कार्यदल 1: समष्टि अर्थशास्त्र, व्यापार, और जीविकाएं: नीति संबद्धता और अंतरराष्ट्रीय समन्वय
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के अनुसार, स्वरोज़गार और सूक्ष्म और लघु व्यवसाय अविकसित और विकासशील देशों की अर्थव्यवस्थाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, ये कुल रोज़गार का दो-तिहाई से अधिक हिस्सा प्रदान करते हैं.[1] अगर उनके महत्व को कम करने वाली और उनकी क्षमता को खतरे में डालने वाली भारी बाधाएं न हों तो सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME ) अपने देशों की अर्थव्यवस्थाओं में महत्वपूर्ण योगदान करें. हालांकि, अधिकांश सरकारों ने एमएसएमई की क्षमता को पूरी तरह से नहीं समझा है, क्योंकि इनके पारिस्थितिकी तंत्र (Business Ecosystem: व्यवसाय का पारिस्थितिकी तंत्र संगठनों का एक नेटवर्क होता है जिसमें आपूर्तिकर्ता, वितरणकर्ता, ग्राहक, प्रतियोगी, सरकारी एजेंसियां और इसी तरह अन्य शामिल होते हैं और जो किसी विशिष्ट उत्पाद या सेवा को प्रदान करने के लिए सहयोग और प्रतियोगिता दोनों करते हैं. विचार यह है कि एक पारिस्थितिकी तंत्र में हर कोई एक दूसरे को प्रभावित करता है और होता है, इससे हर इकाई के साथ लगातार एक ऐसा संबंध विकसित होता रहता है जो अनिवार्य रूप से लोचशील और अनुकूलनीय होना चाहिए ताकि इस जैविक पारिस्थितिकी तंत्र में जीवित रह सके.) के विकास, नीतियों, रणनीतियों, तकनीकी कौशल और विशेषज्ञता जो एमएसएमई पारिस्थितिकी तंत्र को विकसित करने के लिए आवश्यक हैं, और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं से सीमित संपर्क- को लेकर काम करने की सबसे अच्छे तरीकों को साझा करने की कमी है. यह ज़रूरी है कि जी20 सदस्य देश एक ‘अंतर्राष्ट्रीय एमएसएमई गठबंधन’ बनाने के लिए एक साथ आएं ताकि दुनिया भर में एमएसएमई के लिए एक व्यापक पारिस्थितिकी तंत्र बनाया जा सके.
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं में विकास, नवाचार और स्थिरता को सक्षम बनाने और आकार देने में महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं. एमएसएमई दुनिया भर में व्यवसाय में 90 प्रतिशत, रोज़गार में 60 प्रतिशत से अधिक और राष्ट्रीय आय (जीडीपी) में 50 प्रतिशत तक का योगदान करते हैं.[2] विश्व बैंक के अनुसार, 2030 तक दुनिया के श्रम बल को समायोजित करने के लिए 600 मिलियन नौकरियों की आवश्यकता होगी, जिससे एमएसएमई का विकास कई सरकारों के लिए प्राथमिकता बन गया है.[3]
पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र (11 अर्थव्यवस्थाओं) में निजी क्षेत्र में सभी श्रमिकों का लगभग 89 प्रतिशत, यूरोप और मध्य एशिया क्षेत्र (31 अर्थव्यवस्थाओं) में 69 प्रतिशत, लैटिन अमेरिका और कैरिबियन क्षेत्र (15 अर्थव्यवस्थाओं) में 62 प्रतिशत, पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ्रीका क्षेत्र (8 अर्थव्यवस्थाओं) में 73 प्रतिशत, उत्तरी अमेरिका क्षेत्र (3 अर्थव्यवस्थाओं) में 53 प्रतिशत, दक्षिण एशिया क्षेत्र (4 अर्थव्यवस्थाओं) में 85 प्रतिशत और उप-सहारा अफ्रीका क्षेत्र (5 अर्थव्यवस्थाओं) में 64 प्रतिशत एमएसएमई में कार्यरत है. [4]
हालांकि, एमएसएमई, विशेष रूप से अविकसित और विकासशील देशों में, वित्त और पूंजी से संबंधित बड़ी चुनौतियों का सामना करते हैं, जैसे कि- आवश्यक कौशल की कमी, अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों के बारे में ज्ञान, सीमा शुल्क से इतर बाधाएं, जटिल विनियमन और सीमा पर होने वाली कार्रवाई, व्यापार वित्त तक सीमित पहुंच, बाज़ार में प्रवेश, और प्रतिस्पर्धा नीति से जुड़े मुद्दे. ये चुनौतियां एमएसएमई के विकास की संभावनाओं को बाधित करती हैं और उनके लंबे समय तक चलने और व्यापक योगदान को सीमित करती हैं.
