टास्क फोर्स 2: हमारा एक समान डिजिटल भविष्य: किफ़ायती, सुलभ एवं समावेशी डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर
डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) यानी डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा का लक्ष्य कई सारे नीतिगत क्षेत्रों में उत्पादकता में सुधार करना एवं प्रगति करना है. भारत ने अपने स्वयं के इंडिया स्टैक के माध्यम से DPI का संचालन किया है, जिसमें डिजिटल पहचान, तेज़ भुगतान और डेटा सशक्तिकरण इंफ्रास्ट्रक्चर शामिल है. इसी तरह से वर्तमान में ब्राज़ील बिखरे हुए स्वास्थ्य रिकॉर्ड तक पहुंच प्रदान करने के लिए एक ओपन हेल्थ प्रोग्राम विकसित कर रहा है, जबकि यूरोपियन यूनियन ने कुछ निश्चित डिजिटल प्लेटफार्मों के लिए नए नियम-क़ानूनों का प्रस्ताव किया है, जिन्हें DPI के बराबर माना जा सकता है. वर्ष 2019 के बाद से डिजिटल बाज़ारों में चल रही प्रतिस्पर्धा की समीक्षा करने के बाद यह सामने आया है कि बुनियादी डिजिटल प्लेटफॉर्म सेवाओं (जैसे मैसेजिंग और सोशल नेटवर्किंग) के बाज़ार ‘विनर्स-टेक्स ऑल’ (winner-takes-all) प्रभाव, अर्थात एक बार जब कोई तकनीक या कंपनी आगे निकल जाती है, तो वह समय के साथ और बेहतर प्रदर्शन करेगी, जबकि पीछे रह जाने वाली तकनीक और कंपनियां और भी पीछे होती जाएंगी, से कहीं न कहीं बंधे होते हैं. इस वजह से सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के लिए प्रतिस्पर्धात्मकता कम हो जाती है. विभिन्न समीक्षाओं में सबसे बड़े प्लेटफार्मों को अपनी सेवाओं के तत्वों को प्रतिस्पर्धियों के साथ पारस्परिक रूप से संचालन योग्य बनाने की सिफ़ारिश की गई, जिससे प्रतिस्पर्धात्मकता में बढ़ोतरी हुई है. इस पृष्ठभूमि के उलट, यह पॉलिसी ब्रीफ़ कर्तव्यों और प्रतिबद्धताओं को एकजुट करने के लिए नीतिगत सिफ़ारिशें प्रस्तुत करता है. ये सिफ़ारिशें न केवल G20 डीजिटल पब्लिक बुनियादी ढांचों के लिए एक मज़बूत आधार तैयार करने का काम करेंगी, बल्कि एक समावेशी डिजिटल भविष्य के निर्माण में भी अपना योगदान सुनिश्चित करेंगी.
आम तौर पर देखा जाए तो डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) पहचान (ID), पैसों के लेनदेन और आंकड़ों की अदला-बदली करने की प्रणाली जैसी सेवाओं के बारे में ही बताता है, ज़ाहिर है कि यह डिजिटल सेवाएं नागरिकों को महत्त्वपूर्ण सेवाएं उपलब्ध कराने में सरकारों की मदद करती हैं. DPI में सामान्य आर्थिक हित से जुड़ी सेवाओं, जैसे कि परिवहन, संचार या डाक के साथ बहुत कुछ समानता है. डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर का लक्ष्य इसी प्रकार से विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादकता के लिए संभावनाओं को खोलना, उनमें सुधार करना और उन्हें आगे बढ़ाना है. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक़ डिजिटल पब्लिक गुड्स ऐसे ओपन-सोर्स सॉफ़्टवेयर, ओपन डेटा, एआई मॉडल, मानदंड और कंटेंट हैं, जो परिचालन के लिहाज़ से DPI को एक वास्तविकता बनाने का काम करते हैं. [1]
ज़्यादातर देशों में प्राइवेट सेक्टर कहीं न कहीं इस डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के संचालन में प्रमुख भूमिका निभाता है. तमाम G20 देशों (यूरोपीय संघ के सदस्य देशों, भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन समेत) में वर्ष 2019 के बाद से डिजिटल मार्केट्स में चल रही प्रतिस्पर्धा को लेकर की गई समीक्षा के मुताबिक़ बुनियादी प्लेटफॉर्म सेवाओं (जैसे कि मैसेजिंग और सोशल नेटवर्किंग सेवाएं) के बाज़ार ‘विनर्स-टेक्स ऑल’ प्रभाव के अनुरूप हैं. इससे साफ ज़ाहिर होता है कि इस तरह की प्रतिस्पर्धा ने पब्लिक इंफ्रस्ट्रक्चर के लिए प्रतिस्पर्धात्मकता को कम करने का काम किया है. इन मूल्यांकन में बड़े डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को शामिल करने की जरूरत थी, ताकि वे प्रतिस्पर्धियों द्वारा दी जाने वाली सेवाओं के साथ अपनी सेवाओं को पारस्परिक रूप संचालित करने योग बना सकें. अगर ऐसा किया जाता तो निश्चित तौर पर पब्लिक डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ती. इसी प्रकार से ब्रिटेन और अन्य जगहों पर ओपन बैंकिंग पहलों के लिए बड़े बैंकों को अपने खातों को ओपन एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (API) के ज़रिए (ग्राहकों के लिए स्पष्ट निर्देश के साथ) सुलभ और सुगम बनाने की ज़रूरत है, ताकि डेटा ट्रांजैक्शन और भुगतान के नए विकल्पों के आधार पर नवाचार के अवसर लगातार बढ़ें.
