फ़लते-फूलते बचपन और आजीवन स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए ग्लोबल लेड पॉइज़निंग संकट पर चर्चा ज़रूरी!

Rachel Silverman Bonnifield

टास्क फोर्स 6: एक्सीलरेटिंग SDG: एक्स्प्लोरिंग न्यू पाथवेस् टू द 2030 एजेंडा

 

सारांश

 

 

लेड पॉइजनिंग अर्थात सीसा विषाक्तता वैश्विक जनस्वास्थ्य अथवा सार्वजनिक स्वास्थ्य और विकास चुनौतियों में सबसे कम चर्चित और सबसे ज़्यादा उपेक्षित मामला कहा जा सकता है. एक अनुमान के अनुसार निम्न और मध्यम आय वाले देशों में लगभग दो में से एक बच्चे के रक्त में सीसे का स्तर ख़तरनाक रूप से उच्च होता है. इसकी वज़ह इन बच्चों के बढ़ने, सीखने और पनपने की क्षमता बाधित होती है. लेड अर्थात सीसे के संपर्क में आने से प्रति वर्ष हृदय संबंधी विकारों के कारण अनुमानित 900,000 मौतें होती हैं. यह आंकड़ा मलेरिया से होने वाली मौतों से भी अधिक है. विभिन्न देशों के बीच और देशों के भीतर ही सीसा विषाक्तता के लिए ज़िम्मेदार प्रमुख स्रोत व्यापक रूप से भिन्न होते हैं. इसमें लेड-एसिड बैटरी रीसाइक्लिंग, खनन और स्मेलटिंग अर्थात अयस्क गलाने, दूषित मसाले, सीसा पेंट और कुकवेयर आदि का समावेश हैं.

 

बेहद धीमी गति से विकराल होते जा रहे इस वैश्विक संकट को लेकर जागरूकता बढ़ाने के लिए G20 से सहयोग लिया जाना ज़रूरी है. यह सहयोग लेकर ही सीसा विषाक्तता का सामना करने अथवा उनका शिकार होने वाले लोगों की गणना करते हुए इस पर निगरानी रखने के लिए एक व्यवस्था अथवा एजेंडा को विकसित किया जा सकता है. इसके साथ ही सीसा विषाक्तता के लिए ज़िम्मेदार कन्टैमिनेटेड अर्थात दूषित स्त्रोतों की शिनाख्त की जा सकेगी. इतना ही नहीं प्रभावित समुदायों में सीसा विषाक्तता के बोझ को कम करने वाली नीति और वितरण हस्तक्षेपों का समर्थन भी इसके माध्यम से किया जा सकता है. भारत की अध्यक्षता में, G20 को बच्चों की क्षमता, लोगों के आजीवन स्वास्थ्य और सीसा विषाक्तता के व्यापक संकट से बचाने के लिए साझा माहौल बनाने की दिशा में सार्थक कार्रवाई करनी चाहिए.

 

चुनौती

 

 

2021 में लेडेड पेट्रोल अर्थात लेड मिश्रित पेट्रोल को वैश्विक स्तर पर चलन से बाहर कर दिया गया.[1] इसे अब तक की सबसे महत्वाकांक्षी और प्रभावशाली सार्वजनिक स्वास्थ्य उपलब्धियों में से एक माना जाता है. इसकी वज़ह से अनुमानित 1.2 मिलियन लोगों की जान बची, जबकि हर साल होने वाला लगभग 2.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर का आर्थिक नुक़सान भी रोका जा सका.[2] हालांकि, इस असाधारण उपलब्धि और लोकप्रिय धारणा के बावजूद सीसे की विषाक्तता को अभी तक इतिहास की किताबों में दफ़न नहीं किया जा सका है.  उच्च आय वाले देशों (HICS) में रहने वाले सीमांत समुदायों के भीतर सीसा विषाक्तता अभी भी बनी हुई है. अधिकांश निम्न और मध्यम आय वाले देशों (LMIC) में यह सर्वव्यापी होने के बावजूद अदृश्य है. इसी वज़ह से यह समस्या वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य और विकास के लिए सबसे कम मान्यता प्राप्त और सबसे उपेक्षित चुनौतियों में से एक का प्रतिनिधित्व करती है. इसी कारण से सीसा विषाक्तता स्वास्थ्य, शिक्षा, गरीबी, विकास और पर्यावरण संरक्षण लक्ष्यों सहित कई सतत विकास लक्ष्यों (SDG) को प्राप्त करने की राह में एक घातक बाधा बनी हुई है.