एमएसएमई के लिए समृद्धशील पारिस्थितिकी तंत्र की अनुपस्थितिः बड़े उद्यम खुले बाज़ारों और अनुकूल व्यावसायिक वातावरण में पनप सकते हैं, लेकिन अपने छोटे आकार के कारण, कई एमएसएमई को उन कौशल और संसाधनों को प्राप्त करने में कठिनाई होती है जो उनकी उत्पादकता को बढ़ा सकते हैं, जिसमें प्रबंधन तकनीकों, वित्त और प्रौद्योगिकी के बारे में नवीनतम जानकारी शामिल है. एमएसएमई के सामने आने वाली चुनौतियों और अवसरों के स्तर को देखते हुए, अधिकांश जी20 देशों ने पूरी तरह या मुख्यतः उनके विस्तार में सहायता करने के लिए एक राष्ट्रीय निकाय की स्थापना कर दी है. फिर भी, इन सरकारी संस्थाओं का संचालन भी उन्हीं वजहों के कारण कठिन है जो बाज़ारों को एमएसएमई की मांगों को पूरा करने से रोकते हैं: उनका छोटा आकार का कमज़ोर बुनियादी ढांचा, ख़राब तरीके से काम करने वाला विनियामक वातावरण, संसाधनों तक सीमित पहुंच और व्यावसायिक कौशल और ज्ञान की कमी. सरकारें और अन्य संस्थान हर जगह कार्यक्रम शुरू कर रहे हैं ताकि उन्हें स्थिति से निपटने के लिए आवश्यक सलाहकार सहायता प्रदान की जा सके, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है.
बाज़ार विस्तार पर व्यवरोधः मैकिन्से की एक रिपोर्ट के अनुसार, कई अध्ययनों से पता चलता है कि एमएसएमई को बढ़ने के लिए उनका अंतर्राष्ट्रीयकरण होना चाहिए लेकिन अक्सर वे रणनीतिक रूप से ऐसा करने के लिए जूझते हैं या अपने घरेलू बाज़ार के बाहर जाने के लिए.[5] कई बाज़ारों में उच्च क्षमता वाले एमएसएमई ने कोविड-19 महामारी से पहले भी घरेलू सफलता हासिल की थी, लेकिन उनकी क्षमता को उनके स्थानीय बाज़ार के आकार ने सीमित कर दिया था. बड़े व्यवसायों के विपरीत, कई एमएसएमई के पास नए बाज़ारों में प्रवेश करने से पहले गहन बाज़ार अनुसंधान करने की क्षमता नहीं होती है, इसके बजाय वे अवसरों का लाभ उठाने और मामूली रूप से बढ़ने का विकल्प चुनते हैं.
