ब्लू इकोनॉमी ट्रांज़िशन के लिए पूंजी का इंतज़ाम

ANGELIQUE POUPONNEAU | JACK DYER | Kapil Narula | Mark J. Spalding | Torsten Thiele | Pradeep Chauhan

टास्क फोर्स 6: SDGs में तेज़ी लाना: 2030 एजेंडा के लिए नए मार्गों की तलाश करना


सार

G20 के सदस्य देशों के अंतर्गत आने वाला समुद्र तटीय क्षेत्र यानी कोस्टलाइन पूरी दुनिया की कुल कोस्टलाइन का 45 प्रतिशत है. यही वजह है कि सतत विकास लक्ष्यों में महासागरों की अहम भूमिका को देखते हुए ब्लू इकोनॉमी यानी नीली अर्थव्यवस्था की ताक़त का इस्तेमाल करना बेहद महत्त्वपूर्ण है. हालांकि, इसमें तमाम चुनौतियां हैं, जैसे कि वित्तपोषण में एक बड़ा अंतर, वैश्विक मानकों की कमी और ‘ब्लू फाइनेंसिंग’ अर्थात नीले वित्तपोषण के तहत क्या-क्या आता है, इसको लेकर एक आम सहमति का अभाव. जैसे कि निवेश को नुक़सान पहुंचाने वाली सब्सिडी और परियोजनाओं को ख़राब बैंकेबिलिटी यानी बैंकों के मापदंडों के अनुरूप नहीं होने का सामना करना पड़ रहा है, इसलिए इसमें प्राइवेट, पब्लिक और कल्याणकारी वित्तपोषण की ज़रूरत बहुत शिद्दत के साथ महसूस की जा रही है. G20 ऋण-फॉर-नेचर स्वैप यानी जैव विविधता संरक्षण और पर्यावरण नीति उपायों में निवेश करने की प्रतिबद्धताओं के बदले विदेशी ऋण के कुछ भाग को माफ़ करने की अनुमति, ब्लू बॉन्ड्स एवं लोन, पर्यावरण संरक्षण के नतीज़ों पर आधारित वित्तपोषण और पैरामीट्रिक इंश्योरेंस यानी पुराने आंकड़ों, संभावित ज़ोख़िम एवं अन्य प्रासंगिक पहलुओं के आधार पर बीमा कवरेज जैसे लक्षित वित्तीय साधनों को प्रोत्साहन देकर ब्लू इकोनॉमी ट्रांज़िशन अर्थात नीली अर्थव्यवस्था में परिवर्तन के लिए फाइनेंसिंग को उत्प्रेरित कर सकता है. इसके लिए जो प्रमुख सिफ़ारिशें हैं, उनमें ठोस मानकों और रूपरेखाओं को अपनाना; कमियों और ग़लतियों को दूर करना; लंबे समय तक चलने वाली सब्सिडी को समाप्त करना; नए-नए वित्तीय साधनों को अमल में लाना; सामंजस्यपूर्ण नीतियों और समन्वित प्रतिक्रियाओं को लागू करना; सार्वजनिक निवेश को बढ़ाना; निवेश को ज़ोख़िमों से मुक्त करना; प्राइवेट फाइनेंस को प्रोत्साहित करना और भागीदारी सुनिश्चित करना शामिल है.

  1. चुनौती

नीली अर्थव्यवस्थाका मतलब

ब्लू इकोनॉमी यानी नीली अर्थव्यवस्था का मतलब समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की सेहत का संरक्षण करते हुए आर्थिक विकास के साथ-साथ बेहतर आजीविका एवं रोज़गार के लिए समुद्री संसाधनों का टिकाऊ इस्तेमाल करना है. ब्लू इकोनॉमी गतिविधियां सतत विकास, संसाधन उपयोग के साथ संरक्षण को संतुलित करने और सुधार को बढ़ावा देने के लिए महासागर को एक अहम जगह स्थान के रूप में स्वीकार करती हैं. ये गतिविधियां सामाजिक-आर्थिक विकास को पर्यावरण के पतन या नुक़सान से अलग करती हैं, इस प्रकार से न केवल समुद्री इकोसिस्टम के संरक्षण में सहायता मिलती है, बल्कि लाभों के साझाकरण को भी प्रोत्साहित किया जाता है, पहुंच में समानता एवं समावेशी विकास को बढ़ावा दिया जाता है और बेहतर कल्याण की ओर अग्रसर किया जाता है.

G20 देशों में नीली अर्थव्यवस्था और मौज़ूदा ख़तरे

G20 समूह समुद्र तटीय देशों से बना है और इसके सदस्य देशों के अंतर्गत पूरे विश्व का 45 प्रतिशत समुद्र तटीय क्षेत्र एवं 21 प्रतिशत एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक ज़ोन यानी विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (EEZ) आता है. देखा जाए तो समुद्र से संबंधित गतिविधियां G20 देशों की आर्थिक प्रगति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, इनमें अंतर्राष्ट्रीय शिपिंग, पर्यटन, प्राकृतिक संसाधन और जीवाश्म ईंधन उपलब्ध कराने जैसी गतिविधियां शामिल हैं. इतना ही नहीं G20 सदस्य देश जहाज निर्माण, मछली पकड़ने, समुद्री सेवाओं और अन्य सहायक उद्योगों के ज़रिए खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा और आजीविका में सहायता करने में योगदान देते हैं. इसके अलावा वैश्विक समुद्र पूरी दुनिया की आधे से अधिक ऑक्सीजन का उत्पादन करता है, हीट सिंक यानी अत्यधिक या अवांछित गर्मी को अवशोषित करने के माध्यम के रूप में काम करता है और वैश्विक स्तर पर मौसम को स्थिरता प्रदान करने में सहायता करता है. समुद्री और तटीय पारिस्थितिकी तंत्र अहम तटीय सुरक्षा के साथ-साथ कार्बन भंडारण और कार्बन डाइऑक्साइड को वायुमंडल के अलग करने का भी काम करता है. महासागर सामुदायिक पहचान, मनोरंजन के साधन, ख़ूबसूरती एवं वैज्ञानिक लाभ जैसे गैर-भौतिक लाभ भी उपलब्ध कराता है, साथ ही समुद्र मानवजाति की आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक विरासत का भी एक अहम हिस्सा है.

