G20 को एक साझा डिजिटल भविष्य को प्राथमिकता देनी चाहिए जहां तकनीक किफ़ायती, सर्वसुगम और एक-दूसरे से जुड़ी हो. ये एजेंडा G20 से परे विकासशील अर्थव्यवस्थाओं तक फैला हुआ है जिनमें पैसिफिक के द्वीप भी शामिल हैं जहां डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा, डिजिटल वित्तीय समावेशन और डिजिटल नौकरी का कौशल विकास के महत्वपूर्ण मुद्दे हैं. G20 के सभी सदस्यों ने संयुक्त राष्ट्र के साझा एजेंडे और संयुक्त राष्ट्र महासचिव के डिजिटल सहयोग के दिशा-निर्देश को लेकर प्रतिबद्धता जताई है जिसका उद्देश्य डिजिटल दूरी को ख़त्म करना और वैश्विक साइबर क्षमता के निर्माण का समर्थन करना है. G20 के अध्यक्ष और साइबर सुरक्षा के मुद्दों को लेकर नेतृत्व करने वाले देश के रूप में भारत इस एजेंडे को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका अदा कर सकता है. G20 और पैसिफिक द्वीपों के मंच- दोनों के सदस्य के रूप में ऑस्ट्रेलिया के पास एक विशेष ज़िम्मेदारी है कि वो पैसिफिक द्वीपों के डिजिटल विकास की आवश्यकताओं का समर्थन करे.
G20 के सभी सदस्यों ने संयुक्त राष्ट्र के साझा एजेंडे और संयुक्त राष्ट्र महासचिव के डिजिटल सहयोग के दिशा-निर्देश को लेकर प्रतिबद्धता जताई है जिसका उद्देश्य डिजिटल दूरी को ख़त्म करना और वैश्विक साइबर क्षमता के निर्माण का समर्थन करना है.
पैसिफिक या प्रशांत द्वीप के देशों में डिजिटल सुरक्षा को लेकर चर्चा को महत्वपूर्ण पहल जैसे कि पापुआ न्यू गिनी और सोलोमन आइलैंड को सिडनी तक समुद्र के नीचे फाइबर ऑप्टिक केबल के ज़रिए जोड़ने वाला कोरल सी केबल सिस्टम; पिछले दिनों ऑस्ट्रेलिया के टेलस्ट्रा के द्वारा 1.6 अरब अमेरिकी डॉलर में डिजिसेल की पैसिफिक ब्रांच का अधिग्रहण; या इस क्षेत्र में चल रही अलग-अलग ट्रेनिंग, वर्कशॉप और सम्मेलनों के इर्द-गिर्द केंद्रित करना लुभावना है. लेकिन G20 की अर्थव्यवस्थाओं का ये काम है कि वो इस दिशा में ज़्यादा रचनात्मक ढंग से सोचें कि वो कैसे पैसिफिक द्वीप में स्थित देशों के साथ डिजिटल सामर्थ्य के विषय पर साझेदारी कर सकते हैं. डिजिटल सामर्थ्य को आपराधिक एवं दुर्भावनापूर्ण हमलों एवं घटनाओं से उबरने की क्षमता, समुदायों के द्वारा इंटरनेट सक्षम प्लैटफॉर्म एवं सेवाओं के ज़िम्मेदारी से भरे उपयोग को मज़बूत करने और डेटा सुरक्षा एवं निजता की गारंटी को सख़्त करने के तौर पर परिभाषित किया गया है.
साझेदार देशों को पैसिफिक देशों की सरकारों, समुदायों और क्षेत्रीय संगठनों के साथ मिलकर पैसिफिक की ऐसी परिकल्पना की ओर काम करना चाहिए जो डिजिटल माध्यम से एक सुरक्षित एवं सावधान तरीक़े से जुड़ा हो. ऑस्ट्रेलिया की डिजिटल भागीदारी के उदाहरण इसे हासिल करने के लिए रास्ता दिखाते हैं.
सबसे पहले अलग-अलग देशों को पैसिफिक द्वीपों की सरकारों के साथ साझेदारी करने की आवश्यकता है. डिजिटल तक़नीक के त्वरित उपयोग और सर्वव्यापकता ने सामाजिक जीवन, व्यापार एवं व्यवसाय और राजनीतिक संरचना पर प्रभाव की पहचान, मूल्यांकन और नियमित करने की क्षमता में कमी के साथ पैसिफिक द्वीप के देशों समेत दुनिया भर की सरकारों का सामना किया है.
