अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष में सुधार के लिए ‘फिट-फॉर-पर्पस’ प्रस्ताव

Brahima S. Coulibaly | Eswar Prasad

टास्क फोर्स 7: टूवर्ड्स रिफॉर्म्ड मल्टीलेटरिज्म: ट्रांसफॉर्मिंग ग्लोबल इंस्टीट्यूशंस एंड फ्रेमवर्क्स


सारांश

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक प्रणाली का एक ऐसा स्तंभ है, जो विभिन्न देशों की आर्थिक और वित्तीय नीतियों की बहुपक्षीय निगरानी मुहैया करवाता है. यह मैक्रोइकोनॉमिक्स और/या भुगतान संतुलन के दबाव का सामना कर रहे देशों को अल्पकालिक वित्त पोषण भी प्रदान करता है. जैसे-जैसे IMF की निगरानी और कर्ज़ देने से जुड़ी गतिविधियों में इज़ाफ़ा हुआ है, वैसे-वैसे IMF उन ज़रूरतों को पूरा करने में सक्षम नहीं दिखाई दे रहा है. संस्थान की शासन संरचना अब वर्तमान आर्थिक वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करती दिखाई नहीं देती, जबकि इसके वित्तीय संसाधन भी तेजी से अपर्याप्त हो गए हैं. ये समस्याएं भले ही अलग-अलग हैं, लेकिन ये अंतर-संबंधित होने के साथ IMF की कार्यक्षमता को बाधित कर रही हैं. COVID-19 के बाद एक ऐसी वैश्विक वित्तीय प्रणाली ज़रूरी है, जो फिट-फॉर-पर्पस अर्थात उद्देश्य के लिए उपयुक्त हो और IMF की शासन संरचना और कर्ज़ देने की क्षमता को मज़बूती प्रदान करने का काम करें. कर्ज़ देने की क्षमता और IMF की शासन संरचना को वर्तमान वित्तीय प्रणाली की जटिलता में और वैश्विक अर्थव्यवस्था के आकार के अनुरूप काम करने लायक होना चाहिए. यह नीति संक्षेप IMF की शासन संरचना में सुधार, संसाधन आधार में वृद्धि, और उन संसाधनों का अधिक कुशलता से उपयोग करने के लिए समाधान प्रस्तावित करता है.

  1. चुनौती

वैश्विक वित्तीय प्रणाली में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) सबसे महत्वपूर्ण संस्था है जो देशों को विभिन्न आर्थिक झटकों और संकटों का प्रबंधन करने में सहायता करती है. लेकिन COVID-19 महामारी के दौरान पाया गया कि इसकी शासन संरचना और सीमित संसाधन, प्रणालीगत झटकों का पर्याप्त रूप से जवाब देने की क्षमता को बाधित कर रहे हैं. बुरी तरह से प्रभावित सदस्य देशों को IMF सहायता प्रदान करने के लिए आपातकालीन समेत अन्य मौजूदा तंत्रों का सहारा तो ले सकता है, लेकिन अगर इसे बड़े उभरते बाज़ार (या यहां तक कि उन्नत) अर्थव्यवस्थाओं की सहायता करने को कहा जाए तो IMF इस कसौटी पर कमज़ोर ही साबित होगा.

अपर्याप्त अथवा अपूर्ण संसाधन आधार

संचयी रूप से, संस्था की कर्ज़ देने की क्षमता US$ 952 बिलियन है, जो वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के एक फीसदी से भी कम है. [a] वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि के साथ ही इस एक फीसदी हिस्सेदारी में और भी गिरावट आएगी. US$ 952 बिलियन में से केवल US$ 426 बिलियन या 45 प्रतिशत कोटा कॉन्ट्रीब्यूशन्स अर्थात अंशदान का प्रतिनिधित्व करते हैं; US$ 381 बिलियन या 40 प्रतिशत राशि न्यू अरेंजमेंट टू बॉरो (NAB) की व्यवस्था का हिस्सा है, जबकि शेष US$ 146 बिलियन द्विपक्षीय ऋण समझौते (BBA) के चलते उपलब्ध होते हैं. अन्य शब्दों में, IMF की कर्ज़ देने की क्षमताओं में गैर-कोटा संसाधनों का हिस्सा 55 प्रतिशत है. NAB और द्विपक्षीय कर्ज़ समझौते अस्थायी होते हैं. अधिकांश मामलों में यह दाता देशों के विवेक पर आधारित होते हैं. इन गैर-कोटा संसाधनों पर अत्यधिक निर्भरता संस्था के संसाधनों में अनिश्चितता पैदा करने का एक स्रोत है और ये IMF के उस मूल सिद्धांत के साथ तालमेल नहीं खाता कि कोटा अंशदान ही संसाधनों का मुख्य स्रोत होना चाहिए. पंद्रहवें जनरल रिव्यू में, IMF के ही एक नीति पत्र ने अपने सदस्यों की ज़रूरतों को पूरा करने में संसाधनों की कमी को उजागर करते हुए दोहराया था कि IMF की वर्तमान कर्ज़  देने की क्षमता को न्यूनतम के रूप में देखा जाना चाहिए.

