सर्कुलर कार्बन अर्थव्यवस्था सूचकांक: जलवायु परिवर्तन पर G20 के नीतिगत एजेंडे के विकास का मज़बूत उपकरण

Fatih Yilmaz | Thamir Al Shehri | Mari Luomi | Fahad M. Alturki

टास्क फोर्स 4: रिफ्यूलिंग ग्रोथ: क्लीन एनर्जी एंड ग्रीन ट्रांज़िशंस


सार

जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की रोकथाम के लिए लचीली, टेक्नोलॉजी के हिसाब से तटस्थ और समावेशी रूपरेखा ही सर्कुलर कार्बन अर्थव्यवस्था (CCE) है. पहली बार 2020 में G20 नेताओं द्वारा इसका अनुमोदन किया गया था. यह परिकल्पना सभी उपलब्ध ऊर्जा और उत्सर्जन प्रबंधन तकनीकों के समग्र मूल्यांकन को सक्षम बनाती है. साथ ही किसी देश की राष्ट्रीय परिस्थितियों, संसाधन संपन्नता और प्रतिस्पर्धी लाभों के अनुकूल नेट-ज़ीरो उत्सर्जन मार्गों की संरचना की क़वायदों को सहारा दे सकती है.

CCE सूचकांक का उद्देश्य सर्कुलर कार्बन अर्थव्यवस्था की दिशा में किसी देश की प्रगति और क्षमता की माप करना है. इसे किंग अब्दुल्ला पेट्रोलियम स्टडीज़ एंड रिसर्च सेंटर (KAPSARC) ने 2021 में तैयार किया था. ये सूचकांक देश के विविध संदर्भों के हिसाब से उपयुक्त सामान्य संकेतकों का एक समूह सामने रखता है. CCE सूचकांक के साल 2022 के संस्करण में दो उप-सूचकांकों (प्रदर्शन और सक्षमकर्ता) के तहत 43 संकेतक शामिल किए गए हैं. CCE सूचकांक, G20 के सदस्यों और इस समूह से बाहर के 64 देशों के लिए उपलब्ध कराया गया है. इन तमाम देशों के खाते में वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) और ग्रीनहाउस गैसों (GHG) के उत्सर्जन का तक़रीबन 90 प्रतिशत हिस्सा आता है. एक समर्पित वेब पोर्टलa नेट-ज़ीरो की ओर ले जाने वाले मार्गों के लिए देश की नीति निर्माण प्रक्रिया को सहारा दे रहा है. इस उद्देश्य से विभिन्न सिमुलेशन टूल्स के ज़रिए देशों के हिसाब से विशिष्ट सूचकांक परिणाम, उपलब्ध कराए जा रहे हैं.

CCE सूचकांक, देशों के आर-पार परिवर्तनकारी क़वायदों के अंतरालों की पहचान करने, नीतियों पर रचनात्मक चर्चा करने और सहभागिता के लिए मंच तैयार करने की दिशा में G20 के लिए एक नीतिगत उपकरण के तौर पर काम कर सकता है. G20, वैश्विक नेट-ज़ीरो उत्सर्जन के रास्ते पर प्राथमिकता पूर्ण  कार्यों का ख़ाका बनाने, उसपर सहमति तैयार करने और कार्यान्वयन पर टोह रखने के लिए मूल्यांकन ढांचे के रूप में CCE सूचकांक का उपयोग कर सकता है. ये पॉलिसी ब्रीफ इसी क़वायद को रेखांकित करता है.

1.चुनौती

मौजूदा वैश्विक ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जनों और पेरिस समझौते के हिसाब से ग्लोबल वार्मिंग  को सीमित करने के लिए ज़रूरी उत्सर्जनों के स्तर के बीच अहम अंतर बना हुआ है. जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल (IPCC) की छठी मूल्यांकन रिपोर्ट इस बात की पुष्टि करती है. राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदानों (NDCs) के कार्यान्वयन के नतीजतन ग्रीनहाउस गैसों के स्तर के चलते “21वीं सदी के दौरान तापमान में वृद्धि की सीमा 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने की आशंका बन जाएगी और तापमान में बढ़ोतरी को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे सीमित करना कठिन हो जाएगा” (IPCC, 2023). उत्सर्जनों में अंतर के अलावा, IPCC रिपोर्ट फाइनेंसिंग से जुड़ी खाई की ओर भी ध्यान खींचती है. इसमें कहा गया है कि “वित्त का प्रवाह सभी भौगोलिक इलाक़ों और सेक्टरों में जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिए आवश्यक स्तरों से कम है” (IPCC, 2023). पेरिस समझौते के तापमान लक्ष्यों को पूरा करने के लिए ना केवल उत्सर्जनों में तेज़ी से गिरावट लाए जाने की दरकार होगी बल्कि विकासशील देशों को सहारा दिए जाने की क़वायद में भी रफ़्तार भरनी होगी. इन राष्ट्रों को बड़े पैमाने पर मदद पहुंचाने की ज़रूरत पड़ेगी. वैसे तो इस दोहरी चुनौती पर आम सहमति है, लेकिन ऊर्जा और अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में आवश्यक बदलावों को परिभाषित करने के लिए कोई साझा भाषा और सामान्य ढांचा मौजूद नहीं है.