नई तकनीकों की प्रवृत्ति होती है कि वो सरकार की मौजूदा कमज़ोरियों को बढ़ाती हैं. पैसिफिक द्वीपों की सरकारों ने पहले से ही महत्वपूर्ण कार्यों जैसे कि सार्वजनिक सूचना को प्रसारित करने और डिजिटल पहचान की योजनाओं एवं अन्य ई-सेवाओं के प्रबंधन के लिए निजी कंपनियों पर निर्भर रहना शुरू कर दिया है.
साझेदार देश अपनी क्षमताओं को मज़बूत करने के लिए पैसिफिक देशों की सरकारों की और मदद कर सकते हैं. इस प्रयास का एक हिस्सा होगा राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा की रणनीति के विकास का समर्थन करना जो निवेश की प्राथमिकता और ख़तरे की समझ के बारे में बताता है.
अपने बाज़ार के सीमित आकार और अंतर्राष्ट्रीय सहायता पर निर्भरता की वजह से पैसिफिक देशों का सामना अलग-अलग प्रकार की डिजिटल तकनीकों, प्लैटफॉर्म और ऐप्लिकेशन की शुरुआत से हुआ है. लेकिन ये अक्सर स्थानीय संदर्भों के अनुसार ठीक नहीं होते हैं और उनको बरकरार रखना मुश्किल होता है. ये समस्या पैसिफिक देशों के सांस्कृतिक नियमों के कारण और बढ़ जाती है जिससे सहायता की पेशकश को ठुकराना काफ़ी चुनौतीपूर्ण हो जाता है.
डिजिटल तकनीक की एक ज़िम्मेदारी से भरी और सतत् शुरुआत को सुनिश्चित करने के लिए सरकार का फ़ैसला लेने वालों और प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों के बीच गतिशील और सहयोगपूर्ण व्यवस्था की आवश्यकता होती है. साझेदार देशों के लिए एक अवसर है कि वो इस तरह की बातचीत के लिए एक वाहक का काम करें और परवाह करने वाले डिजिटल पड़ोसी की तरह काम करें. उदाहरण के लिए, ऑस्ट्रेलिया की सरकार अपनी तालमेल की क्षमता की पेशकश पैसिफिक द्वीप के देशों को कर सकती है और उन्हें साइबर सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं का समाधान करने में मदद कर सकती है. ऑस्ट्रेलिया पैसिफिक देशों को फ़ायदा पहुंचाने के लिए डिजिटल सार्वजनिक सामान के रूप में घरेलू तकनीकी समाधान जैसे कि ऑनलाइन ई-सेवाओं की पेशकश या न्यू साउथ वेल्स या विक्टोरिया से संचालित साइबर सुरक्षा जागरुकता अभियान को भी प्रस्तुत कर सकता है.
साझेदार देश अपनी क्षमताओं को मज़बूत करने के लिए पैसिफिक देशों की सरकारों की और मदद कर सकते हैं. इस प्रयास का एक हिस्सा होगा राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा की रणनीति के विकास का समर्थन करना जो निवेश की प्राथमिकता और ख़तरे की समझ के बारे में बताता है. इसका एक उदाहरण है पापुआ न्यू गिनी की राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति के लिए ऑस्ट्रेलिया का समर्थन. इसमें श्रम बल विकास योजनाओं और काम के अवसरों को भी शामिल किया जा सकता है. कंप्यूटर इमरजेंसी रेस्पॉन्स टीम (CERT) टोंगा ने न्यूज़ीलैंड की CERT के साथ साझेदारी करके साइबर सुरक्षा श्रम बल विकास योजना (CWDP) का विकास किया है. इसमें काम के अवसर और अनुभवी एवं महत्वाकांक्षी लोगों को प्रायोगिक कौशल तैयार करने और साइबर सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को समझने में मदद करने के लिए सामग्रियों एवं संसाधनों को साझा करना शामिल हैं.
