सस्टेनेबल कंसपशन के लिए G20 प्लास्टिक वेस्ट रिस्पांस फ्रेमवर्क का गठन

Abhinav Akhilesh | Pankaj Arora | Kartik Ashta

सार-संक्षेप

प्रोडक्शन-कंजंप्शन-डिस्पोजल (उत्पादन-उपभोग-निपटान) अप्रोच का पालन करते हुए वैश्विक उत्पादन लीनियर (रैखिक) रहा है, जिसके परिणामस्वरूप सभी उत्पादों, विशेष रूप से प्लास्टिक की मांग और उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है. जलवायु परिवर्तन, बिगड़ती हवा और पानी की गुणवत्ता और संसाधनों की कमी ने धरती की चिंता बढ़ा दी है. साथ-साथ अधिक कुशल उत्पादन प्रणालियों की ओर बढ़ने की इच्छा के साथ सर्कुलर प्रोसेस की ओर मैन्युफैक्चरिंग सिस्टम में क्रमिक परिवर्तन शुरू हो गया है. जी 20 ने 2017 में समुद्री कूड़े पर जी 20 कार्य योजना और 2019 में इसके कार्यान्वयन की रूपरेखा को अपनाते हुए इस दिशा में कदम उठाए हैं. जबकि इन उपकरणों ने मौज़ूदा उत्पादन पैटर्न और एक स्थायी कंजम्प्शन इकोसिस्टम बनाने की आवश्यकता की चर्चा को संचालित किया है और इस दिशा में और ज़्यादा करने  की आवश्यकता को बताया है. राष्ट्रों के एक समूह के रूप में जो प्लास्टिक कचरे के सबसे बड़े उत्पादकों,  उपभोक्ताओं और रीसायकलर्स में से हैं, उनके लिए जी 20 टिकाऊ प्लास्टिक कंजंप्शन के प्रति प्रतिबद्धता ज़ाहिर करने का एक आदर्श मंच है. यह पॉलिसी ब्रीफ निर्माताओं को बढ़ते प्लास्टिक कचरे के उत्पादन के आसपास के विविध मुद्दों के बारे में सूचित करना चाहता है और नीति और वित्तीय उपायों का सुझाव आगे बढ़ाता है जिसे भारत की जी20 अध्यक्षता के दौरान अपनाया जा सकता है. संक्षेप में इस आलेख में एक समन्वित वैश्विक प्रतिक्रिया की आवश्यकता पर प्रकाश डाला जाएगा और सर्कुलर अर्थव्यवस्था, डेटा साझाकरण और संग्रह तंत्र, और अभिनव वित्त पोषण तंत्र के लिए एक कार्य योजना सहित प्लास्टिक मूल्य श्रृंखला में उपायों का सुझाव दिया जाएगा.

1.चुनौतियां

 

पिछले ढाई दशकों में वैश्विक जनसंख्या में दो अरब लोगों की वृद्धि हुई है, जो नवंबर 2022 में आठ अरब को पार कर गया है. [1]  आर्थिक प्रगति के साथ-साथ जनसंख्या में इस वृद्धि ने वस्तुओं की मांग में तेजी से वृद्धि की है, जिसने बदले में खनन और तेल और गैस जैसे एक्सट्रैक्टिव उद्योगों को बढ़ावा दिया है. पेट्रोलियम की खपत – प्लास्टिक के निर्माण के लिए आधार कच्चा माल – 2022 में बढ़कर 100 मिलियन बैरल प्रतिदिन (बीपीडी) हो गया और 2023 और 2024  में इसमें प्रति दिन 1.6 मिलियन बैरल की औसत वृद्धि होने की संभावना है. [2]

प्लास्टिक वैल्यू चेन में कई वैश्विक चुनौतियां भी शामिल हैं. जबकि प्लास्टिक के उत्पादन और निर्माण पर ध्यान देने की आवश्यकता है, मौज़ूदा प्लास्टिक कचरे का प्रबंधन तत्काल चिंता का बड़ा विषय है. आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) का अनुमान है कि वैश्विक स्तर पर केवल 9 प्रतिशत प्लास्टिक को रिसाइकल किया जाता है, [3]  बाकी प्लास्टिक को जला दिया जाता है (19 प्रतिशत) जबकि कुप्रबंधित या असंग्रहित प्लास्टिक (22 प्रतिशत), और लैंडफिल्ड (~50 प्रतिशत) की हिस्सेदारी रखता है. [4]  इसमें से 22 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा 2019 में पर्यावरण में घुल मिल गया और 2060 तक इसके बढ़कर 44 मिलियन टन होने की आशंका है. [5]  आर्कटिक सर्कल और अंटार्कटिका तक के स्थानों में वायुजनित और जल-जनित माइक्रोप्लास्टिक्स भी पाए गए हैं, [6] प्लास्टिक द्वारा उत्पन्न चुनौतियों को हल करने की आवश्यकता को एक सर्कुलर इकोनॉमी के लिए सबसे ज़रूरी आवश्यकताओं में से एक माना जाना चाहिए. एक सर्कुलर प्लास्टिक अर्थव्यवस्था की चुनौतियों को तीन आयामों में विभाजित किया जा सकता है:

1.1 पारिस्थितिकी तंत्र की चुनौतियां

 

  1. प्लास्टिक का पता लगाने और ट्रैक करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समन्वय और तंत्र की कमी : जबकि प्लास्टिक का उत्पादन, खपत और निपटान लगातार बढ़ रहा है. इसके बाद भी ऐसे कचरे को ट्रैक करने या इसकी उत्पत्ति का पता लगाने के लिए कोई स्थापित तंत्र विकसित नहीं है. ख़ास तौर पर राष्ट्रों में, मुख्य रूप से घरेलू बुनियादी ढांचे की कमी के कारण ऐसी गतिविधियों को संचालित करने के लिए कोई तंत्र नहीं है.
  2. प्रतिबंधित वेस्ट प्रोडक्ट्स (अपशिष्ट उत्पादों) का सीमापार से गैर-कानूनी तरीके से आना : ख़तरनाक अपशिष्टों के सीमा पार से संचालन के नियंत्रण पर बेसल कन्वेंशन ख़तरनाक अपशिष्ट उत्पादों के नियमन और निरीक्षण के लिए ज़िम्मेदार है. [7] इसमें कानूनी रूप से निर्यात योग्य माने जाने वाले विशिष्ट प्रकार के कचरे के साथ, कुछ प्रकार के प्लास्टिक के सीमा पार मूवमेंट पर प्रतिबंध शामिल है. [8] 190 देश इस सम्मेलन के पक्षकार हैं. [9]  जी20 रिसोर्स एफिशिएंसी डायलॉग समेत किए गए कई अध्ययनों ने निष्कर्ष निकाला है कि उच्च आय वाले देशों से बेहतर रीसाइक्लिंग तकनीक़ों के साथ कम आय वाले देशों में कचरे की आवाजाही एक महत्वपूर्ण मुद्दा है जिसे ठीक करने की आवश्यकता है. [10]  अन्य संगठनों ने भी इस बात को रेखांकित किया है कि लगभग 1.8 मिलियन टन सीमा पार बेहिसाब प्लास्टिक के साथ, ऐसी सीमा-पार गतिविधि को अब तक नज़रअंदाज़ किया गया है. [11]  अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संगठन (इंटरपोल) ने भी बासेल कन्वेंशन के बड़े पैमाने पर उल्लंघन को पहचाना है जिसके आधार पर कहा जा सकता है कि प्लास्टिक कचरे की सीमा पार तस्करी के मामलों में बढ़ोतरी हुई है. [12]

सी. अलग-अलग जगहों में प्लास्टिक के लिए सर्कुलर अर्थव्यवस्था के विभिन्न स्तर : जी20 सदस्य दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से कुछ हैं;  हालांकि प्लास्टिक कचरे को सुरक्षित रूप से प्रबंधित करने और इसे चक्रीय अर्थव्यवस्था में एकीकृत करने की उनकी क्षमता भी परिपक्वता के विभिन्न चरणों में है. यह अलग-अलग आवश्यकताएं और कभी-कभी प्रतिस्पर्द्धी आवश्यकताएं पैदा करता है, जिसके परिणामस्वरूप जी20 भागीदारों के बीच एक समन्वित वैश्विक प्रतिक्रिया के लिए चुनौतियां पैदा होती हैं.

 डी. सर्कुलर अर्थव्यवस्थाओं में बदलाव के लिए सीमित तकनीक़ी क्षमता : एक सर्कुलर अर्थव्यवस्था में बदलाव के लिए घरेलू क्षमताओं के निर्माण के संबंध में उभरती अर्थव्यवस्थाओं में कई चिंताएं निहित हैं. सबसे महत्वपूर्ण चिंता भौतिक बुनियादी ढांचे का निर्माण है जो संचालन के मानकों के अनुरूप है, जिसमें ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन और दक्षता का प्रबंधन शामिल है. [13]  चैथम हाउस द्वारा किए गए एक अध्ययन में विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में प्लास्टिक के पूर्ण प्रबंधन के लिए एक महत्वपूर्ण मार्ग के रूप में तकनीक़ी क्षमताओं और संस्थागत ताक़त के निर्माण की पहचान की गई है. [14]

ई. सीमित मानव और वित्तीय क्षमताएं : दुनिया भर के न्याय क्षेत्र में प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन के लिए सीमित मानवीय और वित्तीय क्षमताएं हैं. अमीर देशों के पास प्लास्टिक के प्रबंधन की तकनीक़ है लेकिन पर्याप्त श्रम नहीं है. दूसरी ओर, जहां श्रम उपलब्ध है वहां वित्त या कुशल कार्यबल की कमी हो सकती है.