पुरातन अर्थात अप्रचलित शासन संरचनाएं

बहुपक्षीय संस्थानों की शासन संरचनाएं अलग-अलग होती हैं, जिनमें से प्रत्येक संरचना के अपने फ़ायदे और ख़ामियां होती हैं. मसलन, संयुक्त राष्ट्र (UN) में, प्रत्येक देश को एक वोट मिलता है, जबकि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में शामिल 15 सदस्यों में से 5 के पास वीटो पॉवर है. इस बीच, विश्व व्यापार संगठन काफ़ी हद तक सर्वसम्मति से संचालित होता है. किसी भी वैश्विक संस्था की वैधता और उसकी प्रभावशीलता इस संस्था में शामिल व्यापक सदस्यों की ज़रूरतों, वैश्विक हितों को बढ़ावा देने की क्षमता, विभिन्न देशों के एक या एक छोटे समूह द्वारा कब्ज़ा करने की अभेद्यता, और तत्काल आवश्यकता के समय संस्था की सेवाओं पर सक्रिय रूप से कार्य करने की क्षमता पर निर्भर करती है.

एक बहुपक्षीय वित्तीय संस्थान की मज़बूत शासन संरचना को आदर्श रूप से राष्ट्र-राज्यों की संप्रभुता को संज्ञान में लेने के साथ ही न केवल उन राष्ट्र-राज्यों के आर्थिक आकार और जनसंख्या में अंतर, बल्कि क्षमताओं और संसाधनों में भी अंतर को ध्यान में रखना चाहिए. IMF की शासन संरचना कुछ अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थानों की तुलना में इन सिद्धांतों को बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित करने का काम करती दिखाई देती है, लेकिन यह संरचना भी 21 वीं सदी की चुनौतियों का समाधान करने के लिए उपयुक्त आधुनिक संरचना नहीं कही जा सकती है.

IMF का कोटा ही इस वित्तीय संस्था के शासन और वित्तीय ढांचे के बिल्डिंग ब्लॉक्स हैं. यह कोटा ही इस बात को तय करता है कि IMF का प्रत्येक सदस्य इस संस्था के वित्तीय संसाधनों में अधिकतम कितनी राशि का योगदान देने के लिए बाध्य होगा (और, इसी वज़ह से IMF के पास स्थायी आधार पर उपलब्ध सब्स्क्राइब्ड अर्थात अभिदान संसाधनों की कुल राशि तय होती है), प्रत्येक सदस्य देश का मताधिकार, IMF के विभिन्न वित्तपोषण यानी कर्ज़ देने के तरीकों तक सदस्यों की पहुंच की सीमा तथा SDR के किसी भी सामान्य आवंटन में सदस्यों की हिस्सेदारी तय होती है.

IMF कोटा निम्नलिखित सूत्र पर आधारित हैं:

कैलकुलेटेड कोटा = (0.50*GDP + 0.30* ओपननेस + 0.15*वेरिएबिलिटी + 0.05*रिजर्वस्) ^कॉम्प्रेशन फैक्टर.

सूत्र में प्रयुक्त आर्थिक आकार का परिमाण/माप बाज़ार विनिमय दरों (60 प्रतिशत वेटेज) और क्रय शक्ति समानता (पीपीपी) विनिमय दरों (40 प्रतिशत वेटेज) पर आधारित GDP का मिश्रण है; ओपननेस अर्थात खुलापन पांच साल की अवधि के लिए वर्तमान भुगतानों और वर्तमान प्राप्तियों (माल, सेवाओं, आय और स्थानान्तरण) के योग का वार्षिक औसत है; वेरिएबिलिटी अर्थात परिवर्तनशीलता वर्तमान प्राप्तियों और शुद्ध पूंजी प्रवाह की परिवर्तनशीलता है (जिसे 13 साल की अवधि में केंद्रित तीन साल की प्रवृत्ति से मानक विचलन के रूप में मापा गया है); और रिजर्वस् अर्थात भंडार एक वर्ष के आधिकारिक रिजर्व (विदेशी मुद्रा, SDR होल्डिंग्स, फंड में भंडार की स्थिति, और मौद्रिक सोना) के 12-महीने का औसत है. सूत्र में एक ‘‘कॉम्प्रेशन फैक्टर’’ भी शामिल है, जो सदस्यों में कैलकुलेटेड कोटे के शेयर में बिखराव को कम करता है.