 

बच्चों के सीखने और फ़लने-फूलने की क्षमता को प्रभावित कर रहा है सीसा

 

 

मनुष्यों और अनेक जानवरों में सीसा एक न्यूरोटॉक्सिन है. यदि गर्भाशय और प्रारंभिक बचपन में ही बच्चा लेड एक्सपोजर अर्थात सीसे के संपर्क में आ जाता है तो यह उसके सीखने, अनुभूति करने और व्यवहार पर आजीवन प्रभाव छोड़ने वाला साबित होता है. इसकी वज़ह से बच्चे का न्यूरोलॉजिकल विकास स्थायी रूप से बदल जाता है अथवा प्रभावित हो जाता है. यह पाया गया है कि लेड एक्सपोजर पुअरर लर्निंग आउटकम्स् अर्थात ख़राब सीखने के परिणामों से जुड़ा हुआ है. इसी प्रकार इसके कारण अटेंशन डेफिसिट हाइपर-एक्टिविटी अर्थात ध्यान न्यूनता से जुड़े अति सक्रियता संबंधी विकार और अन्य व्यवहार संबंधी समस्याओं का ख़तरा बढ़ गया है. इस बात के भी पुख़्ता सांकेतिक साक्ष्य हैं कि लेड एक्सपोजर के कारण हिंसा और अवगुण भी बढ़ते हैं.[3] US[4] और स्वीडन[5] में हुए अध्ययनों में पाया गया है कि सीसा विषाक्तता का संज्ञानात्मक प्रभाव पड़ता है, अर्थात ज्ञानसंबंधी प्रभाव होता है, जो जीवन भर की कमाई में 4 प्रतिशत से 11 प्रतिशत की कमी लाने का कारण बनता है.

 

बेहद कम ब्लड-लेड कॉन्सनट्रेशन्स अर्थात बहुत कम रक्त-सीसा सघनता या गाढ़ेपन पर भी सीसे का संज्ञानात्मक प्रभाव देखा जाता है. जैसे ही ब्लड-लेड लेवल (BLL) अर्थात रक्त-सीसा स्तर बढ़ता है, वैसे ही संज्ञानात्मक प्रभाव भी बढ़ता जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने क्लीनिकल इंटरवेन्शन अर्थात नैदानिक हस्तक्षेप के लिए 5 µg/dl पर एक संदर्भ (BLL) निर्धारित किया है; लेकिन इस बात के सबूत मिले हैं कि सीसे का का कोई सुरक्षित स्तर नहीं होता है. इसी प्रकार उस सीमा के नीचे काग्निशन अर्थात वह प्रक्रिया, जिसके द्वारा मस्तिष्क में ज्ञान और बोध का विकास होता है और बिहेवियर अर्थात व्यवहार पर पर्याप्त प्रभाव डॉक्यूमेंटेड यानी दस्तावेज़ों मे दर्ज़ किए गए हैं.[6] हायर ब्लड-लेड कॉन्सनट्रेशन्स लेवल अर्थात उच्च रक्त-सीसा सघनता या गाढ़ेपन (40 µg/dL से अधिक) पर, बच्चों और वयस्कों में गंभीर और तीव्र बीमारी जैसे कोलिक अर्थात शूल, डिक्रिस्ड मोटर स्किल्स अर्थात एक विशिष्ट कार्य करने के लिए मांसपेशियों की खास अथवा तय हरकतें, सीशर अर्थात दौरे, न्यूरोपैथी, एन्सेफैलोपैथी, कोमा जैसी बीमारियां विकसित हो सकती है. इतना ही नहीं इसकी वज़ह से बच्चे अथवा वयस्क की मौत भी संभव है.[7]

 

सीसा विषाक्तता के इन विनाशकारी प्रभावों को ध्यान में रखते हुए, वैश्विक सीसा विषाक्तता के आंकड़े बड़े पैमाने पर अंतरात्मा को झकझोर देते हैं. यह समस्या एक धीमी गति से चलने वाले वैश्विक संकट के बराबर है. इसे लेकर बहुत काम डेटा अर्थात जानकारी उपलब्ध है. केवल कुछ HIC, जैसे US, के पास पिछले कुछ दशकों में लेड एक्सपोजर को लेकर विश्वसनीय सर्वेक्षण डेटा उपलब्ध है. इस सर्वेक्षण से मिली जानकारी लेडेड गैसोलीन के फेज-आउट अर्थात प्रचलन से बाहर होने के बाद लेड एक्सपोजर में देखी गई नाटकीय गिरावट को दर्शाती है. (चित्र 1 देखें) लेकिन 34 देशों के लिए हाल ही में किए गए एक अनुमान से पता चलता है कि LMIC[8] में लगभग दो बच्चों में से एक – कुल मिलाकर 800 मिलियन बच्चे[9] – ख़तरनाक रूप से हाई ब्लड-लेड लेवल्स अर्थात उच्च रक्त-सीसा स्तर वाले हैं. 2013 में किए गए एक अध्ययन के अनुसार LMIC में लेड से जुड़े लर्निंग लॉसेस अर्थात सीखने के नुक़सान की कुल आर्थिक लागत लगभग 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर सालाना थी.[10] इस प्रकार सीसा विषाक्तता दुनिया के बच्चों के लिए बड़े पैमाने हो रहे अन्याय का प्रतिनिधित्व करता दिखाई देता है. और यह बच्चों की सामूहिक उत्पादकता और कल्याण पर दीर्घकालिक प्रभाव छोड़ने वाला साबित हो रहा है.