जीवीसी का अधोगामी मोड़: वैश्विक मूल्य श्रृंखलाएं (GVCs) आज वैश्विक व्यापार का लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा हैं.[6] जीवीसी और अंतरराष्ट्रीय व्यापार के उदय ने पिछले 30 वर्षों में विकास पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है. आय और उत्पादकता में वृद्धि हुई है, विशेष रूप से विकासशील देशों में, क्योंकि यह रोज़गार के अवसर पैदा करता है.[7] फिर भी, इस बात को लेकर चिंता है कि यह विकास की ओर ले जाने वाला व्यापार नियंत्रित यह रास्ता खतरे में है. देशों को वर्तमान प्रणाली में सुधार के लिए विभिन्न मुद्दों पर सहयोग करने की आवश्यकता है. चूंकि विदेशी निवेश नियमन अस्थिर हैं, और राज्य के स्वामित्व वाली उद्यम बाज़ार को विकृत करते हैं, इसलिए कृषि और सेवाओं को समन्वित व्यापार उदारीकरण की आवश्यकता है. विकासशील देशों को सामाजिक सहायता और श्रम मानदंड अनुपालन को बढ़ाना होगा ताकि जीवीसी में भागीदारी से नौकरी के अवसरों और आय में वृद्धि हो सके. वैश्विक व्यापार और जीवीसी का परिदृश्य वर्तमान में बड़े पैमाने पर परिवर्तनों से गुजर रहा है, लेकिन अनिश्चितताएं बनी हुई हैं. ये भू-राजनीतिक स्थिति, तकनीकी प्रगति और टिकाऊ और समावेशी विकास के बारे में बढ़ती चिंताओं से जुड़े हो सकते हैं. हालांकि, अब भी वाणिज्य, विकास और जीवीसी को पुनर्जीवित करना संभव है. प्रगति वाणिज्य पर निर्भर करती है, लेकिन वाणिज्य को प्रभावी ढंग से कार्य कर पाएं, इसके लिए सरकार की मध्यस्थता वाले नियमों का होना आवश्यक है.
जटिल नीति और विनियामक ढांचेः तकनीकी नियम, पर्यावरण, स्वास्थ्य और सुरक्षा मानकों, श्रम कानूनों और विनियमों, और कराधान और वित्तीय रिपोर्टिंग का अनुपालन एमएसएमई के लिए शुरुआती स्तर की बाधाएं हैं. पारदर्शिता की कमी और अत्यधिक बोझिल विनियामक प्रक्रियाएं गैर-पंजीकृत एमएसएमई के औपचारिक रूप लेने को रोक सकती हैं, जिससे स्थानीय आर्थिक विकास में मदद करने की उनकी क्षमता घट जाती है. एमएसएमई के लिए सुसंगत विनियामक ढांचा शुरुआती बाधाओं को कम करने, वित्त तक पहुंच को सुविधाजनक बनाने, नवाचार को प्रोत्साहित करने और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं, ये सभी एमएसएमई क्षेत्र में उत्पादकता, विकास और रोज़गार सृजन में सुधार कर सकते हैं और अंततः एक ऐसे वातावरण का निर्माण कर सकते हैं जो एमएसएमई के फलने-फूलने के लिए अनुकूल हो.
वित्त जुटाना और प्रबंधन करनाः एमएसएमई को अक्सर बैंकों और वित्तीय संस्थानों जैसे पारंपरिक स्रोतों से वित्त प्राप्त करने में कठिनाई होती है, क्योंकि उनका उधार का हिसाब ख़राब होता है, प्रतिभूति की कमी रहती है और जोखिम प्रोफाइल काफ़ी ज़्यादा होता है. दीर्घकालिक सफलता के लिए प्रभावी धन प्रबंधन भी आवश्यक होता है. धन की कमी या ख़राब वित्तीय प्रबंधन के कारण एमएसएमई विकास के संभावित अवसरों, बाज़ार के लाभों और रणनीतिक चालों की पड़ताल करने में नाकाम साबित हो रहे हैं. प्रभावी वित्तीय प्रबंधन प्रथाओं को लागू करके और वैकल्पिक वित्तपोषण के स्रोतों की खोज करके, एमएसएमई इन अवसरों का लाभ उठाने और दीर्घकालिक सफ़लता को हासिल करने की अपनी क्षमता को बढ़ा सकते हैं. इसलिए, एमएसएमई के लिए मज़बूत वित्तीय