विभिन्न तरह के मानव जनित दबाबों, जैसे कि समुद्री प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, अत्यधिक मछली पकड़ने, अस्थिर तटीय विकास, समुद्री गवर्नेंस में अंतर, ख़राब प्रबंधन, कार्यान्वयन की क्षमता की कमी और तमाम दूसरे लक्ष्यों के ऊपर आर्थिक विकास की प्राथमिकता देने से समुद्री पारिस्थितिक तंत्र पर ख़तरा पैदा होता है. अन्य घातक और नुक़सान पहुंचाने वाले प्रभावों के अतिरिक्त, इससे प्राकृतिक पूंजी का पतन होता है और लचीलेपन में कमी आती है. इसके अलावा, SDG 14 (‘टिकाऊ विकास के लिए महासागरों, समुद्रों और समुद्री संसाधनों का संरक्षण और टिकाऊ तरीक़े से उपयोग’) और अन्य SDGs के बीच प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष तौर पर विभिन्न प्रकार का तालमेल है. सतत विकास प्रदान करने के लिहाज़ से वैश्विक महासागर की प्रधानता और प्रमुखता के मद्देनज़र ब्लू इकोनॉमी की ओर संक्रमण G20 देशों के लिए अत्यंत आवश्यक है.

वित्तपोषण का बड़ा अंतर

WWF के मुताबिक़ वैश्विक अर्थव्यवस्था में 2.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के सालाना योगदान के साथ, समुद्र का कुल एसेट बेस यानी संपत्ति आधार कम से कम 24 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर है. [1] अन्य अध्ययनों के मुताबिक़ वैश्विक इकोनॉमी में समुद्र का वार्षिक योगदान 1.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर है. [2] वास्तविकता में देखा जाए तो धरती पर जीवन महासागरों पर निर्भर है और बेहतरीन समुद्री एवं तटीय इकोसिस्टम अत्यधिक आर्थिक व सामाजिक लाभ प्रदान करते हैं. ऐसे में जबकि पारंपरागत समुद्री सेक्टर पूंजी को आकर्षित करना जारी रखते हैं, नीली अर्थव्यवस्था में निवेश बहुत कम है और एक हिसाब से अपर्याप्त है. अनुमान के अनुसार पिछले 10 वर्षों में ब्लू इकोनॉमी में सिर्फ़ 13 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया गया. [3] विश्व बैंक PROBLUE कार्यक्रम यानी देशों को उनकी ब्लू इकोनॉमी विकसित करने में मदद करने के लिए एक अम्ब्रेला मल्टी-डोनर ट्रस्ट फंड को 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर प्राप्त हुए हैं, जो कि वर्ल्ड बैंक [4] के 7 बिलियन अमेरिकी डॉलर की पहले से चल रहीं महासागर परियोजनाओं के पोर्टफोलियो का एक छोटा सा प्रतिशत है. संरक्षित क्षेत्र के 10 प्रतिशत तक पहुंचने के लिए MPAs की स्थापना और रखरखाव हेतु (SDG 14 का लक्ष्य 14.5 प्रतिशत) वित्तपोषण अंतर प्रति वर्ष 7.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, जबकि ज़रूरी निवेश इसके वर्तमान मूल्य का 20 से 30 गुना है. [5] अन्‍य स्थिति से संबंधित तथ्‍यों के आधार पर यह स्थिति विशेष का मूल्‍यांकन करते हुए वर्ष 2030 तक 30 प्रतिशत संरक्षित क्षेत्रों (अंतर्देशीय जल, तटीय और समुद्री क्षेत्रों) को सुनिश्चित करने के कुनमिंग-मॉन्ट्रियल ग्लोबल बायो-डॉयवर्सिटी फ्रेमवर्क के लक्ष्य को पूरा करने के लिए 27.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष का वित्तपोषण अंतर प्रस्तावित करता है.

नीली अर्थव्यवस्था के वित्तपोषण फ्रेमवर्क और वैश्विक मापदंडों का अभाव

जहां तक नीली अर्थव्यवस्था के लिए वित्तपोषण की बात है, तो यह फ्रेमवर्क, वैश्विक मापदंड़ों, तर्कसंगत कार्यप्रणाली और निवेशकों का मार्गदर्शन करने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन की कमी से ग्रसित है, इस कारण से प्रभावशाली और ज़रूरी फैसले लेने की क्षमता सीमित हो जाती है. [6] ब्लू इकोनॉमी सस्टेनेबिलिटी फ्रेमवर्क समेत कई फ्रेमवर्क्स यूरोपियन यूनियन में ब्लू इकोनॉमी क्षेत्रों में निवेश निर्णयों के बारे में बताते हैं. इसके अतिरिक्त प्रस्तावित फ्रेमवर्क्स में मछली पकड़ने की टिकाऊ प्रथाओं में निवेश करने के लिए प्रिंसिपल्स फॉर इन्वेस्टमेंट इन सस्टेनेबल वाइल्ड-कॉट फिशरीज़, दि ओसन फाइनेंस फ्रेमवर्क (ADB) और एक ब्लू इकोनॉमी डेवलपमेंट फ्रेमवर्क (वर्ल्ड बैंक) शामिल हैं.