 

चित्र 1: यूएस में 1 से 5 वर्ष की आयु के बच्चों में लेड एक्सपोजर. (1976-2018)

 

 

नोट: ब्लड में मीडियन अर्थात मध्यरेखा (रेड/लाल) और 95वां पर्सेन्टाइल अर्थात प्रतिशतक (ब्लू/नीला) सघनता/गाढ़ापन

स्त्रोत: US पर्यावरण संरक्षण एजेंसी[11]

 

सीसे की वज़ह से वैश्विक स्तर पर हृदय रोग में हो रही है वृद्धि

 

इस बात के भी पुख़्ता सबूत मिले हैं कि सीसा ही वयस्कता में विशेष रूप से, कार्डियोवस्क्यूलर अर्थात हृदय रोग से मृत्यु और रुग्णता जैसी स्वास्थ्य समस्याओं के लिए एक महत्वपूर्ण, कारणात्मक जोख़िम भरे कारक के रूप में उभरा है. US में, 2018 में आबादी के एक बड़े पैमाने पर किए गए अध्ययन में पाया गया है कि सीसे के अपेक्षाकृत कम स्तर पर भी संपर्क में आने से हृदय रोग का ख़तरा दोगुना हो गया. यही बात दिल के दौरे से जुड़े सभी मामलों में से एक-चौथाई से अधिक के लिए ज़िम्मेदार हो सकती है.[12] 2019 में वैश्विक स्तर पर इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन के अनुमान बताते हैं कि लेड की वज़ह से प्रति वर्ष 900,000 लोगों की मृत्यु (मलेरिया से भी अधिक) होती है.[13] हालांकि अब अनेक विशेषज्ञों का मानना है कि हाल ही में उपलब्ध साक्ष्यों को देखते हुए यह आंकड़े कम ही लगते हैं.

 

सीसा हमारे माहौल, घरों और कार्यस्थलों में सामान्यत: मौजूद है

भोजन, पानी, हवा, पेंट, उपभोक्ता वस्तुओं, सौंदर्य प्रसाधन, कुकवेयर और अन्य उत्पादों में सीसा सर्वव्यापी रूप से मौजूद है. विशेषत: LMIC में, जहां अभी भी सीसे को लेकर विनियमन और उसके अमल में काफ़ी ख़ामियां हैं. लेड एक्सपोजर अर्थात सीसे के संपर्क का कारण बनने वाले स्रोतों के सापेक्ष योगदान का पर्याप्त अध्ययन या दस्तावेज़ीकरण नहीं किया गया है. लेकिन विचारोत्तेजक साक्ष्य अनेक स्रोतों की ओर इशारा करते हैं, जो लेड एक्सपोजर के लिए महत्वपूर्ण साबित होने की संभावना है:[14]

 

लेड एसिड बैटरी रिसायकलिंग अर्थात पुनर्चक्रण: लेड-एसिड बैटरियों का एक आवश्यक घटक लेड है. लेड कार, जनरेटर, और नवीकरणीय ऊर्जा भंडारण को पॉवर अर्थात ऊर्जा प्रदान करता है. लेड एसिड बैटरी में मौजूद लेड ही वर्तमान में सीसे के उपयोग की बड़ी संख्या (80 प्रतिशत से अधिक) के लिए ज़िम्मेदार है.[15] उपयुक्त की गई बैटरियों में से लेड को लगभग पूरी तरह से पुनर्प्राप्त कर उसका पुनर्नवीनीकरण किया जा सकता है. लेकिन यदि ऐसी गतिविधियां अनौपचारिक रूप से या अपर्याप्त कड़े पर्यावरण और सुरक्षा मानकों वाले औद्योगिक संचालन में की जाती हैं तो इस प्रक्रिया में गंभीर व्यावसायिक जोख़िम और पर्यावरण के प्रदूषित होने का ख़तरा बहुत अधिक हैं. रिसर्चर्स अर्थात शोधकतार्ओं का अनुमान है कि अनौपचारिक पुनर्चक्रण संचालन बच्चों में औसतन 31.2 µg/dl और वयस्कों में 21.2 µg/dl के औसत BLL के साथ 6-17 मिलियन लोगों में गंभीर सीसा विषाक्तता के लिए ज़िम्मेदार हैं.[16]