2010 में पूरी हुई कोटे की चौदहवीं सामान्य समीक्षा 2016 से लागू हुई. उस समय, IMF ने इसे ” गतिशील उभरते बाज़ार और विकासशील देशों की बढ़ती भूमिका को संस्था की शासन संरचना में बेहतर ढंग से दर्शाने की दिशा में एक अहम कदम बताया था.” 2020 में हुई पंद्रहवीं सामान्य समीक्षा में कोटे में कोई वृद्धि या इसके पुनर्वितरण का निर्णय नहीं लिया गया. [b]

कुछ शेयरधारकों की कोटा समीक्षाओं का IMF के संसाधनों को बढ़ाने के अवसर के रूप में उपयोग करने की अनिच्छा संस्था की प्रभावशीलता को बाधित करती है. इतना ही नहीं, पंद्रहवीं समीक्षा के दौरान कोटे में कोई बदलाव नहीं करने के फ़ैसले ने मौजूदा विसंगतियों को और बढ़ा दिया है. क्योंकि उभरते बाज़ार और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं (EMDE) ने विशेष रूप से पिछले दो दशकों में उन्नत अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले में बेहतर विकास दर्ज़ किया है.

यह जानना ज़रूरी है कि बाज़ार विनिमय दरों पर चीन की 2022 की GDP उस वर्ष जर्मनी, जापान और यूनाइटेड किंगडम (UK) की संयुक्त GDP से अधिक थी, लेकिन चीन का कोटा केवल 6.40 प्रतिशत है, जबकि बाद के तीन देशों के कोटे का योग 16.29 प्रतिशत है. ऊपर बताए गए पूरे फॉर्मूले का इस्तेमाल किए जाने पर ये असमानताएं और बढ़ेंगी. इसी तरह, भारत की GDP ब्रिटेन की तुलना में बड़ी है, लेकिन इन दोनों देशों का कोटा क्रमशः 2.75 प्रतिशत और 4.23 प्रतिशत ही है. PPP विनिमय दरों पर मापे जाने पर, EMDE के इकॉनॉमिक वेट और उनके कोटे के बीच अंतर और बढ़ जाएगा.

इन विसंगतियों के अलावा, US का 16.50 प्रतिशत का वोटिंग शेयर (जो कि US के 17.43 प्रतिशत के कोटे से कम है), US को प्रमुख नीतिगत निर्णयों पर प्रभावी वीटो शक्ति प्रदान करता है. नीतिगत निर्णयों के लिए 85 प्रतिशत सुपर-बहुमत ज़रूरी होता है. उन्नत अर्थव्यवस्थाओं के पास एक समूह के रूप में 50 प्रतिशत से अधिक वोटिंग शेयर हैं, जो उन्हें अधिकांश निर्णयों को प्रभावित करने की शक्ति प्रदान करते हैं. [c]

IMF में उन्नत अर्थव्यवस्थाएं प्रमुख शेयरधारक हैं, जबकि उभरते बाज़ार और विकासशील अर्थव्यवस्थाएं इसके मुख्य ग्राहक हैं. इन दोनों समूहों की अर्थव्यवस्थाओं की वास्तविकताओं के बीच का अंतर तेजी से बढ़ रहा है. ये बात IMF की वैधता और प्रभावकारिता को चुनौती पेश करती है. इसका एक अर्थ यह भी निकाला जा सकता है कि आवश्यकता के समय संस्था अपने संसाधनों का कितने प्रभावी ढंग से उपयोग कर सकती है.