इंटरनेशनल फाइनेंस कॉर्पोरेशन ने नीली अर्थव्यवस्था में वित्तपोषण के लिए दिशानिर्देशों में सस्टेनेबल ब्लू इकोनॉमी फाइनेंस प्रिंसिपल्स (70 संस्थानों द्वारा समर्थित) और सस्टेनेबल ओसन प्रिंसिपल्स (150 कंपनियों द्वारा समर्थित) को जोड़ दिया है. हालांकि, ये सिद्धांत और दिशानिर्देश मिलेजुले लाभ उपलब्ध कराते हैं, साथ ही विभिन्न राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय योजनाओं के अनुकूल हैं, इसके बावज़ूद उन्हें अलग-अलग तंत्र, अपर्याप्त जानकारी और जागरूकता की कमी जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. पहले से ही इस बात को लेकर अभी तक कोई सहमति नहीं है कि ब्लू फाइनेंसिंग क्या होती है और न ही इसको लेकर कोई सहमति बनी है कि गतिविधियों एवं नियामक तंत्रों का वर्गीकरण करने के लिए [7] और निवेश के असर का मूल्यांकन करने के लिए किस तरीक़े का उपयोग किया जाना चाहिए. इससे निरंतरता, पारदर्शिता एवं जवाबदेही की कमी सामने आती है और जो आख़िरकार निवेश के भरोसे को कमज़ोर करने का काम करती है.

निवेश को कमज़ोर कर रही है नुक़सानदायक सब्सिडी

नीली अर्थव्यस्था की ओर संक्रमण में समुद्री सेक्टर के लिए नुक़सानदायक सब्सिडी यानी आर्थिक सहायता भी रुकावटें पैदा करने वाली है, क्योंकि यह समुद्र की सेहत को कमज़ोर करने का काम करती है. हालांकि, इस सेक्टर में कुल कितनी आर्थिक मदद दी जा रही है उसकी पूरी सीमा निर्धारित नहीं है, लेकिन अनुमान है कि वर्ष 2018 में वैश्विक वार्षिक स्तर पर फिशिंग अर्थात मछली पकड़ने की सब्सिडी का अनुमान 35 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जिसने न केवल अत्यधिक मछली पकड़ने को बढ़ावा दिया, बल्कि अवैध तरीक़े से मछली पकड़ने को भी बढ़ावा दिया. [8] अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने वर्ष 2020 के लिए जीवाश्म ईंधन सब्सिडी में 5.9 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का अनुमान लगाया है और यह सब्सिडी वर्ष 2021-23 में और अधिक बढ़ गई, जिससे समुद्र की सेहत प्रभावित हुई है. [9] ज़ाहिर है कि इसमें समुद्री प्रदूषण में प्लास्टिक उद्योग और उर्वरक सब्सिडी के प्रत्यक्ष योगदान को शामिल नहीं किया गया है. क्षमता को प्रोत्साहित करने वाली मत्स्य पालन आर्थिक मदद समुद्र में मछलियों को नुक़सान पहुंचाती है, इससे मछली की तमाम प्रजातियों के विलुप्त होने का ख़तरा पैदा हो जाता है और असमानता को बढ़ावा मिलता है, जो कि छोटे स्तर पर मत्स्य पालन के लिए आर्थिक व्यवहारिकता को कमज़ोर करती है और यह मछुआरा समुदायों की आजीविका और खाद्य सुरक्षा को भी ख़तरे में डालती है. इसके साथ ही नुक़सानदेह सब्सिडी समुद्र के संरक्षण में कल्याणकारी निवेश और सार्वजनिक निवेश को रोकने का काम करती है, ज़ाहिर है कि प्रोत्साहन की कमी के चलते नीली अर्थव्यस्था में निवेश सीमित होता है.

परियोजनाओं की कम बैंक योग्यता

ब्लू इकोनॉमी में आर्थिक निवेश में मामूली बढ़ोतरी के बावज़ूद, इस क्षेत्र में निवेश के लिहाज़ से महत्त्वपूर्ण ऐसी परियोजनाओं की संख्या बहुत कम है, जो नीली अर्थव्यवस्था के सिद्धांतों, वित्तपोषण दिशानिर्देशों और निवेशकों की ज़रुरतों के अनुरूप हों. स्थानीय क्षेत्र और स्थल पर आधारित प्रोजेक्ट फंडिंग का ट्रैक रिकॉर्ड बहुत लंबा है, लेकिन इसके उलट ज़्यादातर समुद्री परियोजनाओं का वित्तीय रिटर्न बहुत ख़राब होता है, इसके साथ ही इनमें पर्याप्त आकार की कमी होती है और ये परियोजनाएं उच्च ज़ोख़िम-रिटर्न अनुपात एवं पर्याप्त स्तर पर पूंजी आकर्षित करने में विफल रहती हैं. एक और बात यह है कि अक्सर हितधारकों को ब्लू इकोनॉमी के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं होती है, इस बारे में सीमित समझ के चलते वे नीली अर्थव्यवस्था में निवेश के लिए उपयुक्त और योग्य अवसरों की पहचान ही नहीं कर पाते हैं. लचर समुद्री गवर्नेंस और परियोजनाओं की अंतर्निहित प्रकृति, जो अक्सर पब्लिक गुड्स प्रदान करती है, ये कुछ अन्य कारक हैं जो लाभ अर्जित करने में रुकावट पैदा करते हैं, जिसकी वजह से ब्लू इकोनॉमी परियोजनाओं की बैंक योग्यता प्रभावित होती है.

व्यावसायिक हित और प्राइवेट फाइनेंस की कमी

व्यावसायिक ऋणदाताओं का कहना है कि इस क्षेत्र में उचित लाभ और प्रोत्साहन की कमी है, निवेश के लिए उपयुक्त एवं विपणन योग्य प्रोजेक्ट्स की संख्या कम है, वित्तीय संसाधन सीमित हैं और जानकारी के अभाव की वजह से नीली अर्थव्यवस्था से जुड़ी परियोजनाओं में ज़ोख़िम बहुत अधिक है. ज़ाहिर है कि इन वजहों से परियोजनाओं को वित्तपोषित करने की ओर रुझान कम हो जाता है.[10] इतना ही नहीं यह प्रवृत्ति सफल और मिसाल पेश करने वाली परियोजनाओं के बारे में जानकारी नहीं होने की वजह से और बढ़ जाती है. स्वैच्छिक ब्लू इकोनॉमी निवेश प्रतिबद्धताओं के विश्लेषण से सामने आता है कि ऐसी परियोजनाओं में जो निवेश हुआ है उनमें से ज़्यादातर निवेश NGOs और सरकारों की ओर से किए गए थे, यानी कि निजी संस्थानों या पब्लिक-प्राइवेट-पार्टनरशिप्स के माध्यम से किए गए निवेश बहुत कम थे.[11]  कुछ ऐसा ही विश्लेषण ब्लू इकोनॉमी निवेशकों के एक सर्वेक्षण द्वारा सामने आया है, जिसमें कहा गया है कि 75 प्रतिशत निवेशकों ने समुद्री स्थिरता पर प्रभाव के लिहाज़ से अपने निवेश पोर्टफोलियो का मूल्यांकन नहीं किया था और 20 प्रतिशत निवेशक ऐसे थे, जिन्हें समुद्र से जुड़ी परियोजनाओं में निवेश से संबंधित ज़ोख़िमों के बारे में जानकारी नहीं थी. [12]