एफ. उपभोक्ता व्यवहार को बदलने में कठिनाईः  व्यक्तिगत उपभोग पैटर्न वस्तुओं के उत्पादन के महत्वपूर्ण फैक्टर होते हैं. रिसायकल्ड सामग्री का उपयोग करने और स्वच्छता के आसपास सामाजिक टैबू (वर्जनाओं ) को दूर करने के लिए उपभोक्ता मानसिकता को बदलना भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. हालांकि  उपभोक्ता पैटर्न बदलने के ठोस प्रयास प्लास्टिक की मांग को कम करने और महत्वपूर्ण दीर्घकालिक लाभ हासिल करने में मदद कर सकते हैं.

जी. सामाजिक और पर्यावरणीय चुनौतियां :

 

  1. जलवायु परिवर्तन : प्लास्टिक प्रोडक्शन और कंजम्पशन का ही यह नतीज़ा है कि साल 2019 में 650 मिलियन टन से ज़्यादा ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन हुआ जो मौज़ूदा उत्सर्जन की दर से साल 2050 तक 8 गीगाटन प्रति वर्ष तक पहुंच सकता है. [15]
  2. जल प्रदूषण: लगभग 14 मिलियन टन प्लास्टिक जल निकायों में समाप्त हो जाता है और समुद्री पारिस्थितिक तंत्र में पाए जाने वाले लगभग 80 प्रतिशत मलबे को यही पैदा करता है. [16]
  3. जैव विविधता हानि:  800 से अधिक समुद्री और तटीय प्रजातियां प्लास्टिक के मलबे से प्रभावित हुए हैं, जिसमें इन्जेशन और एंटेंगलमेंट (अंतर्ग्रहण और उलझाव) भी शामिल है.[17]
  4. मिट्टी का प्रदूषण : अध्ययन बताते हैं कि टेरेस्टेरियल माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण मरीन माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण की तुलना में 4 से 23 गुना ज़्यादा बढ़ गया है [18] जिसके परिणामस्वरूप मिट्टी में कई तरह के प्रदूषण बढ़ गए हैं और ज़मीन में ज़हरीले रसायनों की लिंचिंग होने लगी है, जिससे ज़मीन और ताजे पानी के साथ फूड चेन भी प्रभावित होती है.
  5. स्वास्थ्य पर प्रभाव : प्लास्टिक प्रोडक्शन सार्वजनिक और व्यक्तिगत स्वास्थ्य पर असर डालता है. साथ ही वायु प्रदूषण और श्वास संबंधी बीमारियों को बढ़ावा देती है. इतना ही नहीं इससे मिट्टी और पानी का भी प्रदूषण बढ़ता है जो कैंसर जैसी बीमारियों को पैदा करता है.
  6. इस सेक्टर में श्रमिकों के लिए सुरक्षा का अभाव : विशेष रूप से विकासशील देशों में, वेस्ट और सर्कुलर इकोनॉमी क्षेत्र में अनौपचारिक श्रमिकों का प्रभुत्व है.[19] यह ख़राब मजदूरी, सामाजिक कलंक, असुरक्षित और अस्वास्थ्यकर काम करने की स्थिति और स्वास्थ्य समस्याओं जैसी चिंताओं को बढ़ावा देता है.

1.2 नीतिगत चुनौतियां

 

1.डेटेड अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन: बेसल, [20] रॉटरडैम, [21] और स्टॉकहोम कन्वेंशन [22] प्राथमिक अंतर्राष्ट्रीय इंस्ट्रूमेंट हैं जो वेस्ट और अन्य पर्यावरणीय प्रदूषकों के मुद्दों को संबोधित करते हैं. इन सम्मेलनों ने पर्यावरण प्रदूषण के प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और नियमित रूप से संशोधित किया गया है  लेकिन प्लास्टिक कचरे से बढ़ती चुनौतियों पर ध्यान देने के साथ उन पर और ज़्यादा नज़र डालने की आवश्यकता है.

2.प्लास्टिक के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का अभाव : प्लास्टिक कचरे और प्रदूषण की समस्या का समाधान करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय उपकरण(संस्था) बनाने के बारे में चर्चा चल रही है. हालांकि  यह केवल 2022 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा में था जिसने इस तरह के दस्तावेज़ को विकसित करने के लिए एक समय सीमा के लिए प्रतिबद्धता दिखाई थी. हालांकि इस तरह के सम्मेलन पर 2024 में सहमति बनने की अब संभावना है. इस बीच प्लास्टिक कचरे की समस्या को दूर करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय पारिस्थितिकी तंत्र में दूरी बनी हुई है.

