G20 इफेक्टिव ग्लोबल फाइनेंशियल सेफ्टी नेट (GFSN) को बनाए रखने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराता रहा है. GFSN वित्तीय संस्थानों की एक अंतर्राष्ट्रीय बहु-स्तरीय प्रणाली है जो किसी संकट की स्थिति में या किसी संकट की शुरुआत को रोकने के लिए राष्ट्रों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है. GFSN में चार परतें शामिल हैं: राष्ट्रीय स्तर पर विदेशी मुद्रा भंडार, बायलैटरल सेंट्रल बैंक स्वैप लाइन्स, रीजनल फाइनेंसिंग अरेंजमेंट्स (आरएफए) और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) – जो एक तरह से वैश्विक कर्ज़ लेने का आख़िरी उपाय है. पिछले कुछ वर्षों में, सामाजिक और भू-राजनीतिक विभाजन व्यापक हो गए हैं, वैश्विक महामारी के बाद आर्थिक सुधार को सुविधाजनक बनाने में GFSN के विभिन्न तत्वों के बीच अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सहायता और समन्वय को मज़बूत करने की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं.
GFSN में उपलब्ध संसाधनों की बढ़ोतरी के बावज़ूद, कई विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में बड़े पैमाने पर वित्तीय अंतराल के साथ, सुरक्षा तंत्र का कवरेज असमान है, जो संकट को रोकने में इसकी प्रभावशीलता को कम कर रहा है. दुनिया की आधी से अधिक अर्थव्यवस्थाओं की पहुंच GFSN के केवल एक एलीमेंट: आईएमएफ़ तक है. इसके अलावा, अधिकांश देशों को अपनी वित्तीय ज़रूरतों को पूरा करने के लिए GFSN के कई घटकों का उपयोग करने की आवश्यकता होगी, जो संभवतः समन्वय के मुद्दों को उठा सकता है.
GFSN लगातार विकसित हो रहा है. आरएफए उन क्षेत्रों में वित्तीय और व्यापक आर्थिक स्थिरता की रक्षा के लिए सेफ्टी नेट की रक्षा की एक महत्वपूर्ण पंक्ति के रूप में उभरे हैं, जिन्हें वे कवर करते हैं. उदाहरण के लिए वैश्विक वित्तीय संकट से, हमने बड़ी ऋण देने की क्षमता के साथ-साथ मौज़ूदा संस्थानों की मज़बूती के साथ नए आरएफए के निर्माण को देखा है. आरएफए वर्तमान में एशिया-प्रशांत, सोवियत-यूरेशिया के बाद, यूरोप, लैटिन अमेरिका और मध्य पूर्व में चालू हैं. आरएफए ने अपने सदस्य देशों की अच्छी सेवा की है और उनमें से कुछ को आर्थिक और वित्तीय अस्थिरता से बचाया है. कोरोना संकट की शुरुआत के बाद से, आरएफए अपने सदस्य राज्यों की मदद करने के काम में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं. मोटे तौर पर उपाय तीन प्रकार के थे: ऋण उपकरणों और नीतियों में संशोधन; विभिन्न ऋण देने के तौर-तरीक़ों के माध्यम से अपने सदस्यों की फंडिंग; और समय पर आर्थिक निगरानी और तकनीक़ी सहायता का प्रावधान करना. क्योंकि वर्तमान में मौज़ूद आरएफए से, अरब मुद्रा कोष और स्थिरीकरण और विकास के लिए यूरेशियन फंड (ईएफएसडी) ने आंशिक रूप से आईएमएफ़ कार्यक्रमों के संयोजन में सदस्य देशों को वित्तीय सहायता प्रदान की है. इसके अलावा यूरेशिया में, इएफएसडी ने अपनी स्थापना के वर्ष से स्टैबलाइजेशन फंडिंग (स्थिरीकरण वित्तपोषण) की लगभग उतनी ही राशि को मंज़ूरी दी जितनी कि आईएमएफ़ ने दी थी.
प्रभावी रूप से आरएफए वर्तमान में अधिकांश अफ्रीका को कवर नहीं करता है, जिसमें सब-सहारा अफ्रीका, साथ ही यूरेशिया और लैटिन अमेरिका के महत्वपूर्ण हिस्से शामिल हैं, जबकि इन सभी क्षेत्रों और उप-क्षेत्रों में बड़े वित्तीय झटकों का ख़तरा है. उदाहरण के लिए, इस तरह के वित्तीय स्थिरता तंत्र की अनुपस्थिति ऋणग्रस्त अफ्रीकी देशों को अकेले या केवल आईएमएफ़ के समर्थन से ऋण संकट की स्थितियों से निपटने के लिए छोड़ देती है. असमान भौगोलिक कवरेज के मुद्दे को हल करने में विफल होने से इनक्लुसिव स्टैबलाइजेशन (समावेशी स्थिरीकरण) में कमी आती है और कई निम्न-मध्य और निम्न-आय वाली अर्थव्यवस्थाओं में मैक्रो स्टैबलाइजेशन और अन्य उभरते मुद्दों, जैसे जलवायु, को संबोधित करने में विफलता होती है.