एक और उदाहरण साइबर सुरक्षा पैसिफिका कार्यक्रम है. ऑस्ट्रेलिया की संघीय पुलिस की अगुवाई में चलने वाले इस कार्यक्रम में साइबर सुरक्षा जागरुकता एवं शिक्षा, साइबर अपराध क़ानून एवं नीति के विकास और साइबर अपराध की छानबीन में पुलिस को अतिरिक्त कौशल से लैस करने के क्षेत्र में पैसिफिक द्वीप के 18 देशों में क़ानून लागू करने वाले कर्मियों को ट्रेनिंग दी जाती है. ये साइबर अपराध का मुक़ाबला करने और समुदायों को सुरक्षित रखने में मदद के क्षेत्रीय प्रयासों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
दूसरा, साझेदार देशों को लोगों की ई-सुरक्षा में फ़ायदा पहुंचाने और उनके ऑनलाइन अनुभव में सकारात्मकता को सुनिश्चित करने के लिए साइबर सुरक्षा सामर्थ्य में निवेश के ज़रिए पैसिफिक के समुदायों का समर्थन करना चाहिए. समुदायों के लिए जोख़िम को देखते हुए अच्छी शासन व्यवस्था की रक्षा, ग़लत जानकारी के प्रसार का मुक़ाबला और साइबर अपराध की रोकथाम में लोगों का साझा हित है.
लोगों को ऑनलाइन प्लैटफॉर्म पर बुरे और अच्छे व्यवहार की पहचान करने और ग़लत जानकारी को समझने में मदद पहुंचाने के लिए शिक्षा बुनियादी चीज़ है. सरकारों के लिए ये महत्वपूर्ण है कि वो एक अच्छे माहौल की पेशकश करें जहां सोशल मीडिया कंपनियां, समुदायों के लिए सुरक्षा एवं हिमायती समूह और मीडिया के संस्थान सुरक्षा के साथ एक सकारात्मक ऑनलाइन अनुभव को संतुलित करने के लिए साथ मिलकर काम कर सकें.
इस क्षेत्र में सहयोग का एक उदाहरण है ऑस्ट्रेलिया के ई-सुरक्षा आयुक्त और फिजी के ऑनलाइन सुरक्षा आयोग के बीच साझेदारी जिसके तहत अधिक सकारात्मक ऑनलाइन अनुभवों को बढ़ावा दिया जाता है, अलग-अलग एवं दूर-दराज़ के समुदायों का समर्थन करने पर ध्यान दिया जाता है और जोख़िम का सामना करने वाले अधिकतर लोगों के पास संसाधनों एवं उपकरणों के साथ पहुंचा जाता है. इस तरह की साझेदारी का विस्तार अन्य सरकारों और साझेदार देशों तक किया जा सकता है ताकि पैसिफिक देशों के बच्चों, अभिभावकों और सबसे ज़्यादा जोख़िम का सामना कर रहे अन्य समुदायों के लिए साइबर सुरक्षा को मज़बूत करने के उद्देश्य से अपने ख़ुद के ई-सुरक्षा आयुक्त की तरह की भूमिका या क्षेत्रीय व्यवस्था स्थापित करने में मदद दी जा सके.
समुदायों के लिए एक सुरक्षित जगह का निर्माण करने में इस बात पर विचार करने की आवश्यकता है कि डिजिटल तकनीक का सामुदायिक उपयोग और लाभ हो और ये किस तरह आने वाली पीढ़ियों को प्रभावित कर सकती है. ये पश्चिमी समाज के दृष्टिकोण से अलग हो जो तुरंत किसी व्यक्ति के लाभ पर केंद्रित होती है. पैसिफिक देश और अन्य सरकारों के बीच साझेदारी में डिजिटल विकास के सिद्धांतों, समान विचार वाले दानकर्ताओं के बीच दृष्टिकोण में ताल-मेल और घरेलू साइबर सुरक्षा प्राथमिकताओं के साथ मेल-जोल को सुनिश्चित करना चाहिए.