आंकड़ों की उपलब्धता की कमी, तकनीक़ी बाधाएं और क्षमता की सीमाएं

जहां तक ब्लू इकोनॉमी में संक्रमण के लिए वित्तपोषण की बात है तो इसमें कई प्रकार की दिक़्क़तें हैं. जैसे की आंकड़ों की उपलब्धता का अभाव है, तमाम तकनीक़ी बाधाएं और क्षमता की भी सीमाएं हैं. इसके अलावा सटीक समुद्री सर्वेक्षण की गैरमौज़ूदगी, ख़तरों का अनियमित आकलन, सीमित तकनीक़ी प्रशिक्षण, समुद्री टेक्नोलॉजी की कमी और निवेश को प्राथमिकता देने में लचर राजनीतिक सहयोग जैसी विभिन्न परेशानियां भी इसमें शामिल हैं. इसके अतिरिक्त, तटीय/समुद्री ज़िम्मेदारियों, अधिकार क्षेत्र और अवधि के बारे में अनिश्चितिता के साथ ही निजी और/या सामुदायिक संपत्ति अधिकार भी निवेशकों की दिलचस्पी को कम कर देते हैं. इतना ही नहीं, नए वित्तपोषण तंत्र के बारे में विशेषज्ञता का अभाव, अनुभव की कमी एवं वित्तीय और व्यावसायिक जानकारी की कमी के साथ ही उद्यमशीलता का अभाव भी तमाम रुकावटें पैदा करने का काम करता है.

  1. G20 की भूमिका

G20 का प्लेटफॉर्म टिकाऊ मत्स्य पालन, एकीकृत कोस्टल ज़ोन प्रबंधन, ज़मीन पर बेहतर अपशिष्ट-प्रबंधन सुविधाओं, टिकाऊ समुद्री एवं तटीय पर्यटन, स्वच्छ समुद्री परिवहन और समुद्र के तट से दूर स्थित नवीकरणीय ऊर्जा प्रोजेक्ट्स में निवेश के लिए ट्रांज़िशन फाइनेंस को उत्प्रेरित कर सकता है.

हालांकि परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए तमाम स्रोत हैं (चित्र 1 देखें), लेकिन परियोजनाओं के लिए किस प्रकार की पूंजी की ज़रूरत है, इसको लेकर ठीक प्रकार से तालमेल बैठाना महत्त्वपूर्ण है. ज़ाहिर है कि जिन परियोजनाओं में प्रतिस्पर्धी मार्केट रिटर्न उत्पन्न करने की क्षमता है, उन्हें पूरी तरह से निजी ऋण और इक्विटी द्वारा वित्त पोषित किया जाना चाहिए. प्रत्यक्ष तौर पर वित्तीय रिटर्न नहीं देने की संभावना वाले पब्लिक गुड्स प्रोजेक्ट्स जैसे कि उन्नत पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं, को सार्वजनिक स्रोतों, डेवलपमेंट फाइनेंस एवं कल्याणकारी फंड्स से वित्त पोषित किया जाना उचित होता है. मिश्रित आर्थिक दृष्टिकोण, जो निजी निवेशकों और संस्थानों से व्यावसायिक फंडिंग को जोड़ता है, ये ऐसी परियोजनाओं के लिए एक बेहतर विकल्प है, जो मार्केट से कम रिटर्न हासिल करती हैं, ज़ाहिर है कि सरकारी या फिर कल्याणकारी स्रोतों से अनुदान का लाभ उठाकर ऐसे निवेशों को ज़ोख़िम मुक्त करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. उल्लेखनीय है कि इससे वित्तपोषण की कुल लागत कम हो जाती है और परियोजना विकास को ग्रांट-फंडेड तकनीक़ी सहायता के ज़रिए कवर किया जा सकता है. इसके ताज़ा उदाहरणों में ग्लोबल फंड फॉर कोरल रीफ्स और सबनेशनल क्लाइमेट फाइनेंस फंड शामिल हैं, दोनों ने ग्रीन क्लाइमेट फंड जूनियर कैपिटल को आकर्षित किया है.

चित्र 1. ज़ोख़िम-रिटर्न की विशेषता वाली पूंजी के प्रकार और उसे प्रदान करने वाले [13]

G20 चुनिंदा वित्तपोषण तंत्रों के साथ नीली अर्थव्यवस्था में निवेश को प्रोत्साहन देने में सहायता कर सकता है.