1.3 व्यवहार्यता और स्केलेबिलिटी की चुनौतियां

 

  1. सर्कुलर अर्थव्यवस्था के लिए व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य बदलाव : उद्यमों के लिए सर्कुलर अर्थव्यवस्था में बदलाव के लिए लागत एक तत्काल चुनौती है. नेट ज़ीरो की ओर एक समग्र परिवर्तन के लिए 275 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक के वैश्विक ख़र्च की आवश्यकता होगी, [23] और एक सर्कुलर अर्थव्यवस्था की तरफ आगे बढ़ने के लिए यह परिवर्तन को संभव बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण घटक बनाता है. पूरी तरह से सर्कुलर अर्थव्यवस्था को प्राप्त करने के लिए सभी स्टेकहोल्डर्स से महत्वपूर्ण वित्तीय परिव्यय की आवश्यकता होती है, जिससे प्रारंभिक परिवर्तन आर्थिक रूप से व्यवसायों के लिए महंगा हो जाता है. यह प्रारंभिक पूंजी निवेश एक पूर्ण बदलाव के लिए एक रोडब्लॉक के रूप में काम कर सकता है यदि नेतृत्व ठीक नहीं है और चक्रीयता में बदलाव को शामिल नहीं किया जाता है.
  2. प्रासंगिक स्केलेबल और रेप्लीकेबल व्यापार मॉडल की कमी : एक सर्कुलर अर्थव्यवस्था में बदलाव के लिए वैश्विक विशेषज्ञता का एक बड़ा हिस्सा विशिष्ट संदर्भ के लिए विकसित नियमों, विनियमों और प्रौद्योगिकी के भीतर निहित होता है. जैसा कि राष्ट्र भी बदलाव की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं, तो ऐसे में संदर्भ-विशिष्ट व्यवसाय मॉडल की कमी जिसे दोहराया भी जा सकता है, किकस्टार्टिंग और एक कुशल सर्कुलर अर्थव्यवस्था बनाने के लिए चुनौतियों का सामना कर सकता है.

ये चुनौतियां 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के हमारे लक्ष्य में महत्वपूर्ण बाधाएं पैदा करती हैं : ज़िम्मेदार कंजम्पशन और उत्पादन (एसडीजी 12), जलवायु कार्रवाई (एसडीजी 13), जल पर जीवन (एसडीजी 14), भूमि पर जीवन (एसडीजी 15), स्वच्छ जल और स्वच्छता (एसडीजी 6), अच्छा स्वास्थ्य और कल्याण (एसडीजी 3), लैंगिक समानता (एसडीजी 5), और सतत शहर और समुदाय (एसडीजी 11).

2. जी 20 की भूमिका

 

फरवरी 2023 के एक अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि जी20 देशों ने 2019 में 261 मिलियन टन से अधिक प्लास्टिक कचरा पैदा किया और यदि कोई उपाय नहीं किए गए तो 2050 तक उनके प्लास्टिक कचरे का उत्पादन लगभग दोगुना यानी 416 मिलियन टन होने की संभावना है. [24]  भले ही जी20 देश प्लास्टिक के बड़े उत्पादक और उपभोक्ता हैं और ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन के उत्सर्जक हैं, वे एक समग्र प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन पारिस्थितिकी तंत्र बनाने का नेतृत्व कर सकते हैं और इसके लिए रास्ता बना सकते हैं.

2.1 जी 20 द्वारा उठाए गए कदम

 

  1. समुद्री कचरे पर जी20 कार्य योजना, 2017: 2017 में जर्मनी की जी20 अध्यक्षता ने समुद्री कूड़े पर जी20 कार्य योजना को अपनाया था. [25] जी20 के लिए इस क्षेत्र में अपनी तरह की यह पहली पहल थी  और इससे संबंधित दस्तावेज़ जी20 की चिंताओं के दायरे की पहचान कराता है और सदस्य देशों द्वारा कार्रवाई के लिए प्राथमिकता के क्षेत्रों को सूचीबद्ध करता है.
  2. जी20 संसाधन दक्षता संवाद की स्थापना : जी20 संसाधन दक्षता संवाद 2017 में हैम्बर्ग शिखर सम्मेलन में स्थापित किया गया था जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि भविष्य में जी20 बैठकें और शिखर सम्मेलन प्राकृतिक संसाधन संरक्षण, संसाधन दक्षता और सर्कुलर अर्थव्यवस्था समाधानों को उनके विचार-विमर्श में एकीकृत करें. [26]
  3. समुद्री कूड़े के लिए जी 20 कार्यान्वयन ढांचा, 2019 : 2019 में जापान की जी20 अध्यक्षता ने कार्यान्वयन ढांचे को अपनाकर समुद्री कूड़े पर कार्य योजना का पालन किया, जो एक्शन प्लान के कार्यान्वयन की सुविधा प्रदान करता है और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में सुधार करना चाहता है. जी20 देशों द्वारा इसे अपनाने की प्रगति चित्र 1 में बताई गई है, जहां 20 सदस्यों में से 16 ने नेशनल मरीन लीटर एक्शन प्लान को अपनाया है.