हाल के वर्षों में मध्यम और दीर्घकालिक लक्ष्य, विकसित और विकासशील देशों के लिए बाज़ारों को संकेत देने का एक आम तरीक़ा बन गए हैं. इससे बाज़ारों को ये बताया जाता है कि वो कितनी तेज़ी से उत्सर्जनों को कम करने का इरादा रखते हैं. अप्रैल 2023 तक 194 देश, राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान यानी NDCs तय कर चुके थे, जबकि 130 देश नेट-ज़ीरो या ग्रीनहाउस गैस लक्ष्यों (UNFCCC 2023; ECIU 2023) की घोषणा कर चुके थे. वैश्विक GHG उत्सर्जन में G20 देशों का योगदान लगभग 80 प्रतिशत है. G20 के सभी सदस्य देशों के पास उत्सर्जन-आधारित NDC लक्ष्य है. G20 ने सामूहिक रूप से “मौजूदा सदी के मध्य तक या उसके आसपास वैश्विक नेट-ज़ीरो ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन/कार्बन तटस्थता हासिल करने” की प्रतिबद्धता जताई है (G20 इंडोनेशिया, 2022).

नेट-ज़ीरो हासिल करने के लिए भारी-भरकम संसाधनों की दरकार है. कई विकासशील देशों ने या तो अपने NDCs को लागू करने के लिए कुल लागत का अनुमान या व्यक्तिगत रूप से इसके लिए आवश्यक समर्थन के संकेत दिए हैं (UNFCCC, 2023). परिदृश्यों और धारणाओं के आधार पर वैश्विक निवेश आवश्यकताओं का अनुमान 4 खरब अमेरिकी डॉलर और 8 खरब अमेरिकी डॉलर के बीच है. इस कड़ी में IRENA (2021), BNEF (2021), IEA (2021), और मैकिन्से एंड कंपनी (2022) की मिसाल दी जा सकती है. नेट-ज़ीरो परिवर्तनों की निवेश आवश्यकताओं और वास्तविक निवेश प्रवाह के बीच अंतर को मापने के लिए कुछ प्रयास किए गए हैं. उदाहरण के लिए एक हालिया अध्ययन से पता चलता है कि भले ही सभी देश परिवर्तनकारी निवेश एजेंडे में पिछड़ रहे हों, लेकिन विकासशील देशों में ये अंतर ज़्यादा व्यापक हैं. इससे यह भी पता चलता है कि जलवायु वित्त प्रवाह, आकार में सीमित और असमान रूप से वितरित हैं (यिलमाज़ आदि, 2022).

वैसे तो देशों के उत्सर्जनों की वर्तमान स्थिति, उत्सर्जनों के लक्ष्यों, वित्त के मोर्चे पर मौजूद अंतरों और समर्थन से जुड़ी आवश्यकताओं से जुड़े तमाम दस्तावेज़ मौजूद हैं; लेकिन, ये देश आज कहां खड़े हैं और एक-दूसरे की तुलना में नेट-ज़ीरो और उत्सर्जनों से जुड़े घेरे (circularity) में तरक़्क़ी के रास्ते पर वो कैसे और कहां स्थित हैं, इसके आकलन का काम जटिल बना हुआ है. आंशिक रूप से इस समस्या की जड़ एक देश की दूसरे देश के साथ तुलना को लेकर हिचक से पैदा होती है. व्यापक रूप से भिन्न राष्ट्रीय परिस्थितियों और विकास के रास्ते पर आगे बढ़ने की क़वायद में तुलना को लेकर देशों की ये झिझक अच्छे से स्थापित हो चुकी है. दरअसल दुनिया के सभी देश अलग-अलग हैं, लिहाज़ा एक ही मानदंड (metric) से उनकी तुलना मुश्किल है. ये जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC), इसके पेरिस समझौते (एनेक्स I और नॉन-एनेक्स I, या विकसित और विकासशील) के तहत एक देश के दर्जे पर निर्भर करता है. साथ ही उनकी संबंधित ऐतिहासिक ज़िम्मेदारियों और जलवायु कार्रवाई करने की विभिन्न क्षमताओं से भी ताल्लुक़ रखती हैं. देशों के पास मौजूद राष्ट्रीय संपन्नता भी अलग-अलग होती है. ऐतिहासिक रूप से उनके सामने उपस्थित आकस्मिक ख़र्चों का स्वरूप भिन्न होता है, लिहाज़ा जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की रोकथाम और नेट-ज़ीरो बदलावों के संबंध में उनकी ताक़त और कमज़ोरियां अलग-अलग हैं. नतीजतन नेट-ज़ीरो तक पहुंचने का हरेक देश का रास्ता भी अलग-अलग ही दिखेगा. फिर भी, विभिन्न उद्देश्यों के लिए राष्ट्रों के बीच तुलनाएं उपयोगी होती हैं. ऐसे में इस प्रक्रिया की अगुवाई करने वाले और इसमें पीछे छूट जाने का ख़तरा झेल रहे देशों की पहचान हो सकती है. साथ ही राष्ट्रों की व्यक्तिगत शक्ति और कमज़ोरियां भी चिन्हित की जा सकती हैं. इस कार्रवाई के नतीजतन दुनिया के देशों के बीच मौजूद खाई को पाटने और सभी को परिवर्तनकारी क़वायदों में एक साथ लाने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने में मदद मिल सकती है.