 

खनन और स्मेल्टिंग अर्थात गलाना : लेड ओर अर्थात सीसा अयस्क—या कभी-कभी सोना, निकल अर्थात गिलट और प्लेटिनम सहित अन्य धातुओं—के लिए होने वाला खनन, गंभीर व्यावसायिक जोख़िम और दीर्घकालीन पर्यावरणीय गिरावट का कारण बन सकते हैं. मसलन, ज़ांबिया की बदनाम काब्वे खदान दशकों से बंद होने के बावजूद आसपास के समुदाय – जिनमें 90,00 बच्चे शामिल हैं – को लगभग सार्वभौमिक सीसा विषाक्तता का सामना करना पड़ रहा है. इसमें अक्सर 75 µg/dl से अधिक बेहद उच्च BLL शामिल है.[17]

 

पेंट्स: पेंट्स में रंग, स्थायित्व, या सुखाने की क्षमता को बढ़ाने के लिए सीसा मिलाया जाता है. ऐसे में लेड पेंट के निर्माण और इसके उपयोग अथवा पेंट लगाने के दौरान (लेड के धुएं के माध्यम से) अथवा दशकों बाद (सांस लेने या पुराने पेंट चिप्स या सीसे की धूल के अंतर्ग्रहण के माध्यम से) मनुष्यों के लिए ख़तरे का कारण बन सकता है. 2021 के अंत तक, 111 देशों (57 प्रतिशत) ने लेड पेंट के उत्पादन, आयात और बिक्री को सीमित करने वाले कानूनी रूप से बाध्यकारी नियंत्रणों की पुष्टि नहीं की थी.[18] दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका और एशिया में बेचे जाने वाले पेंट के सैम्पल्स अर्थात नमूनों में सीसा का स्तर बहुत अधिक पाया गया है. यह स्तर अक्सर 10,000 ppm से अधिक होता है.[19] एक संदर्भ के रूप में, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) ने अपने मॉडल लेड पेंट कानून में डिफॉल्ट लीगल लिमिट अर्थात पहले से तय कानूनी सीमा के रूप में 90 ppm का उपयोग निर्धारित कर रखा है.[20]

 

कुकवेयर: लेड-ग्लेज्ड अर्थात सीसे से चमकाया गया सेरामिक्स अर्थात मिट्टी का पात्र/बर्तन लैटिन अमेरिका, उत्तरी अफ्रीका और दक्षिण एशिया में आमतौर पर उपलब्ध हैं. वहां लेड ग्लेज का उपयोग रंग और चमक बढ़ाने के लिए किया जाता है. ऐसे में लेड भोजन और पेय में आसानी से घुल सकता है. छोटे पैमाने के उत्पादकों द्वारा धातु के स्क्रैप अर्थात कबाड़ से बनाए गए और अनेक LMIC में उपयोग किए जाने वाले कलात्मक एल्यूमीनियम के बर्तनों में भी अक्सर सीसा पाया गया है. लेकिन यह जिन स्थितियों में जैव-उपलब्ध यानी बायोअवेलेबल हो जाता है, वे अब भी स्पष्ट नहीं हैं.

 

दूषित मसाले: मसालों का रंग बढ़ाने और बाज़ार में कीमत बढ़ाने के लिए कभी-कभी उनमें सीसा मिलाया जाता है; हल्दी में अक्सर एक चमकीले नारंगी रंग, लेड क्रोमेट की मिलावट की जाती है. बांग्लादेश में 2019 (प्री-इंटरवेन्शन) अध्ययन में पाया गया है कि 50 प्रतिशत हल्दी के नमूनों में बेसलाइन अर्थात गुणवत्ता के न्यूतनम स्तर पर सीसे की मिलावट की गई थी.[21] इसी प्रकार जॉर्जिया, भारत, रूस, अल्जीरिया, इक्वाडोर, पाकिस्तान और नेपाल में उत्पन्न होने वाले मसालों में भी सीसा का स्तर काफ़ी उच्च पाया गया है.[22]

 

इसके अलावा, निम्नलिखित स्त्रोतों की वज़ह से भी लेड कन्टैमनेशन अर्थात सम्मिश्रण हो सकता है:[23]

 

प्रसाधन सामग्री, सबसे विशेष रूप से कोल (सूरमा) आईलाइनर. इसके साथ ही गैर-कोल लिपस्टिक और मेंहदी भी.