प्रबंधन तकनीकों को लागू करना महत्वपूर्ण है, जैसे कि एक यथार्थवादी बजट बनाना, नकदी प्रवाह की निगरानी करना और आवश्यकतानुसार विशेषज्ञ सलाह लेना. इसके अलावा, एमएसएमई को उद्यम के लिए पूंजी (Venture Capital- वेंचर कैपिटल ऐसी निजी पूंजी या इस तरह के वित्तपोषण को कहते हैं जो ऐसे उभरते स्टार्टअप या छोटे उद्योग में निवेश करता है जिनके विकास करने की संभावनाएं बहुत ज़्यादा होती हैं), क्राउड फंडिंग (Crowdsourcing- से मतलब ऐसी क्रिया से है, जिसमें पारम्परिक रुप से किए जाने वाले किसी काम को लेकर इंटरनेट के माध्यम से एक खुले आमंत्रण के जरिये सामान्यतया किसी बड़े समूह को करने के लिए दिया जाता है) और पीयर टू पीयर उधार देने के प्लेटफार्मों (Peer-to-peer (P2P) lending पीयर टू पीयर या पीटूपी लेंडिंग लोन लेने और देने के एक ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म को कहते हैं. यह ऐसा प्लेटफ़ॉर्म होता है जहां पर कुछ लोग लोन लेने तो कुछ लोग लोन देने के इच्छुक होते हैं. दोनों को ही पीटूपी प्लेटफॉर्म पर खुद को रजिस्टर करवाना होता है. सभी पी2पी प्लेटफॉर्म को गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) माना जाता है और इनका नियंत्रण भारतीय रिजर्व बैंक के हाथ में होता है, वही इन्हें दिशा निर्देश जारी करता है) जैसे वैकल्पिक वित्तपोषण स्रोतों पर विचार करना चाहिए, जो पारंपरिक ऋणदाताओं की तुलना में कम बाधाओं के साथ वित्त प्रदान कर सकते हैं.
प्रौद्योगिकी एक अवरोधक हैः एमएसएमई तकनीक का उपयोग दक्षता, प्रतिस्पर्धा और नवाचार को बढ़ाने के लिए कर सकते हैं. एमएसएमई के पास अपने व्यवसाय की ज़रूरतों के लिए सही प्रौद्योगिकी को अपनाने और उपयोग करने के लिए आवश्यक विशेषज्ञता की कमी हो सकती है क्योंकि वे तेज़ी से विकसित हो रहे तकनीकी परिदृश्य के साथ नहीं चल पाते हैं और इसकी वजह उनके पास संसाधनों और ज्ञान की कमी होना है. इसके अलावा, नई प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने और पुरानी प्रणालियों को अपग्रेड करने की लागत भी एमएसएमई के लिए एक बड़ी बाधा हो सकती है.
वर्तमान में, एमएसएमई के लिए कोई सक्रिय अंतरराष्ट्रीय अंतर-सरकारी गठबंधन नहीं हैं. इस खाई को भरना आवश्यक है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दुनिया भर के एमएसएमई को निगरानी के तहत लाया जा सके, जिससे क्षेत्र को तकलीफ़ देने वाले कई मुद्दों को हल किया जा सके. अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिए एक प्रमुख मंच के रूप में, जी20 एक ‘अंतर्राष्ट्रीय एमएसएमई गठबंधन’ के ढांचे को बनाने के लिए सबसे उपयुक्त मंच है. जी20 वैश्विक एमएसएमई क्रांति का बीड़ा उठा सकता है क्योंकि इसकी सदस्यता में औद्योगिक और विकासशील देश शामिल हैं जो मिलकर वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 85 प्रतिशत हिस्सा हैं.[8]
उभरते देशों में लगभग 365-445 मिलियन एमएसएमई हैं, जिनमें से 25-30 मिलियन औपचारिक एसएमई हैं, 55-70 मिलियन आधिकारिक अतिसूक्ष्म व्यावसायिक इकाइयां हैं, और 285-345 मिलियन अनाम व्यवसाय हैं.[9] यह रेखांकित करता है कि एक परिष्कृत वैश्विक एमएसएमई नेटवर्क की कितनी आवश्यकता है और यह तुरंत किए जाने की भी ज़रूरत है.