नेट-ज़ीरो बदलाव के लिए सार्थक और देशों के बीच तुलना के साझा ढांचे की ग़ैर-मौजूदगी का एक और प्रमुख कारण है. दरअसल इस दिशा में अपनाई जाने वाली नीतियों के मिश्रण में रोकथाम को लेकर कैसी टेक्नोलॉजी और दृष्टिकोण को प्राथमिकता दी जानी चाहिए (या वास्तव में स्वीकार किया जाना चाहिए), इसको लेकर आम सहमति का अभाव है. उदाहरण के लिए दुनिया के कई देश परिवर्तनकारी बदलावों से जुड़े विमर्श से ख़ुद को अलग-थलग महसूस करते हैं. ऐसे विमर्शों में विशेष रूप से नवीकरणीय ऊर्जा और ऊर्जा दक्षता पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया जाता है, जो ऐसे देशों के लिए मध्यम कालखंड में असंभव मालूम होता है. हालांकि उत्सर्जन घटाने की तात्कालिकता को देखते हुए, इस बात पर व्यापक रूप से सहमति है कि देशों को सभी संभावित प्रौद्योगिकियों को यथासंभव तेज़ गति से और सबसे सस्ते तरीक़ों से अमल में लाना चाहिए.

2.G20 की भूमिका

सर्कुलर कार्बन अर्थव्यवस्था, CO2 और ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जनों को ‘कम करने’, ‘रिसायकल करने’, ‘दोबारा उपयोग करने’ और ‘हटाने’ पर ज़ोर देती है. कार्बन तटस्थता या नेट-ज़ीरो ग्रीनहाउस उत्सर्जन हासिल करने के लिए इस क़वायद को अंजाम दिया जाता है. 2020 में आयोजित G20 शिखर सम्मेलन में सर्कुलर कार्बन अर्थव्यवस्था (CCE) और उसकी रूपरेखा को अनुमोदित किया गया था. “प्रणालीगत दक्षता और राष्ट्रीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए उत्सर्जन को कम करने की ज़रूरी अहमियत और महत्वाकांक्षा को पहचानते हुए” सर्कुलर कार्बन अर्थव्यवस्था को “आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए स्वैच्छिक, समग्र, एकीकृत, समावेशी, व्यावहारिक और पूरक दृष्टिकोण” के रूप में स्वीकार किया गया था (G20 सऊदी अरब, 2020).

सर्कुलर कार्बन अर्थव्यवस्था की परिकल्पना नेट-ज़ीरो परिवर्तन के लिए टेक्नोलॉजी के हिसाब से तटस्थ दृष्टिकोण पर आधारित है. ये चार प्रमुख स्तंभों (‘कम करना’, ‘रीसायकल  करना’, ‘दोबारा उपयोग करना’ और ‘दूर करना’) पर टिकी है. ये पूरी क़वायद कार्बन प्रबंधन और संबंधित उत्सर्जन प्रवाह से जुड़ती है. आवश्यक बदलाव सामने लाने के लिए टेक्नोलॉजी के हिसाब से तटस्थ दृष्टिकोण की आवश्यकता पर ध्यान आकर्षित करने के अलावा ये परिकल्पना, हरेक देश की ताक़त पर टिकी होती है. कार्बन की चक्रीयता (circularity) की पड़ताल करते समय ये सस्ती लागतों (cost-effectiveness) और आर्थिक और सामाजिक स्थिरता समेत अन्य नीतिगत चालकों का ध्यान रखे जाने की आवश्यकता पर भी ज़ोर देती है.

इसलिए यह परिकल्पना विभिन्न राष्ट्रीय परिस्थितियों, संसाधन संपन्नताओं और प्रतिस्पर्धी लाभों को आसानी से अपना लेती है. इस कड़ी में मौजूदा सदी के मध्य तक उत्सर्जन तटस्थता और पेरिस समझौते के उत्सर्जन लक्ष्यों को अपने अंतिम लक्ष्य के रूप में सामने रखा गया है. इसे राष्ट्रीय, क्षेत्रीय या वैश्विक स्तर पर प्रणालीगत क़वायदों की ओर रुख़ रखने वाले जलवायु परिवर्तन रोकथाम मूल्यांकन ढांचे के रूप में उपयोग में लाया जा सकता है. मौजूदा और नेट-ज़ीरो उत्सर्जनों के बीच अंतर को मापने, देश की ताक़त और कमज़ोरियों का आकलन करने और प्रौद्योगिकी के हिसाब से विशिष्ट रास्ते बनाने के साथ-साथ परिवर्तनकारी गतिविधियों को सक्षम बनाने वाली नीतियों के निर्माण में इसका प्रयोग किया जा सकता है (लुओमी, यिलमाज़ और अलशेहरी, 2021a).