लेड पिगमेंट अर्थात रंग और धातु के घटक युक्त खिलौने, आभूषण और उपभोक्ता सामान के माध्यम से.

पीने के पानी की लेड पाइप या सर्विस लाइन, या दूषित भूजल के माध्यम से.

 

मुख्यत: पूर्व और दक्षिण एशिया में रिलिजियस अर्थात धार्मिक पावडर या चूर्ण और पारंपरिक औषधियों के माध्यम से.

US, कनाडा और UK जैसे देशों में भी कानूनी और व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले लेड युक्त गोला बारूद और मछली पकड़ने के वेट अर्थात वजन के माध्यम से.

 

अनपयुक्त हो चुके इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों में मौजूद लेड घटकों के माध्यम से उपजने वाले ई-कचरे के पुनर्चक्रण के माध्यम से.

लाइट एविएशन फ्यूल अर्थात उड्डयन ईंधन. यह आज भी उच्च आय वाले देशों में सीसायुक्त बना हुआ है.

 

लेडेड गैसोलीन अर्थात लेडयुक्त पेट्रोल से होने वाला अवशिष्ट प्रदूषण. यह विशेष रूप से घने शहरों में और प्रमुख राजमार्गों में पाया जाता है.

 

लोककथाओं से जुड़ी परंपराओं, जिनमें पूर्वी यूरोप में भविष्य बताने के लिए सीसा-आधारित प्रक्रिया शामिल है.

 

वैश्विक सीसा विषाक्तता के लिए कोई एकल ‘‘सिल्वर बुलेट’’ हस्तक्षेप नहीं है. क्योंकि इन विभिन्न स्रोतों का अलग-अलग देशों में सापेक्षिक महत्व अलग-अलग होता है. इससे जुड़ी समस्या के दायरे और उसके पैमाने को देखते हुए स्थानीय महामारी विज्ञान और संदर्भ के अनुकूल हस्तक्षेपों का मिश्रण ही इसके समग्र बोझ को तेजी से कम करने का काम करने के लिए ज़रूरी है. इनमें पेंट और उपभोक्ता वस्तुओं से सीसे को हटाने के लिए मज़बूत नियमन और उस पर किया जाने वाला अमल शामिल हैं. इसके साथ ही आवश्यक औद्योगिक अनुप्रयोगों से परे जाकर लेड के उपयोग पर कड़े प्रतिबंध लगाए जाने ज़रूरी है. इतना ही नहीं लेड से कारोबार से जुड़े लोगों को लेड एक्सपोजर से बचाने के लिए उनके सुरक्षा संबंधी उपाय भी किए जाने चाहिए और सीसा-एसिड बैटरी के पुनर्चक्रण के लिए सुरक्षित, स्व-निहित सर्क्यूलर आपूर्ति श्रृंखला होनी चाहिए.

 

डेटा अर्थात जानकारी की कमी चुनौती को बढ़ाती है

 

 

सीसा विषाक्तता के प्रसार और कारणों पर विशेषत: LMIC में डेटा अर्थात जानकारी की कमी इस चुनौती को और भी मुश्किल बना देती है.  अधिकांश धनी देश अपनी जनसंख्या में BLL की नियमित और मज़बूत निगरानी कर रहे हैं, लेकिन किसी भी LMIC देश में ऐसी व्यवस्था नहीं है. अब तक सिर्फ दो देश जॉर्जिया और मैक्सिको ने इस संबंध में प्रतिनिधिक BLL सर्वेक्षण किया हैं.[24] अधिकांश अन्य देशों में तो छोटे पैमाने पर किए गए डेटा संग्रह अभ्यासों से अनुमान ही लगाया जाता है. या फिर जनसांख्यिकीय रूप से समान देशों के डेटा के आधार पर कुछ देशों की स्थिति का अनुमान लगाया जाता है. ये अनुमान स्वभावत: ही अविश्वसनीय होते हैं.[25]

इसी तरह, विभिन्न स्त्रोतों की वज़ह से होने वाली सीसे की विषाक्तता का लेड एक्सपोजर में जो हिस्सा है उसे लेकर विशेष परिस्थितियों और वैश्विक स्तर पर अनुमान लगाने के लिए डेटा अर्थात जानकारी बेहद सीमित है. इसकी वज़ह से नीतिगत कार्रवाई सीमित अथवा बाधित होती है. इसका कारण यह है कि लेड एक्सपोजर को रोकने के लिए स्थानीय स्तर पर ही स्त्रोतों को लक्षित करने संबंधी हस्तक्षेप किया जाना ज़रूरी होता है.