आख़िर में, साझेदार देशों को साइबर सुरक्षा सामर्थ्य के लिए क्षेत्रीय इकोसिस्टम का समर्थन करना चाहिए. साइबर सुरक्षा कार्यक्रमों पर सहयोग करते समय संप्रभुता की समझ संवेदनशील है. इस बात का जोख़िम है कि साइबर सुरक्षा सामर्थ्य को बढ़ावा देने वाले प्रयास किसी देश की संप्रभुता की समझ में अतिक्रमण और संस्कृति, समुदायों एवं समाज के साथ हस्तक्षेप कर सकते हैं. इस तरह क्षेत्रीय साइबर सुरक्षा सामर्थ्य के लिए समर्थन पैसिफिक पड़ोसियों के साथ नज़दीकी तौर पर विचार-विमर्श और भागीदारी की एक प्रक्रिया के माध्यम से देना चाहिए. इसके लिए पैसिफिक में डिजिटल विकास, साइबर सुरक्षा और ऑनलाइन अधिकारों के क्षेत्र में काम करने वाले मंचों, पहल और व्यक्तियों के अलग-अलग समुदाय को समझने और उनके साथ भागीदारी के प्रयासों की आवश्यकता होगी.
अक्टूबर में फिजी में शुरू साइबर स्मार्ट पैसिफिक 2022 जागरुकता अभियान पैसिफिक साइबर सिक्युरिटी ऑपरेशनल नेटवर्क (PaCSON) के साझेदारों और पूरे पैसिफिक के दोस्तों के बीच क्षेत्रीय सहयोगपूर्ण प्रयास का एक उदाहरण है. इसका उद्देश्य पैसिफिक द्वीप की आवश्यकताओं के हिसाब से एक कार्यक्रम को विकसित करना है जिसमें पैसिफिक महासागर के परिचित जीवों का इस्तेमाल किया गया हो ताकि स्थानीय समुदायों को ऑनलाइन अधिक सुरक्षित बनाने के लिए चार प्रमुख क़दमों को लागू करने को प्रोत्साहित किया जा सके.
पैसिफिक देशों में डिजिटल तकनीकों की अपनी समझ को मज़बूत करने की एक स्पष्ट इच्छा और दिलचस्पी है क्योंकि वो सामाजिक संपर्कों को बढ़ाने, व्यावसायिक काम-काज और सार्वजनिक सेवाओं को दूर-दराज़ तक पहुंचाने में मदद करती हैं.
साइबर क्षमता निर्माण के लिए एक मान्यतापूर्ण वैश्विक प्लैटफॉर्म ग्लोबल फोरम ऑन साइबर एक्सपर्टीज़ ने पिछले दिनों एक पैसिफिक हब की स्थापना के ज़रिए प्रशांत महासागर के इन द्वीप देशों में साइबर क्षमता निर्माण के प्रयासों को मज़बूत करने के लिए क़दम उठाया है. पैसिफिक क्षेत्र में आधारित इस प्लैटफॉर्म की टीम ने पैसिफिक द्वीप के भागीदारों के देशों के दौरे के माध्यम से अतीत और वर्तमान की पहल, डिलीवरी की आवश्यकताओं एवं साधनों का ज़मीनी स्तर पर सत्यापन करके अपना काम शुरू किया ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि उसके प्रयास पैसिफिक के अनुसार और पैसिफिक के संदर्भ में हों. पैसिफिक हब साइबर सुरक्षा के साथ-साथ तक़नीकी सहायता पहुंचाने के उचित माध्यम के रूप में पैसिफिक देशों की सरकारों, नीति लागू करने वालों और साइबर सुरक्षा के मुद्दों पर मदद देने वाली सरकारों के लिए जानकारी, सूचना और सलाह का एक स्वतंत्र और आधिकारिक स्रोत बनने जा रहा है.
पैसिफिक देशों में डिजिटल तकनीकों की अपनी समझ को मज़बूत करने की एक स्पष्ट इच्छा और दिलचस्पी है क्योंकि वो सामाजिक संपर्कों को बढ़ाने, व्यावसायिक काम-काज और सार्वजनिक सेवाओं को दूर-दराज़ तक पहुंचाने में मदद करती हैं. G20 के सदस्य देशों की ये साझा ज़िम्मेदारी है कि वो साइबर सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियों की रोकथाम करें और उनका जवाब दें, विशेष रूप से वैसी चुनौतियां जो पैसिफिक जैसे विकासशील क्षेत्रों को प्रभावित करती हैं. साथ ही G20 के सदस्य देशों को संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों की तरफ़ काम करने के लिए साझेदारी का भी निर्माण करना चाहिए.
ये लेख AP4D की रिपोर्ट “पैसिफिक में डिजिटल सामर्थ्य एवं बदलाव को लेकर ऑस्ट्रेलिया का एक साझेदार बनना कैसा दिखता है” पर आधारित है.