एक अंतर्राष्ट्रीय एमएसएमई गठबंधन एमएसएमई के लिए दुनिया भर में काम करने के सबसे अच्छे तरीकों, तकनीकी ज्ञान और विशेषज्ञता का आदान-प्रदान करने और एक विश्व स्तरीय पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने के लिए एक मंच बनाने में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है. ऐसा गठबंधन एमएसएमई को दीर्घकालिक दक्षता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा प्राप्त करने में सक्षम बना सकता है, जिससे वे अत्यधिक प्रतिस्पर्धी व्यावसायिक वातावरण में पनप सकें. दुनिया भर के एमएसएमई के सामूहिक ज्ञान और संसाधनों का उपयोग करते हुए, प्रस्तावित गठबंधन विकास, नवाचार और उद्यमशीलता को बढ़ावा दे सकता है.
यदि औपचारिक रूप दिया गया तो अंतर्राष्ट्रीय एमएसएमई गठबंधन एमएसएमई के पूरे विस्तार (spectrum) को समाहित करेगा और इस पर ध्यान दे पाएगा, सभी श्रेणियों और क्षेत्रों के महत्व को पहचानते हुए और पहुंच बनाते हुए, जिसमें खुदरा, विनिर्माण, सेवाएं, उच्च-वृद्धि वाले स्टार्टअप और सिर्फ़़-डिजिटल व्यवसाय शामिल हैं. यह समावेशी दृष्टिकोण एमएसएमई की विविध प्रकृति और वैश्विक अर्थव्यवस्था में उनके महत्वपूर्ण योगदान को स्वीकार करता है. यह प्रभावी रूप से गठबंधन को विभिन्न क्षेत्रों के बीच तालमेल और अंतरनिर्भरता का सम्मान करने की अनुमति देता है, जो सहयोग, साझेदारी और ज्ञान हस्तांतरण को बढ़ावा देता है जो नवाचार, उत्पादकता और समावेशी विकास को प्रेरित कर सकता है. प्रस्तावित गठबंधन तब विभिन्न श्रेणियों और क्षेत्रों में एमएसएमई की आकांक्षाओं को पोषित करने वाले एक समावेशी और सहायक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने का प्रयास करता है, जिससे उनकी निरंतर वृद्धि और वैश्विक अर्थव्यवस्था में योगदान सुनिश्चित हो सके.
इस गठबंधन में विकसित, विकासशील, सबसे कम विकसित और चारों ओर से घिरे हुए विकासशील देशों का प्रतिनिधित्व होगा ताकि विभिन्न वैश्विक संदर्भों में एमएसएमई की विविध ज़रूरतों और चुनौतियों पर व्यापक रूप से ध्यान दिया जा सके. इन देशों के बीच सहयोग सभी संबंधित एमएसएमई के लाभ के लिए सूचना विनिमय, क्षमता विकास और नीति समन्वय को बढ़ावा दे सकता है.
जी20 एक सचिवालय के साथ गठबंधन के गठन का प्रस्ताव और समर्थन कर सकता है, अच्छा हो कि भारत में, और विकसित, विकासशील, सबसे कम विकसित और चारों ओर से घिरे हुए विकासशील देशों की भागीदारी को प्रोत्साहित कर सकता है. यह गठबंधन को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान कर सकता है, नीति समन्वय को प्रोत्साहित कर सकता है, सूचना विनिमय को सुविधाजनक बना सकता है और एक संविधान तथा निगरानी प्रणाली को स्थापित कर सकता है. ये काम सभी संबंधित एमएसएमई के लाभ के लिए नीति समन्वय के माध्यम से अधिक से अधिक सहयोग, सूचना विनिमय और क्षमता विकास को बढ़ावा देंगे, जो वैश्विक रूप से समावेशी और टिकाऊ आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा.
कुछ देशों में विनिर्माण का हिस्सा काफ़ी ज़्यादा, सेवा का हिस्सा कम और थोक और खुदरा का हिस्सा ज़्यादा या संतोषजनक है. अन्य देशों में, विनिर्माण, थोक और खुदरा क्षेत्रों का हिस्सा उनके सेवा क्षेत्र की तुलना में कम हैं, जिसकी अर्थव्यवस्था में पकड़ प्रभावशाली हो सकती है. विकसित देशों के कुछ प्रभावी मापदंडों को जनसांख्यिकीय और क्षेत्रीय विचारों के आधार पर संशोधनों के बाद, उभरती अर्थव्यवस्थाओं में लागू किया जा सकता है. एक समान संकेतक और तंत्र प्रणाली इसे सुविधाजनक बना सकती है और देशों को अपने विनिर्माण, सेवाओं और थोक-खुदरा हिस्सों को बढ़ाने में मदद कर सकती है.