 

G20 की भूमिका

 

 

सीसे की विषाक्तता के वैश्विक संकट को G20 नज़रअंदाज़ नहीं कर सकता. इसका कारण यह है कि इस समूह के सभी सदस्य देश प्रत्यक्ष रूप से इस समस्या से प्रभावित हैं. भले ही देश के अनुसार इस समस्या की गंभीरता का स्तर अलग-अलग ही क्यों न हों. G20 में शामिल उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं को इस समस्या का सर्वाधिक बोझ उठाना पड़ रहा है. इस समस्या से जूझ रहे अनुमानित 276 मिलियन बच्चे भारत में रहते हैं. इन बच्चों का BLL 5 µg/dl से अधिक है.[26] यह पूर्ण संख्या में अब तक दुनिया भर में सबसे अधिक संख्या कही जा रही है. कई अन्य G20 देशों : चीन, इंडोनेशिया, मैक्सिको, दक्षिण अफ्रीका में औसत BLL 3 µg/dl से अधिक है. वहां भी प्रत्येक देश में 5 µg/dl संदर्भ स्तर से ऊपर आने वाले लाखों बच्चे इस समस्या से पीड़ित हैं.[27]

 

इसके बावजूद हानिकारक स्वास्थ्य और संज्ञानात्मक प्रभावों को लेड एक्सपोजर से जुड़े जोख़िम के बहुत कम स्तर पर दस्तावेज़ों में दर्ज़ किया गया है. और इसे देखते हुए कि हाशिए पर चले गए समुदायों के सीसा विषाक्तता से सबसे ज़्यादा पीड़ित होने की संभावना है, जिसकी वज़ह से इन समुदायों में असमानता और सामाजिक विभाजन का चक्र चलने लग जाता है. अत: इस समस्या को लेकर सबसे धनी देशों की भी यह ज़िम्मेदारी बनती है कि वे इसे संबोधित करने अथवा इन पर ध्यान देने वाली नीतियों पर काम करें. मसलन, US में, सीसा विषाक्तता राजनीतिक रूप से एक अत्यधिक प्रमुख मुद्दा बना हुआ है. बाइडेन प्रशासन के लिए यह नस्लीय असमानता और सामाजिक आर्थिक अभाव को दूर करने की प्राथमिकता[28] है. G7 समूह ने हाल ही में “पर्यावरण….और कमज़ोर समुदायों में लेड अर्थात सीसे को कम करने के लिए मज़बूत प्रतिबद्धता’’ को दोहराते हुए[29] इस मुद्दे में निरंतर निवेश किए जाने की आवश्यकता को स्वीकार किया है. लेकिन G7 देश अकेले ही स्थानीय अथवा वैश्विक स्तर पर सीसा विषाक्तता को समाप्त नहीं कर सकते हैं.

 

G20 के सदस्य देश इस समस्या से अपनी आबादी की रक्षा के लिए एकतरफा, स्थानीय कार्रवाई कर सकते हैं और उन्हें यह करनी भी चाहिए. लेकिन इसके अंतर्राष्ट्रीय आयामों को संबोधित करते हुए वैश्विक स्तर पर इस समस्या के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए व्यापक संवाद और सहयोग की आवश्यकता है. वैश्विक सहयोग के प्रमुख मंच के रूप में, इस दिशा में काम करने के लिए G20 की ज़िम्मेदारी दोगुना हो जाती है.

 

सबसे पहले तो सीसा विषाक्तता को G20 द्वारा अंतर्राष्ट्रीय एजेंडे पर बढ़ाकर उसे लेकर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई को प्रोत्साहित करने पर ध्यान देने की आवश्यकता है. जहां सीसा विषाक्तता अदृश्य होती है, वहां यह सबसे ज़्यादा ख़तरनाक होती है. मज़बूत निगरानी प्रणाली के बगैर देश अक्सर इस समस्या से पूरी तरह अनभिज्ञ होते हैं. अत: इसे संबोधित करने अथवा इससे निपटने के उपाय करने के लिए प्रेरित नहीं होते हैं. G20 का नेतृत्व इस समस्या पर उच्च स्तरीय प्रकाश डालकर नीतिगत हस्तक्षेप का एक अच्छा चक्र शुरू कर सकता है. इसके माध्यम से इस समस्या को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर प्रगति करने के लिए सीखने, हस्तक्षेप को लेकर आदान-प्रदान करने और साझा उत्तरदायित्व की ज़िम्मेदारी उठाने की दिशा में आगे बढ़ा जा सकता है. इसमें समस्या के पैमाने और दायरे को लेकर उच्च स्तरीय संचार और संवाद; सीसा विषाक्तात के ख़तरे का सामना कर रही जनसंख्या की निगरानी का आकलन करने के लिए एक निगरानी एजेंडे का विकास; भोजन, उपभोक्ता उत्पादों और पर्यावरण में संदूषण के स्रोतों की पहचान करने की व्यवस्था; और प्रभावित समुदायों में सीसा विषाक्तता के बोझ को कम करने वाली नीति और वितरण हस्तक्षेपों का समर्थन शामिल होगा.