समुद्री सुरक्षा के लिए प्रकृति के बदले ऋण की अदला-बदली करना

नीली अर्थव्यवस्था के वित्तपोषण के लिए जो भी ऋण के साधन हैं, वे ऐसे देशों के लिए ख़ास तौर पर आकर्षक हैं, जिनकी विदेशी विकास सहायता तक पहुंच सीमित है. हालांकि, ऋण का बढ़ता बोझ कई देशों की ब्लू इकोनॉमी में निवेश करने की क्षमता को सीमित कर देता है. प्रकृति के बदले ऋण की अदला-बदली एक ऐसा वित्तीय तंत्र है, जिसके अंतर्गत किसी देश के विदेशी ऋण को समुद्री संरक्षण में निवेश करने की प्रतिबद्धता के बदले में अधिक अनुकूल शर्तों के मुताबिक़ पुनर्गठित किया जाता है. जैसे कि MPAs की स्थापना के ज़रिए और इस प्रकार के वित्तीय तंत्र निरंतर बढ़ रहे हैं. चित्र 2 एक आधारभूत मॉडल को प्रदर्शित करता है, जिसमें एक ऋणदाता सरकार दूसरे देश के सॉवरेन ऋण यानी संप्रभु ऋण को निरस्त कर देती है और कर्ज़दार सरकार पर्यावरणीय परियोजनाओं को फंड देने के लिए स्थानीय मुद्रा में राशि का उपयोग करती है. जहां तक त्रिपक्षीय मॉडल का मामला है तो इसमें परियोजनाओं को निष्पादित करने के लिए एक NGO मध्यस्थ की भूमिका निभाता है. जैसा कि चित्र 1 में स्पष्ट है, ऋण फंडिंग की इस विविधिता का उपयोग उन संरक्षित परियोजनाओं के लिए किया जा सकता है, जिनमें वित्तीय ज़ोख़िम एवं रिटर्न कम होता है.

चित्र 2. प्रकृति के बदले ऋण अदला-बदली के द्विपक्षीय और त्रिपक्षीय मॉडल [14]

ब्लू बॉन्ड्स

ब्लू बॉन्ड्स ऋण के ऐसे साधन हैं, जहां जारीकर्ता प्राधिकरण (उदाहरण के तौर पर सरकार, बैंक) ब्लू इकोनॉमी का वित्तपोषण करने के लिए पूंजी जुटाते हैं. इसका मकसद परियोजना के ज़रिए आय कमाना होता है, जबकि इस आमदनी के माध्यम से प्रभाव डालने की कोशिश की जाती है.[15] ब्लू बांड एक हिसाब से हरित बांड का ही एक स्वरूप है, जहां मुनाफ़े का उपयोग विशेष रूप से समुद्री-सुरक्षा परियोजनाओं के लिए किया जाना चाहिए. ऋण के इन साधनों का इस्तेमाल बहुपक्षीय वित्तीय संस्थानों जैसे कि नॉर्डिक इन्वेस्टमेंट बैंक, वर्ल्ड बैंक, एशियाई विकास बैंक और बैंक ऑफ चाइना द्वारा तेज़ी के साथ किया जा रहा है. इन बहुपक्षीय वित्तीय संस्थानों द्वारा ऋण के इन साधनों का उपयोग परियोजनाओं के एक समूह जैसे कि समुद्री प्लास्टिक कचरे को संबोधित करना और अपशिष्ट जल उपचार संयंत्रों को उन्नत करना, आदि के वित्तपोषण के लिए प्रभावी साधन के तौर पर किया जाता है.

ब्लू ऋण

ब्लू लोन, ऋण लेने वालों को ब्लू इकोनॉमी से संबंधित गतिविधियों का सहयोग करने के लिए राशि एकत्र करने में सक्षम बनाता है. ऐसा ऋण ‘हरित ऋण के सिद्धांतों’ के अनुरूप होता है और इससे होने वाली आमदनी ख़ास तौर पर समुद्र संरक्षण और/या बेहतर जल प्रबंधन की दिशा में फाइनेंस या रिफाइनेंस की गविधियों के लिए समर्पित होती है.[16] ब्लू लोन समुद्र से प्लास्टिक कचरे को निकालने, अपशिष्ट जल प्रबंधन में सुधार करने और छोटे और मध्यम उद्यमों (SMEs) की पूंजी तक आसान पहुंच जैसी परियोजनाओं में निवेश के लिए ब्लू इकोनॉमी वित्तपोषण के एक स्रोत के रूप में उभर रहे हैं.

संरक्षण के नतीज़ों पर आधारित वित्तपोषण

नतीज़ों पर आधारित वित्तपोषण के साधनों, जैसे कि स्थिरता से जुड़े ऋण और बॉन्ड्स पहले से निर्धारित किए गए संरक्षण के लक्ष्यों को वित्तीय रिटर्न से जोड़कर धन संरक्षण के ज़ोख़िम को डोनर्स से प्रभावी निवेशकों तक स्थानांतरित करने के लिए एक वैकल्पिक तंत्र हो सकता है. जैसे कि दक्षिण अफ्रीका में गैंडों के संरक्षण के लिए दि वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन बॉन्ड्स को एक विशिष्ट समुद्री प्रजाति के संरक्षण, छोटे स्तर के मत्स्य पालन का संरक्षण, या समुद्री जैव विविधता के नुक़सान को रोकने जैसे नतीज़े हासिल करने के लिए एक उदाहरण के तौर पर माना जा सकता है.

पैरामीट्रिक बीमा उत्पाद

पारंपरिक इंश्योरेंस बंदरगाहों और ट्रांसपोर्ट जैसे समुद्री इन्फ्रास्ट्रक्चर के नुक़सान से जुड़े ज़ोख़िम को कवर करता है. लेकिन किसी घटना की वजह से होने वाले नुक़सान की भरपाई के लिए पैरामीट्रिक बीमा भी तेज़ी के साथ उभर रहा है, यानी वो बीमा जो वैकल्पिक ज़ोख़िमों को भी कवर करता है. इसका एक उदाहरण मेसोअमेरिकन रीफ इंश्योरेंस प्रोग्राम है, जो तूफान के ज़ोख़िम को कवर करता है और रीफ यानी समुद्र के ठीक नीचे और ठीक ऊपर स्थित चट्टानों की बहाली एवं तटीय इलाक़ों में रहने वाले समुदायों की स्थानीय आर्थिक रिकवरी के लिए मदद उपलब्ध कराता है. अन्य समाधानों में छोटे पैमाने पर मत्स्य पालन के लिए मौसम के इंडेक्स पर आधारित पैरामीट्रिक बीमा[17] और ओसन कार्बन सिंक इंश्योरेंस पॉलिसियां शामिल हैं,[18] जो उस स्थिति में मुआवजा प्रदान करती हैं, जब विशिष्ट समुद्री पर्यावरण में स्थानीय प्रजातियों जैसे कि केल्प, शेलफ़िश या शैवाल को नुक़सान पहुंचता है, जो कि ब्लू कार्बन सिंक्स को कमज़ोर करने का काम करता है.