अति सूक्ष्म, छोटे और मध्यम उद्यमों के बीच अंतर करने वाले कोई प्रचलित समान संकेतक नहीं हैं. अमेरिका,[10] कनाडा,[11] और कुछ यूरोपीय अर्थव्यवस्थाएं[12] एमएसएमई को किसी विशेष उद्यम इकाई में काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या के आधार पर वर्गीकृत करती हैं.[13] हालांकि, भारत एमएसएमई को उनके कारोबार और निवेश ढांचे के आधार पर वर्गीकृत करता है. अंतर्राष्ट्रीय एमएसएमई गठबंधन का उपयोग एक मानक नामावली का निर्माण करने के लिए किया जा सकता है जो सभी अर्थव्यवस्थाओं के लिए सबसे उपयुक्त हो. इसके लिए एक समान संकेतक का निर्माण आवश्यक होगा जो सभी अर्थव्यवस्थाओं द्वारा व्यापक रूप से स्वीकृत हो.
अंतर्राष्ट्रीय एमएसएमई गठबंधन इन संकेतकों का उपयोग उन तंत्रों को विकसित करने के लिए कर सकता है जो सभी देशों में एमएसएमई के विकास के लिए भविष्य के प्रयासों का मार्गदर्शन करेंगे. ये तंत्र वित्तीय क्षमता, बाज़ार पहुंच, विकास और जीवन चक्र, और डिजिटल अनुकूलन जैसे मापदंडों के आधार पर एमएसएमई का मूल्यांकन करने के लिए एक क्रम-सूची प्रणाली (ranking system) बनाने में मदद कर सकते हैं. क्रम-सूची प्रणाली उन जांचे-परखे तरीकों को प्रदर्शित कर सकती है जो एक देश के उन्नत और मध्यवर्ती उद्यमों द्वारा उपयोग किए जाते हैं, जिनका अनुसरण तब विकासशील और उभरती अर्थव्यवस्थाओं में नए या पिछड़ रहे एमएसएमई द्वारा किया जा सकता है.
विकसित देशों में एमएसएमई विकासशील और अविकसित अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में बहुत अधिक संगठित और मज़बूत पारिस्थितिकी तंत्र में काम करते हैं. इसे देखते हुए, विकसित, विकासशील और अविकसित अर्थव्यवस्थाओं के बीच अभ्यास-साझाकरण का एक नेटवर्क स्थापित करने की सिफारिश की जाती है.
हालांकि प्रत्येक अर्थव्यवस्था भिन्न और अद्वितीय रूप से विविध है, फिर भी यह स्थापित प्रथाओं के कुछ पहलुओं को अपनाकर लाभान्वित हो सकती है, जिसमें अपनी स्वयं की पृष्ठभूमि (जैसे, जनसांख्यिकीय) के लिए समायोजन और अनुकूलन शामिल हैं. ज्ञान के निर्माण में योगदान और आर्थिक मूल्य को और बढ़ाने के लिए, सभी स्थापित, विकासशील और उभरती अर्थव्यवस्थाओं की सरकारों को गठबंधन के माध्यम से अभ्यास-साझाकरण का प्रमुख भागीदार बनना चाहिए.
बड़े व्यवसायों की तुलना में जो परखे जा चुके और समय-समय पर संशोधित की जाने वाली रणनीतियों का इस्तेमाल करते हैं, किसी भी आर्थिक स्थिति के बावजूद एमएसएमई प्रभावी और कुशल नीतियों और रणनीतियों की कमी और उन्हें लागू करने के साधन के साथ संघर्ष ही करते रहते हैं.