CCE सूचकांक को किंग अब्दुल्ला पेट्रोलियम स्टडीज़ एंड रिसर्च सेंटर के शोधकर्ताओं द्वारा तैयार किया गया. नेट-जीरो परिवर्तनों से जुड़ी परिकल्पना बनाने, उसकी माप करने और उस दिशा में योजना बनाने के लिए देशों की मदद को लेकर एक ढांचे के रूप में CCE का विचार सामने रखा गया है (लुओमी, यिलमाज़ और अलशेहरी, 2021b). एक समग्र संकेतक के रूप में इस सूचकांक में वर्तमान में 64 देश (G20 देशों सहित) शामिल हैं. ये समूह वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) और उत्सर्जन के लगभग 90 प्रतिशत हिस्से की नुमाइंदगी करता है. इस सूची को हर साल तरो-ताज़ा किया जा रहा है. इसमें प्रतिष्ठित और सामंजस्यपूर्ण डेटा स्रोतों से 43 मात्रात्मक संकेतकों का उपयोग किया गया है, जिसमें ये माप और तुलना की गई है कि दुनिया के देश, वर्तमान में कार्बन चक्रीयता और सर्कुलर कार्बन अर्थव्यवस्था (CCE प्रदर्शन) पर कितना अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. इसके अलावा वो अपने नीतिगत लक्ष्यों (CCE के सक्षमकारी कारकों) के अनुरूप नेट-ज़ीरो उत्सर्जनों और CCEs की दिशा में प्रगति करने को लेकर कैसे स्थापित हैं, इसकी भी पड़ताल की जाती है.b

नेट-ज़ीरो बदलावों को तैयार करने के लिए साझा भाषा और एक सामान्य ढांचे का अभाव है. देशों के बीच तुलना की क़वायद को सक्षम बनाने वाला CCE सूचकांक इस चुनौती के समाधान में योगदान दे सकता है. CCE सूचकांक, अन्य बातों के अलावा, कार्यान्वयन अंतराल और क्षेत्रों का अनुमान लगाने की छूट देता है; देशों की ताक़तों और कमज़ोरियों की माप करके उन क्षेत्रों का पता लगाता है जहां मज़बूत देश, दूसरे राष्ट्रों का समर्थन कर सकते हैं. साथ ही ये अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता वाले क्षेत्रों का भी पता लगाता है.

3.G20 के लिए सिफ़ारिशें

लेखकों का प्रस्ताव है कि G20, नीति प्राथमिकता उपकरण के साथ-साथ मूल्यांकन और पड़ताल करने वाले ढांचे के रूप में भी CCE सूचकांक का उपयोग करें . तात्कालिक कार्रवाइयों की पहचान करने और नेट-ज़ीरो के साथ-साथ CCEs की ओर जा रहे रास्तों पर कार्यान्वयन की टोह लगाने के लिए नीचे दिए गए तरीक़ों का उपयोग किया जा सकता है:

प्रस्ताव 1: नेट-ज़ीरो उत्सर्जनों की राह में क्रियान्वयन के मोर्चे पर अंतरों के प्रमुख क्षेत्रों की पहचान करने और उन पर सहमति बनाने के लिए CCE सूचकांक का उपयोग करें. इन पर G20 समूह के भीतर और वैश्विक स्तर पर तत्काल ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है. प्रगति की पड़ताल के लिए मात्रात्मक लक्ष्य तय करें. 

नीचे 1-3 चित्रों के ज़रिए हम बताते हैं कि CCE सूचकांक के 2022 संस्करण के परिणामों का उपयोग करके किस प्रकार ऐसे अंतरालों की पहचान की जा सकती है.

चित्र 1, अध्ययन में शामिल देशों के 2022 CCE सूचकांक परिणामों को G20 में उनके दर्जे के साथ प्रदर्शित करता है. सूचकांक में अंकों के वितरण से G20 के सदस्यों और इस समूह के बाहर के देशों के बीच भारी अंतर का पता चलता है. एक ओर G20 में शामिल आम तौर पर विकसित देश उच्च स्कोर के साथ आगे हैं, जबकि 16 सदस्यों की स्थिति मध्यम भाग (median) से ऊपर हैं, और G20 के तीन विकासशील सदस्य, मध्यम भाग से नीचे खड़े हैं. सबसे ऊंची और सबसे नीची रैंकिंग वाले G20 के सदस्य देशों के बीच अंतर बहुत बड़ा है. सबसे अधिक स्कोर करने वाला G20 का सदस्य देश जर्मनी है. उसका स्कोर सबसे कम अंक वाले G20 सदस्य यानी भारत से 2.2 गुना ज़्यादा है. 

चित्र 1: 2022 CCE सूचकांक परिणाम – G20 सदस्य देशों की रैंकिंग को रेखांकित करता हुआ

स्रोत: लुओमी, यिलमाज़ और अलशेहरी (2022a).