दुनिया के कई देशों में, ख़ास तौर पर यूरोपियन यूनियन, भारत और ब्राज़ील के अनुभवों के आधार पर, इस पॉलिसी ब्रीफ़ में पारस्परिक रूप से संचालित होने वाले डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने और संचार एवं बैंकिंग (नई कंपनियों के लिए इन बाज़ारों में प्रवेश करने और प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता) जैसे DPI की प्रतिस्पर्धा करने की योग्यता को बढ़ाने के लिए एक समान दृष्टिकोण की पहचान करने की कोशिश की गई है, साथ ही G20 सदस्य देशों के एक साथ मिलकर काम करने के अवसरों का भी विश्लेषण किया गया है. उदाहरण के तौर पर भारत ने अपने खुद के इंडिया स्टैक (India Stack) के माध्यम से DPI का संचालन किया है, जिसमें डिजिटल पहचान, तेज़ भुगतान और डेटा सशक्तिकरण इंफ्रास्ट्रक्चर शामिल है. सेंट्रल बैंक ऑफ ब्राज़ील द्वारा एक ओपन बैंकिंग प्रोग्राम की शुरुआत के बाद, ब्राज़ील की सरकार वर्तमान में बिखरे पड़े स्वास्थ्य रिकॉर्ड तक पहुंच प्रदान करने के लिए एक ओपन हेल्थ प्रोग्राम विकसित कर रही है.
एक भारतीय संसदीय समिति ने वर्ष 2022 में सिफ़ारिश की थी कि सरकार को वैश्विक स्तर पर डिजिटल नियम-क़ानूनों को सुसंगत एवं संतुलित बनाने की कोशिश करनी चाहिए, ताकि इससे जुड़े व्यवसाय की लागत को कम किया जा सके, भारत के डिजिटल इकोसिस्टम को एकीकृत किया जा सके और देश की कंपनियों को “दुनिया भर में सफलतापूर्वक प्रतिस्पर्धा करने” के लायक बनाया जा सके. [2]
विभिन्न देशों और सोसाइटियों की क्षमता को बढ़ाने एवं अलग-अलग तरह की समस्याओं का हल तलाशने के लिए कई प्रकार की नई-नई डिजिटल सेवाएं और समाधान विकसित किए गए हैं. हालांकि, कुछ डिजिटल प्लेयर्स ऐसे हैं जो सीधे तौर पर आपस में जुड़े हुए हैं और प्रभावी तरीक़े से बड़ी अर्थव्यवस्थाओं एवं बेहद मज़बूत नेटवर्क प्रभावों पर भरोसा करने में सक्षम हैं. ऐसे डिजिटल प्लेटफॉर्म न केवल वैश्विक स्तर पर कार्य करते हैं, बल्कि इनका उपयोग करने वाले उद्योग एवं अंतिम-उपयोगकर्ता दोनों की ही इन पर अत्यधिक निर्भरता होती है. कहने का तात्पर्य यह है कि यह संबंध इतना मज़बूत होता है कि उपयोगकर्ता इन डिजिटल मंचों की सेवाओं को चाहकर भी नहीं छोड़ पाते हैं. इस प्रकार से देखा जाए तो अक्सर बुनियादी प्लेटफॉर्म सेवाओं के संबंध में उचित आर्थिक परिणाम सुनिश्चित करने में बाज़ार अपनी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं जता पाता है.