सफल उदाहरणों से सबक़

ब्लू इकोनॉमी वित्तपोषण साधनों के सफल उपयोग के उदाहरणों में सेशेल्स का प्रकृति के बदले ऋण अदला-बदली कार्यक्रम शामिल है. वहां पर समुद्री संरक्षण और जलवायु अनुकूलन के लिए धन को मोड़कर सेशेल्स EEZ के 30 प्रतिशत की सुरक्षा प्रतिबद्धता के लिए देश के 21.6 मिलियन अमेरिकी डॉलर के विदेशी ऋण का पुनर्गठन किया गया था. इसके साथ ही सेशेल्स द्वारा 15 मिलियन अमेरिकी डॉलर का सॉवरेन ब्लू बांड जारी किया गया और इससे होने वाली आमदनी का उपयोग टिकाऊ मत्स्य पालन में परिवर्तन का सहयोग करने के लिए किया जा रहा है. इन क़दमों की वजह से सरकार के राजकोष में बढ़ोतरी हुई है, साथ ही महासागर संरक्षण एवं जलवायु कार्रवाई की मदद करने के लिए अनुदान में सालाना 700,000 अमेरिकी डॉलर वितरित करने की क्षमता में वृद्धि हुई है और प्राइवेट सेक्टर ब्लू लोन प्रदान करने के लिए 12 मिलियन अमेरिकी डॉलर का एक रिवॉल्विंग फंड भी बना है. वर्ष 2021 में प्रकृति के बदले ऋण अदला-बदली और ब्लू बॉन्ड मॉडलों को बेलीज़ में 363 मिलियन अमेरिकी डॉलर के ‘सुपर ब्लू बॉन्ड’ के साथ और बारबाडोस में 50 मिलियन अमेरिकी डॉलर के डेट-फॉर-नेचर स्वैप के साथ दोहराया गया था.

वित्तपोषण के नए साधनों की पड़ताल के दौरान इस पर मंथन करना बेहद अहम है कि क्या वे सफलता को लेकर अच्छी तरह से परिभाषित किए गए संकेतकों के साथ ब्लू इकोनॉमी वित्तपोषण में अंतर को दूर कर रहे हैं. अगर किसी बॉन्ड को ‘ब्लू’ कहा जाता है, तो इसका मतलब यह होना चाहिए कि इसकी कम से कम 90 प्रतिशत धनराशि ब्लू इकोनॉमी परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए आवंटित की जानी चाहिए. बदकिस्मती से ब्लू बॉन्ड से होने वाली आमदनी को मनमाने तरीक़े से उपयोग करने के लिए बांड जारी करने वालों को क़ानूनी तौर पर जवाबदेह ठहराने के लिए उचित नियम-क़ानून अभी तक मौज़ूद नहीं हैं. इस प्रकार से इसमें ‘ब्लू-वॉशिंग’ का ज़ोख़िम बहुत अधिक है, यानी इसका भ्रामक प्रचार करने की संभावना बहुत अधिक है कि यह बॉन्ड नीली अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने के लिए जारी किए गए हैं, जबकि सच्चाई ऐसी नहीं होती है. [19] पारदर्शिता की कमी, नागरिकों की पूर्व और सूचित सहमति प्राप्त करने के लिए भागीदारी वाले नज़रिए की कमी, रकम वितरित करने के लिए इस्तेमाल किए जाने तंत्र पर सवालिया निशान और सरकारी विभागों एवं दूसरे सिविल सोसाइटी संगठनों से ज़्यादा वार्षिक बजट वाले ताक़तवर गैर सरकारी संगठन, जैसे कुछ बेहद मुश्किल मुद्दे हैं, जिन्हें न केवल पर्याप्त रूप से पहचाने जाने की ज़रूरत है, बल्कि उन्हें उचित तरीक़े से संबोधित करने की भी ज़रूरत है. [20]

फिलहाल इसमें कोई दो मत नहीं है कि मिलेजुले फाइनेंस ने नीली अर्थव्यवस्था नवाचारों के वित्तपोषण के लिए ज़रूरी पैमाने पर काम नहीं किया है, और ऐसे में पब्लिक फंड्स इसमें एक अहम भूमिका निभाते रहेंगे. इसलिए, इन सफल उदाहरणों को जादुई छड़ी या आसान हल के तौर पर नहीं देखा जा सकता है, लेकिन यह सच्चाई है कि देशों को इसी प्रकार की समकालिक चुनौतियों का समाधान करने के दौरान ऐसे विभिन्न वित्तपोषण तंत्रों की आवश्यकता है.

  1. G20 के लिए सिफ़ारिशें

इटली की G20 अध्यक्षता के अंतर्गत वर्ष 2021 में प्रकाशित एक पॉलिसी ब्रीफ़ [21] में ओसन एकाउंटिंग यानी समुद्र के अंदर की पर्यावरणीय स्थिति के साथ प्रकृति को एकीकृत करने और बढ़े हुए वित्तीय प्रवाह को सुविधाजनक बनाने के लिए सामान्य नज़रिए पर ध्यान केंद्रित किया. वर्ष 2022 में टी7 जर्मनी [22] द्वारा प्रकाशित एक अन्य पॉलिसी ब्रीफ़ में प्रारंभिक चरण की फंडिंग को बढ़ाकर और समुद्री मानदंडों को टिकाऊ फाइनेंस फ्रेमवर्क में एकीकृत करके ब्लू फाइनेंस को फिर से निर्धारित करने और उसे उचित अनुपात में बढ़ाने का प्रस्ताव दिया गया था. वर्ष 2022 में इंडोनेशिया के G20 अध्यक्षता के कार्यकाल के अंतर्गत एक पॉलिसी ब्रीफ़ [23] में ब्लू इकोनॉमी मानदंडों को वित्तीय प्रक्रियाओं के साथ जोड़कर और अनुकूल सरकारी कार्रवाई, नियामकों, प्राइवेट सेक्टर एवं डेवलपमेंट एजेंसियों के साथ गतिविधियों को सक्रिय रूप से वित्तपोषित करके फाइनेंस को मुख्यधारा में लाने की सिफ़ारिश की गई थी. पूर्व के इन प्रस्तावों के आधार पर यह पॉलिसी ब्रीफ़ ब्लू इकोनॉमी ट्रांज़िशन फाइनेंस को योग्य और समर्थ बनाने के लिए निम्नलिखित सिफ़ारिशें प्रस्तुत करता है:

  1. मापदंड़ों, फ्रेमवर्क्स एवं दिशानिर्देशों को अपनाएं. उभरते हुए शासन, नीतियों और फैसला लेने की विभिन्न प्रक्रियाओं में नीली अर्थव्यवस्था के सिद्धांतों और नज़रियों के एकीकरण के लिए पारदर्शी और मज़बूत मापदंडों, फ्रेमवर्क्स, वर्गीकरण और मेट्रिक्स को अपनाएं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वित्तपोषण शुरूआत से ही सार्वजनिक दिशानिर्देशों का पालन करता है.
  1. पर्यवेक्षण या निगरानी सशक्त करें. प्रभाव के मूल्यांकन से संबंधित प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करते हुए ब्लू इकोनॉमी वित्तपोषण परियोजनाओं के लिए ESG मानदंड, प्रमाणिकता और अनुपालन को सशक्त करें. सभी समुद्री बायोम्स यानी समुद्र में एक तरह का इकोसिस्टम, जिसमें सभी भागों में मौसम, भूगोल और निवासी जीवों में समानता होती है, को डिस्क्लोजर फ्रेमवर्क्स में शामिल किया जाना चाहिए, जैसे कि टास्क फोर्स ऑन क्लाईमेट रिलेटेड फाइनेंशियल डिस्क्लोजर्स (TFCD) और टॉस्क फोर्स ऑन नेचर-रिलेटेड फाइनेंशियल डिस्क्लोजर्स (TFND) और इंटरनेशनल सस्टेनेबिलिटी स्टैंडर्ड्स बोर्ड (ISSB) डिस्कोलजर्स के अंतर्गत रिपोर्टिंग के लिए महासागर से संबंधित विचार-विमर्शों को पूरी तरह से एकीकृत किया जाना चाहिए.
  1. नुक़सानदायक सब्सिडी को समाप्त करें. जीवाश्म ईंधन, सिंगल यूज प्लास्टिक, अत्यधिक मछली पकड़ने और समुद्री प्रदूषण को बढ़ावा देने वाली यानी बेहतर से बदतर की ओर ले जाने वाली सब्सिडी को समाप्त करें. समुद्री सेहत की महत्वाकांक्षाओं के साथ करों और उन्नत उत्पादक दायित्व ढांचे का अनुकूलन करें.
  1. नए-नए वित्तीय साधनों के माध्यम से पूंजी जुटाएं. लक्षित वित्तीय साधनों का इस्तेमाल करके मापनीय या हूबहू नकल करने में सक्षम मार्केट-रेडी अवसरों के लिए बैंक योग्य परियोजनाओं की प्रणाली की पहचान करें और विकसित करें. इसमें उपयुक्त कैपिटल मार्केट उपकरणों की तैनाती, जैसे कि समर्पित ब्लू बॉन्ड्स, साथ ही घरेलू पूंजी बाज़ार साधनों को मज़बूत करना शामिल हो सकता है।
  1. एकजुट होकर प्रभावी ढंग से मिलकर काम करने वाली नीतियों और समन्वित प्रतिक्रियाओं को लागू करें. समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र बहाली/क्षेत्र संरक्षण और तटीय समुदायों के लचीलेपन पर ध्यान केंद्रित करते हुए सार्वजनिक वित्त पोषण के माध्यम से समन्वित प्रतिक्रियाएं लागू करें. बहुपक्षीय विकास वित्त संस्थानों और राष्ट्रीय वित्त निकायों के समन्वय को मज़बूत करने की आवश्यकता है. लक्षित ब्लू इकोनॉमी फाइनेंस प्रदान करने के लिए वर्ष 2030 तक 30 प्रतिशत क्षेत्र को संरक्षित करने की वैश्विक प्रतिबद्धता का लाभ उठाया जाना चाहिए.
  1. कम ज़ोख़िम वाला निवेश करें. परियोजना के चयन के मानकों को परिभाषित करने और अपनाने, फंड के इस्तेमाल, लाभों के न्यायसंगत बंटवारे, प्रभावशीलता रिपोर्टिंग एवं परियोजनाओं की बाहरी समीक्षा को अनिवार्य करके सार्वजनिक एवं प्राइवेट निवेश को ज़ोख़िम से मुक्त करें. गारंटी संरचनाएं एवं ज़ोख़िम-रहित प्रारूप अपनाएं, फिर चाहे वो इंश्योरेंस मैकेनिज़्म के ज़रिए से या मिलीजुली आर्थिक सहायता के माध्यम से, जैसे कि ग्रीन क्लाइमेट फंड द्वारा निर्मित किए गए हों.
  1. प्राइवेट फाइनेंस को प्रोत्साहन देना. वित्तीय रिटर्न पैदा करते हुए प्राकृतिक पूंजी के संरक्षण के लिए प्राइवेट-सेक्टर वित्तपोषण को प्रोत्साहित करने के लिए पॉलिसी, नियम-क़ानून और नियामक तंत्र को प्रभावी तरीक़े से समर्थ बनाएं. इसमें गैर-अनुपालक गतिविधियों का बीमा रोकने और बैंक ऋण देने के लिए स्थिरता से जुड़े अनुबंध शामिल हैं. समुद्री इकोसिस्टम के लिए नए बीमा उत्पाद और पैरामीट्रिक दृष्टिकोण की बढ़ी हुई प्रभावशीलता भी प्राइवेट फाइनेंस को प्रोत्साहित कर सकती है.
  1. क्षमता निर्माण के लिए साझेदारियों को बढ़ाएं. आंकड़ों एवं सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने, जानकारी में बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण के माध्यम से क्षमता निर्माण, तकनीक़ी सहयोग और प्रौद्योगिकी नवाचार के लिए प्रासंगिक किरदारों और हितधारकों के साथ सहयोग करें, ताकि सूचना की खाई को पाटने और G20 देशों के बीच साझेदारी को सशक्त करने में मदद मिल सके. ओसन रिस्क एंड रेज़िलिएंस एक्शन अलायंस (ORRAA) इस बात का एक उदाहरण है कि किस प्रकार से सरकारें, प्रोजेक्ट ऑपरेटर्स, NGOs और बड़े वित्तीय संस्थान समाधान उपलब्ध कराने के लिए सहयोग कर सकते हैं।