 

चित्र 1: G20 राष्ट्रों द्वारा मरीन प्लास्टिक लिटर एक्शन प्लान को अपनाना

Source: G20 Report on Actions Against Marine Plastic Litter, 2022  [27]

  1. हाल के विकास और प्रस्ताव : इस वर्ष जी20 में हुए विचार-विमर्श ने एक इंटीग्रेटेड सर्कुलर अर्थव्यवस्था के लिए वैश्विक सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया है. गांधीनगर में दूसरी पर्यावरण और जलवायु स्थिरता कार्य समूह की बैठक में इस्पात क्षेत्र के लिए एक सर्कुलर अर्थव्यवस्था बनाने, विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (ईपीआर) मानदंडों और एक जी20 रिसोर्स एफिशिएंसी एंड सर्कुलर इकोनॉमी इंडस्ट्री कोलिजन (आरईसीईआईसी) स्थापित करने के प्रस्ताव पर विचार-विमर्श किया गया. [28]

3. जी20 को सिफ़ारिशें

सर्कुलर इकोनॉमी स्पेस विश्व स्तर पर 4.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर का मौका सामने रखता है. [29] ऐसे देशों के रूप में जो दुनिया की आबादी का लगभग 75 प्रतिशत और वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 85 प्रतिशत प्रतिनिधित्व करते हैं, [30]  जी20 को अपने सदस्यों के लिए एक नीतिगत पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देकर प्लास्टिक के लिए एक सर्कुलर अर्थव्यवस्था के ढांचे के विकास का नेतृत्व करना चाहिए, जिसे दोहराया जा सकता है और बढ़ाया जा सकता है. विश्व स्तर पर इसकी वैश्विक एप्लीकेबिलिटी सुनिश्चित करने के लिए, रूपरेखा 9आर [31]  जैसे इनोवेशन के साथ संलग्न होगी और इसमें निम्नलिखित घटक शामिल होंगे:

3.1 अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए सिस्टम

कई अनौपचारिक और क्षेत्रीय मंच, जैसे कि सर्कुलर अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए मंच (पीएसीई), पहले से मौज़ूद हैं लेकिन जी20 प्लास्टिक द्वारा उत्पन्न चुनौतियों का जवाब देने के लिए समर्पित एक औपचारिक तंत्र स्थापित करने की संभावना का पता लगाना अहम हो सकता है.

सिफ़ारिश 1: जी20 के भीतर एक सर्कुलर इकोनॉमी इंगेजमेंट ग्रुप की स्थापना करें

वर्तमान में, जी20 में प्लास्टिक और सर्कुलर अर्थव्यवस्था के बारे में होने वाली अधिकांश चर्चाएं शेरपा ट्रैक के तहत पर्यावरण और क्लाइमेट सस्टेनेबिलिटी वर्किंग ग्रुप के अंतर्गत हैं. इसका परिणाम यह है कि ऐसी चर्चाओं से कई हितधारकों बाहर हो जाते हैं और यह नीति निर्माण के लिए एक सीमित स्थान प्रदान करता है, और नए विचारों के सीमित आदान-प्रदान का कारण बनता है. जबकि भारत की जी20 अध्यक्षता रिसोर्स एफिशिएंसी और सर्कुलर अर्थव्यवस्था में उद्योग के लिए गठबंधन के विचार की तलाश करता है, प्लास्टिक और सर्कुलर अर्थव्यवस्था से निपटने वाला एक विस्तारित जुड़ाव समूह, सर्कुलर इकोनॉमी 20 (सीई20), एक कार्यान्वयन योग्य ढांचे की सुविधा प्रदान कर सकता है. यह जी20 को उभरते सामाजिक और पर्यावरणीय मुद्दों पर ध्यान देने के साथ कई नीतिगत और पारिस्थितिकी तंत्र चुनौतियों का समाधान करने में मदद कर सकता है. इस तरह की पहल से सरकार से अलग  वैश्विक सहयोग विकसित करने और नीति निर्माण को प्रेरित करने के लिए एक अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र बना सकता है.

सिफ़ारिश 2: प्लास्टिक के लिए एक सर्कुलर अर्थव्यवस्था के लिए जी20 कार्य योजना विकसित करें

जी20 को प्लास्टिक के लिए एक सर्कुलर अर्थव्यवस्था के लिए एक कार्य योजना विकसित करनी चाहिए ताकि बड़े ढांचे को एड्रेस किया जा सके. यह एक्शन प्लान प्लास्टिक के लिए विश्व स्तर पर प्रासंगिक और समावेशी पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के अपने मिशन में जी20 के व्यापक लक्ष्यों की पहचान करेगी जो मौज़ूदा तंत्र से परे होगा. यह एक्शन प्लान प्लास्टिक अपशिष्ट प्रदूषण को रोकने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय कानूनी साधन के आसपास यूएनईपी में मौज़ूदा बातचीत को सूचित कर सकती है. इसमें न्यूनतम विनिर्माण मानकों को भी शामिल किया जा सकता है, ईको-डिजाइन के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और आम सहमति विकसित की जा सकती है और इको-लेबलिंग को कारगर बनाने के तरीक़ों का पता लगाया जा सकता है. समुद्री प्लास्टिक कूड़े के कार्यान्वयन ढांचे की सफलता के साथ-साथ  इस तरह का एक्शन प्लान राष्ट्रों को व्यापक राष्ट्रीय सर्कुलर अर्थव्यवस्था रणनीतियों को तैयार करने के लिए भी प्रेरित कर सकती है. ये रणनीतियां वैश्विक सर्कुलर अर्थव्यवस्था की ओर आगे बढ़ने और स्पेस में निवेश को बढ़ावा देने में योगदान दे सकती हैं, जिससे प्रतिकृति व्यवसाय मॉडल तैयार हो सकते हैं.