कोविड-19 महामारी के दौरान यह पूरी तरह से स्पष्ट हो गया था कि कमज़ोर सोसाइटियों में किस प्रकार से प्रमुख डिजिटल प्लेटफार्मों की सेवाओं की कमी है. ज़ाहिर है कि कोरोना महामारी के दौरान, सूचना और संचार पर डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का पूरा नियंत्रण था, साथ ही साथ का पूरे बिजनेस का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा भी प्रमुख डिजिटल प्लेटफार्मों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं पर निर्भर था. ऐसे उदाहरण भरे पड़े हैं, जब उपभोक्ताओं को बेहतरीन या नए-नए समाधान हसिल नहीं हो पाए. ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि ये ‘गेटकीपर’ प्लेटफॉर्म व्यापक स्तर पर यह तय करने का काम करते हैं कि मार्केट तक किसकी और किन परिस्थितियों में पहुंच होगी.
यूरोपियन कमीशन ने वर्ष 2004 में विंडोज पीसी और गैर-माइक्रोसॉफ्ट वर्कग्रुप सर्वरों के बीच पारस्परिक ऑपरेशन्स को जानबूझकर प्रतिबंधित करके और अपने विंडोज मीडिया प्लेयर को जोड़कर अपनी बाज़ार ताक़त का दुरुपयोग करने के लिए माइक्रोसॉफ्ट पर जुर्माना लगाया था. विंडोज मीडिया प्लेयर, यानी एक ऐसा उत्पाद, जिसे अपने सर्वव्यापी विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा. [3] इस पूरे मामले की जांच के दौरान में माइक्रोसॉफ्ट द्वारा जो जवाब दाख़िल किए गए थे, उनमें माइक्रोसॉफ्ट ने साफ तौर पर अपने लिए रिज़र्व अंतरसंचालनीयता के अनुकुल परिस्थितियों और अपने बढ़ते मार्केट शेयर के बीच संबंध बात मानी थी. उस समय से लेकर आज के दौर तक काफ़ी बदलाव आया है, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि डिजिटल इकोनॉमी की कई चुनौतियां [4] 25 साल पहले की तुलना में उतनी अलग नहीं हैं, जब यूरोपीय आयोग ने अपनी जांच शुरू की थी.
समस्याएं कितनी बड़ी हैं और कितनी भयावह हैं, इसका अंदाज़ा तब लगता है जब प्राइवेट डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म सेवाएं तेज़ी के साथ पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर बन जाती हैं और सामाजिक-आर्थिक तानेबाने पर असर डालने लगती हैं. इन दिक़्क़तों को फेसबुक, व्हाट्सएप, यूट्यूब और टिकटॉक जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के दबदबे से अच्छी तरह से समझा और देखा जा सकता है. इसके साथ ही एलन मस्क द्वारा ट्विटर का अधिग्रहण किए जाने के बाद के घटनाक्रमों में भी यह परेशानी स्पष्ट तौर पर दिखाई देती है, ज़ाहिर है कि ट्विटर एक ऐसा मंच बन गया है, जिसका हिस्सा बनना और जिसका इस्तेमाल करना वैश्विक संचार के विभिन्न पहलुओं का एक अनिवार्य हिस्सा या कहा जाए की मज़बूरी बन गया है. [5] पत्रकारिता, राजनीतिक संपर्क और सूचना प्रसार एवं संकट के प्रबंधन समेत कई क्षेत्रों में ट्विटर बेहद अहम हो गया है. ट्वीटर के इसी महत्व ने इसे बेहद ज़रूरी पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर बन दिया है. आम जनमानस टिकाऊ और भरोसेमंद डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर की अपेक्षा करता है, लेकिन सच्चाई यह है कि ट्विटर द्वारा महत्त्वपूर्ण सेवाएं उपलब्ध कराए जाने के बावज़ूद, यह एक लाभ के लिए कार्य करने वाली संस्था या कंपनी है, जो कि आपातकाल की स्थिति में भी सिर्फ़ अपने फायदे के लिए काम करती है. [6]
जिस प्रकार से गूगल के ख़िलाफ़ इसी तरह के अविश्वास के कई मामले सामने आ चुके हैं, उनके मद्देनज़र, DPI के रूप में इसकी भूमिका के बारे में भी ऐसा ही कुछ कहा जा सकता है. सर्च मार्केट में अपने ज़बरदस्त प्रभुत्व या लगभग एकाधिकार के साथ, गूगल ने बाक़ी इकोनॉमी की तुलना में अपनी मौज़ूदगी और निर्विवाद रूप से मोल-तोल करने ताक़त के साथ सहयाक क्षेत्रों, यानि कि प्रकाशकों, मार्केटर्स, मोबाइल सेक्टर और ई-कॉमर्स के क्षेत्रों में अपनी मज़बूत स्थिति का फायदा उठाया है. बुनियादी वैश्विक रिसर्च, जैसे कि लाइब्रेरी या टेलीफोन बुक, एक ऐसी सेवा बन गई है, जिसे किसी प्रतिस्पर्धी या सार्वजनिक सेवा प्रदाता द्वारा प्रतिस्थापित नहीं किया जा सकता है और न ही चुनौती दी जा सकती है.