जटिल नीति और विनियामक ढांचे, वैश्विक मुद्रास्फीति, कर से संबंधित मुद्दे और लगातार बदलते नियमों का पालन करने के वित्तीय बोझ एमएसएमई के सामने आने वाली बाधाएं हैं.[14] एक अंतर्राष्ट्रीय एमएसएमई गठबंधन विकासशील, सबसे कम विकसित देश (एलडीसी) और चारों ओर से घिरे हुए विकासशील देश (एलएलडीसी) सरकारों को विकसित अर्थव्यवस्थाओं के अनुभवों से विशिष्ट नीतियों में लाए जा सकने वाले सरलीकरण को समझने में मदद कर सकता है, और उन रणनीतियों को विभिन्न क्षेत्रों में अपनाया और दोहराया जा सकता है. एक अंतर्राष्ट्रीय एमएसएमई गठबंधन वास्तव में सरकारों को नीतियों को समझने और प्रभावी रणनीतियों को अपनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. गठबंधन के भीतर सदस्य सरकारें, विशेष रूप से जिन्होंने अपने स्वयं के एमएसएमई के विकास के लिए महत्वपूर्ण निवेश और नीति हस्तक्षेप किए हैं, वे अविकसित और उभरती अर्थव्यवस्थाओं की सरकारों के लिए मार्गदर्शक संस्थान के रूप में काम कर सकती हैं. सदस्य सरकारों के नीतियों को सरल बनाने, विनियमों को सुव्यवस्थित करने और सहायक उपायों को लागू करने के सफल अनुभव सभी नीति निर्माताओं के लिए व्यावहारिक उदाहरण बन सकते हैं.
नवाचार और बौद्धिक संपदा के प्रति योगदान एक एमएसएमई उद्योग की तकनीकी दक्षता के प्रमुख संकेतक हैं. यूरोप में सभी पेटेंट का 20 प्रतिशत एमएसएमई के पास है, जो यह देखते हुए कि नवाचार और आर्थिक मूल्य कितनी तेज़ी से बढ़ रहे हैं, एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और जिससे मूल्य साझाकरण (value sharing- का मतलब होता है कि एक व्यक्ति या एक संगठन दूसरे व्यक्ति या संगठन के साथ अपनी संपत्ति, संसाधन, ज्ञान, या किसी अन्य प्रकार के लाभों को साझा करता है. इसका मुख्य उद्देश्य यह होता है कि सभी भागीदारों को समर्पित लाभ मिल सके और साथ ही साथ यह सामाजिक और आर्थिक सुविधाओं को बढ़ावा देने में मदद कर सके) की संभावनाएं खुलती हैं.[15] इसके बावजूद, विकसित अर्थव्यवस्थाओं में कम वित्तीय आधार वाले उद्यमियों या अविकसित अर्थव्यवस्थाओं में एमएसएमई क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण तकनीकी भागीदारों तक पहुंचना अभी भी मुश्किल है.
तकनीकी दक्षता और विशेषज्ञता के आदान-प्रदान को नियंत्रित करने वाले अच्छी तरह से परिभाषित कानूनों और विनियमों के साथ एक वैश्विक प्रणाली सभी एमएसएमई और एमएसएमई से संबंधित क्षेत्रों में उत्पादकता और दक्षता में काफी वृद्धि करेगी. यह संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी 9) का भी समर्थन करेगी, जो नवोन्मेषी उद्योगों के विकास के साथ-साथ समावेशी और टिकाऊ औद्योगीकरण का आह्वान करता है.
रोज़गार सृजन और आर्थिक विकास में एमएसएमई की भूमिका के बावजूद, वे अभी भी काफी हद तक जीवीसी के विस्तार में शामिल नहीं हैं. अंतरराष्ट्रीय एमएसएमई गठबंधन विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के एमएसएमई को जीवीसी में शामिल करने का सबसे प्रभावी तरीका हो सकता है.
इस एकीकरण के प्रारंभिक चरण के लिए, दो व्यवहार्य विकल्प हैं: सीधे निर्यात या स्थिर वित्तीय आधार वाले अच्छी तरह से स्थापित एमएसएमई के लिए मध्यवर्ती उत्पादों और सेवाओं के निर्यात के माध्यम से सीधे आगे की भागीदारी (forward participation); या अप्रत्यक्ष निर्यात या स्थानीय, राष्ट्रीय या बहुराष्ट्रीय फर्मों को इनपुट उत्पादों की आपूर्ति के माध्यम से अप्रत्यक्ष रूप से आगे की भागीदारी के माध्यम से.