दिशाहीन संसाधन

सहायता की सबसे अधिक आवश्यकता वाले देशों को COVID-संबंधी विशेष आहरण अधिकार (SDR) के तहत संसाधनों को बेहतर रूप से आवंटित करने की चुनौती, इस फ़र्क को दर्शाने वाली है. चूंकि नए SDR आवंटन का वितरण कोटे के अनुपात में किया जाता हैं, अत: नए SDR का एक बड़ा हिस्सा घरेलू और बाहरी वित्तपोषण की कमी से निपटने के लिए सहायता की आवश्यकता वाले अधिक कमज़ोर और कम आय वाले EMDE के बजाय विकसित अर्थव्यवस्थाओं या संसाधनों से संपन्न बड़े EMDE को मिल गया था. निम्न मध्य-आय और निम्न-आय वाली अर्थव्यवस्थाओं के समूह के पास अपेक्षाकृत कम कोटे का शेयर है. यही देश नई अंतरराष्ट्रीय तरलता के निर्माण से सबसे अधिक लाभान्वित हो सकते हैं. लेकिन उनके कोटे का शेयर कम होने की वज़ह से इन देशों को बड़े समग्र SDR आवंटन से भी प्राप्त होने वाला लाभ मामूली ही कहा जाएगा. निश्चित रूप से उन्नत अर्थव्यवस्थाएं बाद में अपने SDR आवंटन को EMDE को अपने स्तर पर बतौर क़र्ज़ दे सकती हैं, लेकिन संकट के दौरान इस तरह के एड-हॉक तंत्र पर निर्भर नहीं रहा जा सकता.

अप्रैल 2022 में जारी एक बयान में, G-24 देशों ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि कैसे IMF के अपर्याप्त संसाधन आधार और उन संसाधनों के आवंटन के तरीके से G-24 देशों की अर्थव्यवस्थाएं प्रभावित हो रही हैं.

  1. G20 की भूमिका

G20 के सभी सदस्यों का सामान्य हित इसी में है कि एक अच्छी तरह से काम करने वाली अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक प्रणाली अस्तित्व में आए. बड़े संसाधन और अधिक प्रभाव वाली यह प्रणाली IMF समर्थित हो सकती है. G20 के सदस्यों में संस्था के प्रमुख शेयरधारक शामिल हैं, जिनके पास सामूहिक रूप से इस प्रणाली में आवश्यक परिवर्तन करने की ताकत मौजूद है. दरअसल, G20 ने वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जब G20 नेताओं ने सामूहिक रूप से IMF के संसाधनों (US$ 750 बिलियन तक) को तिगुना करने पर सहमति व्यक्त करते हुए वैश्विक अर्थव्यवस्था और वित्तीय प्रणाली की सहायता करने के लिए $250 बिलियन SDR आवंटन को मंजूरी दी थी.

इस वर्ष होने वाली सोलहवीं सामान्य कोटा समीक्षा के दौरान IMF के संसाधनों को समन्वित रूप से बढ़ाने, गैर-कोटा संसाधनों पर निर्भरता को कम करने या समाप्त करने, और अपने मिशन को पूरा करने के लिए संस्था को मज़बूत करने के लिए संस्था के कोटा आवंटन तंत्र में सुधार करने पर ध्यान दिया जाना चाहिए. यह इन कदमों को उठाने का एक महत्वपूर्ण अवसर होगा. G20 इन सुधारों को स्थापित करने के अवसर का उपयोग करते हुए इस अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक प्रणाली की स्थिरता में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है.

  1. G20 के लिए सिफारिशें

यह नीति संक्षिप्त सुधारों की एक श्रृंखला का प्रस्ताव करता है जो न केवल IMF की शासन संरचना को बदलने के लिए आवश्यक हैं बल्कि इसके संसाधन आधार और उन संसाधनों के उपयोग की प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए भी ज़रूरी हैं.

कोटा फार्मूले में सुधार: अनेक मामलों में उनके महत्व को देखते हुए कोटे के वितरण को विश्व अर्थव्यवस्था की वास्तविकताओं के साथ ठीक से संरेखित किया जाना ज़रूरी है. IMF ने एक सरल और पारदर्शी फॉर्मूला बनाया है, जिसकी प्रशंसा ही की जानी चाहिए. लेकिन कुछ मामलों में इस फॉर्मूले में सुधार किया जा सकता है. यह वृतांत निम्नलिखित सुझाव देता है (यह सुझाव उदाहरणात्मक हैं. इसे एक इष्टतम फार्मूले तक पहुंचने अथवा सहमति बनाने में सहायक साबित होने वाला अनुसंधान लंबित है):

ब्लेंडेड GDP माप में PPP आधारित GDP का भार बढ़ाकर 50 प्रतिशत किया जाए. यह संशोधन जनसंख्या में फ़र्क को दर्शाने में भी मदद करेगा.

