों को अपनी समग्र राष्ट्रीय संपत्ति को वास्तविक ख़ुशहाली में बदलने में अपनी सफलता (या विफलता) की पड़ताल करने के लिए संकेतकों के एक नए समूह की पहचान करनी चाहिए. जब परिसंपत्तियों को बाज़ार के भीतर और बाहर उत्पादन गतिविधि में लगाया जाता है, तब उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के उपभोग से ख़ुशहाली आती है. वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन को पहले से ही सकल घरेलू उत्पाद में उतार लिया जाता है, लेकिन बाज़ार की पारंपरिक सीमा के बाहर वस्तुओं और सेवाओं द्वारा प्रदान किए गए लाभों को शामिल करने में GDP असफल रहता है. ये प्राकृतिक पूंजी हो सकती है, जैसे स्वच्छ हवा और पानी, या समुद्र तट की अनुपम सुंदरता, जो क्षेत्र को पर्यटकों के लिए आकर्षक बनाती है; या सामाजिक पूंजी भी हो सकती है, जैसे सामुदायिक स्वास्थ्य और सुरक्षा का स्तर.
प्रगति को मापने के लिए एक संपूर्ण ढांचे में सकल घरेलू उत्पाद के साथ-साथ समावेशी धन संकेतक भी शामिल होंगे. LiFE के तहत विभिन्न प्रकार की पूंजी के बाज़ार और ग़ैर-बाज़ार मूल्यों की विविधता को भी शामिल किए जाने की दरकार है. इनकी जड़ें बहुत गहरी हैं और ये समुदायों को स्वीकार्य भी हैं. अलग-अलग स्थानों पर लोगों की प्राथमिकताएं भी भिन्न-भिन्न होती हैं, और भौगोलिक, पारिस्थितिक और प्राकृतिक विविधताओं से जुड़ी होती हैं. इसे सकल घरेलू उत्पाद से आगे निकलने की क़वायद का हिस्सा होना चाहिए.
प्रस्ताव 2
LiFE सूचकांक के इर्द-गिर्द क्षमता निर्माण के लिए G20 देशों को एक-दूसरे के साथ और समान विचारधारा वाले अन्य देशों के साथ जुड़ना चाहिए. एक नीति मार्गदर्शक के रूप में इसके मूल्य को ठीक से समझाया जाना चाहिए. LiFE सूचकांक के महत्व पर ज़ोर देने के लिए G20 के दोनों ट्रैक – वित्त से जुड़े ट्रैक (मज़बूत, सतत और संतुलित विकास के लिए रूपरेखा) और शेरपा ट्रैक (सतत विकास लक्ष्यों पर) का उपयोग किया जाना चाहिए.
दो पहलुओं पर बारीक़ी से ग़ौर किया जाना चाहिए: (a) समावेशी धन पोर्टफोलियो के संदर्भ में सदस्य देशों की विविधता; और (b) आर्थिक विकास को मापने के गहरे पारंपरिक तरीकों को और अधिक प्रगतिशील तरीक़ों की ओर कैसे मोड़ा जाए. LiFE सूचकांक विकसित करने के लिए आवश्यक मैट्रिक्स का उचित माप सुनिश्चित करना आवश्यक है. इसको लेकर सांख्यिकी से संबंधित विभागों में संरचनागत प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के लिए एक योजना विकसित करना भी आवश्यक है. क्षमता निर्माण में तकनीकी विवरणों (संकेतकों, आंकड़ों, गणनाओं) के साथ-साथ दीर्घकालिक योजना में उनकी उपयोगिता पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए. इसके दायरे में ये भी शामिल होना चाहिए कि संकेतक मूल्यों को कैसे पढ़ा और उनकी व्याख्या कैसे की जाए. साथ ही मूल्यों में सुधार कैसे किया जाए और लघु/मध्यम और दीर्घकाल में क्या कार्रवाई की जाए!