ऐसी सेवाओं को इंफ्रास्ट्रक्चर के रूप में नामांकित करने के लिए सामान्य आर्थिक हितों वाली सेवाओं के अनुरूप या समतुल्य नियामक व्यवस्था की ज़रूरत होती है. ज़ाहिर है कि यह नियामक व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए, जो अर्थव्यवस्था के अतिआवश्यक कामकाज एवं सोसाइटी में मार्केट की ताक़त के प्रसार की गारंटी या आश्वासन देने वाली हो.
यूरोपियन यूनियन द्वारा वर्ष 2022 के डिजिटल मार्केट एक्ट (DMA) को अपनाया जाना पिछले दशकों में बाज़ार की गतिविधियों और विभिन्न घटनाक्रमों की विस्तृत जांच-पड़ताल एवं तमाम बुनियादी प्लेटफॉर्म सेवाओं में प्रमुख मार्केट प्लेयर्स के सामाजिक प्रभाव का नतीज़ा था. यह अधिनियम बाज़ार की ताक़त का सुनियोजित तरीक़े से दुरुपयोग किए जाने के विरुद्ध एक ठोस कार्रवाई की तरह था. इसकी प्रमुख ज़रूरतों में से एक बाज़ार की प्रतिस्पर्धात्मकता को बहाल करने के लिए सबसे बड़े गेटकीपर प्लेटफार्मों द्वारा संचालित कुछ सेवाओं को प्रतिस्पर्धियों के साथ पारस्परिक रुप से संचालन योग्य बनाना है. DMA ‘पास्परिक संचालन की योग्यता’ को सूचनाओं के आदान-प्रदान और सूचनाओं का परस्पर उपयोग करने की क्षमता के रूप में परिभाषित करता है. अर्थात जिन सूचनाओं का आदान-प्रदान इंटरफेस या अन्य समाधानों के ज़रिए किया गया है, ताकि हार्डवेयर या सॉफ्टवेयर के सभी अवयव अन्य हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर के साथ-साथ सभी उपयोगकर्ताओं के साथ मिलकर काम करें. यानि उन सभी तरीक़ों से कार्य करें, जिनके लिए उन्हें विकसित किया गया है या कहा जाए कि जिन सभी कार्यों के लिए उनका इस्तेमाल किया जाता है. [7]
डिजिटल मार्केट एक्ट में ऐसे विभिन्न प्रावधान शामिल हैं, जो मूलभूत प्लेटफॉर्म सेवाओं की अंतरसंचालनीयता से जुड़े मुद्दों को संबोधित करते हैं, जिन्हें डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर माना जाता है. यह पॉलिसी ब्रीफ़ निम्नलिखित दो महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों पर प्रकाश डालता है, यानी कि मैसेजिंग सर्विस और ऑपरेटिंग सिस्टम.
दरअसल, DMA का सबसे महत्त्वपूर्ण पारस्परिक संचालन का नियम ‘नंबर-इंडिपेंडेंट’ इंटरपर्सनल कम्युनिकेशन सर्विसेज (NIICS) पर लागू होगा, जो कि गेटकीपर प्लेटफॉर्म्स का हिस्सा हैं. DMA के अर्टिकल 7 के मुताबिक़ गेटकीपर अनुरोध किए जाने पर अपने NIICS की बुनियादी कार्यप्रणालियों को किसी दूसरे प्रदाता के साथ पारस्परिक तौर पर संचालन योग्य बनाएगा. [8] इसका तात्पर्य यह है कि जो लोग गेटकीपर सर्विस से संतुष्ट नहीं हैं, वे जिन समूहों या समुदायों से पहले जुड़े हुए थे, उनसे अलग होने के डर के बगैर अपने सेवा प्रदाताओं को बदल सकते हैं.