वेरिएबिलिटी संबंधी वेरिएबल को ड्रॉप करें. इसका ओपननेस (0.98) के साथ परफेक्ट कोरिलेशन है, और वेरिएबिलिटी की इस मात्रा और वास्तविक या संभावित बाहरी कमज़ोरियों के बीच कोई संबंध नहीं है. IMF का अपना शोध भी वेरिएबिलिटी के लिए एक बेहतर मात्रा की पहचान नहीं कर पाया है.

ओपननेस वेरिएबल को वेरिएबिलिटी वेरिएबल्स के एक ऐसे सेट के साथ बदल दिया जाए जो वैश्विक अर्थव्यवस्था में वित्तीय और व्यापार एकीकरण को दर्शाने वाला हो. ऐसा होने पर ही ये चालू खाते और वित्तीय खातों में से किसी (या दोनों) से जुड़े भुगतान संतुलन पर उत्पन्न होने वाले संकट के प्रति अतिसंवेदनशीलता को दर्शाएगा. वैश्विक स्तर पर कुछ देशों पर मंडरा रहे जलवायु संबंधी ख़तरों के जोख़िम को प्रतिबिंबित करने के लिए जलवायु संबंधी ख़तरों की अतिसंवेदनशीलता को दर्शाने वाला एक सेपरेट वेरिएबल भी होना चाहिए. भले ही वे देश अधिक पारंपरिक संबंधों के माध्यम से विश्व अर्थव्यवस्था में एकीकृत न हुए हों.

हम निम्नलिखित वैकल्पिक सूत्र का सुझाव देते हैं: (0.55*GDP + 0.40*वल्नरबिलिटी + 0.05*रिजर्वस्‌)^कॉम्प्रेशन फैक्टर. यह फार्मूला PPP और बाज़ार आधारित GDP में से प्रत्येक को 0.275 भार, व्यापार और वित्तीय एकीकरण के समग्र माप को 0.30 और जलवायु वल्नरबिलिटी यानी अतिसंवेदनशीलता के माप को 0.10 भार प्रदान करेगा, जबकि रिजर्वस्‌ पर भार को 0.05 पर ही रहने देगा.

किसी देश के समग्र कोटे (बाहरी और जलवायु संबंधी ख़तरों के लिए किसी देश की अधिक अतिसंवेदनशीलता के कारण कोटे में वृद्धि को सीमित करने के लिए) में अतिसंवेदनशीलता वेरिएबल के योगदान के लिए उपयुक्त रूप से कॉम्प्रेशन फैक्टर और कैप को बनाए रखें.

एक्चुअल और कैलकुलेटेड कोटे को रिअलाइन करें: वर्तमान में, कैलकुलेटेड कोटे और मतदान शक्ति के लिए महत्वपूर्ण एड-हॉक समायोजन किए गए हैं. फार्मूले को अधिक सटीक रूप से दर्शाने के लिए इन्हें न्यूनतम या पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाना चाहिए. हालांकि मतदान संरचना में कम आय वाली अर्थव्यवस्थाओं की प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए कुछ समायोजन किया जा सकता है. IMF को US की राजनीति का अखाड़ा बनाने में सहायक वीटो पॉवर को ख़त्म किया जाए. दूसरी ओर कुछ महत्वपूर्ण निर्णयों को सर्वोच्च बहुमत की मंजूरी के अधीन किया जा सकता है. यह संभव है कि एक्चुअल और कैलकुलेटेड कोटे का पुनर्गठन किसी भी राष्ट्र के पास वीटो पॉवर को स्वचालित रूप से समाप्त कर देगा.

IMF के स्थायी संसाधनों के आकार को दोगुना करें: कोटे को दोगुना करके IMF के स्थायी संसाधन आधार को बढ़ाने का समय आ गया है. इसे अगर NBA और BBA जैसी अस्थायी व्यवस्थाओं को समयबद्ध और चरणबद्ध अंदाज में कालबाह्य नहीं किया गया तो यह अपने आप में IMF के संसाधनों के दायरे में वृद्धि नहीं करेगा. फिर भी, स्थायी संसाधनों में यह वृद्धि जो अस्थायी व्यवस्थाओं के रोलओवर की अनिश्चितता के अधीन नहीं होगी, IMF को उन संसाधनों का उपयोग करने में अधिक निश्चितता और लचीलापन मुहैया करवाएगी. यह निश्चित रूप से समग्र संसाधन एनवलप में कोई परिवर्तन नहीं करेगा. इसलिए – जैसा कि अगले बिंदु में उल्लेख किया गया है, इन परिवर्तनों को नए संसाधनों द्वारा पूरा किया जाना चाहिए.