दुनिया भर में एमएसएमई के सामने आने वाले चुनौतियां बड़ी और विविध हैं. यह देखते हुए कि एमएसएमई कई देशों में आर्थिक विकास के प्रमुख चालक और सबसे बड़े रोज़गारदाता बन रहे हैं, 17 एसडीजी को साकार करने में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रहने वाली है. एक अंतरराष्ट्रीय गठबंधन जिसका मुख्य उद्देश्य वैश्विक स्तर पर एमएसएमई क्षेत्र के विस्तार को बढ़ावा देना है, इस लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगा. यह एमएसएमई को दुनिया भर में सहयोग करने, काम करने के सबसे अच्छे तरीकों को साझा करने और एक-दूसरे के अनुभवों से सीखने का अवसर भी देगा. जी20 के मार्गदर्शन में, अंतर्राष्ट्रीय एमएसएमई गठबंधन एक मज़बूत वैश्विक एमएसएमई पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित कर सकता है, जो एमएसएमई के बीच सहयोग, ज्ञान विनिमय और क्षमता निर्माण को बढ़ावा देगा, अंततः समावेशी आर्थिक विकास, रोज़गार सृजन और एसडीजी की दिशा में प्रगति में योगदान देगा. इसके अलावा, गठबंधन में एमएसएमई आर्थिक संकटों और प्राकृतिक आपदाओं (जैसे कि महामारी) सहित अप्रत्याशित व्यवधानों से निपटने के लिए बेहतर ढंग से तैयार हो सकते हैं, जो जोखिम प्रबंधन प्रथाओं को बढ़ावा देकर, आकस्मिक योजना का परिपालन कर और व्यवसाय निरंतरता पर विशेषज्ञता का आदान-प्रदान करके हो सकता है. यह तैयारी तेजी से सुधार को आसान बना सकती है, टिकाऊ परिचालन बनाए रख सकती है और एमएसएमई पर नकारात्मक प्रभावों को कम करने में मदद कर सकती है.
Attribution: विनोद कुमार वुथू और मारिया वलेरिया पस्क्विनी, “एक अंतरराष्ट्रीय एमएसएमई गठबंधन की खूबियां,” टी20 नीति संक्षिप्त, जून 2023
Endnotes
[1] International Labour Organization, “Small Matter- Global evidence on the contribution to employment by the self-employed, micro-enterprises and SMEs,” ILO, Switzerland, 2019.
[2] United Nations, “Resilience and Rebuilding,” UN.
[3] World Bank, “Small and Medium Enterprises (SMEs) Finance,” World Bank Group.
[4] World Bank, SME Finance Forum, International Finance Corporation, “Micro, Small and Medium Enterprises – Economic Indicators (MSME-EI) Analysis Note,” December 2019, Washington DC, World Bank Group, 2019.
[5] McKinsey & Company, “Beyond financials: Helping small and medium-size enterprises thrive,” January 2022.
[6] World Bank, “World Development Report,” World Bank Group, Washington DC, 2020.
[7] Claire H. Hollweg, “Global value chains and employment in developing economies,” in Global Value Chain Development Report 2019, (Switzerland: World Trade Organization, 2019), pp 63-82.
[9] “Small and Medium Enterprises (SMEs) Finance”
[10] International Trade Commission, Government of the United States of America, “Small and Medium-Sized Enterprises: Overview of Participation in U.S. Exports” January 2010.
[11] Statistics Canada, Government of Canada, “Small and medium businesses: driving a large-sized economy,” June 2022.
[12] European Union, “Eurostat- Small and Medium Enterprises (SMES)”.
[13] Ministry of Micro, Small & Medium Enterprises, Government of India, “What’s MSME”.
[14] World Economic Forum, “Future Readiness of SMEs and Mid-Sized Companies: A Year on Insight Report,” November 2022.
[15] United Nations Department of Economic and Social Affairs, “MSMEs and their role in achieving the Sustainable Development Goals”.