LiFE सूचकांक के मूल्यांकन और निगरानी करने को लेकर सुचारू और निर्बाध पहुंच के लिए एक व्यापक डेटा संग्रह के साथ-साथ रखरखाव मानक और सुविधा तैयार करना भी समान रूप से महत्वपूर्ण है. तकनीकी कर्मचारियों को समावेशी धन-आधारित मूल्यों को शामिल करने वाले नए मूल्यांकन उपकरण तैयार करने के लिए प्रशिक्षण की आवश्यकता होगी, जबकि वरिष्ठ अधिकारियों को सूचकांक को समझने के लिए उनका मार्गदर्शन करना सीखना होगा. विशेष रूप से LiFE सूचकांक के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक अलग एजेंसी बनाई जानी चाहिए, जो किसी भी प्रासंगिक मंत्रालय/विभाग की मेज़बानी में आती हो. G20 शिखर सम्मेलन LiFE सूचकांक की प्रगति, ताज़ा-तरीन मसलों और उनके क्रियान्वयन के रास्ते की बाधाओं पर चर्चा करने का मंच हो सकते हैं.
प्रस्ताव 3
G20 देशों को LiFE सूचकांक को लागू करने की दिशा में छोटे कदम उठाने के लिए एक-दूसरे के साथ-साथ समान विचारधारा वाले अन्य देशों के साथ भी जुड़ना चाहिए. कार्यप्रणाली को ठीक करते समय, और सकल घरेलू उत्पाद पर आधारित विकास मापक के विकल्प के रूप में इसकी औपचारिक स्वीकृति के लिए संस्थागत व्यवस्था स्थापित करते समय, उन्हें यह भी करना चाहिए:
एक स्थायी जीवन शैली अपनाएं: LiFE सूचकांक पर स्कोर सुधारने का एक तरीक़ा यह आकलन करना होगा कि समुदायों ने किस हद तक नवीकरणीय ऊर्जा में परिवर्तन किया है।
कार्बन उत्सर्जन कम करें: टिकाऊ तौर-तरीक़ों को प्रोत्साहित करके ऐसा किया जा सकता है. इनमें जीवाश्म ईंधन के उपयोग को कम करना और नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देना शामिल है. कार्बन उत्सर्जन में कमी को मापने से जलवायु परिवर्तन पर इसके प्रभाव का संकेत मिलेगा.
आजीविका में सुधार: इसके लिए उत्पादकता और आय बढ़ाने वाले टिकाऊ अभ्यासों को बढ़ावा देने की आवश्यकता होगी. आय, उत्पादकता और रोज़गार परिवर्तनों को मापने से आजीविकाओं पर प्रभाव के संकेत मिलेंगे.
शिक्षा और ज्ञान बढ़ाएं: चूंकि शिक्षा एक मानवीय पूंजी है, लिहाज़ा शिक्षा के दायरे को बढ़ाने से समग्र मानव पूंजी सूचकांक स्कोर में सुधार होगा. इस प्रकार LiFE सूचकांक भी सुधर जाएगा. जागरूकता के स्तरों और क्षमता में परिवर्तनों को मापने से शिक्षा पर प्रभाव के संकेत मिलेंगे.
लोगों की भागीदारी बढ़ाएं: सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न स्टेकहोल्डर्स के बीच समन्वय बढ़ाना आवश्यक है. इनमें सरकारी एजेंसियां, ग़ैर-सरकारी संगठन (NGO) और स्थानीय समुदाय शामिल हैं. सहयोग और साझेदारी की सीमा को मापने से एक सतत विकास पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण पर प्रभाव का संकेत मिलेगा.
एट्रिब्यूशन: शुनसुके मानागी, अनिंद्या भट्टाचार्या, और तानिया भट्टाचार्या, “इन्क्लूसिव वेल्थ इंडेक्स: ए कॉम्प्रिहैंसिव मेज़र ऑफ LiFE टूवर्ड्स ‘नेट ज़ीरो’,” T20 पॉलिसी ब्रीफ, मई 2023.
[1] T20 Communique (p 23)