नए संसाधन: IMF चार्टर को एक प्रावधान के माध्यम से बढ़ाया जा सकता है, जिससे संस्था को गंभीर वैश्विक वित्तीय तनाव के समय व्यवस्थित रूप से SDR बनाने की अनुमति दी जाती है. इनमें से कुछ आवंटन बड़ी, प्रणालीगत तरलता की कमी के मामले में अस्थायी प्रकृति के हो सकते हैं. नए SDR आवंटन को आदर्श रूप से IMF के एक खाते में जाना चाहिए. नए SDR का देशों में वितरण एक सहमत-मानदंड द्वारा निर्धारित किया जाता है और ये शॉक्स्‌ (वैश्विक बनाम देश-विशिष्ट) की प्रकृति के अधीन होना चाहिए. कर्ज़ आवंटन वैसे भी IMF कार्यकारी बोर्ड की मंजूरी के अधीन हैं, अत: कार्यकारी बोर्ड के स्तर पर SDR के निर्माण और उसके उपयोग की निगरानी की जा सकती है.

ऋण देने से कोटा और संसाधनों के योगदान को अलग करें:  कोटे और ऋण को जोड़ना स्वाभाविक रूप से IMF के मिशन के विपरीत है. यह IMF की ज़रूरत के समय अपने सबसे कमज़ोर सदस्यों की भुगतान संतुलन संबंधी ज़रूरतों को पूरा करने की क्षमता को काफ़ी हद तक कम कर देता है (भले ही असाधारण परिस्थितियों में एक्सेस लिमिट यानी ऋण तक पहुंच की सीमा का IMF बोर्ड के अनुमोदन से विस्तार किया जा सकता है). ये सुधार वास्तव में कोटे से नए एसडीआर के आवंटन को अलग करते हुए IMF को अपने सदस्यों की अलग-अलग ज़रूरतों के हिसाब से फ़ैसला लेने की प्रक्रिया को अधिक लचीला बनाएंगे.

निष्कर्ष

इस नीति वृतांत में बताए गए सुधार IMF को एक अधिक प्रभावी संस्था बनाने में मदद करेंगे जो आर्थिक कठिनाई के समय अपने सदस्यों की ज़रूरतों को पूरा करते हुए वैश्विक वित्तीय स्थिरता को बढ़ावा देकर अपने सभी सदस्यों को लाभान्वित कर सके. ये सुधार तकनीकी रूप से जटिल नहीं हैं, लेकिन इसके लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता है.

भारत की अध्यक्षता में G20 को IMF में एक ठोस और व्यापक सुधार की पहल करनी चाहिए.


(ऊपर व्यक्त किए गए विचार लेखक (कों) के हैं)


Endnotes

[a] Global foreign exchange reserves amounted to US$11.6 trillion at the end of 2022Q3. The IMF no longer provides a breakdown of foreign exchange reserve holdings into those of developed markets versus emerging market and developing economies. A rough estimate is that the latter group accounts for US$6-7 trillion, highlighting that the level of emerging markets and developing economies demand for safe and liquid assets vastly outstrips IMF resources.

[b] These changes must be reviewed and approved by national legislative bodies, which has made the implementation of quota reforms subject to the whims of the US Congress, in particular.

[c] Voting shares are closely related to quotas but, because every country gets a basic share of votes irrespective of its size, the voting shares of major shareholders are lower than their quotas. During the 2008 reforms, basic votes have been set to 5.5 percent of the total votes.

[1] International Monetary Fund, Adequacy of Fund Resources – Further Considerations, Policy Paper No. 2021/008, March 2021.

[2] Brahima Coulibaly and Kemal Dervis, “The governance of the International Monetary Fund at age 75,” Future Development (blog), Brookings Institution, July 1, 2019.

[3] International Monetary Fund, “Press Release: Historic Quota and Governance Reforms Become Effective,” Press Release No. 16/25, January 27, 2016.

[4] “Intergovernmental Group of Twenty-Four on International Monetary Affairs and Development,” International Monetary Fund, communique, April 19, 2022.

[5] “IMF Survey: G-20 Reaffirms IMF’s Central Role in Combating Crisis,” International Monetary Fund, April 3, 2009.

[6] International Monetary Fund, Fifteenth General Review of Quotas—Quota Formula and Realigning Shares, Policy Paper No. 2021/007, March 2021.