 

दूसरी बात यह है कि एक परस्पर रूप से जुड़ी हुई दुनिया के लिए सीसा विषाक्तता के अंतर्राष्ट्रीय आयामों को संबोधित करने के लिए G20 की ओर से संवाद स्थापित कर कार्रवाई किया जाना आवश्यकता और प्रासंगिक भी है:

 

 

लेड-एसिड बैटरियों की वैश्विक स्तर पर मांग लगातार बढ़ रही है. इसकी वज़ह से नई बैटरियों का अंतरराष्ट्रीय व्यापार और नव खनन और सीसे का पुनर्नवीनीकरण बढ़ रहा है. इसी प्रकार पुन: उपयोग के लिए लगभग पूरी तरह से तैयार पुनर्नवीनीकरण वाली लेड-एसिड बैटरियों का इस्तेमाल भी तेजी से बढ़ रहा है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुछ समझौते की वज़ह से इन प्रवाहों को विनियमित करने में सहायता हो रही है, लेकिन यह प्रवाह बड़े पैमाने पर हो रहा है और कभी-कभी असुरक्षित रहता है. वेस्ट अर्थात अपशिष्ट लेड-एसिड बैटरियों को कभी-कभी निर्यात करने के बाद निर्यात करने वाले देशों की तुलना में कम कड़े मानकों के तहत प्राप्तकर्ता देशों में पुनर्चक्रित किया जाता है. इसका भी मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.[32] इस प्रक्रिया के कारण पुनर्नवीनीकृत सीसा की वज़ह से नई बैटरी के उत्पादन को बढ़ावा मिलता है. लेड-एसिड बैटरियों का कुल आयात/निर्यात लगभग US$10 बिलियन वार्षिक का है.[33]

लेड विषाक्तता एक क्रिटिकल वन हेल्थ इश्यू अर्थात एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है. क्योंकि पर्यावरणीय सीसा संदूषण वन्यजीवों की आबादी को नष्ट कर सकता है और दूषित खाद्य आपूर्ति के माध्यम से मनुष्यों को ख़तरे में डाल सकता है. सीसा विषाक्तता का पर्यावरणीय क्षरण और वन्य जीवन पर प्रभाव सीमा को भी पार कर सकता हैं. इसमें प्रवासी पक्षियों पर होने वाला प्रभाव[34] और संभावित रूप से दूषित नदी के पानी[35] या तेज हवाओं के माध्यम से सीसा विषाक्तता के सीमा के पार पहुंचने की संभावना शामिल हैं.[36]

 

G20 के लिए सिफारिशें

 

 

G20 की अध्यक्षता करते हुए भारत को बच्चों की क्षमता, सभी के आजीवन स्वास्थ्य, और हमारे साझा पर्यावरण को सीसा विषाक्तता के व्यापक संकट से बचाने के लिए सार्थक कार्रवाई करनी चाहिए और भारत ऐसा कर सकता है. G20 के समक्ष विचार करने के लिए निम्नलिखित कार्रवाइयों की सिफारिश की जाती है:

 

 

 

 

 


एट्रीब्यूशन:  रेचल सिल्वरमैन बोनीफिल्ड, ‘‘एड्रेसिंग द ग्लोबल लेड पॉइजनिंग क्राइसिस टू एनश्योर थ्राइविंग चाइल्डहुड्‌स एंड लाइफलॉन्ग हेल्थ,’’ T20 पॉलिसी ब्रीफ, मे 2023.


Endnotes

[1] Paul Monks, “Leaded Petrol Is Gone – but Lead Pollution May Linger for a Very Long Time,” The Conversation, September 3, 2021.

[2] Peter L. Tsai and Thomas H. Hatfield, “Global Benefits From the Phaseout of Leaded Fuel,” Journal of Environmental Health 74, no. 5 (2011): 8–15.

[3]  Rachel Silverman Bonnifield and Rory Todd, Opportunities for the G7 to Address the Global Crisis of Lead Poisoning in the 21st Century: A Rapid Stocktaking Report, (London: Center for Global Development, 2023).

[4] Scott D Grosse et al., “Economic Gains Resulting from the Reduction in Children’s Exposure to Lead in the United States,” Environmental Health Perspectives 110, no. 6 (June 2002): 563–69.