डिजिटल मार्केट एक्ट ऐप स्टोर्स के नियमों को न केवल नए सिरे से परिभाषित करता है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि आत्मनिर्भर और स्वतंत्र ऐप विकसित करने वाले निष्पक्ष एवं न्यायोचित शर्तों पर प्रतिस्पर्धा कर सकें. गेटकीपर ऑपरेटिंग सिस्टम (जैसे कि iOS या एंड्रॉइड) को थर्ड पार्टी सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन्स या सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन स्टोर्स को इन्सटाल करने (installation) और उनके प्रभावी तौर पर इस्तेमाल की भी अनुमति देनी चाहिए. इसके अलावा, गेटकीपर की बुनियादी प्लेटफॉर्म सेवाओं पर निर्भर वैकल्पिक प्रदाताओं द्वारा प्रदान की गई सेवाओं का उपयोग करते समय गेटकीपर, उपयोगकर्ताओं को गेटकीपर द्वारा पहचान की गई सेवाओं या चयनित की गई सेवाओं का उपयोग करने के लिए मज़बूर नहीं कर सकते हैं. इतना ही नहीं, DMA में इस बात का भी उल्लेख है कि गेटकीपर न तो मार्केट से ज़्यादा शुल्क वसूल कर पाएंगे और न ही अपने खुद के ऐप्स का समर्थन या तरफदारी कर पाएंगे.
एक प्रणाली के रूप में ओपन हेल्थ प्राइवेट हेल्थ सेक्टर में प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करने का काम करता है. ओपन हेल्थ सिस्टम ओपन बैंकिंग प्रणाली से प्रेरित है, जिसे ब्राज़ील के सेंट्रल बैंक द्वारा नियम बनाने के पश्चात वहां के बैंकिंग सेक्टर में पहले से ही उपयोग करना शुरू किया जा चुका है. ओपन हेल्थ को ओपन हेल्थ डेटा के एक इकोसिस्टम के रूप में विकसित किया जाएगा, जिसमें उपयोगकर्ता के पास हेल्थ सेक्टर के विभिन्न हिस्सों में अपनी जानकारी साझा करने का विकल्प उपलब्ध होगा. इससे न केवल हेल्थ ऑपरेटरों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ाने में मदद मिलेगी, बल्कि प्रक्रियाओं को सुगम व सुलभ बनाने और हेल्थ सेक्टर में ज़्यादा से ज़्यादा पारदर्शिता लाने में भी मदद मिलेगी. [9]
ब्राज़ील में 49 मिलियन से अधिक लाभार्थियों को बेहतर गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के मकसद से शुरू किया गया देश का ओपन हेल्थ नाम का यह प्रोजेक्ट दो स्तंभों पर आधारित है. पहला स्तंभ है उपभोक्ता सहायता, जिसका फोकस एक सिंगल रिकॉर्ड या इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड बनाने के लिए स्वास्थ्य से जुड़े आंकड़े साझा करने पर है. इसका दूसरा स्तंभ है- वित्तीय, जिसका मकसद पोर्टेबिलिटी यानी स्वास्थ्य बीमा कंपनियों को बदलने की प्रक्रिया में सुधार के माध्यम से हेल्थ इंश्योरेंस मार्केट में प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करना है.
ब्राज़ील का नेशनल हेल्थ डेटा नेटवर्क (RNDS) एक DPI के रूप में संचालित होता है. डिजिटल हेल्थ स्ट्रैटेजी फॉर ब्राज़ील 2020-28 के दिशानिर्देशों पर आधारित राष्ट्रीय स्वास्थ्य डेटा नेटवर्क को राष्ट्रीय स्वास्थ्य डेटा इंटर-ऑपरेबिलिटी प्लेटफॉर्म के रूप में क़ानूनी तौर पर अमल में लाया गया था. [10] ब्राज़ील का स्वास्थ्य मंत्रालय एक एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस यानी API उपलब्ध कराता है, जो हेल्थ केयर सेक्टर से जुड़े विभिन्न संस्थानों और इकाइयों द्वारा उपयोग किए जाने वाले विभिन्न सॉफ्टवेयर प्लेटफॉर्म को अपने इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड सिस्टम को राष्ट्रीय स्वास्थ्य डेटा नेटवर्क के साथ जोड़ने की सुविधा प्रदान करता है. [11] स्वास्थ्य से जुड़े आंकड़ों को साझा करने के लिए एक ओपन इकोसिस्टम को कार्यान्वित करने का उद्देश्य मरीज़ों की बीमारी की पहचान करने और उनके इलाज से जुड़े फैसलों पर सीधा और सकारात्मक असर डालना है. साथ ही इसका मकसद अलग-अलग उत्पादों एवं सेवाओं में व्यापक विविधिता लाना है और मरीज़ों को इस प्रकार की स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करना है, जिन्हें प्रत्येक मरीज़ के लिए उसकी व्यक्तिगत ज़रूरतों के मुताबिक़ तैयार किया जाएगा. [12]
ब्राज़ील के नीति निर्माता इस बात को भली-भांति समझ चुके हैं कि पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के रूप में एक व्यापक रूप से मानदंडों के अनुरूप व प्रमाणित एवं पारस्परिक तौर पर संचालन के योग्य हेल्थ डेटाबेस देश की स्वास्थ्य प्रणाली के बेहतर तरीक़े से कार्य करने में अहम योगदान दे सकता है. यह पूरी स्वास्थ्य प्रणाली में कार्य कर रहे विभिन्न प्लेयर्स के साथ इधर-उधर बिखरे स्वास्थ्य से जुड़े आंकड़ों को साझा करने से संबंधित समस्याओं में से एक दिक़्क़त का समाधान करता है. उदाहरण के तौर पर जब हेल्थ डेटा का साझाकरण अधिकृत और न्यायसंगत होता है, तो इससे किसी अस्पताल के लिए मरीज़ की बीमारी से जुड़ा पूरा लेखजोखा रखना संभव हो जाता है. इसका लाभ यह होता है कि जब मरीज़ को आपातकालीन स्थिति में त्वरित इलाज की आवश्यकता होती है, तो इलाज के बारे में निर्णय लेने की प्रक्रिया में तेज़ी आती है.