चित्र 2 और 3, विभिन्न राष्ट्र समूहों (G20 समेत) में औसत CCE सूचकांक स्कोर दर्शाते हैं. इसमें G20 के सदस्य देशों की पूरी सूची के साथ-साथ इस समूह में उच्च आय वाले और मध्यम आय वाले देशों को प्रदर्शित किया गया है. जैसा कि चित्र 2 में दिखाया गया है, उच्च आय वाले G20 सदस्य देशों का औसत स्कोर सभी समूहों में सबसे ज़्यादा है (आर्थिक सहयोग और विकास संगठन यानी OECD के औसत से भी अधिक), जबकि मध्यम आय वाले G20 सदस्यों का औसत स्कोर वैश्विक औसत से नीचे है. चित्र 3 में प्रदर्शित देश-स्तरीय परिणाम दिखाते हैं कि जर्मनी, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, कनाडा, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने उच्चतम स्कोर (उच्च आय वाले G20 औसत से ऊपर) दर्ज किए हैं. दक्षिण कोरिया, जापान और इटली का स्कोर G20 औसत से ऊपर है. G20 के बाक़ी आधे सदस्यों का स्कोर G20 औसत से कम है. कुल मिलाकर, इन आंकड़ों से परिवर्तनकारी क़वायदों में बड़े अंतराल स्पष्ट रूप से ज़ाहिर हो जाते हैं.

चित्र 2: राष्ट्र समूह द्वारा 2022 CCE सूचकांक में औसत स्कोर

 

चित्र 3: G20 के तमाम सदस्यों में CCE सूचकांक में औसत स्कोर

 

स्रोत: CCE सूचकांक के परिणामों से लेखकों की ख़ुद की रचना, लुओमी, यिलमाज़ और अलशेहरी (2022a).

नोट: विश्व बैंक के आय वर्गीकरण के हिसाब से, ‘G20 के उच्च-आय वर्ग’ में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी, फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, सऊदी अरब और अमेरिका शामिल हैं; और ‘G20 के मध्यम-आय वर्ग’ में अर्जेंटीना, ब्राज़ील, चीन, इंडोनेशिया, भारत, मैक्सिको, रूस, तुर्किए और दक्षिण अफ्रीका हैं. ‘वैश्विक यानी ग्लोबल’ में 2022 CCE सूचकांक के दायरे में आने वाले सभी 64 देश शामिल हैं.

ऊपर चित्र 1-3 में जो अभ्यास प्रदर्शित किए गए हैं, उन्हें CCE सूचकांक के किसी भी स्तर पर अंजाम दिए जा सकते हैं: CCE प्रदर्शन, सक्षमकारी (Enablers) और CCE सक्षमकारी के तहत पांच विषयगत क्षेत्रों (नीतियां और विनियमन; टेक्नोलॉजी, ज्ञान और नवाचार; वित्त और निवेश; कारोबारी वातावरण; और प्रणालीगत लचीलापन) में से किसी में भी, या 35 CCE सूचकांक संकेतकों में व्यक्तिगत रूप से किसी में भी.c

प्रस्ताव 2: विशिष्ट CCE टेक्नोलॉजी या सक्षमकारी क्षेत्रों में अग्रणी देशों का ख़ाका तैयार करने के लिए CCE सूचकांक का उपयोग करें ताकि यह पता लगाया जा सके कि ये अगुवा देश G20 के भीतर और बाहर के विकासशील देशों की उनके नेट-ज़ीरो परिवर्तनकारी बदलावों के लिए कैसे मदद कर सकते हैं.

नीचे चित्र 4-5 में हम प्रदर्शित कर रहे हैं कि CCE सूचकांक के 2022 संस्करण का उपयोग करके विशिष्ट CCE प्रौद्योगिकी या सक्षमकारी क्षेत्रों में अगुवा देशों की पहचान कैसे की जा सकती है.

चित्र 4, G20 सदस्य देशों के लिए CCE प्रदर्शन परिणामों का ब्योरा देता है. शीर्ष-स्तरीय प्रदर्शन करने वाले देश अधिक संख्या में मापी गई प्रौद्योगिकियों और बड़े पैमाने पर दृष्टिकोणों का उपयोग करते हैं. साथ ही इन क्षेत्रों में उच्च प्रदर्शन का संकेत देते हैं. उधर, निम्नस्तरीय प्रदर्शन वाले देश केवल कुछ चुनिंदा प्रौद्योगिकियों का उपयोग करते हैं, और औसतन ज़्यादातर क्षेत्रों में ख़राब प्रदर्शन करते हैं. मिसाल के तौर पर अलग-अलग टेक्नोलॉजियों में ब्राज़ील, इटली, तुर्किए और इंडोनेशिया में ऊर्जा की कुल प्राथमिक खपत के सापेक्ष नवीकरणीय ऊर्जा का उच्चतम उपयोग दर्ज किया गया है. कार्बन कैप्चर, उपयोग और भंडारण (CCUS) के दायरे में विश्व स्तर पर यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और अमेरिका जैसे उच्च आय वाले G20 सदस्यों का बोलबाला है. उधर, सऊदी अरब, दक्षिण कोरिया और जापान, निकट अवधि में स्वच्छ हाइड्रोजन के भारी-भरकम उत्पादन और/या उपयोग की योजना बना रहे हैं.