दक्षता सुनिश्चित करने के लिए डेटा संग्रह और रिपोर्टिंग ढांचे के साथ-साथ साझा संसाधनों का निर्माण करें

संयुक्त राष्ट्र प्लास्टिक कचरे में व्यापार को ट्रैक करने के लिए कॉमट्रेड डेटाबेस का उपयोग करता है, [32] और भले ही कुछ देशों में उनके द्वारा उत्पादित प्लास्टिक कचरे को ट्रैक करने के लिए एक सिस्टम है  लेकिन इस जानकारी का उपयोग सीमित तरीक़े से आगे सहयोग के लिए किया जाता है. मौज़ूदा उपकरणों का उपयोग करते हुए, इन्फॉर्मेशन स्टैंडर्डाइजेशन एंड शेयरिंग  के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को और बढ़ाने के लिए इस फ्रेमवर्क को डेटा की ताक़त का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित करना चाहिए.

सिफ़ारिश 3: प्लास्टिक की सीमा पार आवाजाही को ट्रैक और ट्रेस करने के लिए एक डेटा-रिपोर्टिंग और साझाकरण तंत्र स्थापित करें

प्लास्टिक प्रदूषण से उत्पन्न चुनौतियां सीमाओं तक ही सीमित नहीं हैं. समुद्री प्लास्टिक प्रदूषण और मिट्टी का प्रदूषण कई भौगोलिक क्षेत्रों को प्रभावित करता है. इन मुद्दों का मुक़ाबला करने और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए  जी20 एक डेटा-साझाकरण तंत्र विकसित कर सकता है, जहां सदस्य राज्य अपने द्वारा उत्पन्न प्लास्टिक कचरे की मात्रा की जानकारी दे सकते हैं. जिन देशों के पास ट्रेसिंग मैकेनिज्म है, वे एक कुशल ट्रैक-एंड-ट्रेस इकोसिस्टम बनाने के लिए समान सिस्टम विकसित करने में दूसरे देश की सहायता कर सकते हैं.

संबंधित क्षेत्रों की पहचान करें जो सर्कुलर इकोनॉमी ट्रांजिशन से प्रभावित होंगे

प्लास्टिक कचरे पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए एक ऐसे दृष्टिकोण की आवश्यकता है जो वैश्विक व्यवस्था को बदल दे; इसलिए ऐसा फ्रेमवर्क जो दूसरे क्षेत्रों की पहचान करेगा, जहां हस्तक्षेप की आवश्यकता होगी, जैसे कि व्यापार सुधार और निर्यात और आयात नियंत्रण. इसके लिए अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों और विश्व व्यापार संगठन जैसे संगठनों पर एक नज़र डालने की आवश्यकता होगी, जो एक फंक्शनिंग ग्लोबल सर्कुलर कंजम्पशन सिस्टम बनाने के लिए प्रभावी लीवर के रूप में कार्य कर सकते हैं.

सिफ़ारिश 4: एक सर्कुलर अर्थव्यवस्था की सहायता के लिए मल्टीलेटरलिज्म (बहुपक्षवाद) में सुधार

कई अंतरराष्ट्रीय इंस्ट्रूमेंट, निकायों और एजेंसियों की फिर से जांच करने की आवश्यकता है जो पारिस्थितिकी तंत्र में हितधारक हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्लास्टिक कचड़े का सुरक्षित रूप से प्रबंधन हो और सर्कुलर अर्थव्यवस्था में उसे शामिल किया जा सके. ट्रेड लीवर्स, प्रतिबंध और नियंत्रण कई उपायों में से एक हैं जिन्हें रिवीजन करने की आवश्यकता है. इसके अलावा, मौज़ूदा सम्मेलनों, संधियों और क्षेत्रीय समझौतों में भी संशोधन की आवश्यकता है. बहुपक्षीय क्षेत्र में सुधार के लिए एक वैश्विक पुश के साथ, प्लास्टिक, पर्यावरण और सर्कुलर अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले घटकों को भी इस ढांचे के माध्यम से फिर से देखा जाना चाहिए.