इस पहल का एक अहम हिस्सा हेल्थ इंश्योरेंस प्लान्स की बीच पोर्टेबिलिटी यानी अदला-बदली है. दि नेशनल रेगुलेटरी एजेंसी फॉर हेल्थ इंश्योरेंस (ANS) मरीज़ों और इंश्योरेंस प्लान्स की जानकारी के साथ-साथ इन प्लान्स की अदला-बदली की प्रक्रियाओं की जानकारी को केंद्रीकृत करने यानी एक जगह पर एकत्र करने का काम करती है. [13] ब्राज़ील के वर्किंग ग्रुप की फाइनल रिपोर्ट के मुताबिक़ पोर्टेबिलिटी की व्यवस्था [14] में निम्नलिखित उपाय शामिल हैं:
व्यवसाय करने की लागत में कमी करके प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने का मकसद उपभोक्ता के लिए स्वास्थ्य बीमा सेवाओं की क़ीमतों को कम करना है. इसके अलावा, भविष्य में उपयोग में लाई जाने वाली यह प्रणाली हेल्थ इंश्योरेंस योजनाओं का चयन करने में किसी भी प्रकार की मध्यस्थता को ख़त्म करने का काम करती है. इसके ज़रिए उपयोगकर्ता खुद ही बीमा योजना के लिए आवेदन कर सकता है और बेहतरीन विकल्पों की तुलना कर चयन कर सकता है.
इंडिया स्टैक [15] भारत सरकार के विभिन्न विभागों और एजेंसियों द्वारा विकसित की गई एक विस्तृत डिजिटल पहचान, पेमेंट और और डेटा-प्रबंधन की प्रणाली है. इंडिया स्टैक एक विशेष बुनियादी नज़रिए के साथ, व्यापक पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर और मानदंडों के नियम पर आधारित है. इंडिया स्टैक में तीन लेयर्स, अर्थात परतें शामिल हैं:
तीसरी डेटा परत यानी डेटा सशक्तिकरण लेयर का एक हिस्सा जिस पर भी विचार किया जा सकता है वह है डिजिलॉकर. डिजिलॉकर, ज़रूरी दस्तावेज़ों को रखने की एक ऐसी ऑन-डिमांड प्रणाली, जो एक पेपरलेस लेयर के रूप में काम कर सकती है, साथ ही यह डिजिटल दस्तावेज़ों के सत्यापन की भी सुविधा प्रदान करती है. इस प्रकार के ट्रस्टी या संरक्षक यानी अन्य व्यक्ति या संगठन के लिए धन या संपत्ति के प्रबंधन की ज़िम्मेदारी संभालने वाले, इंडिया स्टैक के API का इस्तेमाल एक ओपन एक्सेस सॉफ्टवेयर स्टैंडर्ड के रूप में करते हैं, जो विभिन्न एप्लिकेशन्स को ना सिर्फ़ एक दूसरे के साथ सूचना या जानकारी का आदन-प्रदान करने की अनुमति देता है, बल्कि डिजिटल दस्तावेज़ों के सत्यापन की भी सुविधा देता है. जबकि किसी दूसरे स्थान पर एग्रीगेटर आमतौर पर डेटा तक पहुंच के बदले में सेवाएं प्रदान करते हैं, जिसका उपयोग वे अन्य सेवाओं को बेचने के लिए कर सकते हैं, लेकिन जहां तक भारत की बात है, तो भारत का दृष्टिकोण वास्तविक अर्थों में भरोसे पर निर्भर करता है. ये ट्रस्टी या संरक्षण साझा किए गए डेटा तक पहुंच स्थापित नहीं कर सकते हैं और न ही आंकड़ों को एकत्र करके रख सकते हैं, लेकिन वे अपनी सेवाओं के लिए शुल्क वसूल सकते हैं. [20] दूसरे शब्दों में कहा जाए, तो इंडिया स्टैक एकाउंट एग्रीगेटर्स की स्थापना के लिए आर्थिक प्रोत्साहन प्रदान करता है और यह कुछ ऐसा है, जो कि अन्य दृष्टिकोणों में नहीं है.
डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदाताओं के पास निर्बाध, सुगम एवं बेहतरीन सेवाएं उपलब्ध कराने की विशेष ज़िम्मेदारी है. सभी G20 देशों में बुनियादी डिजिटल प्लेटफॉर्म के पास डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर की एक ख़ास विशेषता है. पिछले दशक में निजी सेक्टर द्वारा संचालित किए जाने वाले डिजिटल प्लेटफॉर्म तेज़ी के साथ पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर बन गए हैं, जो कि सामाजिक-आर्थिक स्थितियों पर अपना असर डाल रहे हैं.
जिन वजहों से यूरोपियन यूनियन डिजिटल मार्केट एक्ट लागू किया गया, उन अनुभवों को ध्यान में रखते हुए, इसमें कोई शक नहीं है कि एक ओपन इकोसिस्टम में पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर सेवाओं की सुरक्षा के लिए रेगुलेशन यानी नियम-क़ानून बेहद ज़रूरी हो गए हैं. अंतरसंचालनीय डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा न केवल मार्केट की प्रतिस्पर्धा को सुनिश्चित करता है, बल्कि नागरिकों को भी सशक्त बनाने का काम करता है. इसलिए, G20 के नीति निर्माता जब भी अपने देशों में कोर डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की कार्यप्रणाली को संबोधित करते हैं, तो इंटर-ऑपरेबिलिटी यानी पारस्परिक संचालन की प्रतिबद्धता उनकी रणनीति के केंद्र में ज़रूर होना चाहिए.
ब्राज़ील के ओपन हेल्थ का मामला यह स्पष्ट रूप से बताने के लिए काफ़ी है कि बेतरतीब तरीक़े से इधर-उधर बिखरी पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रणाली को भी सुधारा जा सकता है, साथ ही बेहतर सामाजिक आर्थिक नतीज़ों के लिए उनका उपयोग किया जा सकता है. डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे की स्थापना को लेकर जो रणनीतिक निर्णय लिए जाते हैं, उनमें स्वास्थ्य प्रणालियों जैसे व्यापक और अहम क्षेत्रों को एकीकृत किया जा सकता है. ब्राज़ील में ओपन हेल्थ प्रोजेक्ट के एक वैधानिक हिस्से के रूप में इंटर-ऑपरेबिलिटी प्रतियोगिता को प्रेरित करती है, जो नवाचार को प्रोत्साहित करती है, साथ ही साथ उपभोक्ताओं को बेहतर विकल्प भी उपलब्ध कराती है. ज़ाहिर तौर पर यह G20 समूह के लिए एक बेहतर ब्लूप्रिंट हो सकता है.
इसी तरह, इंडिया स्टैक का मामला साफ तौर पर दर्शाता है कि सार्वजनिक प्राधिकरणों द्वारा स्थापित किए गए बेहतर अंतरसंचालनीय प्लेटफॉर्म फाउंडेशन देश को बदलने का एक मार्ग है. इतना ही नहीं यह व्यापक और अहम प्रणाली की कार्यपद्धति की सुरक्षा करने एवं अर्थव्यवस्था व सोसाइटी के विभिन्न किरदारों को सशक्त बनाने का एक तरीक़ा है. इंडिया स्टैक को अंतरसंचालनीय ई-कॉमर्स स्कीम के साथ और बेहतर बनाना एक और महत्वाकांक्षी सफलता है.
डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर्स को स्थापित करने को लेकर G20 के भीतर अंतरसंचालनीयता की प्रतिबद्धता निम्न तीन कारणों से बहुत ज़रूरी है.
पहला, गेटकीपर कारोबार के संचालन से पैदा बाज़ारों के कामकाज को प्रभावी तरीक़े से आगे बढ़ाने के समक्ष आने वाली चुनौतियों से निपटने की ज़रूरत है. यह आवश्यक नहीं है कि प्रतिस्पर्धा क़ानून के लिहाज से यह चुनौतियां हावी हों, लेकिन सार्वजनिक ढांचागत विशेषता वाले क्षेत्रों में वैकल्पिक समाधान के लिए महत्त्वपूर्ण प्रवेश द्वारों का रास्ता रोकने में यह चुनौतियां ज़रूर सक्षम हैं.