सबसे पहले, स्थिरीकरण उपकरणों और संसाधनों की सामान्य वर्गीकरण को परिभाषित करने की आवश्यकता है. आरएफए और आईएमएफ़ के लिए, यूरोपीयन स्टैबलाइजेशन मेकेनिज्म द्वारा आरएफए/आईएमएफ़ टूलकिट के लिए एक ठोस तुलनात्मक विश्लेषण पूरा कर लिया गया है. जिससे मुख्य रूप से निम्निलिखित बातें अहम हो जाती हैं: जहां तक उपयुक्त और लागू होता है, आईएमएफ़ और आरएफए को आम सदस्यों को सुसंगत और पूरक सहायता प्रदान करने के लिए अपनी साधन विविधता का लाभ उठाना चाहिए. गैर-GFSN संस्थानों, विशेष रूप से एमडीबी जो स्टैबलाइजेशन एज़ेंडे में शामिल हैं, उसके लिए समान कार्य लागू किया जाना चाहिए. एमडीबी स्टैबलाइजेशन फाइनेंसिंग के वर्गीकरण को GFSN उपकरणों के लिए बेंचमार्क किया जाना चाहिए. जी20 स्टैबलाइजेशन फाइनेंसिंग की समीक्षा कर सकता है जो गैर-GFSN संस्थानों के माध्यम से किया जाता है और GFSN और अन्य तंत्रों के बीच संसाधनों के बेहतर आवंटन के लिए शासकीय सिद्धांतों पर विचार कर सकता है. इससे एमडीबी को स्टैबलाइजेशन एजेंडे में एमडीबी की भागीदारी पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है. यह सुझाव एमडीबी के कैपिटल एडिक्वेसी फ्रेमवर्क को बढ़ाने के लिए जी20 के प्रयासों के संबंध में विशेष रूप से प्रासंगिक है.
दूसरा, मौज़ूदा आरएफए के भौगोलिक दायरे को विस्तार करने की ज़रूरत है और अफ्रीका के लिए एक आरएफए स्थापित करने की ज़रूरत है. उदाहरण के लिए अफ्रीका, विशेष रूप से उप-सहारा क्षेत्र में अभी भी अपने स्वयं के आरएफए की कमी है. इस बीच यह क्षेत्र लंबे समय तक राजकोषीय और भुगतान संतुलन घाटे से जूझता रहा है ऐसे में खाद्य असुरक्षा और मुद्रास्फीति के दबाव जैसी गंभीर चुनौतियों का समाधान करने के लिए और कार्रवाई करने की आवश्यकता है. हम मैक्रो-फिस्कल और फाइनेंसियल रेजिलियेंस (वित्तीय लचीलापन) बढ़ाने के लिए एक वांछित संस्थागत समाधान के रूप में अफ्रीका के लिए एक रीज़नल फाइनेसिंग अरेंजमेंट स्थापित करने का समर्थन करते हैं. इस प्रकार की आपातकालीन सहायता मौज़ूदा संरचना का पूरक हो सकती है और आवश्यक फिस्कल स्पेस (राजकोषीय स्थान) प्रदान कर सकती है, साथ ही इन देशों को इलिक्विटिडी (अतरलता) में गिरने से रोकने और दिवालिया होने से रोकने में योगदान कर सकती है और इस तरह क्षेत्रीय स्पिलओवर को सीमित कर सकती है. अफ्रीकी आरएफए महाद्वीप को वित्तीय संकटों से बचाएंगे और उन संकटों को हल करने में मदद करेंगे जो पहले ही सामने आ चुके हैं. आईएमएफ़ के आसपास वैश्विक सेफ्टी नेट के पूरक के रूप में, यह तंत्र फिस्कल रूल्स के क्षेत्रीयकरण को चलाने में मदद करेगा और अफ्रीका में दीर्घकालिक और सतत विकास को बढ़ावा देने वाले स्वदेशी ग्रीन स्ट्रक्चरल रिफॉर्म को चलाने में मदद करेगा. इसके अलावा यूरेशिया केवल रीजनल क्राइसिस मिटिगेशन और रोकथाम तंत्र के रूप में स्टैबलाइजेशन और विकास के लिए यूरेशियन फंड द्वारा आंशिक रूप से कवर किया गया है.
कुल मिलाकर, रेजिलियेंस(लचीलापन) बढ़ाने के लिए, ख़ास तौर पर उभरती और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए इस लेख के लेखक GFSN को और मज़बूत करने का सुझाव देते हैं. यह भविष्य में अपरिहार्य संकटों के इफेक्टिव काउंटरएक्शन के लिए उचित है. एमडीबी के स्टैबलाइजेशन फाइनेंसिंग को क्राइसिस रिस्पॉन्स के लिए उपलब्ध धन और उनके विशिष्ट नियमों और शर्तों को बेहतर ढंग से समझने के लिए GFSN उपकरणों के लिए बेंचमार्क किया जाना चाहिए.
(यह निबंध G20-Think20, TF 5 पर टिप्पणी श्रृंखला का एक हिस्सा है – उद्देश्य और प्रदर्शन: वैश्विक वित्तीय व्यवस्था का पुनर्मूल्यांकन)