सर्कुलर इकोनॉमी ट्रांजिशन के लिए पर्याप्त फंडिंग सुनिश्चित करें

जैसे-जैसे देश अपने उत्पादन और उपभोग के तरीक़ों में बदलाव करते हैं, इस बदलाव का सामना करने के लिए अतिरिक्त धन की आवश्यकता होती है. अपनी आर्थिक ताक़त को देखते हुए, जी20 ऐसे देशों के लिए पर्याप्त धन जुटाकर एक बड़ी भूमिका निभा सकता है. यह विभिन्न तरीक़ों से किया जा सकता है जिसमें सदस्य राज्यों द्वारा योगदान या इनोवेटिव फंडिंग सिस्टम विकसित करना शामिल है. यह ना केवल बदलाव के लिए आवश्यक ऑउटले (परिव्यय) का समर्थन करेगा बल्कि संभावित रूप से छह मिलियन से अधिक नौकरियों को अनलॉक करने में मदद करेगा. [33]

सिफ़ारिश 5: सामान्य लेकिन अलग-अलग ज़िम्मेदारियों की अवधारणा के अनुरूप, एक सर्कुलर अर्थव्यवस्था के लिए जी20 फंड की स्थापना करना

लीनियर कंजम्पशन मॉडल से सर्कुलर मॉडल में समावेशी संशोधन सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त धन की आवश्यकता होती है. कई देशों को सहायता की आवश्यकता होगी क्योंकि वे प्लास्टिक के लिए एक कार्यात्मक और कुशल सर्कुलर अर्थव्यवस्था बनाने के लिए सिस्टम स्थापित करना चाहते हैं. भौतिक अवसंरचना की स्थापना, हितधारकों के प्रशिक्षण, एक्सपोजर विजिट और नॉलेज ट्रांसफर के लिए महत्वपूर्ण वित्तीय प्रतिबद्धताओं की आवश्यकता होगी. इन्हें जी20 समर्थित फंड द्वारा फंडिंग किया जा सकता है, या तो योगदान के माध्यम से, या इनोवेटिव फाइनेंस सिस्टम जैसे कि परफॉर्मेंस से जुड़े पे-आउट और वैल्यू-कैप्चरिंग फाइनेंसिंग के जरिए इसे पूरा किया जा सकता है.

निष्कर्ष

 

महत्वपूर्ण आर्थिक, डेमोग्राफिक और भौगोलिक विविधता वाले एक समूह के रूप में जी20 प्लास्टिक वेस्ट फ्रेमवर्क से टिकाऊ खपत की दिशा में वैश्विक कार्रवाई को प्रेरित करने की संभावना है, जो प्रासंगिक व्यापार मॉडल बना सकता है, जिसे और प्रासंगिक बनाया जा सकता है और स्पेस में वैश्विक सहयोग को और बढ़ावा दे सकता है. सुझाया गया फ्रेमवर्क दुनिया के विभिन्न हिस्सों में एक सर्कुलर अर्थव्यवस्था की दिशा में प्रगति में अंतर को पहचानता है, राष्ट्रों के बीच धन असमानताओं को दूर करने के लिए वित्त पोषण तंत्र बनाने की आवश्यकता की पहचान करता है और बुनियादी ढांचे और तकनीक़ी प्रगति में अंतर को कम करने के लिए पूंजी, डेटा और संसाधनों तक पहुंच प्रदान करता है. साथ ही यह एक सर्कुलर अर्थव्यवस्था के आसपास चर्चा के लिए समर्पित स्थान को बढ़ावा देने के लिए एक जुड़ाव समूह बनाने की वकालत भी करता है.

उपरोक्त अनुशंसाओं से बना फ्रेमवर्क सर्कुलर अर्थव्यवस्था प्रणालियों पर सहयोग के लिए एक अंतरराष्ट्रीय इकोसिस्टम को बढ़ावा देने और आगे के विचार-विमर्श के लिए सामान्य आधार बना सकता है. कम समय में सस्टेनेबल कंजम्पशन के लिए जी20 प्लास्टिक वेस्ट फ्रेमवर्क प्लास्टिक प्रदूषण के बारे में चर्चा के लिए बढ़ावा दे सकता है. एक हॉलिस्टिक फ्रेमवर्क जी20 को अन्य देशों, समूहों और संगठनों के साथ जुड़ने और उन देशों के लिए धन का एक डेडिकेटेड पूल बनाने के लिए प्रेरित करेगा जिन्हें समर्थन की आवश्यकता है. आख़िर में  यह प्रयास नेट जीरो गोल और राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदानों (एनडीसी) के लिए वैश्विक प्रतिबद्धताओं से भी जुड़ा है.


[1]  “Day of Eight Billion,” United Nations, accessed May 9, 2023.

[2]  “U.S. Energy Information Administration – EIA – Independent Statistics and Analysis,” Short-Term Energy Outlook – U.S. Energy Information Administration (EIA), US Energy Information Administration, March 7, 2023.