चित्र 4: G20 देशों के लिए CCE प्रदर्शन उप-सूचकांक स्कोर

 

स्रोत: CCE सूचकांक परिणामों से लेखकों की रचना, लुओमी, यिलमाज़ और अलशेहरी (2022a).
नोट: विश्व बैंक के आय वर्गीकरण के हिसाब से ‘G20 के उच्च आय वर्ग’ में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी, फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, सऊदी अरब और अमेरिका शामिल हैं; जबकि ‘मध्यम-आय वाले G20 वर्ग’ में अर्जेंटीना, ब्राज़ील, चीन, इंडोनेशिया, भारत, मैक्सिको, रूस, तुर्किए और दक्षिण अफ्रीका आते हैं. ‘वैश्विक यानी ग्लोबल’ में 2022 CCE सूचकांक के दायरे में आने वाले सभी 64 देश शामिल हैं.

चित्र 5, समूह औसतों के साथ, G20 सदस्य देशों के लिए CCE सक्षमकारी उप-सूचकांक के पांच सक्षम आयामों का बारीक़ ब्योरा प्रदर्शित करता है. तमाम देशों में सबसे बड़ा अंतर वित्त और निवेश के साथ-साथ प्रौद्योगिकी, ज्ञान और नवाचार में पाया जाता है. वित्त और निवेश के संदर्भ में टिकाऊ वित्त तक पहुंच और कार्बन बाज़ार उपकरणों के उपयोग से विकासशील देशों के कई सदस्यों में विशेष अंतर पैदा होते हैं. जबकि टेक्नोलॉजी, ज्ञान और नवाचार के तहत परिणामों के और सूक्ष्म विश्लेषण से संकेत मिलते हैं कि स्वच्छ ऊर्जा टेक्नोलॉजी का उत्पादन, G20 समूह में शामिल विकसित देशों (मसलन, दक्षिण कोरिया, जापान और जर्मनी) में ज़बरदस्त रूप से केंद्रित है. विकासशील देशों के सदस्यों तक इन टेक्नोलॉजियों के प्रसार की क़वायद अब भी काफ़ी सीमित है.

चित्र 5: G20 देशों के लिए CCE सक्षमकारी उप-सूचकांक स्कोर

स्रोत: CCE सूचकांक परिणामों से लेखकों की रचना, लुओमी, यिलमाज़ और अलशेहरी (2022a).

नोट: विश्व बैंक के आय वर्गीकरण के हिसाब से ‘उच्च आय वाले G20 देशों’ में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी, फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, सऊदी अरब और अमेरिका शामिल हैं; जबकि ‘मध्यम-आय वाले G20 देशों’ में अर्जेंटीना, ब्राज़ील, चीन, इंडोनेशिया, भारत, मैक्सिको, रूस, तुर्किए और दक्षिण अफ्रीका आते हैं। ‘वैश्विक या ग्लोबल’ में 2022 CCE सूचकांक के दायरे वाले सभी 64 देश शामिल हैं.

अलग-अलग देश CCE प्रदर्शन और चित्र 4 और 5 में रेखांकित किए गए CCE के पांच सक्षमकारी क्षेत्रों में अपनी सापेक्षिक शक्तियों और कमज़ोरियों की पहचान करने के लिए ऐसे ही समान अभ्यास कर सकते हैं. इससे देशों को उन क्षेत्रों की पहचान करने में मदद मिलेगी जहां वो एक-दूसरे की, और G20 के बाहर के विकासशील देशों की भी मदद कर सकते हैं. साथ ही उन क्षेत्रों को भी चिन्हित किया जा सकता है जहां G20 देशों को ख़ुद अपने आपको सहारा देने की ज़रूरत हो सकती है.

प्रस्ताव 3: प्रस्ताव 1 और 2 में रेखांकित क़दम उठाकर पहचाने गए क्षेत्रों में नेट-ज़ीरो और CCE परिवर्तनों के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाना.

CCE सूचकांक, तेज़ रफ़्तार क्रियान्वयन की दरकार वाले क्षेत्रों की पहचान करने की भी छूट देता है. साथ ही कोई पीछे न  छूट जाए, इस लक्ष्य से जहां अंतरराष्ट्रीय सहयोग आवश्यक हो या मिल पाए, उसकी भी सुविधा देता है. G20 के भीतर और वैश्विक स्तर पर (प्रस्ताव 1) विकासशील देशों में कार्यान्वयन अंतराल का ख़ाका तैयार करके और देशों की व्यक्तिगत ताक़तों और कमज़ोरियों (प्रस्ताव 2) के ख़ाके के साथ, उन क्षेत्रों की पहचान करने में ज़रूरी मदद मिल सकती है, जहां बहुपक्षीय सहयोग, प्रगति में रफ़्तार भरने में सहायक साबित हो सकता है!

मिसाल के तौर पर CCUS और स्वच्छ हाइड्रोजन जैसी उभरती टेक्नोलॉजियों को हार्ड-टू-एबेट यानी कठिन क्षेत्रों में डिकार्बनाइज़ेशन से जुड़ी क़वायद के लिए ज़रूरी समझा जाता है. हार्ड-टू-एबेट सेक्टर्स ज़्यादातर उभरती और अन्य विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में केंद्रित हैं. इन पूंजी-सघन प्रौद्योगिकियों के लिए फाइनेंसिंग तक पहुंचने और उनका भरपूर लाभ उठाने की क़वायदों के इर्द-गिर्द चुनौतियों के कारण इन देशों में CCUS और स्वच्छ हाइड्रोजन की तैनाती की रफ़्तार सुस्त रही है (यिलमाज़, रोउचौधरी और हातिपोग्लू, 2022).