दूसरा, प्रभावशाली इंटर-ऑपरेबिलिटी यानी परस्पर संचालन की योग्यता छोटे प्रतिस्पर्धियों द्वारा स्वतंत्र रूप से सेवाएं प्रदान करने और सेवाएं हासिल करने में आने वाले अवरोधों को समाप्त करती है. जहां निजी उपक्रम अहम सेवाओं की कार्यक्षमता या उनकी डिलीवरी को नियंत्रित करते हैं, वहीं अंतरसंचालनीयता उनके एकाधिकार को ख़त्म करने की ज़रूरत के बगैर समावेशन को उत्प्रेरित करने का काम करती है. इसीलिए, इंटर-ऑपरेबिलिटी को डिजिटल प्लेटफॉर्म गवर्नेंस के लिए एक ‘सुपर टूल’ कहा गया है. [21]
तीसरा, अलग-अलग रेगुलेटरी सॉल्यूशन्स यानी नियामक समाधानों की वजह से बाज़ारों का बिखराव होता है और इस प्रकार से अलग-अलग तरह की राष्ट्रीय नियामक आवश्यकताओं के चलते अनुपालन लागत का ख़तरा बढ़ गया है. ऐसे में अगर अंतरसंचालनीयता के मुद्दे को G20 के स्तर पर संबोधित किया जाता है, तो यह ऐसी सेवाओं को, जिन्हें डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के अंतर्गत समझा जाता है, उन्हें सभी अधिकार क्षेत्रों या कहा जाए कि सभी देशों में व्यावहारिक और उपयोगी बना सकता है. इतना ही नहीं, यह डिजिटल गेटकीपर प्लेटफॉर्म्स और उनके छोटे प्रतिस्पर्धियों, दोनों के लिए लागत को भी काफ़ी हद तक कम कर सकता है.
एट्रीब्यूशन: पेन्चो कुज़ेव और इयान ब्राउन, “EU रेगुलेशन, ब्राज़ील का ओपन हेल्थ एवं इंडिया स्टैक: एकीकृत डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए एक समान प्लेटफॉर्म का दृष्टिकोण,” T20 पॉलिसी ब्रीफ़, मई 2023.
[1] Liv Marte Nordhaug and Lucy Harris, “Digital Public Goods: Enablers of Digital Sovereignty,” OECD iLibrary.
[2] Standing Committee on Finance, India, 2022-2023.
[3] Case T-201/04, Microsoft v. Commission, Judgment of the Grand Chamber of the Court of First Instance of 17 September 2007.
[4] European Commission, “Commission Concludes on Microsoft Investigation, Imposes Conduct Remedies and a Fine,” March 24, 2004.
[5] Centre for International Governance Innovation, “Digital Infrastructure is Essential to Modern Life: So is its Regulation”
[6] Centre for International Governance Innovation, “Digital Infrastructure is Essential to Modern Life: So is its Regulation”
[7] Regulation (EU) 2022/1923 of the European Parliament and of the Council of 14 September 2022 on contestable and fair markets in the digital sector and amending Directives (EU) 2019/1937 and (EU) 2020/1828 (Digital Markets Act), Article 2, Recital 29
[8] Regulation (EU) 2022/1923, Article 7(1)
[9] Wellbe, “Open Health nos planos de saúde: como vai funcionar?” 2023.
[10] A RNDS – Rede Nacional de Dados em Saúde, Ministério da Saúde, 2021.
[11] OECD, “The Digital Transformation of Primary Health Care in Brazil, Primary Health Care in Brazil”.
[12] Joana França, “From Interoperability to Open Health: How Open Ecosystem Transformations Can Revolutionise the Healthcare Industry”.
[13] Daniel Pereira, “The User Will Be Able to do in a Few Clicks what Today Takes at Least 30 Days to Happen,” Valor, 2022.
[14] Relatório Final do Grupo de Trabalho.
[15] The India Stack.
[16] The National Payments Corporation of India is an umbrella organisation for operating retail payments and settlement systems in India. It is an initiative of the Reserve Bank of India (RBI).
[17] Yan Carriere-Swallow, Yikram Haksar, and Manasa Patnam, “India’s Approach to Open Banking: Some Implications for Financial Inlusion,” IMF Working Paper, WP/21/52
[18] Financial Times, “The India Stack: Opening the Digital Marketplace to the Masses”.
[19] Pradeep Mohan Das, “Account Aggregators (AA) in India: Hyper-Personalization Meets Scale”.
[20] Yan Carriere-Swallow, Yikram Haksar, and Manasa Patnam, “Stacking Up Financial Inclusion Gains in India,” July 2021.
[21] Digital Regulation Project, “Equitable Interoperability: The “Super Tool” of Digital Platform Governance”.