[3]  “Plastic Pollution is Growing Relentlessly as Waste Management and Recycling Fall Short, Says OECD,” OECD, February 22, 2022, https://www.oecd.org/environment/plastic-pollution-is-growing-relentlessly-as-waste-management-and-recycling-fall-short.htm

[4]  “Plastic Pollution is Growing Relentlessly as Waste Management and Recycling Fall Short, Says OECD”

[5]  “Plastic Leakage to the Environment by Region – Projections,” OECD, Global Plastics Outlook Database.

[6]  “Plastic Leakage and Greenhouse Gas Emissions are Increasing,” OECD, accessed May 1, 2023.

[7]  “Text of the Convention,” Basel Convention, n.d..

[8]  “Overview,” Basel Convention

[9]  “Overview”

[10]  “Global Resources Outlook,” International Resource Panel, n.d..

[11]  Therese Karlsson, Jan Dell, Sedat Gündoğdu, and Bethanie Carney Almroth, “Plastic Waste Trade: The Hidden Numbers,” International Pollution Elimination Network, March 2023.

[12]  “INTERPOL Strategic Analysis Report: Emerging Criminal Trends in the Global Plastic Waste Market Since January 2018,” INTERPOL, August 2020.

[13] Felix Preston, Johanna Lehne, and Laura Wellesley, “An Inclusive Circular Economy: Priorities for Developing Countries,” Chatham House, May 2019.

[14] Preston, Lehne, and Wellesley, “An Inclusive Circular Economy.”

 

[15] Lisa Anne Hamilton and Steven Feit, “Plastic & Climate: The Hidden Costs of a Plastic Planet,” Centre for International Environmental Law, May 2019.

[16]Marine Plastic Pollution,” Issue Brief, International Union for Conservation of Nature, November 2021.

[17] Simon Harding, “Marine Debris: Understanding, Preventing and Mitigating the Significant Adverse Impacts on Marine and Coastal Biodiversity,” Secretariat of the Convention on Biological Diversity, 2016.

[18]Plastic Planet: How Tiny Plastic Particles are Polluting Our Soil,” UNEP, December 22, 2021.

[19] Kaveri Kala and Nomesh B. Bolia. “Analysis of Informal Waste Management Using System Dynamic Modelling,” Heliyon 8, no. 8 (2022): e09993.

[20] The Basel Convention on the Control of Transboundary Movements of Hazardous Wastes and their Disposal, adopted on March 22 1989, accessed May 9, 2023.

[21] Rotterdam Convention on the Prior Informed Consent Procedure for Certain Hazardous Chemicals and Pesticides in International Trade, adopted on September 10, 1998, accessed May 9, 2023.

[22] Stockholm Convention on Persistent Organic Pollutants, adopted on May 22, 2001, accessed May 9, 2023.

[23] Mekala Krishnan, Hamid Samandari, Jonathan Woetzel, Sven Smit, Daniel Pacthod, Dickon Pinner, Tomas Nauclér Humayun Tai, Annabel Farr, Weige Wu, and Danielle Imperato. “The Net-Zero Transition: What It Would Cost, What It Could Bring,” McKinsey and Company, January 2022.

[24] “Peak Plastics: Bending the Consumption Curve: Evaluating the Effectiveness of Policy Mechanisms to Reduce Plastic Use,” Back to Blue Initiative, February 2023.

 

[25]G20 Action Plan on Marine Litter (Annex to G20 Leaders Declaration),” G20 Germany, 2017.

[26]About G20 Resource Efficiency Dialogue,” G20 Resource Efficiency Dialogue, accessed April 3, 2023.

[27] Mizuki Kato, Vivek Anand Asokan, Chochoe Devaporihartakula, Miki Inoue, Chika Aoki-Suzuki, Emma Fushimi, and Yasuhiko Hotta, “G20 Report on Actions against Marine Plastic Litter: Fourth Information Sharing based on the G20 Implementation Framework,” 2022.

[28]Second Environment and Climate Sustainability Working Group (ECSWG) Meeting Concludes in Gandhinagar With G20 Member Countries Reaffirming Their Commitment Towards Combatting Environment and Climate Crisis With a Renewed Sense of Urgency,” Press Information Bureau, March 29, 2023.

[29] Peter Lacy and Jakob Rutqvist. Waste to Wealth: The Circular Economy Advantage (London: Palgrave Macmillan, 2015).

[30]About G20,” G20 India, accessed April 5, 2023.

[31] The 9R Framework was developed to lend a more holistic outlook to the circular economy ecosystem, moving forward from the more common 3Rs of Reduce, Reuse, Recycle, to include R0-Refuse, R1-Rethink, R2-Reduce, R3-Reuse, R4-Repair, R5-Refurbish, R6-Remanufacture, R7-Repurpose, R8-Recycle, and R9-Recover. This framework identifies different mechanisms which are graded on intensity and impact.

[32] “UN ComTrade Database,” ComTrade, accessed April 5, 2023.

[33]World Employment Social Outlook 2018: Greening with Jobs,” International Labour Office, 2018.