प्रस्ताव 4: G20 और विश्व स्तर पर नेट-ज़ीरो परिवर्तनों को सक्षम करने के लिए सहयोग को लेकर टोही ढांचे के रूप में CCE सूचकांक को संस्थागत रूप देना. 

आने वाले वर्षों में CCE सूचकांक के उपयोग की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए, हम G20 द्वारा सूचकांक के उपयोग को संस्थागत रूप दिए जाने का प्रस्ताव करते हैं. 2023 में ऊर्जा या जलवायु परिवर्तन मंत्रियों की विज्ञप्ति में CCE सूचकांक को एक टोही ढांचे के रूप में अनुमोदित किए जाने के लिए सहमति दिए जाने की दरकार है. नेट-ज़ीरो परिवर्तनों के लिए सहयोग को लेकर, और G20 वार्षिक कार्यक्रम कैलेंडर के हिस्से के रूप में आयोजित ग्लोबल सर्कुलर कार्बन अर्थव्यवस्था शिखर सम्मेलन में सहयोग पर प्रगति की सालाना पड़ताल और मुआयना किए जाने की दरकार है. ये शिखर सम्मेलन नीति निर्माताओं, अंतरराष्ट्रीय संगठनों और विशेषज्ञों को अनुभवों का आदान-प्रदान करने और इन तजुर्बों को ठोस नीतिगत कार्रवाइयों में बदलने का अवसर भी देगा. इससे जलवायु कार्रवाई और ऊर्जा परिवर्तनों से जुड़ी टिकाऊ क़वायदों में सहयोगकारी गतिविधियों में रफ़्तार भरी जा सकेगी. साथ ही ये सुनिश्चित करने में भी मदद मिलेगी कि टोह लगाने के काम को आसानी से उपलब्ध और उच्च गुणवत्ता वाले राष्ट्रीय डेटा के ज़रिए सहारा दिया जाए.


एट्रिब्यूशन: फेथ यिलमाज़ आदि, “एन्हैंसिंग द G20’s क्लाइमेट चेंज पॉलिसी एजेंडा विद द सर्कुलर कार्बन इकोनॉमी इंडेक्स,” T20 पॉलिसी ब्रीफ, मई 2023.


परिशिष्ट

इस परिशिष्ट में CCE सूचकांक के बारे में अधिक जानकारी है. सभी अंतर्निहित डेटा, CCE सूचकांक की गणना-पद्धति, परिणामों और विश्लेषणों को CCE सूचकांक वेब पोर्टल के ज़रिए उपलब्ध कराया गया है. संबंधित प्रकाशनों में उप-सूचकांक स्तर पर प्रस्ताव 1 को लागू करने के उदाहरण शामिल हैं.

CCE परिकल्पना

चित्र A1.

 

CCE सूचकांक गणना-पद्धति 

जैसा कि चित्र A2 में दिखाया गया है, CCE सूचकांक के दो मुख्य निर्माण खंड हैं: प्रदर्शन और सक्षमकारी उप-सूचकांक. पहले खंड का लक्ष्य देशों के मौजूदा CCE प्रदर्शन की तस्वीर पेश करना है जबकि दूसरा खंड ये मापने की कोशिश करता है कि देश अपने बदलावों में तेज़ी लाने के लिहाज़ से कैसी स्थिति में है.

चित्र A2.

 

चित्र A3

 

CCE प्रदर्शन उप-सूचकांक पर प्रस्ताव 1 को लागू करना

CCE सूचकांक के टेक्नोलॉजी निरपेक्ष सिद्धांत के मुताबिक ये सूचकांक वर्तमान में ग्रीनहाउस गैसों की रोकथाम या प्रबंधन टेक्नोलॉजियों के क्षेत्र में विश्व भर में उपयोग किए जा रहे तौर-तरीक़ों की एक विस्तृत श्रृंखला को कवर करता है. इसी के अनुरूप CCE प्रदर्शन उप-सूचकांक, इन प्रौद्योगिकियों और कार्रवाइयों के उपयोग में देशों के मौजूदा प्रदर्शन को दर्शाता है. राष्ट्रों के विभिन्न समूहों में मौजूदा स्थिति, चित्र A4 में प्रदर्शित की गई है. ये दिखाती है कि G20 के सदस्य देश, दुनिया में ज़्यादातर उपलब्ध प्रौद्योगिकियों का औसत से अधिक उपयोग करते हैं. जैसा कि चित्र में दिखाया गया है, उच्च आय वाले G20 सदस्यों द्वारा प्रमुख प्रौद्योगिकियों का उपयोग, आर्थिक सहयोग और विकास संगठन यानी OECD औसत के बराबर है. ये कुल मिलाकर G20 और वैश्विक औसतों से काफ़ी ऊपर है. इसके विपरीत मध्यम आय वाले G20 सदस्य, कुल मिलाकर G20 और वैश्विक औसत के सापेक्ष, इन प्रौद्योगिकियों की निम्न पहुंच का संकेत देते हैं.