इसके साथ ही G20 को पिछले वर्षों के दौरान उठाए गए विभिन्न मुद्दों पर आगे काम करना जारी रखना चाहिए, क्योंकि उनमें से कोई भी काम अभी तक पूरी तरह से लागू नहीं हुआ है. हालांकि, देखा जाए तो ऊपर की गई सिफ़ारिशें ब्लू इकोनॉमी ट्रांज़िशन फाइनेंस को मुख्यधारा में लाने के प्रयासों से अलग हैं. समुद्र की सेहत को नकारात्मक रूप से प्रभावित करने वाले समेत सभी आर्थिक किरदारों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ना एवं अनुकूलन की सबसे अधिक ज़रूरत वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना न केवल रुकावटों को दूर करता है, बल्कि संयुक्त रूप से नीली अर्थव्यस्था वित्तपोषण के लिए तेज़ी से संक्रमण का मार्ग प्रशस्त करने का अवसर प्रदान करता है. नवाचार में हाल के अनुभवों के आधार पर इस प्रकार की पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप को G20 देशों की सरकारों के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय तंत्र द्वारा समर्थित किए जाने की ज़रूरत है. ब्लू इकोनॉमी ट्रांज़िशन फाइनेंस प्रदान करने के लिए ऐसे एकीकृत नज़रियों के प्रति एक मज़बूत प्रतिबद्धता ओसन-क्लाईमेट समाधानों को उचित अनुपात में बढ़ाने में अहम होगी और यूनाइटेड नेशन्स फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाईमेट चेंज (UNFCCC) COP28 से पहले अत्यंत प्रासंगिक भी होगी.


एट्रिब्यूशन: कपिल नरूला और अन्य., “ब्लू इकोनॉमी (नीली अर्थव्यवस्था) ट्रांज़िशन के लिए पूंजी का इंतज़ाम,” T20 पॉलिसी ब्रीफ़, मई 2023.


 

Endnotes

[1] Ove Hoegh-Guldberg, Reviving the Ocean Economy: The Case for Action – 2015 (Geneva: WWF International, 2015).

[2] OECD, The Ocean Economy in 2030 (Paris: OECD Publishing, 2016).

[3] U. Rashid Sumaila et al., Ocean Finance: Financing the Transition to a Sustainable Ocean Economy (Washington, DC: World Resources Institute, 2020).

[4]The World Bank’s PROBLUE Program and PROBLUE: Supporting Integrated and Sustainable Economic Development in Healthy Oceans,” The World Bank Group, last modified July 25, 2022.

[5] Sumaila et al., Ocean Finance

[6] Jack Dyer, How to Understand, Access Finance and Invest in the Caribbean and Global Blue Economy (South Africa: Blue Economy Future, 2021).

[7] Nagisa Yoshioka et al., “Proposing Regulatory-Driven Blue Finance Mechanism for Blue Economy Development,” ADBI Working Paper 1157, 2020.

[8]UNCTAD14 Sees 90 Countries Sign up to UN Roadmap for Elimination of Harmful Fishing Subsidies,” United Nations Conference on Trade and Development, last modified July 21, 2016.

[9]Fossil Fuel Subsidies,” International Monetary Fund, last modified September 20, 2019.

[10]Will Blue Finance Fulfil Its Potential?,” World Ocean Initiative, last modified January 22, 2020.

[11]Community of Ocean Action on Sustainable Blue Economy – Interim Assessment,” United Nations Department of Economic and Social Affairs and World Resources Institute, accessed March 1, 2023.

[12]Is the Sustainable Blue Economy Investible?,” Credit Suisse, last modified January 20, 2020.

[13] U. Rashid Sumaila et al., “Financing a Sustainable Ocean Economy,” Nature Communication 12, no. 1 (2021): 3259.

[14] Matthew R. Claeson, “Debt-for-Nature Swaps: A Concise Guide for Investors,” Lord Abbett Distributor LLC, last modified December 19, 2022.

[15]Sovereign Blue Bonds – Quick Start Guide,” Asian Development Bank, last modified September 2021.

[16]Guidelines Blue Finance – Guidance for Financing the Blue Economy, Building on the Green Bond Principles and the Green Loan Principles,” International Finance Corporation, last modified January 2022.

[17]Action Report for 2022- Investing in Coastal Communities and the Ocean,” Ocean Risk and Resilience Alliance, accessed March 11, 2023.

[18]Ping An Launches First Ocean Carbon Sink Index Insurance Policy for Marine Ecosystem Protection,” PingAn, last modified February 14, 2023.

[19] Natasha White, “Debt Swaps Called Out by Barclays Analysts Ignite ESG Debate,” Bloomberg, last modified January 31, 2023.

[20]Financing the 30X30 Agenda for the Oceans: Debt for Nature Swaps Should Be Rejected,” Coalition for Fair Fisheries Arrangements, last modified December 06, 2022.

[21] Paul De Noon et al., Fixing Financial, Economic and Governance Structures to Save Forests and the Ocean and Enhance Their Contributions to Climate Change Solutions (Italy: The Think20, 2021).

[22] Mirja Schoderer et al., Safeguarding the Blue Planet – Eight Recommendations to Sustainably Use and Govern the Ocean and its Resources (Bonn: German Development Institute / Deutsches Institut für Entwicklungspolitik, 2022).

[23] Dennis Fritsch et al., Financing the Sustainable Blue Economy (Indonesia: The Think20, 2022).