[5]  Hans Grönqvist, J. Peter Nilsson, and Per-Olof Robling, “Understanding How Low Levels of Early Lead Exposure Affect Children’s Life Trajectories,” Journal of Political Economy, September 1, 2020.

[6] World Health Organization, WHO Guideline for Clinical Management of Exposure to Lead (Geneva: World Health Organization, 2021).

[7] WHO Guideline for Clinical Management of Exposure to Lead

[8] Bret Ericson et al., “Blood Lead Levels in Low-Income and Middle-Income Countries: A Systematic Review,” The Lancet Planetary Health 5, no. 3 (March 1, 2021): e145–53.

[9] Nicholas Rees and Richard Fuller, The Toxic Truth: Children’s Exposure to Lead Pollution Undermines a Generation of Future Potential, (New York: UNICEF, 2020).

[10] Teresa M. Attina and Leonardo Trasande, “Economic Costs of Childhood Lead Exposure in Low- and Middle-Income Countries,” Environmental Health Perspectives 121, no. 9 (September 2013): 1097–1102.

[11]  United States Environmental Protection Agency, “Biomonitoring – Lead,” May 19, 2015.

[12]  Bruce P Lanphear et al., “Low-Level Lead Exposure and Mortality in US Adults: A Population-Based Cohort Study,” The Lancet Public Health 3, no. 4 (April 2018): e177–84.

[13] Rees and Fuller, The Toxic Truth

[14] Opportunities for the G7 to Address the Global Crisis of Lead Poisoning in the 21st Century

[15] International lead Association, Environmental and Social Responsibility for the 21st Century, (London: International Lead Association, 2015).

[16] Bret Ericson et al., “The Global Burden of Lead Toxicity Attributable to Informal Used Lead-Acid Battery Sites,” Annals of Global Health 82, no. 5 (March 8, 2017): 686.

[17] John Yabe et al., “Lead Poisoning in Children from Townships in the Vicinity of a Lead–Zinc Mine in Kabwe, Zambia,” Chemosphere 119 (January 1, 2015): 941–47.

[18]  World Health Organization, Update on the global status of legal limits on lead in paint, (Geneva: WHO, 2021).

[19]Lead Levels in Paint Around the World“, IPEN, accessed October 26, 2022.

[20] U. N. Environment Programme, “Model Law and Guidance for Regulating Lead Paint,” UNEP, March 7, 2018.

[21]  “Pure Earth — Support for Reducing Lead Exposure in Low- and Middle-Income Countries“, GiveWell, accessed April 5, 2023.

[22]  “Metal Content of Consumer Products Tested by the NYC Health Department“, NYC Open Data, accessed September 30, 2022.

[23] Opportunities for the G7 to Address the Global Crisis of Lead Poisoning in the 21st Century

[24] Opportunities for the G7 to Address the Global Crisis of Lead Poisoning in the 21st Century.

[25]Time to Get Serious About Measuring Childhood Lead Poisoning,” Center for Global Development | Ideas to Action, accessed October 26, 2022.

[26]Global Lead Pollution Map,” accessed April 5, 2023.

[27] “Global Lead Pollution Map”

[28]   “FACT SHEET: The Biden-Harris Lead Pipe and Paint Action Plan,” The White House, December 16, 2021.

[29]Meetings of the G7 Environment/Climate Ministers,” G7 Germany 2022, accessed November 3, 2022.

[30] Paromita Hore et al., “A Spoonful of Lead: A 10-Year Look at Spices as a Potential Source of Lead Exposure,” Journal of Public Health Management and Practice 25 Suppl 1, Lead Poisoning Prevention (January 1, 2019): S63–70.

[31]  “India Spices; Turmeric (Curcuma) Exports by Country | 2021 | Data,” World Bank, accessed April 5, 2023.

[32] Steve Fisher and Alejandro Cegarra, “Americans’ Old Car Batteries Are Making Mexican Workers Sick,” The New York Times, March 20, 2023, sec. World.

[33]  “Lead Acid Battery Market – Global Trade Data of Lead Acid Battery,” accessed April 5, 2023.

[34]  “Trumpeter Swans Dying from Lead Poisoning in Northwest U.S. and Canada,” American Bird Conservancy, accessed April 5, 2023.

[35] David Medzerian, “USC Research Identifies Existential Threats to Iconic Nile River Delta,” USC News, March 10, 2023.

[36] Joshua R. Edwards et al., “One Health: Children, Waterfowl, and Lead Exposure in Northwestern Nigeria:,” Journal of Osteopathic Medicine 117, no. 6 (June 1, 2017): 370–76, .

[37] Opportunities for the G7 to Address the Global Crisis of Lead Poisoning in the 21st Century.