चित्र A4: राष्ट्र समूह द्वारा 2022 CCE प्रदर्शन उप-सूचकांक औसत स्कोर

 

स्रोत: CCE सूचकांक परिणामों से लेखकों की रचना, लुओमी, यिलमाज़ और अलशेहरी (2022a).

नोट: विश्व बैंक के आय वर्गीकरण के हिसाब से ‘G20 के उच्च आय वाले देशों’ में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी, फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, सऊदी अरब और अमेरिका शामिल हैं; और ‘मध्यम-आय वाले G20 देशों’ में अर्जेंटीना, ब्राज़ील, चीन, इंडोनेशिया, भारत, मैक्सिको, रूस, तुर्किए और दक्षिण अफ्रीका आते हैं. ‘वैश्विक यानी ग्लोबल’ में 2022 CCE सूचकांक के तहत आने वाले सभी 64 देश शामिल हैं.

और ज़्यादा विशिष्ट रूप से, मध्यम आय वाले G20 सदस्यों का नवीकरणीय ऊर्जा उपयोग, उनकी अर्थव्यवस्था के औसत आकार के सापेक्ष, उच्च आय वाले G20 समूह की तुलना में ज़्यादा है; हालांकि, महत्वपूर्ण कार्बन प्रबंधन टेक्नोलॉजियों और हाइड्रोजन तक उनकी पहुंच काफी हद तक सीमित दिखाई देती है. ये प्रौद्योगिकियां विशेष रूप से हार्ड टू एबेट यानी कठिन क्षेत्रों (मसलन, स्टील, सीमेंट, तेल और गैस) के डिकार्बनाइज़ेशन के लिए अहम हैं. ये तमाम क्षेत्र, अक्सर उभरती अर्थव्यवस्थाओं (मध्यम आय वाले G20 सदस्यों समेत) के प्रमुख सेक्टर होने के साथ-साथ वहां होने वाले उत्सर्जनों के भी स्रोत होते हैं. इन अर्थव्यवस्थाओं की क्षमता का पूरी तरह से उपयोग किए जाने के लिए ऐसी रुकावटों का निपटारा करना अहम है. इससे टिकाऊ ऊर्जा परिवर्तनों में इन देशों की भागीदारी में रफ़्तार भरी जा सकेगी.

CCE सक्षमकारी उप-सूचकांक पर प्रस्ताव 1 को लागू करना 

CCE दृष्टिकोण के अनुरूप, यह स्वीकार किया जाता है कि देशों की परिस्थितियां अलग-अलग हैं. लिहाज़ा वो कार्बन की चक्रीयता से जुड़े टेक्नोलॉजियों के अलग-अलग मिश्रण का उपयोग कर सकते हैं. हालांकि, सक्षमकारी कारकों की ख़ामियों के चलते ये देश आवश्यक प्रौद्योगिकियों का दोहन करने में नाकाम रह सकते हैं. इसे CCE सक्षमकारी उप-सूचकांक में दर्ज किया गया है, जो पांच प्रमुख सक्षमकारी क्षेत्रों को कवर करता है. इनमें नीति और विनियमन, प्रौद्योगिकी, ज्ञान और नवाचार, वित्त और निवेश, कारोबारी वातावरण और प्रणालियों का लचीलापन शामिल हैं. 

चित्र A5: राष्ट्रों के समूह द्वारा 2022 CCE सक्षमकारी उप-सूचकांक का औसत स्कोर

 

स्रोत: CCE सूचकांक परिणामों से लेखकों की रचना, लुओमी, यिलमाज़ और अलशेहरी (2022a).

नोट: विश्व बैंक के आय वर्गीकरण के हिसाब से ‘G20 के उच्च आय वाले देशों’ में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी, फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, सऊदी अरब और अमेरिका शामिल हैं; और ‘G20 के मध्यम आय वाले देशों’ में अर्जेंटीना, ब्राज़ील, चीन, इंडोनेशिया, भारत, मैक्सिको, रूस, तुर्किए और दक्षिण अफ्रीका आते हैं. ‘वैश्विक यानी ग्लोबल’ में 2022 CCE सूचकांक में आने वाले सभी 64 देश शामिल हैं.

चित्र A5, देश के समूहों (उच्च और मध्यम आय वाले G20 सदस्यों समेत) में इन आयामों का सारांश प्रस्तुत करता है. जैसा कि चित्र में दिखाया गया है- प्रौद्योगिकी, ज्ञान और नवाचार के साथ-साथ वित्त और निवेश से जुड़े आयाम, सबसे बड़े अंतराल का संकेत देते हैं. वैसे तो इन आयामों के लिए मध्यम आय वाले G20 सदस्यों का औसत स्कोर अब भी वैश्विक औसत से ऊपर है, लेकिन G20 और G20 के उच्च आय वाले देशों के औसत स्कोर से ये काफ़ी नीचे है. 


a अधिक जानकारी के लिए देखें.

b CCE सूचकांक के बारे में और ज़्यादा जानकारी परिशिष्ट में शामिल है.

c 2022 CCE सूचकांक संकेतक ढांचा और CCE प्रदर्शन और CCE सक्षमकारी उप-सूचकांक स्तरों में इस क़वायद को कैसे लागू किया जाता है, इसके उदाहरण परिशिष्ट में शामिल हैं.